मनीषा भी अब मेरे बूब्स को छोड़कर मेरी गांड पर पहुच गईं और थोड़ी देर दबाने के बाद वो मेरी गांड पर चिमटी और चमाट मारने लगी।
मैं उसकी हर चिमटी पर ‘आआ आहहह हहह… ऊऊहह…’ करने लगी।
थोड़ी देर मनीषा की चूत सहलाने के बाद मैंने उसकी चूत को दो उंगलियां डाल कर चोदना शुरू कर दिया।
मेरी इस हरकत से मनीषा सिहर उठी और चिल्लाने लगी- आआहह हहह… ओहह… दीदी… उहाहम.. हहुहोहम्म.. महुह.. उउईई माँ… आहहह दी..
अब मैंने मनीषा को बेड पर लेटा दिया और हम 69 की पोजीशन में आ गए।
मैं मनीषा की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी, मनीषा भी मेरी चूत को चाट रही थी।
गांड में उंगली
मनीषा ने अपनी एक उंगली को थूक से गीला किया और मेरी गांड में डाल दिया।
एक उंगली जाने से मुझे कुछ ज्यादा असर नहीं हुआ तभी मनीषा ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गांड के छेद में डाल दी।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
अब वो लगातार अपनी उंगलियों से मेरी गांड और जीभ से मेरी चूत को चोद रही थी। मैं भी अब मजे से अपनी गांड और चूत को मनीषा के मुँह पर दबा रही थी।
मैं भी मस्ती में ‘ओह.. हाआ.. और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है..ऑहह…. आ.. एयेए.. आहुउ..’ की सीत्कारें करने लगी।
मैं भी लगातार मनीषा की चूत को कभी उंगलियों तो कभी जीभ से चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद वो अकड़ने लगी और उसकी चूत से उसका रस बाहर आने लगा जिसे पर मैंने अपना मुँह रख दिया।
मनीषा मेरे मुंह पर ही झटके देने लगी और झड़ने लगी।
मैंने उसका सारा पानी पी लिया।
झड़ने के बाद मनीषा ने अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया।
अब वो अपनी दो उंगलियों से तेजी के साथ मेरी चूत को चोदने लगी।
मैं भी अपने चरम पर आ चुकी थी तो मेरी सिसकारियाँ और बढ़ गई, एकाएक मेरा बदन अकड़ने लगा।
मैं अपने हाथों को मनीषा की कमर पर रखकर अपने ऊपरी शरीर को उठाते हुए झड़ने लगी।
मेरा योनि रस मेरी चूत से निकलता हुआ सीधे मनीषा के चेहरे पर गिरने लगा।
पूरी तरह से झड़ने के बाद जब मैंने मुड़कर मनीषा को देखा तो उसका चेहरा पूरा गीला था।
मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया, फिर मनीषा उठकर बाथरूम चली गई और खुद को साफ करके वापिस आई और फिर हम दोनों नंगी ही बेड पर लेट गई।
थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी तो हम दोनों जल्दी बेड से उठे और अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने अंदर नई वाली ब्रा पैंटी पहन ली और ऊपर से सूट पहन लिया।
मैंने दरवाजे पर जाकर देखा तो रोहन खड़ा था।
तभी मुझे याद आया कि आज वो जल्दी आने का बोलकर गया था पर मुझे याद नहीं रहा था।
दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे लिपट गया।
मैंने देरी न करते हुए उसे बताया कि मनीषा आंटी आई हुईं हैं।
रोहन मेरा इशारा समझ गया और मुझे छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद मनीषा अपने घर जाने लगी, मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने गई, मैंने उससे कहा- अब तो आती रहना।
मनीषा मुस्कुरा कर बोली- हाँ बिल्कुल!
और वो चली गई।
जब मैं अंदर आई तो मैंने देखा कि रोहन ड्रेसिंग टेबल पर रखी मेरी पैंटी जिससे मैंने कल अपनी चूत साफ की थी, उसको सूंघ रहा था।
इससे आगे की कहानी अगले भाग में।
मुझे कई पाठकों के मेल आये जिनमें उन्होंने मेरी पिछली कहानियों के लिंक भेजने का जिक्र किया था तो मैं उन्हें यहाँ पर अपने अन्तर्वासना पेज का लिन्क दे रही हूँ,
मेरी सभी कहानियों की सूचि इस पेज पर है।
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