मैं अब ना चाहते हुआ भी फिरसे उठा और युवराज मामा के पास में गया. और मामा से बोला-
मैं: जाइए ना, मामी आप से कुछ कहने वाली है. इसलिए आपको बुला रही है.
फिर मामा थोड़ी देर सोचे और बोले-
युवराज मामा: अपनी मामी से बोलना की अगार समय मिला तो रात में अवँगा.
फिरसे मामा के रूम से निकल कर के च्चत पे मामी के पास चला गया. और अब मैं फिरसे मामी के पास में बैठ करके सीधा अपना हाथ मामी के बूब्स पे रखा, और बातें करने लगा. मैं मामी के बूब्स को दबाना चाहता था, क्यूंकी आज मैं पहली बार किसी औरत का बूब चू रहा था. और मुझे बहुत ही सॉफ्ट-सॉफ्ट सा लग रहा था.
मैं: मामा बोले है की आप इंतेज़ार कीजिए. अगर समय मिला तो बाद में आएँगे थोड़ी और रात होने के बाद.
मामी: लेकिन युवराज मामा कर क्या रहे है?
मे: वो बस लेते हुए है, कुछ भी कर नही रहे है.
और अब मैं बूब्स को दबाते-दबाते नीचे अपना हाथ सारी पे ले गया, जहा पे छूट होती है. हालाकी सारी की वजह से मैं आचे से कुछ महसूस नही कर रहा था. मुझे दोनो जांघों के बीच से लग रहा था की छूट पे ही मेरा हाथ था.
मामी अब भी कुछ नही बोली, और उस चाँदनी रात में मैं पहली बार अपनी मामी की छूट सहला रहा था अपने हाथो से, और मामी के जागते हुए. ये सोच कर के ही मेरी तो हालत खराब थी. तभी मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली-
मामी: एक बार और जाइएएगा मेरे लिए?
मैं: अब क्या काम है मामी?
मामी: ये पूछिए की मैं च्चत पे ही सोई राहु, या अपने रूम में चली जौ.
अब मुझे मामी की छूट और बूब्स का नशा सा हो गया था. मामी जो भी कहती मैं करने को राज़ी था. फिर मैं उठा, और फिरसे युवराज मामा के रूम में चला गया.
युवराज मामा: अब क्या हुआ?
मैं: मामी पूच रही है की च्चत पे ही रहे या अपने रूम में चली जाए?
युवराज मामा: बोल देना च्चत पे ही रहे. मैं तुम्हारे मामी के रूम में रात में नही जौंगा.
फिरसे मैं मामी के पास में आया, और इस बार सीधे में अपना हाथ मामी की सारी के उपर से ही छूट पे रख के उनकी छूट को सहलाने लगा.
मामी: क्या हुआ, क्या बोले है?
मैं: युवराज मामा बोले है की आप च्चत पे ही रहो. वो च्चत पे ही आएँगे, आपके रूम में नही जाएँगे.
मामी: तो फिर आप जाइए सो जाइए.
मैं: क्यूँ मामी, मुझे तो नींद ही नही आ रही है.
मामी: रात के 10 बाज गये है. आपको कल जल्दी उतना है, जाइए सो जाइए.
मैं मामी के छूट को सहला रहा था, बुत हिम्मत नही हो रही थी की सारी के अंदर हाथ डाल के मामी के छूट को सहला लू.
फिर मामी बोली: मेरी भी बात नही मानेंगे? आप जाइए यहा से, और और सो जाइए.
मैं: मामी क्या मैं एक बार अपना हाथ अंदर डाल सकता हू?
मामी (गुस्से वाला मूह बना कर के): आपकी जो आगे है, उसके हिसाब से आप बहुत कर लिए. पिछले 1 घंटे से मैं आपको देख रही हू. लेकिन कुछ बोल नही रही हू.
लेकिन मामी को भी पता था की मैं उनका सारा राज़ जानता था. इसलिए मामी मुझे ज़्यादा नही दाँत रही थी. बस समझा रही थी, की ये सब मेरे लिए ग़लत था. फिरसे मैने बोला-
मैं: मामी क्या, एक बार डालने दो ना.
मामी बिल्कुल भी तैयार नही थी इसके लिए. फिर मामी ने सोचा की उसके सारे राज़ मेरे पास में थे. और थोड़ी देर के बाद युवराज मामा भी आने वाले थे. तो वो जल्दी से मुझे वाहा से हटाना चाह रही थी.
मामी: ठीक है, बुत इसे कुछ समझ मत लेना. ये बस एक बार ही है.
और मैने ये सुन कर के फटाफट से मामी की सारी और पेटिकोट को तोड़ा उपर किया, और अपना हाथ अंदर डाल कर के डाइरेक्ट छूट पे ले गया.
मामी के छूट पे हल्के बाल थे, और पूरी गीली छूट थी. मैं देर ना करते हुए मामी की छूट को सहलाने लगा, और छूट के दोनो लिप्स के बीच अपनी उंगली करने लगा.
मामी: बस हो गया, अब जाइए. कभी भी आपके युवराज मामा आ आ जाएँगे.
मैं: युवराज मामा रात में बोले है, इतना जल्दी नही आएँगे.
मामी को कुछ भी समझ में नही आ रहा था. मैने अपनी 2 उंगलियाँ मामी की छूट के अंदर डाल दी, और अंदर-बाहर करने लगा. मुझे बहुत ही मज़ा आ रहा था, ऐसे अपनी उंगलियों से मामी को छोड़ते हुए.
मैं लगातार मामी को छोड़े जेया रहा था अपनी उंगली से, और एक हाथ से मामी के बूब्स को दबा रहा था. तभी मैं बूब्स पर से अपना हाथ हटाया, और सीधे अपना लोवर पंत नीचे सरका दिया. ये देख कर के मामी घबराई, और मेरा हाथ अपनी छूट से बाहर निकाल दी.
मम्मी: देखिए आप अपने से बहुत आयेज बढ़ रहे है. ये किसी के लिए भी ठीक नही होगा.
मैने फिर भी अपनी चड्डी को नीचे किया, और मैं पूरा गरम हो चुका था.
मैं: देखो मामी, युवराज मामा कभी भी आएँगे, इसलिए अछा यही है की मैं यहा से जल्दी से चला जौ.
मामी: तो जताए क्यूँ नही है?
मैं: मामी एक काम और कर दो ना प्लीज़.
मामी: क्या?
मैं: बस आपकी छूट पे अपना लंड सतना चाहता हू. प्लीज़ ना मामी.
मामी: नही ये नही हो सकता है. और आप मेरे से ऐसे बात भी नही कर सकते है.
मैं: देखो मामी, मुझे अगर ब्लॅकमेल करके कुछ करना होता, तो ये सब कुछ कर चुका होता, और तुम कुछ बोलती भी नही. बुत मैं चाहता हू की आपके मॅन से करू. मुझे आपके सारे राज़ पता है, और मैं इनको किसी को बतौँगा भी नही कभी.
मामी को कुछ भी समझ में नही आ रहा था. फिर वो धीरे से बोली-
मामी: आओ, बुत सिर्फ़ कुछ सेकेंड के लिए.
फिर मैने मामी की सारी और पेटिकोट को उपर किया, और अपना लंड मामी की छूट पे सेट किया, और छूट में पेल दिया.
मामी को तोड़ा भी अंदेशा नही था की मैं पेल दूँगा अपना लंड. वो सोच रही थी, मैं लंड से उनकी छूट को सहलौंगा.
मेरा आधा लंड मामी की छूट में घुस चुका था. और मैने एक और ज़ोर का झटका मारा, और पूरा लंड मामी की छूट में उतार दिया. अब मैं मामी को छोड़ने ल्गा. मामी भी शांति से छुड़वा रही थी, ताकि जल्दी से मेरा हो जाए, और मैं वाहा से चला जौ.
मैं अपने लंड से मम्मी की छूट का भोंसड़ा बना रहा था, जिस छूट को पहले से प्रकाश मामा और युवराज मामा पेल चुके थे. मैने अभी 2 मिनिट्स ही पेला था, की मुझे और मामी दोनो को कुछ आवाज़ सुनाई दी किसी के आने की.
मामी ने फाटाक से मुझे अपने उपर से उठाया, और अपना सारी और पेटिकोट को नीचे करते हुए अपने आप को सही करने लगी.
और मैं अपना लोवर और चड्डी जो नीचे करके छोड़ रहा था, उसको को उपर किया, और वाहा से घर गया. च्चत पे 2 रूम्स थे, उसमे से एक में चला गया. वाहा जेया कर के मैं सोने की नाटक करने लगा.
मैने देखा की युवराज मामा थे और वो मामी के पास आए और बैठ गये.
दोनो में कुछ बातें हुई, जो मुझे सुनाई नही दी. और फिर युवराज मामा और मामी दोनो किस करने लगे. तभी मामा ने मामी से बोला.
मामा: तो बोलो बुला लू अपने दोस्त को?
कल मामा को जाना था तो उनका एक दोस्त भी आया हुआ था, और दोनो यही से एक साथ जाने वाले थे.
अब जब मैने ये सुना तो मैं तो शॉक्ड हो गया, और तब मुझे जेया कर के समझ में आया, की युवराज मामा क्यूँ नाराज़ थे.
युवराज मामा मामी से बोले होंगे उनके दोस्त के साथ भी कुछ मज़े करने के लिए. और मामी नही मानी होगी. इसलिए युवराज मामा नाराज़ हो कर के मामी के पास नही आ रहे थे. फिर मामा ने अपने दोस्त को कॉल की, और बोला-
मामा: च्चत पे आ जाओ.
अब आयेज की स्टोरी में देखिए मामा का कों सा दोस्त था, जिसको युवराज मामा ने बुलाया था. और आयेज क्या हुआ.
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