जो दर्द होना था हो गया 2

गतांक से आगे……………….जो दर्द होना था हो गया
उसे अपनी इस हरकत पे बहुत शर्म आई और उसने अपना हाथ लंड से हटा कर नीचे देखने लगी और मुस्कुराने लगी |भैया ने जब माला को शरमाते देखा तो बोले : “अब क्या शर्मा रही है , अब तो मज़ा लेने का वक्त आ गया है . रुक जा मैं तेरी बाकि की शर्म भी दूर कर देता हू ” ये कहते हुए भैया ने अपनी चड्डी को नीचे करना चालू कर दिया , माला बहुत उत्सुकता से बाहर आते लंड को देख रही थी |थोड़ी देर मैं भैया ने अपनी चड्डी को पूरी तरह से निकाल कर अपने कपडो की तरफ उछाल दिया |मैंने देखा भैया का लगभग ७ इंच लंबा और करीब २.५ इंच मोटा लंड सीधे ऊपर की तरफ देखते हुआ फुफकार रहा था जैसे कोई नाग हो | भैया के लंड को देखकर माला का गला सुख गया बहुत धीरे से बोली : “बाप रे कितना बड़ा और मोटा हो गया है ये .” भैया ने कहा “सब तेरी वजह से ही तो हुआ है ,

देख तुझे देख कर कैसे उछल रहा है मेरा लंड “.माला बिना पलके झपकाये उस गोरे-चिट्टे लंड को देखे जा रही थी | भैया अब थोडा बेशरमी पे उतर आये थे उन्होंने ने माला से कहा : “एक बार पकड़ के देख ना कितना गरम हो गया है . “. माला जैसे नींद से जागी और बोली : ” नहीं मैं इसे हाथ भी नहीं लगाउंगी ,मुझे इसे देखकर डर लग रहा है “|भैया ने जबरदस्ती माला का हाथ पकड़ के अपने लंड पे रख दिया और ऊपर नीचे करने लगे | थोड़ी देर बाद माला की झिझक भी खत्म हो गयी और वो खुद ही हाथ चलाने लगी |भैया की मज़े से आखे बंद होने लगी थी ओर उनके मुह से सिसकियाँ निकलने लगी थी |माला जब लंड पे हाथ फेरते हुए नीचे करती तो चमड़ी के नीचे आते ही मुझे भैया का लाल रंग का सूपाड़ा दिखने लगता |थोड़ी देर बाद ही भैया ने माला से कहा : “एक बार मुह में ले कर देख ना कितना मज़ा आता है “…..भैया की बात सुनते ही माला ने अपने हाथ चलाना बंद कर दिया ओर बोली : “छी कैसी गन्दी बाते करते हो ,

यहाँ से तो पेशाब करते है मैं मुह में कैसे ले सकती हू “. इसपर भैया ने कहा : “कुछ गन्दा नहीं है , येही जब तेरे अंदर जायेगा तो तुझे इतना मज़ा आएगा कि तू सोच भी नही सकती “. माला ने इसपर आश्चर्य से कहा “ये मेरे अंदर कैसे जायेगा , ये तो कितना मोटा है “. भैया ने कहा: ” मेरी रानी बड़े आराम से जायेगा तेरे अंदर देखना तुझे कितना मज़ा आएगा , अच्छा चल मुह मैं मत ले पर एक बार चाट के तो देख जैसे आईसक्रीम चाटती है “. माला भैया की बात मानते हुआ घुटनों के बल बैठ गयी ओर लंड को एक हाथ से पकड कर अपना मुह उसके पास लायी.| लंड के पास आते ही उसकी मादक सी महक माला की नाक में गयी तो वो थोड़ी मदहोश सी हो गयी और धीरे से अपना मुह खोलकर जीभ को बाहर निकाला | उसके छोटे से मुह के सामने लंड काफी विशाल लग रहा था |

माला ने भैया की आखो में देखते हुए धीर से लंड पे अपनी जीभ रखी , और मुह को ऊपर की तरफ ले जाते हुए लंड का पहली बार स्वाद चखा | भैया की तो मज़े से आह निकल गयी और वो लंड चटाई का मज़ा लेने लगे |भैया ने थोड़ी देर बाद माला से कहा ” एक बार सुपाडे को तो चाट के देख “.माला ने वैसा ही किया .|माला की जीभ सुपाडे पे पड़ते ही लंड ने मज़े में ठुमका लगाया और थोडा सा उछल गया | लंड को ऐसा करते देख माला की हंसी निकल गयी | उसे इस खेल में अब मज़ा आने लगा था , वो बार -२ अपनी जीभ सुपाड़े पे ले जाकर चाटने का प्रयास करती और हर बार लंड एक ठुमका लगता |भैया तो मज़े से दोहरे हुए जा रहे थे माला की इस हरकत पे |माला अपना काम किये जा रही कि तभी भैया ने उसे रुकने का इशारा किया और माला लंड चाटना छोड कर भैया के बगल में सर नीचे करके खड़ी हो गयी और भैया के अगले आदेश का इंतज़ार करने लगी | भैया ने एक हाथ से अपना लंड पकड़ा और माला को इशारे से बिस्तर पे लेटने को कहा | माला चुपचाप बिस्तर पे पीठ के बल लेट गयी और भैया कि अगले हरकत का इंतजार करने लगी .

……. भैया माला को बिस्तर पे लेटने को कह कर खुद अपने कपड़ो कि तरफ चले गए ओर पैंट कि जेब से कुछ निकाल कर माला कि ओर मुड़े | मैंने देखा भैया के हाथो में एक छोटी सी तेल कि शीशी थी जिसे उन्होंने बिस्तर के सर के पास रख दिया | माला ने भैया से पूछा : ” ये तेल किस लिए लाए हो .” तो भैया ने मुस्कुराते हुए कहा : “अभी पता चल जायेगा , क्यों परेशान हो रही है “. मुझे लग रहा था कि भैया को काफी अनुभव था , सायद वो पहले भी ये सब कर चुके थे , पूरी तैयारी के साथ आये थे वो | मुझे ये सब बाते उस वक्त तो नहीं पता थी , जब मैं जवान हुआ तो मुझे एहसास हुआ था उस दिन की घटना का | भैया अब माला के दाहिने तरफ बैठ गए , भैया तो पूरी तरफ नन्गे थे पर माला के शरीर पर अभी भी एक चड्डी बाकी थी जिसने उसकी प्यारी सी कुवारी चुत को ढक रखा था | भैया उठ कर अब माला के पैरों की तरफ आ गए थे , और उनके हाथो ने माला की चड्डी कि इलास्टिक को दोनों तरफ से पकड़ लिया था |

जब माला को एहसास हुआ कि भैया क्या करने जा रहे है तो उसने नीचे देखते हुए भैया का हाथ पकड़ लिया , भैया माला की आखो में देखते हुए उसकी चड्डी को नीचे किये जा रहे थे , थोड़ी देर तो माला ने विरोध किया पर जब उसे लगा भैया नहीं मानने वाले तो उसने अपने हाथो कि पकड़ धीली कर दी | माला की चड्डी धीरे-२ नीचे की तरफ जा रही थी , और उसकी कच्ची कली किसी मर्द के सामने पहली बार बेपर्दा होने जा रही थी | भैया ने थोड़ी सी चड्डी सरका के माला की चुत का जायजा लिया तो पाया कि अभी तक माला कि चुत पे ठीक से काले बल तक नहीं आये है , बस कुछ छोटे-२ रोये जैसे भूरे बाल ही थे |भैया ने झुक के माला कि उभरी चुत पे एक किस किया तो माला मचल उठी | भैया फिर नीचे आते हुए , चड्डी को निकालने लगे ,मगर माला के लेटे होने कि वजह से चड्डी भी सलवार की तरफ उसकी जाघो में फस गयी | भैया ने एक हाथ नीचे ले जाते हुए माला के चूतड़ों को थोडा ऊपर उठाया , तो माला ने पूरा सहयोग करते हुए अपने बदन को जमीन से थोडा ऊपर कर किया ताकि चड्डी निकलने में आसानी हो| भैया ने एक झटके में माला की चड्डी को इसके बदन से अलग कर दिया ,

और ध्यान से चड्डी को देखने लगे तो उन्हें चड्डी के सामने का भाग कुछ गीला सा लगा |भैया ने माला की चड्डी को अपनी नाक पे रखकर सुंघा तो उन्हें ऐसा करते देख माला शर्मा गयी और होठो को दातो से दबा कर दूसरी तरफ देखने लगी | भैया ने चड्डी को सूंघते हुए कहा : “तेरी चुत की खुसबू तो लाजवाब है, इतना नशा अगर तेरी चुत के रस में है , तो तेरे बदन में कितना नशा होगा रानी . ” माला अपनी तारीफ सुनकर शरमाये जा रही थी और भैया, उसे देखते हुए चड्डी के गीले भाग को चाटने लगे | थोड़ी देर बाद भैया ने चड्डी को भी बाकी कपड़ो की तरफ उछाल दिया और माला की ओर मुड़े | माला किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी , जवानी की दहलीज पे द्कदम रख चुकी कोमल और मासूम लड़की भैया के सामने पूरी नंगी पड़ी थी | ऊपर से नीचे तक उसका बदन ऐसा लग रहा था जैसे दूध में हल्का सा सिंदूर डाला गया हो | उसके होठ लग रहे थे जैसे सुबह कि पहली किरन के साथ गुलाब की पंखुडिया कली से नीकल रही हो |

माला कि चुचिया थोड़ी फूल सी गयी थी और उत्तेजना की वजह से उसकी निप्पल पूरी तरह खड़ी हो गयी थी | भैया ,माला के पैरे की तरफ ही थे और ध्यान से माला के बदन का जायजा ले रहे थे और अपनी किस्मत पे इतरा रहे थे कि इतनी प्यारी कच्ची कली उनकी झोली में आ गिरी थी वो भी बिना कुछ किये | भैया धीरे-२ माला के पैरों की तरफ से ऊपर बढे उन्होंने अपने दोनों हाथ माला की जाघो पे लगा दिया और झुक कर उसकी प्यारी सी कुवारी चुत को देखने लगे | फिर भैया ने माला की चुत पे एक किस लिया तो माला “उहह ” कर बैठी और अपनी नजरो को नीचे करके भैया की हरकतों को देखने लगी | भैया अब माला के पैरों पे आराम से बैठ गए थे और उसकी चुत का मुआयना कर रहे थे | माला की चुत हल्के झाटो से भरी थी जो उसके चुत को ढकने में नाकामयाब थी | चुत का चीरा कुछ २ इन्च का था , उसके आसपास का भाग चुत के पानी की वजह से थोडा गीला हो गया था |भैया ने चुत को देखते हुए अपने दाहिने हाथ की उंगली को चुत के चीरे पे लगाया और थोडा सा दबाया तो उनकी उंगली थोड़ी अंदर चली गयी और माला की आह निकल गयी |

माला ने अब आखे बंद कर ली थी और भैया की हरकतों का मज़ा लेने लगी |भैया उंगली को अंदर रखते हुए नीचे की तरफ ले गए तो उनकी उंगली चुत के पानी कि वजह से फिसल कर बाहर निकल आई |भैया ने इस बार अपने दोनों हाथो का इस्तेमाल लिया और माला की चुत की के फाको को दोनों तरफ से अलग करने की कोशिश की तो उन्हें माला की चुत के अंदर का भाग नजर आने लगा |चुत के अंदर का भाग बिलकुल लाल हो रहा था , चुत का छेद भी बहुत छोटा सा था और उसके उपरी भाग पे उसकी छोटी सी चुत की घुंडी दिखाई दी | भैया ने ज्यु ही चुत की घुंडी को छुआ , तो जैसे माला के शरीर में कर्रेंट का झटका लगा और उसका पूरा शरीर कॉप गया |

भैया ने देखा कि उनकी हरकत से माला की चुत ने पानी छोड़ दिया था |भैया ने अपनी उगंली को नीचे ले जाकर माला के चुत के छेद पे रखा और अंदर की तरफ दबाया तो माला ने दर्द का इज़हार करते हुए भैया हाथ पकड़ लिया |भैया समझ गए कि चुत का छेद तंग होने कि वजह से माला को दर्द हो रहा है ,उन्होंने माला के हाथो को छुडाया और बिस्तर के बगल में देखने लगे | पास में पड़े तेल की शीशी को उठा कर सामने आये और उसका ढक्कन खोलने लगे |फिर तेल की शीशी को माला की चुत के छेद के ऊपर ले गए और कुछ बूंद तेल चुत के मुह पे टपकाया |चुत गीली होने की वजह से तेल नीचे की तरफ सरकने लगा तो भैया ने जल्दी से अपनी उंगली वहां लगा कर तेल को ऊपर की तरफ मल दिया ,

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कुछ तेल माला की चुत के अंदर भी चला गया |अब भैया तेल की शीशी को एक तरफ रखकर फिर से अपने काम में जुट गए , तेल की वजह से चुत में काफी फिसलन होने लगी थी ,अब भैया की उंगली अब आराम से माला की चुत पे चल रही थी |थोड़ी देर बाद भैया ने अपनी उंगली का दबाव माला की चुत के छेद पे फिर से किया तो तेल की वजह से “गुप्प ” की आवाज के साथ उंगली का एक पोर चुत के अंदर चला गया |माला को सायद इस बार दर्द नही हुआ और उसके मुह से बस “आह ” निकल गयी |भैया ने जब उंगली पे जोर लगाया तो उनकी उंगली चुत के छेद को चोडा करते हुए अंदर फिसलने लगी |धीरे-२ तेल की वजह से भैया की उंगली माला की चुत के अंदर जाने लगी और बिना किसी दर्द के थोड़ी देर में जड़ तक समा गयी |माला को अब मज़ा आने लगा था वो मज़े से बार-२ अपने बदन को हिला रही थी जैसे भैया का पूरा हाथ अंदर ले लेगी | भैया , माला की बेचैनी समझ रहे थे अब उन्होंने चुत में अपनी उंगली को आगे -पीछे करना चालू कर दिया था

धीरे-२ माला का मज़ा बढने लगा और उसके मुह से सिस्कारिया फूटने लगी , भैया ने सही मोका जानकर अपनी दूसरी उंगली भी चुत के छेद पे रखी और अंदर की तरफ दबा दिया | तेल और माला के चुत के रस की वजह से अब जैल सा बन गया था जो काफी चिकना था ,दबाव पड़ते ही भैया की दूसरी उगली भी पहली के साथ चुत के अंदर समा गयी |माला को कुछ खास दर्द तो नहीं हुए ,थोड़ी सिकन उसके चेहरे पे जरुर आ गयी थी |भैया ने पहले तो दोनों उंगलीयों को धीर-२ अंदर-बाहर किया ,और जब माला की चुत भैया की उंगलियों की अभ्यस्त हो गयी तो गति थोड़ी तेज कर दी | माला की सिस्कारिया भैया की हरकतों की वजह से बढती ही जा रही थी, और माला अपनी आखे बंद किये हुए होठो को अपने दातो से काटे जा रही थी | भैया के हाथो की गति अब काफी तेज हो गयी थी ,जिसकी वजह से माला का पूरा शरीर हिलने लगा था |तभी अचानक भैया ने अपनी दोनों उगलिया माला की चुत से निकाल ली |माला को जैसे झटका सा लगा और वो आखे खोल कर आश्चर्य से भैया को देखने लगी |

माला के आनंद में खलल दाल कर भैया मुस्कुरा रहे थे |माला ,भैया की तरफ ऐसे देख रही थी कि जैसे कह रही हो “निकाल क्यों लिया ,फिर से डालो ना “. भैया ,माला की याचना भरी आखे देख कर उसके ऊपर आये और दोनों चुचियो को दबाते हुए , होठो को किस करने लगे|माला भी अब भैया का खूब साथ दे रही थी|थोड़ी देर चुसाई के बाद भैया , माला के ऊपर से उठे ,और पैरों की तरफ राखी तेल की शीशी को उठाकर कुछ बुँदे अपने लंड पे लगायी और ऊपर नीचे मालिश करने लगे | फिर माला के ऊपर आ गए ,और माला की ओर देख कर मुश्कुराए , माला आगे होने वाली हरकत को सोच कर शर्मा गयी और दूसरी तरफ देखने लगी |भैया ने माला से कहा: ” थोडा अपने हाथ से चुत को फैला ना , डालने में आसानी होगी “| भैया की बात सुनकर माला ने अपने हाथो से अपनी चुत का मुह थोडा खोल दिया ,अब भैया को चुत का छोटा सा छेद दिखने लगा था |भैया ने पास में रखी तेल की शीशी उठाई और दो-तीन बूंदे , माला की थोड़ी सी खुली हुई चुत के मुह पे ड़ाल दिया |तेल की बूंदे धीरे -२ अंदर की तरफ बह रही थी | भैया ने तेल को एक तरफ रखते हुए , एक हाथ से अपने लंड को पकड़ा और दूसरा हाथ माला के चूतड़ के नीचे ले जाते हुए थोडा सा ऊपर उठाया |माला की चुत अब पहले से ज्यादा खुली नजर आ रही थी और पानी बहाते हुए ,भैया के लंड को आमन्त्रित कर रही थी |

भैया ने अपना खड़ा हुआ लंड माला की चुत के छेद पे रखा तो माला ने कसमसाते हुए अपनी चुत की फाको को थोडा और खोल कर भैया के लंड का स्वागत किया |भैया का लंड आगे की तरफ से तो पतला था और जड़ की तरफ मोटा होता गया था |भैया ने सही मोका जानकर अपने लंड को चुत के अंदर दबाया , लंड फिसलता हुआ करीब आधा इंच माला की चुत में चला गया |माला को सायद थोडा दर्द हुआ , तो वो अपनी आखे खोलकर अपनी चुत की तरफ सर उठा कर देखने लगी |भैया ने जब देखा कि माला को कोई खास परेशानी नहीं हो रही है , तो माला की कमर को पकडे हुए एक जोर दार धक्का मारा |भैया का लंड , माला की चुत की दीवारों को चोडा करते हुए एक इंच घुस कर रुक गया | इस धक्के से जैसे माला की जान ही निकल गयी, वो उठकर दर्द से चिल्लाने लगी ” आरे माई रे माई ………….बाप रे बाप ….अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .. मुझे बहुत दर्द हो रहा इसको बाहर निकालो .” | माला दर्द से छटपटाने लगी और नीचे की तरफ सरक कर लंड को अपनी चुत से निकालने की कोशिश करने लगी |

भैया ने जब देखा कि उनका लंड अब माला की चुत से निकलने वाला है तो अपने दोनों मजबूत हाथो से माला की कमर को पकड़ कर अपनी तरफ खिचने लगे , जिससे उनका बाहर निकला लंड वापस माला की चुत में जगह बनाते हुए समा गया |माला की आख के कोने से दर्द की वजह से आँशु निकलने लगे |भैया को माला की हालत देख कर तरस आया , उन्होंने माला की पीठ पे हाथ रखते हुए उसे अपनी तरफ खीचा , माला किसी बेजान लाश की तरह भैया के सीने से आ लगी | भैया ने माला के रशीले होठो पे अपने होठ गढ़ा दिए और चूसने लगे , इस बीच माला की आखो के आसू धीरे-२ सूखने लगे थे |सायद उसका दर्द भी कम होने लगा था | अब हालत ये थी कि भैया का लंड अभी भी माला की चुत में एक इंच से ज्यादा ही फसा था और माला भैया की दोनों जाघे पे अपनी जाघे रखकर अपने होठो को चुसवा रही थी |

भैया ने जब देखा कि माला को दर्द नहीं हो रहा है , तो उन्होंने फिर से माला को बिस्तर पे सुला दिया |माला एकटक भैया को देखे जा रही थी ,और उनकी अगली हरकत का इंतज़ार कर रही थी |भैया ने लंड को फिर से अंदर करने की कोशिस की तो उन्हें लगा जैसे कोई चीज़ उनके लंड को रोक रही है | भैया समझ गए कि उनके लंड को माला की चुत की झिल्ली ने रोक रखा है | माला चुपचाप पड़ी हुए भैया को देखे जा रही थी |भैया ने माला की चुत की झिल्ली को तोड़ने के इरादे से लंड को थोडा बाहर की तरफ निकाला , जिसे देखकर माला को लगा कि भैया अब अपना लंड बाहर निकालने वाले है , उसे थोड़ी राहत मिली | पर भैया का इरादा तो कुछ और ही था ,भैया अपने लंड को चुत के मुहाने तक लाये और माला की आखो में देखते हुए , एक जबरदस्त झटका अंदर की तरफ दिया | भैया का लंड माला की झिल्ली को फाड़ते हुए अंदर की तरफ घुस गया |भैया की इस हरकत से माला पे जैसे पहाड ही टूट पडा , वो दर्द से बिलबिला उठी , और ऊपर की तरफ उठते हुए चीखने ही वाली थी कि भैया ने अपना एक हाथ माला के मुह पे मजबूती से रख दिया |

माला की चीख उसके मुह के अंदर ही दब के रह गयी , लेकिन भैया माला की आखो से निकलने वाले आसू को नहीं रोक पाए | माला की दोनों आखो से आसू छलक उठे | माला का दर्द उसके चेहरे पे साफ दिख रहा था |भैया ने अपने लंड को वही रहने दिया और प्यार से माला के गालो को सहलाने लगे ओर बोले: ” बस मेरी जान , जो दर्द होना था हो गया , अब देखना कितना मज़ा आता है” भैया के चेहरे पे भी दर्द के भाव थे जो दर्शा रहे थे कि किस तरह मालाकी चुत ने उनके लंड को मजबूती से जकड रखा था |भैया को जब लगा कि माला अब नहीं चीखने वाली तो उन्होंने माला के मुह से अपना हाथ हटा लिया |हाथ के हटते ही माला ने रोते हुए भैया से कहा :” इसे जल्दी से बहार निकालो नहीं तो मैं मर जाउंगी , मुझे बहुत दर्द हो रहा है “|भैया ने माला की बात को अनसुना कर दिया और माला के बदन से खेलते रहे ,| माला ने दर्द की वजह से अपना हाथ अपनी चुत पे रखा तो उसे कुछ गीला और गरम सा चुत से बहता हुए मालूम पड़ा |

उसने अपने हाथ को जब ऊपर उठा के देखा तो उसपे खून लगा था ,माला घबरा गयी और भैयाको अपना हाथ दिखाते हुए बोली : “मोहन , ये खून कैसा है “. भैया ने जब देखा कि माला की चुत से खून रीस रहा है तो बोले “मेरी रानी , ये तेरी चुत का खून है , अब तू कुवारी नहीं रही ,एक ओरत बन गयी है , ऐसा हर लड़की के साथ होता है , तू बिलकुल मत घबरा तुझे मैं कुछ नहीं होने दूँगा ” . माला इस पर बोली :”तुमने मेरी फाड दी है मुझे मुझे बहुत दर्द हो रहा है : भैया ने प्यार से माला के सर पे हाथ फेरते हुए कहा ” मैंने कहा ना ऐसा पहली बार हर लड़की के साथ होता है , अब देखना तुझे बिलकुल दर्द नहीं होगा , बहुत मज़ा पायेगी तू अब “. कहते हुए भैया ने अपने लंड को माला की चुत में आगे-पीछे करने का प्रयास किया तो माला को फिर से दर्द होने लगा , उसने भैया की कमर को पकड़ कर रुकने का इशारा किया | भैया माला के चेहरे को पास लाते हुए उसके होठो पे अपने होठ रखकर चूसने लगे | थोड़ी देर के प्रयाश के बाद माला की चुत की दीवारो ने पानी छोड दिया , जिसकी वजह से लंड को आगे -फिछे करने भैया को पहले से कम परेशानी हो रही थी |थोड़ी देर यु ही लंड को चुत में चलाने के बाद , जबभैया ने देखा कि माला को भी मज़ा आने लगा है तो उन्होंने अपनी गति बढ़ा दी |

भैया ने अब माला को बिस्तर पे सुला दिया था और अपने लंड को तेजी से आगे -पीछे करने लगे | माला के चेहरे से दर्द बिलकुल गायब हो गया था और उसकी जगह मज़े ने ले ली थी | भैया ने अभी तक माला की चुत में अपना पूरा लंड नहीं डाला था , जब भैया ने देखा कि माला की मज़े से सिस्कारिया फूटने लगी है तो उन्होंने अपने लंड को एक जबरदस्त झटका दिया और अपने पुरे ७ इंच के लंड को माला की छोटी सी चुत में जड़ तक पेल दिया | इस अचानक हुए हमले से माला थोडा सकपका गयी ,और एक हल्के के दर्द की लहर माला के चेहरे पे फैल गयी | भैया के आंड अब माला की गांड के छेद पे दस्तक डे रहे थे | भैया ने प्यार से माला को किस किया और फिर से अपना काम चालू कर दिया | थोड़ी देर में माला के चेहरे से दर्द कि सिकन गायब हो गयी और वो चुत में पड़ रहे धक्को का मज़ा लेने लगी |

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भैया ने अपनी गति अब काफी तेज कर दी थी , और सटासट अपने लंड को माला की चुत में पेल रहे थे | हर धक्के पे माला के मुह से सिसकारी निकल पड़ती और उसक बदन थोडा आगे की तरफ हो जाता |भैया के चेहरे पे खुशी साफ झलक रही थी वो , अपनी पूरी ताकत से माला की चुत को चोदे जा रहे थे |इसी बीच करीब ५ मिनट बाद ही माला का शरीर अकडने लगा और उसने आखे बंद कर ली | भैया ने थोड़ी देर धक्के लगाना बंद कर दिया , जब उन्हें लगा कि माला का पानी छुट रहा है | माला की चूत के पानी को अपने लंड पे महसूस करके भैया मज़े से कांप उठे |उन्होंने फिर से धक्के लगाना चालू कर दिया | माला का स्खलन कुछ २ मिनट तक चला , जब उसने आखे खोली तो देखा भैया अभी भी धक्के लगा रहे है| माला भैया को चोदते देख एक बार फिर नशे में डूब गयी और आखे बंद करके अपनी पहली चुदाई के मज़ा लेने लगी | माला को चोदते हुए भैया को करीब १५ मिनट हो गए थे , भैया और माला दोनों के शरीर पसीने से लथपथ थे |

तभी भैया के चेहरे के भाव बदल गए , वो ऊपर सर करते हुए , कराह उठे | उनका लंड माला की चूत में पूरी तरह समाया हुआ था , और उन्होंने धक्के लगाना बंद कर दिया था | अचानक उनके लंड ने माला की चूत की गहराइयों में पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया ,भैया का शरीर झटके खा रहा था और लंड माला की चूत में अपना माल छोड़े जा रहा था | भैया के गर्म वीर्य का एहसास जब माला को अपनी चुत में हुआ तो वो फिर से एक बार झड गयी | दोनों प्रेमी कुछ देर युही झड़ने का मज़ा लेते रहे | भैया के लंड ने अपना सारा रस माला की चुत में उड़ेल दिया और वो माला के बदन पे लेट कर लंबी -२ सांसे लेने लगे |थोड़ी देर में माला ने भी अपनी आखे खोली और अपने ऊपर लेटे भैया के बालो में उंगलिया डालकर सहलाने लगी | भैया ने प्यार से माला की तरफ देखा और उसके रसीले होठो पे किस किया |

दोनों के चेहरे पे संतुष्टी के भाव दिख रहे थे |भैया का लंड अभी भी माला की चुत में ही था | भैया धीरे से उठ के बैठ गए और अपने सिकुड़े हुए लंड को माला की चुत से बाहर खिचने लगे , भैया का लंड एक “पुक्क” की आवाज के साथ माला की चुत से बाहर आ गया | माला की चुत की सकल ही बदल गयी थी , जहा पहले एक छोटा सा छेद था अब वो काफी बड़ा लगने लगा था |माला की चुत में सूजन आ गयी थी और उसकी घुंडी भी सूज गयी थी | माला , भैया को अपनी चुत को निहारते हुए देख रही थी और धीरे -२ मुस्कुरा रही थी | माला के दिल में भैया के प्रति प्यार उमड़ आया था और वो अपने पहले प्रेमी को अपनी चुत के दीदार करा थी |

दोनों अपने कम में व्यस्त थे कि तभी दरवाजे पे हुए दस्तक से दोनों चोंक गए —

भैया और माला ने एक दूसरे की तरफ चोंक के देखा . भैया तुरंत खड़े हो गये और माला से बोले : “जल्दी से अपने कपड़े पहन, मैं देखता हू दरवाजे पे कौन है “| माला ने जैसे ही उठने की कोशिश की तो , दर्द से कराह उठी , उसकी चूत पहली चुदाई की वजह सूज गयी थी और काफ़ी दर्द कर रही थी .भैया ने जब माला की हालत देखी तो आगे आ कर उसका हाथ पकड़ कर उसे उठने मे मदद करने लगे| इस बीच दरवाजे पे दस्तक लगातार हो रही थी| माला जल्दी-2 अपने कपड़े पहनने लगी, उसके चेहरे को देख के साफ लगा रहा था कि उसे कपड़े पहनने मे काफ़ी दर्द हो रहा था.किसी तरह माला ने अपने कपड़े पहने , भैया अब तक दरवाजे तक पहुच चुके थे उन्होने थोड़ा सा दरवाजा खोल के पूछा “कौन है “. बाहर से राकेश की आवाज़ आई “अबे! मैं हू जल्दी से दरवाजा खोल “. भैया को अब थोड़ा चैन मिला ,

वो दरवाजा खोलते हुए बोले “साले तूने तो डरा ही दिया , कहाँ रह गया था.” राकेश अंदर आते हुए बोला “आरे यार! मा ने कुछ काम दे दिया था, माला कहा है.” माला कमरे के एक कोने मे सर झुकाए , अपनी चूत पे एक हाथ रखे खड़ी थी. राकेश बोला “वाहा क्यू खड़ी है मेरी जान , मेरे पास आ ना “. भैया दरवाजा बंद करते हुए मुड़े , तब तक राकेश माला के पास पहुच चुका था. भैया कुछ बोलने ही वाले थे कि तभी माला की आवाज़ आई “राकेश मुझे घर जाना है , छोड़ो मुझे “. राकेश बोला “ऐसे कैसे जाने दू, कितनी मेहनत से तू हाथ आई है “, कहते हुआ राकेश ने माला की एक चुचि उपर से ही पकड़ ली और ज़ोर से दबाने लगा. माला दर्द से छटपटा उठी और मासूम नज़रो से भैया को देखने लगी.भैया को माला की हालत पे तरश आ रहा था. वो आगे बढ़ते हुए बोले”राकेश छोड़ ना यार,

तू फिर कभी कर लेना”. राकेश माला की चुचि को हाथ मे पकड़े हुए ही बोला ” क्या, ये क्या कह रहा है तू”.भैया बोले”समझा कर ना यार , उस बेचारी को बहुत दर्द हो रहा होगा, आज पहली बार था ना”. राकेश आस्चर्य से माला की तरफ मुड़ते हुए बोला “”क्या ये साली कुवारि थी अभी तक , तुझे कैसे पता ” भैया ने बिस्तर की तरफ इशारा करते हुए राकेश को माला की चूत से निकला हुआ खून दिखाया . राकेश बोला “अबे ये तो सच मे कुवारि थी, मुझे तो लग रहा था साली पहले से चुदवाती होगी “. राकेश फिर माला की तरफ मुड़ा “साली , मुझे अगर पता होता कि तू कुवारि है तो , तो आज तेरी चूत मैने ही फाडी होती…मोहन को तुझे हाथ भी नही लगाने देता.” भैया , राकेश की इस बात पे थोड़ा मुस्कुरा दिए. राकेश बोला “चल कोई बात नही , मोहन ने तेरी नाथ उतारी तो…लेकिन तेरी चूत मे दूसरा लंड मैं ही डालूँगा.” माला , राकेश की बातो से थोडा डर गयी और घबराते हुए बोली “राकेश , मुझे जाने दो ,

मुझे बहुत दर्द है……मोहन तुम बोलो ना राकेश से”. भैया , ने राकेश के कंधे पे हाथ रखते हुए बोले “यार राकेश , जाने दे इसे आज , तू कल कर लेना “. राकेश ने माला की चुचि को ज़ोर से दबाते हुए कहा “नही …..मैं तो आज की चोदुन्गा इसे, पता नही साली कल आएगी भी या नही. ” भैया बोले ” यार आएगी कल भी……..क्यू माला कल आओगी ना.” माला ने भी कोई रास्ता नही देखते हुए हा मे सर हिला दिया. राकेश ने जब देखा माला कल आने के लिए मान गयी है , तो उसने माला को छ्चोड़ दिया और कहा “कल आएगी ना वादा कर पहले तभी जाने दूँगा”. माला ने सर झुकाए हुए धीरे से कहा ” हा….. कल आउन्गि.”. राकेश बोला “चल जा तू भी क्या याद करेगी, ……और सुन गरम पानी करके अपनी चूत सेक लेना अच्छे से दर्द कम हो जाएगा .” माला ने सहमति मे सर हिला दिया ,और दरवाजे को खोल के बाहर जाने लगी….

मैने जब देखा माला बाहर जा रही है ,, तो मैं भी जल्दी से वाहा से घर की और जाने लगा…जाते-2 मैने सुना राकेश कह रहा था “अबे तू कहा जा रहा है……..मुझे पूरी बात तो बता तूने माला की कुवारि चूत कैसे फाडी….”.भैया , शायद राकेश को पूरी बात बताने लगे थे…..मैं जल्दी से वाहा से भाग के सड़क पे आ गया, मुझे दर था कही माला ना मुझे वाहा देख ले ….मैं भागते हुए अपने घर के पास पहुच चुका था……… मैं जब घर के पास था तो मुझे थोड़ी दूरी पे माला आते हुए नज़र आई . वो काफ़ी धीरे-2 चल रही थी…उसे चलने मे भी काफ़ी दिक्कत हो रही थी.. मैं उसे देखता रहा ….थोड़ी देर मे वो मेरे पास से गुज़री और अपने घर के दरवाजे के अंदर चली गयी….उसने मुझे सर उठा के देखा भी नही…..जब माला घर के अंदर चली गयी तो मैं भी अपने घर मे घुस गया..जैसे ही मैं घर मे घुसा ,

मा ने मुझे देखते ही डाँटते हुए कहा “कहाँ रह गया था……कब से तेरी राह देख रही हू”… मा की आवाज़ सुन के मैं थोड़ा डर गया मैने हकलाते हुए कहा “मा …..मैं ..वो ….”. मा ने मेरे पास आते हुए कहा “दिन भर धूप मे खेलता रहता है…..बीमार पड़ गया तो.”…कहते हुए मा अपने आचल से मेरे माथे का पसीना सॉफ करने लगी….फिर बोली “हाथ मूह धो ले मैने तेरे लिए खीर बनाई है …..तुझे पसंद है ना .”..मैने मुस्कुराते हुए अपना सर उपर करके हा मे हिलाया..और बाथरूम की तरफ चल दिया..थोड़ी देर बाद जब बाहर आया तो मैने देखा …मा अपने हाथो मे खीर का कटोरा ले के मुझे अपने पास बुला रही थी…

मैं जल्दी से मा के पास गया और मा की गोंद मे बैठ गया….मा ने प्यार से मेरे सर पे पप्पी की और अपने हाथो से खीर खिलाने लगी………..सच मानिए मेरे लिए वो स्वर्ग से बढ़ के था वो एहसाह…….अब तो अपनी मा के पास रहने का भी मौका नही मिलता……..मैं मा के प्यार और दुलार के आगे थोड़ी देर पहले हुए सारी घटनाए भूल खीर का मज़ा ले रहा था………तभी मोहन भैया घर के अंदर आए और बोले “चाची ….खाना लगा दो बहुत भूक लगी है.”….मा ने भैया की आवाज़ सुन के कहा “तुम हाथ मूह तो लो मैं अभी तुम्हारे लिए खाना लगा देती हू “….कहते हुए मा ने मुझे अपनी गोंद से उठने का इशारा किया और बोली”बेटा ! बाकी तू खुद खा मैं ज़रा भैया को खाना दे के आती हू ……ठीक है”…..मैने उठते हुए हा मे सर हिला दिया और मा कमरे के बाहर चली गयी……..मोहन भैया को देख के मुझे सारी घटनाए फिर से एक बार याद आ गयी…….और मैं थोड़ा सा मुस्कुरा उठा और खीर का मज़ा लेने लगा.
दोस्तो कैसी लगी ये मस्त कहानी ज़रूर बताना



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