मैने उसकी ब्रा को बीच में से अलग करके फाड़ दिया, और उसके आज़ाद हुए चूचों को दोनो हाथो में भर लिया, और मसालने लगा. मैने उसका दाया चूचा अपने दांतो में दबा लिया, और उसको मसल डाला. फिर उसका बाया चूचा चूसा और दांतो से उसको काट लिया.
रूपा ने कहा: आ बस करो, मैं मॅर जौंगी.
ये कहते हुए रूपा ने मेरी पीठ में अपने नाख़ून गद्दा दिए, और मेरी पीठ में उनसे निशान बनाने लगी. मैने उसको साइड में 3 फुट चौड़ी बिस्तर नुमा बेंच पे बिताया, और उसकी लेगिंग फटत से नीचे खींच डाली.
उसने पीले रंग का त-तोंग पहना हुआ था. मैने उसको उठाया और अपनी टाँगो की बीच बेंच पे बिता लिया. फिर एक हाथ से उसके तोंग के उपर से ही उसकी छूट को रगड़ने लगा. मुझसे रहा नही जेया रहा था. पता नही मेरे अंदर का हैवान मुझसे क्या करा रहा था.
उपर से रूपा बाला की खूबसूरत लग रही थी, और वो पूरी नंगी मेरी बाहों में मुझसे चूड़ने को तैयार थी. मैने 2 उंगली उसकी छूट में घुसेध दी.
चुड़क्कड़ रूपा के च्छेद को बिना तकलीफ़ हुए उसने दोनो उंगली लेली. मैने उसको अंदर-बाहर रगड़ना चालू किया, और ढाका धक उंगलियाँ अंदर-बाहर करने लगा.
रूपा: छोड़ डालो मुझे आहह.
रूपा अब अपने होंठ काट रही थी, और मचल रही थी. वो अपने आपे से बाहर होती जेया रही थी, और मैं भी.
दोनो के बदन स्टीम रूम में पसीने से तार हो गये थे. और जो आग दोनो के सीने में लगी थी, उसका कोई हिसाब नही थी. मैने रूपा को खड़ा किया, और पलट कर अपनी गोदी में बिता लिया. और उसकी छूट के नीचे अपना तन्ना हुआ लॉडा रख दिया. वो बैठ गयी, और उसकी जांघों के अंदर मेरा लॉडा फास्टा चला गया.
उसकी छूट में शोले के तरह घुस कर उसके बदन में आग लगा दी. उसने मेरी पीठ नोच ली, और मैने उसके कंधे को दांतो से काट लिया. फिर शुरू हुई ढकधक चुदाई, और रूपा गुलबदन मेरी गोदी में उछाल-उछाल कर खुद को छुड़वाने लगी. कुछ देर बाद जब वो तक गयी, तो मैं खड़ा हुआ, और उसको दीवार से सत्ता दिया.
फिर उसकी टांगे हुए लिसलिसते बदन में मैने अपना लंड पागलों की तरह पेलना चालू कर दिया. 10 मिनिट तक मैं यू ही उसको दीवार के संग लगा कर छोड़ा. और फिर वो पस्त हो कर मेरे उपर लटक गयी. मैं उसको बाहों में भर कर बाहर ले आया.
मैं: तेरे जैसी चुड़क्कड़ छिनाल बड़ी मुश्किल से मिलती है. इतनी आसानी से तुझे नही जाने दूँगा.
मैं उसको स्पा रूम में ले गया, और मसाज बेड पर उसको लिटा दिया. उसके दोनो हाथ उपर करके टवल से बाँध दिए, और अपना मूह उसकी छूट में गद्दा दिया.
मैं अपनी जीभ से उसकी लटकती छूट को लपलप चूसने लगा. उसके दोनो हाथ बँधे थे, और उसने दोनो टांगे मेरी गर्दन के पीछे मोड़ रखी थी. मैं चुसाई धीरे-धीरे बधाई, और दोनो हाथो से उसके चूचे धार लिए.
मेरी चूसाम-चूसी इतनी तेज़ हो गयी थी, की रूपा की पीठ बीच-बीच में बिस्तर से उठ जाती. मैने खड़े होके अपना लॉडा फिर उसके चूतड़ पे पटक दिया.
रूपा: आह कबीर, मैं मॅर गयी. क्या छोड़ा है तूने मुझे. मज़ा आ गया.
मैं: अभी तो पार्टी शुरू हुई है.
मैने अपनी लॉडा उसकी छूट में दे डाला, और ढाका-धक उसको पेलने लगा. वा सब कुछ भुला चुकी थी. उसकी आँखें बाहर आने लगी. उसने इतना मोटा लंड इससे पी नही लिया था, और वो बिलबिला के चिल्लाए जेया रही थी. मैने उसके हाथ खोले, और उसको जिम में ले आया. मैने अपना लॉडा उसकी चूचियों में दे दिया, और उन्हे मसल-मसल के छोड़ने लगा.
फिर मैने उसके चूचों पर केला माश करके चिपका दिया, और फिर उन्हे बेहिसाब चूसने लगा. उसको कमर से उठा कर फिर पलट दिया, और घोड़ी बना दिया. मैने उसकी गांद में अपना टोपा चिपकाया, और धक से अंदर पेल दिया. वो काँप गयी. उसकी गांद पेलने में भी मुझे काफ़ी मज़ा आ रहा था.
रूपा की मोटी गांद क्या मस्त लग रही थी. मैं दबा-डब उसके मोटे छूतदों को अपने हाथो से मसल रहा था, और पुर ज़ोर से उसको धक्के मार रहा था. ऐसी घोड़ी ये शायद ही कभी अपनी ज़िंदगी में बनी होगी. और ऐसी प्यारी गांद कहा रोज़ देखने को मिलती है. यहा पर उसकी चीखे तेज़ होती जेया रही थी.
रूपा: कबीर तुम रोज़ ही मेरी गांद मार लिया करो. क्या मस्त छोड़ रहे तुम.
खाली जिम में नंगे बदन मत पे लिटा कर फिर मैने उसकी फैली हुई छूट में अपना लॉडा घुसेध दिया. ऐसे करीब आधे घंटा मैने उसकी बमपर चुदाई करी. उसकी छूट की बाहरी खाल जो की उसकी छूट पे मस्त जाच रही थी, मेरे लॉड से चिपक कर अंदर-बाहर होने लगी.
क्या बतौन हम दोनो उस वक़्त कितना एंजाय कर रहे थे. लगभग 10 मिनिट बाद मैं झड़ने लगा, तो मैने अपना सारा वीरया उसके चूचों पे छ्चोढ़ दिया. फिर तक कर हम दोनो वही लेट गये.
रूपा: कितने समय बाद ऐसी चुदाई हुई है. तुम जानवर हो. मुझे बहुत मज़ा आया. हम लोग ऐसा फिर करेंगे.
मैं: अबकी बार मेरे फ्लॅट पे. मखमली गद्दो में. मसल-मसल के छोड़ूँगा तुझे.
हमारे शरीर ने दूं छ्चोढ़ दिया था, पर आग अभी भी शांत नही हुई थी.
दोस्तों रूपा जैसी छूट मैने भी कभी नही छोड़ी थी. इतने दीनो की मेहनत सफल हुई. ऐसी चुड़क्कड़ महिला की छूट मिल जाए तो मज़ा ही आ जाता है. इसके बाद मैने रूपा को काई बार छोड़ा. कभी उसके घर पे, कभी मेरे घर पे. तो कभी जिम में ही.
ये समझ लीजिए जहा मौका मिल जाए. उसने अपना टाइम जिम बंद होने के वक़्त का रख लिया. अब तो हम लोग रात में भी बमपर चुदाई करते थे.
वो अक्सर सनडे को उत्तेजित करने वाले कपड़े पहन कर आती थी, और मैं उसको फिरसे चुड़क्कड़ बना देता था.
हमने काई न्यू पोज़िशन्स भी ट्राइ की. ये सिलसिला अभी तक चल रहा है, और रूपा आए दिन अपनी मोटी रसीली गांद और छूट मुझसे छुड़वाने को तैयार रहती है.
कहानी कैसी लगी ये बताने के लिए मुझे एमाइल करिए.