हवासी बाप ने बेटी की जवानी को रौंदा

मेरा नाम बरखा है. मैं बहुत नॉर्मल लड़की की तरह ही पाली और बड़ी हुई. लेकिन मेरा ग़ज़ब का रूप और मस्त-मस्त यौवन ने मुझे कही का नही छ्चोढा. मेरी हाइट 5 फीट 7 इंचस है. मेरे बूब्स 36″ के है, और कमर 28″ की.

बहुत गोरा रंग है, जैसे कोई युरोपियन लड़की हो. होंठ के उपर छ्होटा सा काला तिल. बूब्स के घेरे और निपल्स गुलाबी. जो भी देखता है बस देखता ही रह जाता है. मैं बिल्कुल अनटच्ड थी, और 21 साल की उमर थी. लेकिन किस्मत मेरी, की मैं अपने ही बाप से अपने ही घर में चुड गयी. तो चलिए सुनती हू की हुआ कैसे ये सब.

मैं कॉलेज में ब.स्क के 2न्ड एअर में थी. घर में मेरी बीमार मा और एक भाई है, जो पढ़ने के लिए बाहर शहर में रहता है. छ्होटी बेहन और एक बड़ा भाई भी बाहर हयदेराबाद में इंजिनियरिंग कर रहे है. डॅडी बसफ़ में इनस्पेक्टर है.

अब आती हू की कैसे चुड गयी मई. डॅडी घर आए हुए थे. बहुत ही गातीला और मज़बूत बदन है डॅडी का. मम्मी बीमार रहती थी तो उनकी देख-भाल हम ही करते थे. यूँ भी उन्हे नों-वेग खाना और शराब पीना बहुत पसंद है. तो जब भी वैसा खाना-पीना होता है, मम्मी डोर गाओं नानी के पास चली जाती है. उस दिन भी ऐसा हुआ.

मम्मी ने कहा: तू अब संभाल लेना, मैं चली तेरे नानी के पास. कल अवँगी जब तेरे बाप का नशा उतार जाएगा.

मैं भी चिंता में डूब गयी क्यूंकी मैं अब अकेली थी. रात को डॅडी ने लार्ज विस्की के चार पेग लगा कर मस्त शराबी अंदाज़ से मम्मी को पानी देने और पैर दबाने के लिए पुकारा. मैं फटाफट आई और पानी का ग्लास दे कर बोली-

मैं: डॅडी जी, मम्मी नानी घर गयी है, उनकी तबीयत भी खराब है.

डॅडी ने जैसे ही मुझे देखा उनकी आँखों में हवस के कीड़े कुलबुलाने लगे.

वो बोले: तू अकेली क्या-क्या करेगी? चल पहले हम खाना खा लेते है.

मैं भी फटाफट खाना परोस के जाने लगी तो डॅडी ने कहा: बरखा तू भी खा ले.

मैने कहा: नही डॅडी, मैं भी मम्मी की तरह मीट नही खाती. मैं दूध से रोटी ख़ौँगी.

डॅडी बोले: तभी तू इतनी गोरी चित्ति है.

और हस्स पढ़े. मैं भी हल्का सा मुकुरा के चली आई. खाने पीने का काम करके रसोई बंद करके अपने रूम में जेया ही रही थी, की मम्मी आ गयी. उन्हे लगा की मैं अकेले कैसे सारे काम करूँगी. खैर थोड़ी देर बाद डॅडी ने पैर डबवाने के लिए मम्मी को आवाज़ मारी.

मम्मी ने मुझे आयेज धकेलते हुए कहा: तू जेया, मैने दवाई भी खानी है, और आज नींद की दवाई भी डबल लेनी है. डॉक्टर ने कहा है.

खैर दोस्तों मैं ही डॅडी के लिए पानी ले गयी. रूम के अंदर का माहौल बहुत सेक्सी था. पूरा कमरा शराब की गंध से और सेक्सी सॉंग से नशीला हो रहा था.

मेरे से डॅडी ने पूछा: मम्मी तो आ गयी तेरी. फिर क्यूँ नही आई?

मैने कहा: डॅडी उनकी तबीयत ठीक नही है, वो दवाई खा कर सो गयी है.

डॅडी ने सर हिलाया. फिर मुझे देखते हुए कहा: मेरे पैर दबा देगी?

मैने हा कहा. असल में डॅडी मुझे लगातार घूरे जेया रहे थे. मेरा बदन भी बहुत मस्त था. 5 फीट 7 इंच की हाइट, 36″ के बूब्स, और पतली कमर, किसी अप्सरा से कम नही थे. उनकी नज़र मेरे मम्मो पर टिकी हुई थी. वो लंबे लेट गये, और मुझे पैर दबाने के लिए कहा.

मैं चुप-छाप पैर दबा रही थी. डॅडी आ आ करते हुए और उपर और उपर करके मेरे हाथो को पकड़ कर जांघों तक ले आए. जांघों को ज़रा सा दबाते ही उनका लंड उनके ककचे को मानो फाड़ कर बाहर निकलना चाहता हो. तंबू के डंडे की तरह खड़ा हो गया लंड.

डॅडी थे भी आत्लीट. उपर से सर्विस भी वैसी. उनका काड्द-कठ बेहद मज़बूत था. 6 फीट के और तगड़े मज़बूत शरीर के थे. उनका लंड करीब 10 इंच का होगा. तंबू देख कर ये सॉफ पता चल रहा था. और मोटाई भी लंड की 5 इंच से ज़्यादा ही थी. मैं सिहर उठी, की हाए मैं ऐसा क्यूँ देख रही थी.

लेकिन डॅडी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपने उपर खींच लिया. इससे हुआ ये की मेरा हाथ सीधे उनके तँटानाए हुए लंड से टकराया. फिर उन्होने उस हाथ को पकड़ कर कहा-

डॅडी: इसको दबा.

मैं दर्र गयी थी, और वैसे ही दबाया. ह करते हुए उन्होने मुझे अपनी छाती से लिपटा के मेरे दोनो होंठो को कस्स-कस्स कर चूमा, और फिर चूसने लगे. उनके हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए मुझे बहुत ज़्यादा उत्तेजित कर रहे थे. उन्होने मेरा पूरा चेहरा चूम-चूम कर लाल कर दिया था.

उपर से कह रहे थे: बरखा आज मैं तेरी फुददी मारूँगा. ज़बरदस्त माल है तू तो. आ, क्या ग़ज़ब का तेरा बदन है.

और ये कहते हुए उन्होने मेरी कमीज़ उतार दी. मैने ब्लॅक ब्रा पहनी थी. उसमे मेरे बूब्स तंन के खड़े थे. डॅडी उन्हे देख कर इतने पागल हो गये की उन्होने हुक खोलने की ज़हमत नही उठाई. उन्होने ब्रा ही खींच कर फाड़ दी, और दोनो बूब्स पर टूट पड़े.

दोनो बूब्स को मेरे अपने चौड़े-चौड़े बड़े-बड़े पंजो में कस्स-कस्स कर पकड़ कर खूब मसल-मसल कर बहुत मज़े लिए. साथ में होंठो को लगातार चूस्टे जेया रहे थे.

अपने हाथ में उनके मोटे लंबे लंड को पकड़ते ही पुर बदन में मेरे करेंट सा दौड़ गया. मैं अपनी फुददी को जल्द से जल्द डॅडी से मरवाने के लिए तड़प उठी. डॅडी तब तक मुझे पूरी तरह नंगी कर चुके थे, और बिस्तर पर मुझे मेरी पीठ के बाल पूरा लिटा कर मेरे सामने पुर नंगे हुए.

उन्होने कहा: आज से तू बस मेरी है. और ये मेरा लंड सिर्फ़ तेरा.

ये कह कर मेरे उपर चढ़ गये. पूरी तरह दबोच लिया उन्होने मुझे. उन्होने अपने 100 क्ग के वज़न से मेरे 54 क्ग के शरीर को खूब मसालते हुए मेरे दोनो बूब्स को खूब मसला. साथ-साथ निपल्स को बारी-बारी बहुत चूसा.

मेरे दोनो पैरों को अची तरह खोल कर मेरी फुददी में अपने लंड के टोपे को फिट किया. फुददी मेरी इन सब से बिल्कुल गीली हो कर पानी छ्चोढ़ रही थी. फिर क्या था, यही मौका चाहिए था डॅडी को. उन्होने एक ही धक्के से आधा लंड मेरी फुददी में घुसेध दिया. दर्द से मेरा बुरा हाल हो गया. मैं मछली की तरह तड़पने लगी.

मैं: डॅडी प्लीज़ छ्चोढ़ दो. बहुत दर्द हो रहा है.

पर वो कहा मानने वाले थे.

वो बोले: ज़रा सबर कर, दर्द चला जाएगा और खूब मज़े मिलेंगे.

ये बोल कर एक और ज़ोरदार धक्के से पूरा 10″ का लंड मेरी कुवारि छूट में घुसेध दिया. दर्द से मैं बेहोश हो रही थी. लेकिन डॅडी ने ज़रा भी तरस नही खाया, और धक्के लगाने शुरू किए. एक-एक धक्के से मेरी छूट के चीथड़े उड़ने लगे. खून से लत-पाठ छूट हो गयी थी मेरी, लेकिन डॅडी ज़रा भी नही रुके.

उनके होंठ मेरे होंठो को चूस रहे थे. उनके दोनो हाथ मेरे दोनो चूचियों को खूब मसल-मसल कर दबा रहे थे. और उनका लंड मेरी फुददी को ज़बरदस्त छोड़ रहा था.

मैं नशे जैसी हालत में हो गयी थी. दर्द भी कम हो गया था. बस डॅडी मुझे बुरी तरह रौणदते हुए छोड़ रहे थे. अब मैं झड़ने वाली हो गयी थी. मैने उन्हे अपने साथ चिपका लिया. जैसे ही मैं झड़ने लगी, वैसे ही डॅडी के लंड ने तेज़ वीर्या की पिचकारी मेरी फुददी में डाल दी.

वो जो सुरसूराहट हो रही थी, उससे इतना सुख मिला की मैं मानो सारा दर्द ही भूल गयी. काफ़ी देर तक नंगे बदन हुए मेरे डॅडी मेरे नंगे बदन पर लेते रहे. उन्हे उमीद से परे सुख मिला था. थोड़ी देर में ही फिरसे डॅडी मेरे पुर नंगे बदन को देखते हुए बोले-

डॅडी: बरखा तू बहुत ही सुंदर है, और बहुत ही ज़बरदस्त माल है. मैं तेरी शादी किसी से नही करूँगा. तुझे डोर ले जेया कर तेरे से काई बच्चे पैदा करूँगा. एक दिन भी तुझे बिना छोड़े नही रहूँगा.

मैने कहा: डॅडी परेशन क्यूँ हो रहे हो? आपने ही मेरी सील तोड़ी है, और मुझे बहुत सुख भी दिया. मैं नही रह पौँगी आपके बिना अब.

ऐसी प्यार भारी बातों से हम दोनो फिर तैयार हो गये. इस बार मैने डॅडी को पूरा सहयोग दिया. उन्होने भी मेरे पुर बदन को उपर से नीचे तक और पीछे से आयेज से हर जगह से चूमा. फिर मेरे बूब्स को सहलाया और मसला. फिर कस्स-कस्स कर दबाया.

मुझे फिरसे चिट लिटा कर अपना लंबा मोटा लंड मेरे हाथ में थमा के बोले: बरखा रानी, अब तू खुद ही इसे डाल अपनी फुददी में.

मैं भी बहुत ज़्यादा कामुक हो गयी थी. मैने अपनी फुददी में डॅडी का लंड सेट किया, और दोनो बाहों से उनकी पीठ को जाकड़ते हुए उनके होंठो को चूमा. इससे वो इतने उत्तेजित हो गये की मेरे होंठो को बारी-बारी फिर एक साथ अपने होंठो में लेकर खूब चूसा. उन्होने मेरे मम्मो को तो नींबू की तरह निचोड़ा.

खूब मसालते हुए वो बोले: ले अब तेरी फुददी देख कितनी मस्त मारता हू.

ये बोल कर एक ज़ोरदार धक्के से लंड मेरी फुददी में घुसेध दिया. दबा कर डॅडी मेरी फुददी मार रहे थे. हम दोनो एक-दूसरे को मुस्कुराते हुए देख रहे थे. डॅडी ने एक सेकेंड के लिए भी मेरे बूब्स मसालने बंद नही किए थे. ना ही उनके धक्के.रुक रहे थे. फिर छोड़ते हुए डॅडी ने पूछा-

डॅडी: बरखा कैसा मज़ा मिल रहा है?

मैं बोली: बहुत मज़ा मिल रहा है.

डॅडी बोले: तू मेरे साथ हमेशा रहेगी?

मैने कहा: हा जी.

डॅडी बोले: अभी तू अपनी पढ़ाई पूरी कर.

मैं हर 15 दिन में 2 बार आ कर तुझे छोड़ जौंगा. और अगले महीने से मुझे 2 महीने की च्छुटी मिली है. उसमे बिना ब्रेक तेरी फुददी रोज़ मारूँगा. फिर कैसे करके तुझे अपने पास बुला कर 4 साल तक अपने साथ ही रखुगा, क्यूंकी मुझे 4 साल इन्स्ट्रक्टर की पोस्ट पे जबलपुर रहना है. तू तैयार है?

मैं नीचे से छूतदों को उछाल-उछाल कर छुड़वा रही थी. मेरे हा बोलते ही उन्होने ज़ोरदार धक्के से मेरी छूट के सीथड़े उड़ा दिए, पर क्या मज़े दिए दोस्तों बता नही सकती.

मैने कहा: आप डॅडी कोई प्रिकॉशन नही ले रहे. मैं प्रेग्नेंट हो गयी तो?

डॅडी बोले: चिंता ना कर, अभी गोली खिला दूँगा. फिलहाल बच्चा नही ठहरेगा.

ये बोलते ही उन्ह उन्ह आँह आँह करते हुए तेज़ स्पीड बढ़ा दी चुदाई की डॅडी ने. मेरी चीखे निकल रही थी, पर दर्द की नही खुशी की. क्या ज़बरदस्त मर्द है डॅडी. आह आह करते हुए मेरा पानी निकल गया. पर डॅडी तो रुकने का नाम ही नही ले रहे थे.

आख़िर में मेरा 3 बार पानी निकाल कर चौथी बार जब निकल रहा था, तब डॅडी ने कहा-

डॅडी: ले बरखा, तुझे बेटा दे रहा हू.

ये कहते हुए सारा वीर्या डाल दिया मेरी फुददी में. सुख की चरम सीमा मिलते ही मेरे दोनो हाथ डॅडी की पीठ को नोचते हुए गढ़ गये.

मैं: अहह, क्या मस्त मर्द हो आप डॅडी.

ये बोलते हुए मैने उन्हे चूमा ही था की डॅडी बोले: नही मैं तुझे एक रात भी बिना छोड़े नही रह सकता. कुछ करता हू.

ये कह कर फिरसे मेरे बूब्स को खूब मसालते हुए फिरसे मेरी फुददी को रग़ाद-रग़ाद कर फिर मारा. ऐसे पूरी रात से सुबा तक मुझे 4 बार छोड़ा.

अगली स्टोरी में बतौँगी की हम दोनो बाप बेटी ने क्या प्लान बनाया, और आज भी एक रात मुझे बिना छोड़े डॅडी नही रहते.

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