हेलो दोस्तों, मैं सोनू. जैसा की मैने पिछले पार्ट में बताया था की मम्मी, मौसी, और मैं हम लोग थ्रीसम करते है. उसके बाद मौसी को अपने घर जाना पड़ता है, क्यूंकी मौसी की सासू मा की तबीयत खराब हो जाती है.
फिर हम लोग मौसी को स्टेशन छ्चोढ़ देते है. उसके बाद घर आते है, तो हमारे घर के गाते के बाहर मेरे बड़े पापा खड़े रहते है. अब आयेज-
अब मैं अपने बड़े पापा के बारे में आप लोगों को बता देता हू. मेरे बड़े पापा का नाम सुरेश है, जो की मेरे पापा संजय के बड़े भाई है (संजय मेरे पापा का नाम है)
मेरे बड़े पापा गाओं में रहते है, और गाओं के बहुत बड़े ज़मींदार है, और बहुत अमीर है. गाओं में बड़े पापा का बहुत तगड़ा रुतबा है. बड़े पापा दिखने में काले है, पर शरीर एक-दूं हटता-कटता है है. बड़े पापा मम्मी के जेठ लगते है.
मैं और मम्मी कार से निकलते है, और मम्मी बड़े पापा को बोली-
मम्मी: अर्रे जेठ जी, आप अचानक से यहा?
सुरेश: हा बहू, बात ही कुछ ऐसी है.
सोनू: कोई टेन्षन वाली बात है क्या बड़े पापा?
सुरेश: अर्रे कोई टेन्षन वाली बात नही है बेटा. मैं तो एक खुश खबरी लेकर आया हू.
सोनू: घर के अंदर चल के बताओ.
फिर हम लोग सब घर के अंदर चले जाते है, और हॉल में बैठते है. मम्मी किचन में छाई बनाने लग जाती है.
तभी मैं नोटीस करता हू बड़े पापा मम्मी के पेट को घूर रहे थे. मम्मी ब्लू कलर की सारी पहने हुए रहती है, कमर के नीचे तक, जिसमे नाभि सॉफ दिखाई देती रहती है, और मम्मी का ब्लाउस भी स्लीव्ले और डीप नेक वाला रहता है.
इसमे मम्मी का कंधा, गोरा-गोरा बगल, और आधा दूध बाहर दिखाई देता है. मम्मी छाई बनती रहती है. उनको ये पता नही था की बड़े पापा उनके पेट को घूर रहे थे. मैं बोला-
सोनू: बड़े पापा, घर में सब कैसे है?
बड़े पापा तोड़ा हड़बड़ा कर बोले-
सुरेश: सब ठीक है बेटा.
सोनू: और बड़ी मम्मी कैसी है?
सुरेश: वो भी बढ़िया है.
फिर मम्मी छाई लेकर आती है, और बड़े पापा को तोड़ा झुक कर छाई का कप देती है. तो मम्मी का डीप नेक वाला ब्लाउस होने की वजह से मम्मी का बड़ा-बड़ा दूध बड़े पापा को और आचे से दिख जाता है, और बड़े पापा एक-दूं टकटकी लगा कर देखने लग जाते है.
अब मम्मी भी ये नोटीस कर लेती है, और मेरे बगल में आके बैठ जाती है. वो अपनी सारी के पल्लू से अपना दूध धक लेती है. बड़े पापा अभी भी मम्मी के दूध को ही घूरते रहते है. तभी मम्मी बोली-
मम्मी: जेठ जी, आप कुछ खुशख़बरी के बारे में बताने वाले थे?
बड़े पापा एक-दूं हड़बड़ा के-
सुरेश: हा बहू. असल में मेरी बेटी रीमा की शादी तय हो गयी है. मैं तुम दोनो को शादी का आमंत्रण देने आया हू.
मम्मी: अर्रे वाह, ये तो बहुत अची बात है जेठ जी.
सुरेश: हा और 14 दिन में उसकी शादी है. तो तुम दोनो को अगले हफ्ते गाओं आना होगा शादी के 7 दिन पहले.
मम्मी: हम लोग ज़रूर आएँगे जेठ जी.
सुरेश: हा आना ज़रूर. अछा बहू अभी गाओं जाने के लिए कोई भी बस नही मिलेगी. तो क्या मैं आज रात यही रुक जौ? मैं कल दिन की बस में चला जौंगा.
मम्मी: हा जेठ जी, आप आराम से रुक जाओ.
सुरेश: हा बहू.
मम्मी: घर में सब कैसे है जेठ जी?
सुरेश: सब बढ़िया है बहू. वैसे तुम्हारे यहा सब कैसा चल रहा है?
मम्मी: सब अछा चल रहा है जेठ जी.
सुरेश: मेरे भाई संजय की मौत के बाद तो तुम एक-दूं अकेली पद गयी होगी (संजय मेरे पापा का नाम है).
मम्मी: हा अकेली पद गयी थी, पर मेरा सहारा मेरा बेटा सोनू है. सोनू मेरे को कभी अकेला महसूस नही होने देता है. ऐसे भी पति का मौत हो जाए तो पत्नी को सिर्फ़ अपने बेटे का ही सहारा होता है.
सुरेश: हा सही बात है. वैसे सोनू बिज़्नेस कैसा चल रहा है?
सोनू: बहुत अछा चल रहा है
सुरेश: हा आचे से बिज़्नेस संभाल. तेरे पापा को बहुत मेहनत लगी थी इस बिज़्नेस को बनाने में.
सोनू: हा बड़े पापा.
फिर कुछ देर और ऐसे ही बात करने के बाद, मम्मी ने बड़े पापा वही रूम दिया, जिसमे मौसी रुकी थी. फिर बड़े पापा रूम में चले गये तोड़ा फ्रेश होने के लिए. मैं और मम्मी हमारे रूम में गये. मम्मी बोली-
मम्मी: बेटा तू देखा की नही जेठ जी मेरे दूध को घूर रहे थे?
सोनू: हा मम्मी, मैं देखा और जब आप किचन में छाई बना रही थी ना, तब बड़े पापा आपके पेट को घूर रहे थे.
मम्मी: अछा?
सोनू: हा मम्मी.
मम्मी: जेठ जी तो बहुत तर्की निकले.
सोनू: हा मम्मी, वो तो है.
मम्मी: हा और सुन, तू हर टाइम मेरे आस-पास ही रहना. मेरे को अकेला छ्चोढ़ कर मत जाना. तू नही रहेगा तो जेठ जी तो ज़रूर मेरे को छोड़ने की कोशिश करेंगे.
सोनू: हा मम्मी, मैं आस-पास ही रहूँगा.
फिर हम लोग बात करने के बाद तोड़ा आराम कर लेते है. शाम को मम्मी किचन में खाना बना रही होती है, और मैं च्चत पर सिगरेट पीने गया रहता हू.
तभी ज़ोर से बड़े पापा की चिल्लाने की आवाज़ आती है.
मैं तुरंत नीचे जाता हू, तो देखता हू मम्मी भागते हुए बड़े पापा के रूम में जाती है. मैं भी बड़े पापा के रूम में जाता हू, तो देखता हू बड़े पापा बातरूम में फिसल के गिर गये थे.
और बड़े पापा पुर नंगे बातरूम में गिरे पड़े थे, और उनका काला, लंबा, और मोटा लंड खड़ा था. ज़रूर मम्मी को याद करके मूठ मार रहा होगा, और फिसल के गिर गया होगा. मैं यही सोच रहा था.
मम्मी बड़े पापा को उठा रही थी, और बड़े पापा भी मम्मी की कमर को ज़ोर से पकड़ के उठ रहे थे. फिर मैं भी दूसरी तरफ से बड़े पापा को उठाया, और उनको हम लोग बिस्तेर पे लिटा दिए, और उनके उपर एक चादर धक दिए. फिर मम्मी बोली-
मम्मी: जेठ जी, आप कैसे गिर गये?
सुरेश: मैं नहा रहा था, और मेरा पैर फिसल गया, और मैं गिर गया.
मम्मी: आपको ज़्यादा तो नही लगा ना?
सुरेश: मेरी कमर, पीठ, और पैर में लगी है. बहुत दर्द हो रहा है.
मम्मी: मैं आपके लिए पाईं किल्लर लाती हू.
सुरेश: बहू पाईं किल्लर मत ला. बल्कि तेल लगा के मेरी थोड़ी मालिश कर दे. मेरे को आराम मिल जाएगा.
मम्मी: ठीक है जेठ जी, मैं तेल लेकर आती हू.
फिर मम्मी तेल लेकर आती है, और बड़े पापा को उल्टा लिटा देती है. बड़े पापा अभी पुर नंगे ही रहते है. उनके उपर सिर्फ़ एक चादर ही रहती है. मम्मी चादर से बड़े पापा के चूतड़ को धक देती है. फिर बड़े पापा की कमर और पीठ की मालिश करने लग जाती है. मम्मी का हाथ बड़े पापा के शरीर में पड़ते ही बड़े पापा को तो मानो जन्नत मिल गयी हो.
मैं रूम के बाहर आ जाता हू, और च्छूप के देखने लगता हू. मम्मी बड़े पापा की पीठ और कमर की मालिश करती रहती है. बड़े पापा को पता चल गया रहता है की मैं रूम में नही था, और अब उनके पास मौका था. कुछ देर बाद बड़े पापा बोले-
सुरेश: बहू मेरी पीठ और कमर अब पहले से थोड़ी सही लग रहा है. लेकिन पैर में बहुत दर्द हो रहा है. थोड़ी पैर की मालिश कर दे.
मम्मी: हा जेठ जी, आप सीधा लेट जाओ.
फिर बड़े पापा सीधे लेट जाते है, और उनके लंड के उपर चादर ढाकी रहती है. मम्मी उनके पैर की मालिश करती रहती है. तभी बड़े पापा अपने लंड के उपर से चादर हटा देते है. उनका काला, लंबा, और मोटा लंड खड़ा रहता है. बड़े पापा बोले-
सुरेश: बाबू मेरी जाँघ में भी दर्द है. जाँघ की भी मालिश कर दे.
मम्मी: हा जेठ जी.
मम्मी जाँघ का मालिश करने लग जाती है, और मालिश करते हुए बड़े पापा के लंड को तिरछी नज़र से देखती रहती है. बड़े पापा का लंड एक-दूं खड़ा रहता है. मम्मी समझ जाती है, की बड़े पापा जान-बूझ कर उनको अपना लंड दिखा रहे थे.
वो बड़े पापा की जाँघ को मसल-मसल के मालिश करती रहती है, और काई बार मम्मी का हाथ बड़े पापा के लंड पर और टटटे पर टच होता रहता है. मम्मी बार-बार मेरे को खोजते रहती है, ताकि वो वाहा से जल्दी निकल पाए. पर मैं च्चिप कर देखते रहता हू, और मेरे को मज़ा भी आते रहता है.
तभी बड़े पापा मम्मी का हाथ पकड़ लेते है, और मम्मी को अपना लंड पकड़ा के बोलते है.
सुरेश: बहू इस्पे भी तेल लगा के मालिश कर दे.
मम्मी: या क्या कर रहे है आप जेठ जी?
मम्मी तुरंत अपना हाथ हटा लेती है, और उठ कर जाने लगती है. तभी बड़े पापा मम्मी का हाथ ज़ोर से पकड़ लेते है, और बोलते है.
सुरेश: अर्रे बाबू, इतना नखरा क्यूँ कर रही है? तू विधवा है, और तुझे मेरे लंड की ज़रूरत है. मैं तेरी सारी प्यास बुझा दूँगा.
मम्मी: ये सब क्या बोल रहे हो? आपको शरम है? छ्चोड़ो मेरे को.
सुरेश: कितना मादक जिस्म है तेरा. तुझे छोड़े बिना तो मैं नही छ्चोधुंगा.
फिर बड़े पापा मम्मी को अपने उपर खींच लेते है. मम्मी पूरा बड़े पापा के उपर गिर जाती है, और बड़े पापा मम्मी को ज़ोर से पकड़ लेते है. मम्मी अपने आप को नही च्छुदा पा रही थी. अब तो मेरे को ही कुछ करना था. मैं बाहर खड़े-खड़े ही मम्मी को आवाज़ देने लगा-
सोनू: मम्मी, सुनो तो.
मेरी आवाज़ सुनते ही बड़े पापा मम्मी को तुरंत छ्चोढ़ दिए, और अपने आप को धक लिए. मम्मी भी खड़ी हो गयी. फिर मैं अंदर गया और बोला-
सोनू: मम्मी बड़े पापा की मालिश हो गयी क्या?
मम्मी: हा बेटा हो गयी है.
सोनू: हा तो फिर मेरे साथ चलो. मेरे को आपसे तोड़ा काम है.
मम्मी: हा बेटा चल.
फिर मैं और मम्मी रूम से बाहर आ जाते है और अपने रूम में चले जाते है. मम्मी हाथ धो कर आई और बोली-
अगले पार्ट में बतौँगा आयेज क्या हुआ. कहानी पढ़ कर फीडबॅक ज़रूर दे.