अमृतसर में जवान लड़किया से सेक्स का मज़ा

हैल्लो दोस्तों, में गौरव एक बार फिर से आप सभी चाहने वालों के लिए अपनी एक नई कहानी को लेकर आया हूँ. यह कहानी भी मेरी पिछली कहानियों की तरह बिल्कुल सच्ची है. दोस्तों मैंने अब तक बहुत सारी लड़कियों की चूत मारी है और में बहुत किस्मत वाला हूँ कि मुझे इतनी सारी चूत को चोदने का मौका मिला, क्योंकि यह ऐसा मौका हर किस को नहीं मिलता.

दोस्तों मैंने इतनी सारी लड़कियों को चोदा है कि में उन सभी की कहानी को एक साथ नहीं लिख सकता, लेकिन उनकी कहानियाँ में जरुर लिख देता हूँ जिनकी चूत मारने और चुदाई करने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आता है और उनकी कहानियाँ में लिखकर आप सभी को यहाँ पर सुनाता हूँ. दोस्तों मुझे उम्मीद है कि मेरी पिछली कहानियों की तरह यह मेरी आज की कहानी भी सभी पढ़ने वालों को जरुर अच्छी लगेगी. दोस्तों में कंप्यूटर हार्डवेर का काम भी पूरी तरह से जानता हूँ और बहुत सी लड़कियों को में उनके घर पर जाकर उनका कंप्यूटर ठीक करने के बहाने से उनकी चुदाई कर चुका हूँ. अगर किसी अमृतसर की लड़की को मुझे अपने सेक्स से जुड़ी किसी भी समस्या को बताना हो तो वो मुझसे बात कर सकती है और अब दोस्तों आज की कहानी को पढ़कर उसके मज़े लीजिए.

दोस्तों यह बात आज से एक साल पहले की है जब हम अमृतसर में जिस मकान में रहते थे, उसके पास वाला मकान बहुत अरसे से खाली पड़ा हुआ था और हर वो हमेशा बंद ही रहता था. एक दिन मैंने देखा कि उस मकान का ताला खुला हुआ है और उसमे एक नये कराएदार आ गये थे, लेकिन वो एक दिन उस मकान की साफ सफाई करके करीब दूसरे या तीसरे दिन उसमे रहने आए.

हमारे नये पड़ोस वाले घर से एक बूढ़ी औरत पहली बार उस दिन हमारे घर आई और वो मेरी मम्मी के साथ बहुत देर तक बैठी रही उनसे बातें करती रही तो मेरी मम्मी ने मुझे बताया कि यह हमारे नये पड़ोसी है और उनकी चार बेटियाँ है और उनका लड़कियों के पापा पहले जलंधर की किसी प्राइवेट फर्म में काम करते थे और अब उसका तबादला अमृतसर में हो गया है, इसलिए वो यहाँ पर रहने आए है और वो सभी लोग बहुत शरीफ लोग है और वो बहुत पढ़े लिखे भी है और उन्होंने मेरी मम्मी को अपने घर पर आने के लिए कहा करीब चार पांच दिन के बाद मेरी मम्मी ने मुझसे कहा कि चलो हम अपने नये पड़ोसियों के घर चलते है.

में भी उनके साथ हो लिया और मेरी मम्मी ने दरवाजे पर लगी घंटी को बजा दिया, तब मैंने देखा कि एक बहुत ही सुंदर लड़की ने आकर दरवाज़ा खोल दिया, जिसकी उम्र करीब 18- 20 साल होगी. फिर हम दोनों घर के अंदर चले गये और उन लड़कियों की माँ ने हम दोनों की बहुत अच्छी तरह से पूरी खातिरदारी की और हम दोनों उनके बैठक वाले कमरे में कुर्सी पर बैथे हुए थे. फिर एक लड़की कुछ देर बाद हमारे लिए कोल्डड्रिंक्स लेकर आई और अब में उसको देखता ही रहा क्योंकि वो इतनी सुंदर थी कि में किसी भी शब्दों में लिखकर बता नहीं सकता, उसका सांवला रंग, सुंदर बड़ी आकार की आखें, पतला सा जिस्म और लंबे बाल जिनको देखकर में बड़ा चकित था.

फिर उसके बाद एक और लड़की आ गई, लेकिन वो तो उस पहले वाली लड़की से भी ज्यादा सुंदर थी. में तो उसकी सुंदरता को देखकर एकदम चकित होकर चकरा गया. मेरा पूरा ध्यान उनकी बातों से हटता जा रहा था और में किसी बहाने से छुपकर उन दोनों को देखने लगा था. दोस्तों में सिर्फ़ उनकी सुंदरता के बारे में बस इतना सा कहता हूँ कि अगर उनको देखने पर दस हज़ार का टिकट भी होता तो में सबसे पहला खरीददार होता.

दोस्तों पता नहीं उन चारों बहनों को भगवान ने किस तरह अपना बहुत सारा समय निकालकर बहुत अच्छी तरह तराशकर बनाया था, लेकिन वो अपने चेहरे से बहुत शरीफ और शरम वाली लड़कियाँ लगती थी. में मन ही मन में सोचता था कि काश इससे मेरी शादी हो जाए और जब दूसरी वाली सामने आती तो में सोचता कि काश इससे मेरी शादी हो जाए. फिर पहली बार एक लड़की ने मुझे भैया कहकर पुकारा, तब मेरी मम्मी ने उनसे कहा कि यह गौरव है और यह बहुत शर्मीला लड़का है, मेरे बारे में बहुत कुछ कहा और कुछ देर बाद हम दोनों वापस अपने घर आ तो गये, लेकिन अब भी मुझे रह रहकर वो हसीन लम्हे याद आ रहे थे और मेरा मन बार बार चाह रहा था कि में अभी इसी समय उनके घर चला जाऊं और उनकी माँ से कहूँ कि आप मुझे अपने घर रख ले में आपके सभी काम कर दूंगा.

फिर एक दिन में अपने घर पर बिल्कुल अकेला था और कुछ देर बाद हमारे पड़ोसी की एक लड़की ने दरवाजे पर एक दस्तक दी, मैंने दरवाजा खोलकर देखा तो में बहुत हैरान रह गया और कुछ देर बाद मैंने उससे पूछा कि क्या बात है? तब वो मुझसे कहने लगी कि मेरी मम्मी कह रही है कि कल आप हमारे घर आ जाना, अब मैंने उससे पूछा कि आपका नाम क्या है? तो वो कहने लगी कि आरती. अब मैंने उससे कहा कि तुम्हारा बहुत अच्छा नाम है.

उसके बाद मैंने उससे कहा कि तुम अंदर क्यों नहीं आती? तब उसने मुझसे पूछा क्या आपकी मम्मी घर में है? मैंने कहा कि नहीं, तब उसने मुझसे कहा तो फिर में अंदर नहीं आऊँगी और जब आपकी मम्मी घर पर होगी तब में आ जाऊँगी, वो मुझसे इतना कहकर मेरी तरफ मुस्कुराते हुए वापस अपने घर चली गई, लेकिन यह एक छोटी सी मुलाकात मुझे वो नशा दे गई जो शराब की दस बोतलों में भी नहीं होता, उससे मिलने देखने बातें करने के लिए मेरा मन हमेशा बड़ा ही बैचेन रहने लगा था. एक दिन में दोपहर के समय अपने कॉलेज के पास किसी काम से गुज़र रहा था तो मैंने वहाँ पर आरती को एक जगह पर खड़े हुए देखा.

उसके बाद में खुश होता हुआ तुरंत ही उसके पास जा पहुंचा और फिर मैंने उससे कहा कि आरती तुम कहाँ क्यों खड़ी हो? तब वो भी मुझे देखकर बड़ी ही चकित हो गई और फिर उसने मुझसे कहा कि में यहाँ कॉलेज में पढ़ती हूँ. अब मैंने उससे कहा कि चलो में तुम्हे तुम्हारे घर पर छोड़ दूँ, तब वो मुझसे कहने लगी कि नहीं में खुद ही चली जाऊंगी. अब मैंने उससे कहा कि जब में भी वहाँ तक जा ही रहा हूँ तो तुम्हे मेरे साथ जाने में क्या समस्या है? और थोड़ी सी बहस करने पर वो मन गई और उसके बाद वो मेरे साथ मेरी मोटरसाईकिल पर बैठ गई और उसके बाद वो मुझसे कहने लगी कि मुझे बहुत शरम आ रही है, आप मुझे घर से थोड़ा दूर ही उतार देना, अगर किसी ने देख लिया तो मेरे लिए अच्छा नहीं होगा.

फिर मैंने उससे कहा कि कोई बात नहीं, में तुम्हे तुम जहाँ कहोगी वहीं उतार दूंगा और कुछ देर बाद हमारा घर आने वाला था इसलिए मैंने उसको घर से थोड़ा सा पहले ही उतार दिया और उस बीच हम दोनों ने कोई भी बात नहीं की और गाड़ी को रोकने के बाद मैंने उससे कहा कि अब ठीक है ना? दोस्तों उसका मुझसे धन्यवाद करने का अंदाज़ उसकी अनोखी अदा से नज़र आ रहा था कि उसके चेहरे पर थोड़ी झिझक, थोड़ी मुस्कुराहट, थोड़ी सी शरम और पता नहीं क्या कुछ उसकी वही वो अदा थी जो मुझे उसका दीवाना बना गई. उसकी जैसी अदा मैंने आज तक किसी हिरोइन या दूसरी किसी लड़की में नहीं देखी थी.

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अब तो मैंने मन ही मन में खुश होकर पक्का इरादा कर लिया कि में आरती को अपना बनाकर ही रहूंगा और किस्मत की बात है कि में कुछ दिनों के बाद एक बार फिर से अपने कॉलेज के पास से गुज़र रहा था कि मेरी नज़र एक जगह पर आकर रुक गई और तब मैंने देखा कि आरती उस समय बस स्टॉप पर खड़ी हुई थी, इसलिए में उसको देखकर बहुत खुश हुआ और अब में एक बार फिर से उसकी तरफ लपका और बिना किसी झिझक के मैंने उसके पास जाकर उससे कहा कि हैल्लो आरती यहाँ क्यों खड़ी हो? तो वो कहने लगी कि आज हमारे कॉलेज की तरफ से पार्टी थी, में वहीं से आ रही हूँ और अब घर जाने के लिए बस का इंतजार कर रही हूँ.

अब मैंने फिर से उससे कहा कि चलो में तुम्हे घर छोड़ दूँ उसने एक बार फिर से वही सब दोहराया और कहा कि में बस में बैठकर चली जाऊंगी. तो मैंने उससे कहा कि में तुम्हे तुम्हारे घर से दूरी पर छोड़ दूंगा तो वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर बड़ी अजीब सी अदा से मुस्कुराई कि मेरा दिल पागल हो गया.

उसके बाद वो मोटरसाइकल पर बैठ गई, लेकिन इस बार में सीधा घर नहीं गया मैंने कुछ देर बाद अपनी मोटरसाइकल को किसी और दिशा में मोड़ दिया, वो बैठी रही और उस समय मैंने उससे कई सवाल किए और वो मेरे हर एक सवाल का सही सही जवाब देती रही. फिर कुछ देर बाद मैंने उससे कहा कि आरती अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो मुझे इस समय बहुत तेज भूख लग रही है, इसलिए अगर तुम मुझे अपनी तरफ से इजाज़त दो तो में थोड़ा सा कुछ खा लूँ? उसने थोड़ी देर रुककर जवाब दिया कि हाँ ठीक है, लेकिन मुझे देर हो जाएगी. फिर मैंने उससे कहा कि बस पांच दस मिनट का समय लगेगा और फिर हम दोनों अच्छे से रेस्टोरेंट में चले गये.

उसके बाद मैंने उससे कहा कि तुम यहाँ पर बैठ जाओ में हमारे लिए दो सॅंडविच लेकर अभी आता हूँ. अब वो मुझसे कहने लगी कि नहीं, में नहीं खाऊँगी, लेकिन फिर मैंने उससे आग्रह किया तो वो मान गई और फिर हम दोनों एक ही टेबल पर एक दूसरे के आमने सामने बैठ गये और आरती थी कि बैठे हुए शरमाये जा रही थी इसलिए मैंने उससे कहा कि तुम चिंता मत करो, लेकिन हमारी सोसाइटी में कुँवारी लड़की का ऐसा करना एक स्वभाविक बात है.

फिर भी मैंने उससे उसका ध्यान हटाने के लिए उससे कुछ सवाल किए जैसे आप कितने बहन, भाई है? आप लोग कहाँ से आए है और भी बहुत सारी बातें उससे पूछी. फिर वो अपनी झुकी झुकी नज़रों से कहने लगी कि हम तो बहुत गरीब लोग है और फिर मैंने उससे कहा कि काश मेरी किसी अच्छी लड़की से शादी हो जाए और मैंने कहा कि में अपनी पत्नी को बहुत प्यार करूँगा और में उसको दुनियां के हर एक सुख दूंगा चाहे उसके लिए मुझे कुछ भी करना क्यों ना पड़े.

अब वो मुझसे कहने लगी कि गौरव आप एक बहुत अच्छे इंसान है और में ऊपर वाले से दुआ करूंगी कि आपको एक अच्छी लड़की ही मिलेगी. फिर मैंने उससे कहा कि अच्छे इंसानों की इस दुनिया में अक्सर बुरे ही लोग मिलते है और में इस बात से हमेशा बहुत डरता हूँ.

उसने मुझसे कहा कि आप इतना ना डरा करो आपके साथ ऐसा कुछ बुरा नहीं होगा. अब मैंने उससे कहा कि में तलाश में हूँ कि मुझे एक बहुत अच्छा जीवन साथी मिल जाए जिसके साथ में अपना पूरा जीवन बिता दूँ और हम दोनों हमेशा हंसी ख़ुशी रहे. दोस्तों वो हम दोनों की इतनी अच्छी मुलाक़ात थी कि में बता नहीं सकता उसके बाद हम दोनों वापस अपने अपने घर पहुंच गए.

दूसरे दिन आरती हमारे घर आई और वो मुझे देखकर एक बार फिर से एक सुंदर अदा दिखाकर चली गई, एक दिन में घर में बिल्कुल अकेला बैठा हुआ था कि कुछ देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई और मैंने जब उठकर दरवाज़ा खोला तो देखा कि उस समय मेरे सामने आरती खड़ी हुई थी और अब वो खुद ही अंदर चली गई, लेकिन उसको यह पता नहीं था कि उस समय मेरी मम्मी घर में है या नहीं और जब वो हमारे बैठक वाले कमरे में पहुंची.

उसने मुझसे पूछा कि आंटी कहाँ हैं? मैंने कहा कि वो अभी दस मिनट में आ रही है, वो किसी काम से पास वाले बाज़ार में गई है. वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर अब बैठ गई और मुझसे नहीं रहा जा रहा था. जब एक बहुत ही सुंदर लड़की जो अपनी सुदंर अदा और जवानी का जलवा दिखाए तो भला कौन ज्यादा देर रह सकता है? अब में अचानक से उसके क़रीब आकर बैठ गया और उसी समय मैंने उससे कह दिया कि आरती में तुमसे शादी करना चाहता हूँ.

फिर उसने मुझसे कहा कि प्लीज आप मुझसे ऐसी बातें ना करे वरना में उठकर अभी इस समय चली जाती हूँ, मैंने उससे कहा कि आरती ऐसा मौका हमे कभी नहीं मिलेगा. में तुमसे वादा करता हूँ कि में तुम्हारा बनूँगा में तुम्हारे बिना नहीं रह सकता.

उसने मुझसे कहा कि आज कल कौन किसी का बनता है? मैंने कहा कि आरती तुम अगर चाहो तो मुझे आज़मा कर देख लो और इतना कहते हुए मैंने तुरंत ही उसके सुंदर बूब्स को अपने हाथों में पकड़ लिया और फिर में उसका हसीन चेहरा चूमने लगा. वो अपने आप को मुझसे छुड़वाने की कोशिश करती रही, लेकिन में अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आया और में उसके कातिल जिस्म पर बहुत अच्छे तरीक़े से अपने हाथ को फेरता ही जा रहा था.

दोस्तों वो लड़की जो कुछ देर पहले तक अपने आपको मुझसे छुड़वाने की कोशिश कर रही थी. अब वो धीरे धीरे ढीली पड़ गई और मैंने उससे कहा कि आरती में जो कह रहा हूँ वो करूंगा और में ही तुम्हे अपनाऊंगा इतना कहते हुए मैंने अपना हाथ उसके सूट के गले से अंदर डालकर उसके बूब्स तक ले गया तो मैंने देखा कि वो बहुत घबरा रही थी, लेकिन वो कुछ भी कर नहीं सकती थी.

मैंने उसके पैरों पर हाथ फेरा और कुछ देर बाद सही मौका देखकर उसकी सलवार में अपने एक हाथ को डालकर में अब उसकी चूत तक अपने हाथ को ले गया, कुछ देर उसकी चिकनी चूत को सहलाकर महसूस करने के बाद मैंने अपनी एक उंगली को उसकी चूत में डाल दिया. अब वो मुझे अपनी बड़ी ही अजीब नज़रों से देख रही थी और वो अब तक बहुत नरम गरम हो चुकी थी मैंने अपनी उंगली से उसकी चूत के होंठो को सहलाना शुरू कर दिया. दोस्तों मैंने अब महसूस किया कि शायद वो उसकी ज़िंदगी में पहली बार इस मज़े की बुलंदियों को छू रही थी, इसलिए वो इतना मधहोश हो चुकी थी और उस बात का मैंने पूरा पूरा फायदा उठाकर उसके नरम होंठो पर चूमना भी शुरू किया और अब महसूस किया कि वो बहुत कमज़ोर पड़ गई है और उसकी सारी ताक़त खत्म होकर रह गई वो जोश में आकर अपने होश खो बैठी थी.

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उसको याद भी ना रहा कि उस समय वो कहाँ है? में लगातार उसकी चूत में अपनी उंगली को अंदर बाहर कर रहा था और फिर मैंने उससे कहा कि आरती में अब इसके आगे तुम्हारे साथ कोई भी गलत काम नहीं करूँगा, वो इसलिए क्योंकि में तुम्हे अपनी पत्नी बनाना चाहता हूँ. तुम अब बैशक अपने घर चली जाओ में तुम्हे नहीं रोकने वाला. फिर वो मेरे मुहं से यह बात सुनकर उठकर अपने कपड़े ठीक करके अपने सर पर दुपट्टा लेकर चली गई, लेकिन मैंने उसको जाने से नहीं रोका. एक दिन फिर दोबारा जब में अपने घर में अकेला था तो उसने आकर दरवाज़ा खटखटाया मैंने जाकर दरवाजा खोल दिया जिसके बाद वो सीधी अंदर चली आई.

उसके बाद वो मुझसे बोली कि मुझे पता था कि आज इस समय आपकी मम्मी घर में नहीं है और तुम घर में बिल्कुल अकेले हो. फिर में उसके मुहं से वो बात सुनकर एकदम चकित हो गया. तभी उसने मुझसे कहा कि में तुमसे यह बात पूछने आज यहाँ पर आई हूँ कि क्या तुम सही में मुझसे शादी करोगे और तुम मुझसे प्यार भी करोगे? मैंने उससे कहा कि अगर में तुमसे शादी ना करना चाहता तो उस दिन में तुम्हारे साथ कुछ और भी कर सकता था. में तुम्हे अपना कर रहूंगा और उसके बाद वो मेरे पास आकर खड़ी हो गई. वो एकदम चुप होकर अपनी नजरे नीचे झुकाए खड़ी रही.

में अब समझ चुका था कि उसको आज उस दिन वाले मज़े को पूरा करना है, क्योंकि उसने वो मज़ा तो अभी सिर्फ़ थोड़ा सा चखा ही है और अब वो उसका पूरा मज़ा लेना चाह रही है, लेकिन अपने मुहं से वो उस बात को बोलना नहीं चाहती है. अब मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसने अपने पूरे जिस्म को मेरे हवाले कर दिया था, इसलिए में उसको अपने साथ ऊपर वाले कमरे में लेकर चला गया और वो मेरे एक इशारे पर मेरे साथ साथ चलती चली गई.

मैंने सोचा कि कह अगर मम्मी भी आ गई तो उनके पास घर की दूसरी चाबी है और वो अंदर आकर समझ जाएगी कि में कहीं बाहर गया हूँ. अब मैंने आरती के सुंदर चेहरे को अपने हाथों से पकड़ा और उसके बाद उसको चूमना शुरू किया और फिर धीरे धीरे में अपने हाथों से उसके शरीर को सहलाने लगा. वो रुई की तरह नाजुक मुलायम थी और आज वो मेरे हवाले होने आई थी और वो मुझसे अपनी ज़िंदगी का पहला मज़ा लेने आई थी, इसलिए वो चुपचाप मेरे साथ उसका मज़ा लेने लगी जो भी में उसके साथ कर रहा और भला में उसको कैसे मायूस कर सकता था. अब उस पर भी उस मज़े का प्रहार हो चुका था.

फिर मैंने पहले उसके कपड़े उतारे और उसके बाद अपने होंठो को उसके कुंवारे जिस्म पर फेरने लगा, जिसकी वजह से वो बड़ी मस्त हो रही थी जैसे वो जन्म जन्म की प्यास हो क्योंकि वो आज मेरे साथ अपनी प्यास बुझाने ही आई थी. फिर जैसे ही कुछ देर बाद मैंने उसकी चूत पर अपनी जीभ को रखा तो वो एकदम से तड़प गई और उस मीठे मज़े को वो पूरी तरह से महसूस कर रही थी. उसको दुनिया का होश नहीं था और अब उसको इतना मज़ा आ रहा था कि उसके मुहं से अब आह्ह्हह्ह उफफ्फ्फ्फ़ की आवाज निकल रही थी, उसको कुछ भी पता नहीं था और वो बहुत मस्त अंदाज़ में मज़े ले रही थी, क्योंकि वो आज पहली बार किसी को अपना सब कुछ देने आई थी.

जब कुछ देर मैंने उसकी रोने वाली हालत देखी तो मैंने तुरंत ही बिना देर किए अपना गरम गरम लंड उसकी चूत में अब डालना शुरू कर दिया, लेकिन मेरा लंड उसकी चूत के अंदर नहीं जा रहा था क्योंकि वो उसकी पहली चुदाई थी और उसकी चूत कुंवारी होने की वजह से बहुत टाइट थी, लेकिन दोस्तों मुझे अब इतना मस्त मज़ा आ रहा था कि में किसी भी शब्दों में लिखकर नहीं बता सकता. अब मैंने उसके होंठो पर किस करते हुए धीरे धीरे अपना पूरा लंड उसकी छोटी सी चूत में पूरा अंदर डाल दिया. वो अब उस दर्द की वजह से तड़प रही थी और में उस हुस्न की शहज़ादी के मज़े ले रहा था. वो अब मुझसे अपनी कुँवारी चूत को तेज धक्को से चुदवा रही थी. में उसके दर्द को देखे बिना ही लगातार तेज तेज धक्के देखकर चुदाई करता रहा और उसी समय मैंने देखा कि अब उसकी चूत से खून भी बह रहा था, लेकिन मैंने उसकी कोई भी परवाह नहीं की इस तरह जैसे एक कसाई किसी बकरे को काटते समय उसके दर्द की बिल्कुल भी परवाह नहीं करता वैसे ही में उसके साथ वो काम कर रहा था.

दोस्तों कुछ देर बाद मैंने महसूस किया कि अब उससे बोला भी नहीं जा रहा था. उसको बस सेक्स की ही ज़ुबान आ रही थी वो आह्ह्ह्ह ऊफफ्फ्फ्फ़ गौरव मुझे आज तुम मार डालो में मर ही जाऊंगी आह्ह्हह्ह ऊईईईइ गौरव जानू अब बस करो उह्ह्ह्ह बस करो में अब मर ही जाऊंगी. फिर मैंने अपना लंड जो कि उसकी चूत के पानी से बहुत गीला हो चुका था चूत से बाहर निकालकर उसके मुहं में डाल दिया और धक्के मारने लगा. उसको खांसी आ रही थी, क्योंकि मेरा मज़बूत लंड उसके हलक तक जा रहा था. में सोच भी नहीं सकता था कि में बेखुदी में ऐसा भी कर सकता हूँ. फिर में कुछ देर बाद उसके मुहं में ही झड़ गया और मेरा वीर्य उसके मुहं से गिरने लगा. वो अब पूरी तरह से निढाल हो चुकी थी वो आज मेरे साथ अपनी जवानी का पूरा मज़ा ले चुकी थी. उसने फिर मेरे लंड को अपने मुहं में डाल लिया और अब वो अपनी जीभ से मेरे लंड को चाटने लगी. वो अंदर ही अंदर से बहुत खुश थी क्योंकि आज उसकी प्यास पूरी तरह से बुझ चुकी थी और उसका मज़ा पूरा हो चुका था.

एकदम से उठकर वो वॉशरूम में चली गई और अपने आपको ठीक करके वो कुछ देर बाद वापस बाहर चली आई. उसके बाद वो मेरी तरफ देखकर मुस्कुराती हुई अपने घर चली गई. दोस्तों में सच में आरती को नहीं भुला सकता.



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