उन्होंने मुझे पहले नंगी किया और मेरे कपड़े सही करके अलमारी में रखे, फिर आँखों पर पट्टी बाँधी और ब्रा-पेंटी पहनाई और ब्लाउज पेटीकोट, फिर साड़ी, साड़ी उन्होंने नाभि के बहुत नीचे बांधी थी, पीठ पूरी नंगी, कमर भी आधी से ज्यादा नंगी जैसी कि उन्हें पसन्द है।
जब पट्टी खोली तो देखा कि एक नई साड़ी है, पर ब्रा पेंटी कौन सी है यह नहीं देखा, और देखना भी नहीं चाहती, वो तो पता चलेगा ही।
जब सास ससुर घर आये तो मेरी हालत देखकर उन्हें समझते देर नहीं लगी, उन्होंने कुछ नहीं कहा, सिर्फ इतना कहा कि जब तक मैं ठीक नहीं हो जाऊँ, खाना उन्हें ही बनाना होगा।
यह सुनते ही मुझे हंसी आ गई।
थोड़ी देर बाद देखा तो मेरी माँ भी आई हुई थी, मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा।
कुछ देर बाद पतिदेव ने मुझे कमरे में चलने के लिए कहा पर सासू माँ ने मना कर दिया तो वो गिड़गिड़ाने लगे्।
मुझे उनका इस तरह गिड़गिड़ाना देखा नहीं गया, मैंने हाँ कह दी और वो मुझे उनके सामने ही गोदी में उठाकर कमरे में ले गए।
सभी हंसने भी लगे थे।
कमरे में देखा तो 2 साड़ियाँ और 2 पंजाबी सलवार कुर्ती थे जो पतिदेव को बहुत पसन्द हैं।
उन्हें उठाया तो देखा कि 6-7 जोड़े ब्रा पेंटी भी हैं, जो सभी अलग डिज़ाइन के हैं।
मैंने ख़ुशी से उनसे ‘आई लव यू बेबी…’ बोल कर लिपट गई, पर उन्होंने इसका रिटर्न माँगा तो मैं समझ गई लेकिन मैंने सर हिलाकर सिर्फ चूत का ही बोला।
रात को फिर चूत चुदवाई और पर गांड को पतिदेव ने जबरदस्ती चोद दिया।
पर उसके बाद मैं 7-8 दिन तक ठीक तरह से बैठ भी नहीं पा रही थी, तब तक मैंने भी सास के साथ ही सोने में भलाई समझी।
तब तक पतिदेव से ही घर का दोनों समय का खाना बनवाया।
7-8 दिन बाद जब मैं पूरी तरह से चलने बैठने लगी तो मैं फिर पतिदेव के साथ सोने लगी।