जेठ के दोस्त के साथ शुरू हुआ नैन-मटक्का

मेरा नाम संगीता है. मेरी अभी आगे 57 यियर्ज़ है. लेकिन आज भी मेरा फिगर ऐसा है की किसी भी जवान लड़के में वासना जगा दे. ये बात तब की है, जब मैं 36 की हो गयी थी. मैं तब अपने भनजे कमाल और मेरी बड़ी बेहन के दामाद परेश जी से चुड चुकी थी.

मेरा फिगर अब 34-28-38 है और हाइट 5’4” है. मैं हमेशा सारी ही पहनती हू. गाओं में हम सब हार्ड वर्क करते थे, तो मेरा फिगर बहुत ही फिट है. 36 की आगे थी मेरी, 3 बच्चे थे मेरे, लेकिन मुझे देख कर कोई बोल नही सकता था की मेरी इतनी आगे होगी.

मुझे देख कर कितने मेरी चुदाई की सपने देखते थे, और अब मुझे कोई हवस भारी निगाहों से देखता तो मुझे अछा लगता था. क्यूंकी अब मुझे उसकी आदत हो गयी थी, और उसमे मज़ा भी आने लगा था.

मेरे पति के और 2 भाई है, मेरे जेठ जी और देवर जी. मेरे जेठ जी के दोस्तों का एक ग्रूप था. मेरी शादी के बाद से मैं उन लोगों को जानती हू, क्यूंकी हमारा उनके साथ घर जैसा रिश्ता था. अक्सर वो लोग हमारे घर पर आते रहते थे. मेरी शादी को 16 साल हो गये थे, पर कभी ऐसा कुछ नही हुआ जो उस दिन हो गया.

मेरे जेठ जी के एक दोस्त की बेटी की शादी थी. शादी का पूरा फंक्षन सिटी में रखा गया था. हमारे गाओं का रास्ता सिटी से कुछ एक गाँते की दूरी पर था. मेरे पति और जेठ जी बिके से वाहा चले गये.

बच्चो के स्कूल जाने के बाद मैं और मेरी जेठानी तैयार हो कर बस से वाहा चले गये. अब शादी में जेया रहे थे, तो मैं तोड़ा आचे से तैयार हुई थी. अब आपको पता तो है मैं जब आचे से तैयार होती हू, तो मुझे देख कर मर्दों का क्या हाल होता है.

शादी में बहुत से मर्द मुझे लाइन मार रहे थे. मेरी जेठानी पास में थी, और बदनामी होने के दर्र से मैने किसी की और देखा भी नही. लेकिन कुछ मर्दों की हरकटो से पता चल जाता है की उनके दिमाग़ में क्या चल रहा है.

मेरे साथ उस दिन जो हुआ बस आँखों ही आँखों में हो गया. जो चीज़ 16 साल में नही हुई वो बस 2 सेकेंड में हो गयी. मैं ग़लती से मेरे जेठ जी के दोस्त सुरेश भैया से टकरा गयी. हम दोनो का वो आइ कॉंटॅक्ट बस 2 सेकेंड्स का था, लेकिन वो 2 सेकेंड्स में हमारी वो नज़रे मिली, की हम दोनो का एक-दूसरे को देखने का नज़रिया बदल गया.

वो एहसास जिसके साथ होता है वही समझ सकता है. उसके बाद मैं शादी अटेंप्ट करने लगी, पर मेरे दिमाग़ में वही चलने लगा. मैं सुरेश भैया को च्छूप-च्छूप कर देखने लगी. ऐसा नही था की मैं उनको पहले देखा नही था. पर अब देखने का नज़रिया बदल गया था. मुझे कुछ और ही एहसास होने लगा था. मैने भी देखा की मेरे जैसा हाल सुरेश भैया का भी था.

सुरेश भैया की बात करू तो वो कुछ 50 साल के करीब के थे. लेकिन दिखने में 40 के लग रहे थे. उनकी बॉडी पर बिल्कुल मोटापा नही था. वो उनके ग्रूप में सबसे यंग दिखते थे, पर थे सबसे बड़े. और सब लोगों में उनकी पर्सनॅलिटी सबसे अची थी. हम शादी से घर आ रहे थे, तो मेरे जेठ जी ने मुझे और जेठानी को सुरेश भैया की वन में बिता दिया.

सुरेश भैया वन चला रहे थे, और मैं, जेठानी, और उनकी बीवी पीछे से सीट पर बैठे थे. मैने देखा की सुरेश भैया ने पीछे की साइड देखने वाला मिरर मेरी तरफ सेट कर दिया. मिरर में मुझे सिर्फ़ उनकी आँखे दिख रही थी. पुर रास्ते वो आँखों की मस्ती हाए-हाए.

पर मुझे तो कुछ समझ नही आ रहा था. मैं चुप-छाप बिना कुछ किए बैठी रही. मुझे दर्र था की वो मेरे जेठ जी के आचे दोस्त थे. अगर कुछ हम दोनो के बीच हो गया, तो घर में किसी को मूह दिखना मुश्किल हो जाएगा. मेरे पति का गुस्सा भी बहुत ख़तरनाक है.

मेरे अंदर खुशी भी थी, और दर्र भी. पर मेरे से कंट्रोल ही नही हुआ, और मैं बस मिरर में देखती रही. मैं बिल्कुल शांत बैठी थी. मैने देखा की वो मुझे ही देख रहे थे, और मैं उनकी आँखों में.

बहुत दिन गुज़र गये, पर मेरे दिमाग़ में से वो बात निकली नही थी. एक दिन दोपहर को जेठ जी के सारे दोस्त घर पर किसी काम से इकट्ठे हुए थे. मेरी जेठानी ने छाई बनाई और मुझे देने को कहा. मैने सब को छाई दी. पर जैसे सुरेश भैया को छाई का कप देने गयी, उनकी नज़र मेरे उपर थी, और वो मेरी आँखों में देख रहे थे.

मैं भी उनको देख कर शर्मा गयी, और स्माइल देके किचन में चली गयी. मैने किचन से देखा तो वो बार-बार मेरी और ही देखने की कोशिश कर रहे थे. मैने उनसे चूड़ने का इतना सोचा नही था, पर जिस तरह वो मेरी और देख रहे थे, उसमे मुझे हवस से ज़्यादा प्यार दिख रहा था. और उनका मेरी और देखने का तरीका मुझे बहुत ही अछा लगा.

सुरेश भैया ने मुझे दिल से चाहा था. तो हुमको साथ में रहने का मौका भी मिला. एक दिन मैं मेरे छ्होटे बेटे को लेकर हॉस्पिटल जेया रही थी. मुझे सुरेश भैया मिल गये. मेरे पति ने कहा सुरेश भैया तुम्हे सिटी में छ्चोढ़ देंगे. तुम दवाई लेकर बस से घर चली आना. मैने कहा ठीक है.

फिर मैं सुरेश भैया की वन में पीछे बैठ गयी. मैने जान-बूझ कर उनको मिरर में दिखे इस तरह बैठ गयी. रास्ते में हमारी नॉर्मल बातें हो रही थी, की बच्चे को क्या हुआ था. ज़्यादातर मैं शांत बैठ रही थी, कुछ बोल नही रही थी. बस मेरा पल्लू सही कर रही थी, जिससे उनको मेरे सेक्सी बूब्स दिखे.

मैने जान बूझ कर ब्रा का स्ट्रीप विज़िबल कर दिया. और जब उन्होने मेरी और देखा, तो मैने उनको देखते हुए स्ट्रीप ब्लाउस में च्छुपाया. सुरेश भैया ने कहा-

सुरेश: मैं आपके साथ हॉस्पिटल आता हू. फिर आपको बस स्टॅंड छ्चोढ़ कर मेरे काम पर निकल जौंगा.

मैने कहा: मैं मॅनेज कर लूँगी. आप क्यूँ तकलीफ़ उठा रहे है?

वो बोले: इतना भी कुछ एमर्जेन्सी वाला काम नही है.

हम दोनो डॉक्टर साब की कॅबिन में गये. वाहा मैने डॉक्टर को सब प्राब्लम बताई. डॉक्टर ने सुरेश भैया से कहा-

डॉक्टर: आपके बेटे के कुछ रिपोर्ट्स निकालने पड़ेंगे. बस ये कुछ नॉर्मल टेस्ट है, जो करने पड़ते है.

डॉक्टर ने जब ऐसा कहा तो वो मेरी और देख रहे थे. वो डॉक्टर को सच बताने जेया रहे थे, की मैने आँखों से इशारा किया की वो कुछ ना बोले. मैं भी उनकी पत्नी की तरह वाहा रह रही थी. सुरेश भैया की खुशी का कोई ठिकाना नही था. हम एक-दूसरे की और देख कर मुस्कुरा रहे थे. उन्होने अपना सारा काम छ्चोढ़ दिया और पुर 5 घंटे मेरे साथ बिताए. मुझे और मेरे बेटे को अपना बना कर ख़याल किया.

हमने साथ में नाश्ता भी किया. हम दोनो को देख कर कोई नही बोल सकता था की हम पति-पत्नी नही थे. उस दिन के बाद कभी हमे लगा नही की हम एक-दूसरे से अलग थे. हमारे बीच का रिश्ता क्या था वो पता नही, पर हमारी अची जमने लगी.

अक्सर वो हमारे घर आते, मैं उनको छाई देती, और किचन से देखती रहती. और शायद वो मुझे देखने के लिए ही घर पर आते थे. कभी हमारे बीच ऐसी कुछ बात नही हुई, ना ही कुछ हुआ था. मुझे भी उनका आना अछा लगने लगा था. घर वालो के सामने तो सब कुछ नॉर्मल ही चल रहा था, क्यूंकी 16 साल से मैं इस घर की बहू थी. तो कोई सोच भी नही सकता था की मेरे और सुरेश भैया के दिमाग़ में ऐसा कुछ चल रहा होगा.

एक दिन मैं अकेली अपने माइके जेया रही थी. मेरे सभी बच्चे वाहा गये थे. वाकेशन ख़तम होने में कुछ 15 दिन बाकी थे, तो पति से पर्मिशन मिली थी माइके में रुकने की. अब तो मेरे पति मेरी चुदाई के बिना नही रह पाते थे. रोज़ रात को उनको मेरी बाहों में सोना होता था.

मेरी सेक्स लाइफ तो अची ही चल रही थी. मैं बस से जेया रही थी. एक-दूसरे गाओं के स्टॅंड पर बस रुकी. वाहा मुझे सुरेश भैया की वन दिखी. उन्होने भी मुझे बस में देखा. मैं स्टॅंड पर उतार गयी.

सुरेश भैया ( मेरे पास आ कर): आप यहा? इस गाओं में आपको क्यूँ आना हुआ?

संगीता: मैं तो मेरे माइके जेया रही हू.

सुरेश भैया: पर आपका माइका तो सिटी में है. फिर यहा क्यूँ?

संगीता ( मेरे सर पर हाथ रख कर): हे भगवान, मैं तो आपको देख कर उतार गयी (उनकी और तिरछी नज़र करके) मुझे लगा आप मुझे वाहा तक छ्चोढने आएँगे (मेरी बात सुन कर उनकी खुशी का ठिकाना नही रहा).

सुरेश भैया: अर्रे आपके लिए तो कुछ भी काम छ्चोढ़ कर तैयार हू. चलिए आज मैं आपको आपके माइके तक छ्चोढ़ देता हू.

अब मैं उनके साथ आयेज की सीट पर बैठ गयी. थोड़ी डोर जेया कर मैने कहा-

संगीता: मुझे भूख लगी है. बस पकड़ने की जल्दी में घर से कुछ खा कर नही आई.

फिर उन्होने एक अची होटेल देख कर गाड़ी को रोक दी.

मैने कहा: मैं वॉशरूम हो कर आती हू.

मैं जब घर से निकलती हू, तो मैं सारी से अपने बदन को च्छूपा के रखती हू. सारी मेरी कमर को च्छुपाए होती है, और पल्लू से पूरा ब्लाउस, और पीछे का हिस्सा भी. मेरी बाग में हमेशा एक एक्सट्रा ब्लाउस रखती हू. वो ब्लाउस स्लीव्ले, पीछे से बॅकलेस, और आयेज से डीप नेक था.

मैने सारी मेरी नाभि के नीचे कर दी, और तोड़ा कस्स कर बाँध दी. ताकि मेरी गंद का उभर आचे से दिखे. उस दिन मैने ऑरेंज कलर की सारी पहनी थी, और मशीन ब्लाउस था. सारी में फ्लवर बने हुए थे. मैने पल्लू एक साइड कर दिया, जिससे मेरी पतली कमर और पेट दिखे, और ब्लाउस में से मेरे टाइट बूब्स दिखे. और अपने बाल खोल दिए.

मैं जब वॉशरूम से बाहर आई तो सुरेश भैया मुझे देखते ही रह गये. उन्होने मुझे सर से लेकर पैर तक देखा. मैने उनके सामने पल्लू कमर से हटा कर उनको मेरा पेट और नाभि दिखाने लगी. जब हमारी नज़रे मिली तो मैं शर्मा गयी. मैं उनके पास जेया कर खड़ी हो गयी.

हमे देख कर होटेल का मलिक बोला: इन भैया और भाभी को स्पेशल टेबल पर बिता दो.

मैं भी सोचने लगी ये स्पेशल टेबल क्या था. फिर हम दोनो को एक लड़का होटेल के अंदर एसी हॉल में ले गया. और वाहा 2-2 की सीट में कॉमपार्टमेंट बने थे. जिससे कोई उस टेबल की और देख ना सके.

वो लड़के ने कहा: भैया आप को कुछ चाहिए तो ये बेल दबा देना, यहा कोई आ कर आपको डिस्टर्ब नही करेगा.

मैने ये सब देख कर सुरेश भैया की और देख कर नॉटी स्माइल पास की.

आयेज क्या होगा वो मैं आपको नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. दोस्तों इस पार्ट में हमारे बीच सेक्स नही हुआ, तो शायद आप बोर हुए होंगे. पर मेरे और सुरेश भैया का रिश्ता कैसे बना वो मैं आपको आचे से बताना चाहती हू. मैं जीतने गैर मर्दों से चूड़ी हू, उसमे सुरेश जी मेरे लिए बहुत ख़ास है. और वो क्यूँ ख़ास है, वो सब आपको धीरे-धीरे पता चलेगा.

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