हवस से भारी मा के बेटे से चूड़ने की सेक्सी कहानी

दोस्तों इस कहानी का पहला पार्ट ज़रूर पढ़िएगा. उसमे आपको पता चल जाएगा मेरी मा की हवस के बारे में. खैर तब मैं कॉलेज में था जब मा ने पहली बार गैर मर्द से चुडवाई थी. मा को अब इसका चस्का लग गया था.

उसको इसमे मज़ा आने लगा था, च्छूप-च्छूप के किसी को बिना पता चले चूड़ने में. लेकिन उसको पता नही था, की उसके बेटे को सब पता था. मैं सब की खबर रख रहा था. मैने उनकी चुदाई की वीडियोस भी बना ली थी.

3 सालों में वो 2 नये लंड से चूड़ी, थी मुश्किल से. अगर हालात उनके हिसाब से होते, तो अब तक वो 30 नये लंड खा जाती. पर कॉलेज जाने के कारण मैं दोपहर को ज़्यादा देर घर पर रहता था. और शाम को जब तक बाहर जाता, पापा काम से आ जाते. सो उनको मौका ही नही मिलता था. वो एक भूखी शेरनी की तरह थी.

मैने काई बार उनको पापा को गरम करते हुए देखा है. लेकिन पापा को अब इस सब में इंटेरेस्ट नही था. पापा दुनिया भर के झंझट ख़तम करके घर सोने आते थे. और यहा बीवी पीछे पद जाती थी.

मा पापा से 8 साल छ्होटी थी. अभी उनकी जवानी उबाल रही थी. जो 2 नये लंड मा ने खाए थे, उनमे से एक मेरी डोर की मौसी का बेटा था. जो अपनी बीवी बच्चो को लेकर शहर घूमने आया था.

एक दिन मा ने दिमाग़ लगा कर मुझे और उसके बीवी बच्चो को घूमने भेजा था. मुझे शक तो हुआ था. फिर जब घर में आके मैने छुपाए हुए कॅमरा में देखा, तो मेरा शक यकीन में बदल गया. लेकिन दूसरे दिन वो जाने वाले थे वापस अपने गाओं.

और जो लास्ट वाला था, वो हमारी सोसाइटी का नेपाली वॉचमन था. वो काफ़ी हटता-कटता था. हम सबसे उपर रहते थे. एक दिन वो घर पर आया था शाम को पानी उपर चढ़ने. लेकिन वो चाबी नीचे भूल आया था.

सो मा हमारी चाबी लेके उसके साथ उपर गयी थी. मुझे नही पता वाहा क्या हुआ, लेकिन मुझे शक हुआ तो मैं दबे पावं जब टेरेस पर गया तो देखा मा नीचे से नंगी थी. वो कोने में बैठ कर मूट रही थी. और वो वॉचमन भी अपनी पंत पहन रहा था.

मैने देर कर दी थी उपर जाने में. शायद हो गया था उनका चुड के. वो जानता नही था, की मैं उसी का बेटा था, जिसको उसने छोड़ा था. मा ने उसको पहले जाने बोला, तो मैं वाहा से नीचे भाग के वापस उपर आने का नाटक कर रहा था.

तब उसने मुझे बातों में फसाया, और 10 मिनिट बाद वो चला गया. लेकिन शाम को जब मैने उसको बोला-

मैं: सेयेल उपर क्या कर रहा था? मैं जब उपर गया, तब वाहा म्र्स. मिश्रा भी थी. और तू उपर जाने से रोक रहा था.

वो बता नही रहा था. लेकिन जब मैने उसको दारू पिलाई, तब उसने सारी कहानी बता दी, की जब वो उपर गये थे, तब क्या हुआ था. अब टेरेस की स्टोरी वॉचमन के शाड़ो में.

टेरेस बहुत स्लिपरी हो गया था. में-साब मेरे आयेज चल रही थी. मैं उन पर फिसल गया, और मेरा हाथ उनके मम्मो पर पड़ा था. वो कुछ नही बोली तो मैने चान्स मारा, और माममे दबाने लगा.

फिर वो बोली: जल्दी कर जो भी करना है.

उन्होने पाजामा उतार के झुक कर गांद मेरे सामने कर दी. मेरा लंड खड़ा नही हुआ था ठीक से, तो उन्होने मूह मे लेके चूस-चूस कर खड़ा किया. फिर हमने चुदाई की.

और आप जब मिले तब वो उपर कपड़े पहन रही थी. उन्होने ही कहा था, की किसी को उपर मत आने देना. उस रात दारू के वजह से वॉचमन और सेक्रेटरी की बीवी में झगड़ा हुआ, और दूसरे दिन उसको निकाल दिया गया.

अब मैं तैयार था, दिमाग़ से भी, और तंन से भी. मेरी ग्रोत हो गयी थी. चौड़ा बदन हो गया था. लंड भी बड़ा हो गया था. बस अब ये सब मा की नज़र में लाना था. मुझे मालूम था अगर मैं सामने से दिखौँगा, तो सारा प्लान चौपट हो जाएगा.

इसलिए मैने बिल्डिंग में एक बुंगलन आंटी रहती थी, उसको दबोचा. फिर मैने उसके घर रात को आना-जाना शुरू किया च्छूप-च्छूप कर. सारी बिल्डिंग में ये बात फैल गयी थी. मा मुझसे बात कर रही थी पर सीधा नही.

उसका अलग ही किस्सा बन गया. मुझे अब मेरे लंड को फेमस करना था. तो एक दिन मैने मेरी नंगी फोटो खींची उसको छोड़ने से पहले तनने लंड के साथ, और उसके मोबाइल से बिल्डिंग की सारी आंटीस के ग्रूप पर डाल दी उसको बिना बताए.

अब मेरा तन्ना हुआ लंड मा की नज़रों में आ गया था. बस अब मुझे इंतेज़ार करना था मा के मेरे पास चल के आने का. उस दिन से उसको मिलना कम करना पड़ा, क्यूंकी उसके पति को शक हो गया था.

सारी औरतें अब मुझे ऐसे देखती थी, जैसे मुझे खा जाएँगी. अब तो मैं मेरी बिल्डिंग का इमरान हसमही और झोणनी सिन्स बन गया था. अब मुझे मा के स्वाभाव मैं बदलाव दिकने लगा था.

मैं जब सोया होता था, तब वो कमरे में आके मुझे टाडा करती थी. एक दिन मैं नहा रहा था, तो मुझे दरवाज़े के नीचे अंधेरा दिखा. ज़रूर कोई कीहोल से देख रहा था, और वो मा ही होंगी. इसीलिए मैने उस साइड मूड कर लंड को सहलाना चालू किया.

वो साया वही था जब तक मैं झाड़ नही गया. उसके बाद साया गायब हुआ वाहा से. अब उसी शाम को मा मेरे पास आई. मैं अपने कमरे में बैठा था. मा टेन्षन में दिख रही थी, लेकिन सब दिखावा था. और ये मुझे मालूम था.

मेरे पूछने पर वो चालू हो गयी दुखड़ा सुनने. मैने उनके एक-दूं करीब बैठा कर एक हाथ से उनके आँसू पोंछ रहा था. दूसरा हाथ मैने उनकी कमर पर रखा था. फिर मा ने मुझे गले लगा लिया कस्स के.

मैने भी मा को पकड़ा कस्स के. मा के बालों में मैने नाक घुसा के सूँघा. फिर मैं उनकी गर्दन पर किस करने लगा. अब मैने मा के हाथो को दबाना चालू किया. फिर मैं हाथो से पैरों पर गया. मा की निघट्य को उपर करके मैं उनके पैर दबाने लगा.

मा: आअहह बेटा, रहने दे. तू क्यूँ दबा रहा है पैर? आअहह, सस्सश, बहुत दीनो बाद ऐसी राहत मिली है.

अब मैं अपने हाथो से निघट्य उपर करके जाँघो तक लेके आया. मैं उनकी जांघों को सहला रहा था. मा लंबी साँसे ले रही थी, और उनकी पहनी हुई काली चड्डी सॉफ-सॉफ दिख रही थी.

पर मा कुछ बोल नही रही थी. मैने मा की आँखों में देखा. फिर मैने मा के गालों पर हाथ रख कर मा को अपनी तरफ खींचा. मा ने बिना देर करते हुए मेरा निचला होंठ पकड़ कर चूसना चालू कर दिया. हमने लगभग 10 मिनिट किस किया एक-दूसरे की बाहों में खो कर.

मेरा हाथ मा की पनटी पे चल रहा था. फिर मैं उठा, मा के पैर फैलाए, और जांघों को चूमना चालू किया. मा कुछ नही बोल रही थी. वो अपनी आँखें बंद करके मज़े ले रही थी, जैसे मैं उसका मर्द था, और बहुत दीनो बाद दोनो चूड़ने वाले थे.

मैने मा की काली पनटी को उपर से चाटना चालू किया. मा सिर्फ़ ह, सस्स्सस्स श अफ कर रहिी थी. मैने मा की पनटी उतरी, तो उसकी छूट के होंठ फूले हुए थे. जैसे ही मैने उसकी छूट पर जीभ फेरना चालू किया, मा ने हलचल चालू की. वो गांद उठा कर जीभ पर रग़ाद रही थी.

फिर मैने छूट के अंदर जीभ डाली. छूट गीली थी, और मैं उसका सारा पानी चाट गया. फिर 2 उंगलियों से दाने को सहलाने लगा. मा तो पागल हो गयी थी, और वो झाड़ गयी.

मैने कहा: मा आप परेशानी में हो ना? जब भी आपको मेरी मदद लगे आ जाना. मैं आपके लिए हमेशा हाज़िर हू.

उस दिन मैने मा को छोड़ा नही. बस मा के जाने के बाद जो हुआ उसको याद करके हिला के सो गया. दूसरे दिन सुबा मुझे लंड पर गीला-पन्न महसूस हुआ. आँखें खोली तो मा सुबा-सुबा लंड चूस रही थी. दोनो हाथो के साथ, गले के अंदर तक ले रही थी. उसने मेरे आँड भी चाट-चाट कर सॉफ कर दिए थे.

फिर वो मुझे बोली: उठो बेटा, सुबा हो गयी. मा को मॉर्निंग कहो.

मैं मा को अपनी तरफ खींच कर चूमने लगा, और बोला: मॉर्निंग मा.

अब हम दोनो शवर मैं गये. वाहा जाम के एक-दूसरे को गरम किया. फिर वैसे ही नंगे बाहर आए बिना बदन पोंछे, और बेड पर लेट कर चालू हो गये. मा लंड के उपर बैठ कर उछालने लगी. मैं मा की गांद पर और मम्मो पर फटके मार रहा था. मा को मज़ा आ रहा था.

अब मैने मा को वैसे ही गोद में पकड़ा, और उठा कर सामने वाले टेबल पर बिताया. फिर खड़े हो कर पूरा लंड अंदर-बाहर कर रहा था. मा तो चीखने लगी थी.

मा: आहह आहह और तेज़ डाल. पूरा अंदर डाल दे.

वो मुझे गांद से पकड़ पचा-पच छुड़वा रही थी. घर में पच-पच की आवाज़ आ रही थी. मा उंगली से छूट के दाने को मसल रही थी. मैं झड़ने वाला था, तो मा बोली-

मा: अंदर ही झाड़ दे बेटा.

मैने अंदर एक पिचकारी मार दी. थोड़ी देर बाद जब लंड बाहर निकाला, तब नालका चालू करने के बाद कैसे पानी आता है, वैसे गाढ़ा पानी धीरे-धीरे मा की छूट से बहने लगा.

मैने मा को बोला: मा आज से तुझे बाहर मूह मारने की ज़रूरत नही है. तुझे जब भी चूड़ने का मॅन हो, तेरे हक का लंड है ये. मा उतार के लंड को मूह में लेके सॉफ करने लगी.

फिर वो बोली: मुझे मालूम नही था, की मेरे घर में इतना बड़ा मोटा मस्त लंड है. वरना मैं बाहर कभी नही जाती.

उस दिन के बाद से मा और मैं काफ़ी बार चुदाई कर चुके है. यहा तक उस बंगलन ने हमे एक साथ चूड़ते हुए पकड़ा था. बिल्डिंग में सारी लॅडीस को ये बात मालूम है, पर कोई बोलता नही.

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