कुछ देर मैं घुटनों के बल बैठकर पीछे से उनकी चूत का नमकीन पानी पीता रहा. फिर खड़े होकर अपनी नई माल वैदेही को चोदने लगा. दोस्तों, इस तरह के आसन को ऊंटासन कहते है. मैंने वैदेही को जोर जोर से खड़े होकर पीछे से चोद रहा था. जबकि वो पीटी करने वाली मुद्रा में नीचे झुकी हुई थी. इस तरह से वैदेही को चोदने में दुगुना मजा मिल रहा था. मैंने बड़ी देर तक उस कुतिया को चोदता रहा. फिर मैंने उसकी से लंड निकाल लिया और जोर जोर से ऊँगली करने लगा. कुछ सेकंड बाद वैदेही की चूत किसी रंडी की बुर की तरह पानी के झरने जोर जोर से छोड़ने लगा. सारा पानी मेरे मुँह पर पड़ रहा था, क्यूंकि मैं उस कीमती झरने के पानी को वेस्ट नही करना चाहता था. मैंने सारा वैदेही की चूत का पानी मुँह में भरके पी लिया. मेरा पूरा चेहरे उसके झरने के पानी से भीग गया था.
कुछ देर बाद मैंने फिर से उसको नीचे झुका दिया पीटी वाले पोज में और फिर से लंड अंदर डाल दिया. मैं फिरसे उसे चोदने लगा. वैदेही देसी रंडियों की तरह जोर जोर से चिल्लाने लगी. उसकी चीखे मुझे और जोर जोर उसे लेने को विवश कर रही थी. वैदेही ने झुके झुके ही मेरे दोनों पैर पकड़ लिए. जिससे उसकी चूत और जादा कसी होने लगी और मैं जोर जोर से उसे पेलकर जिन्दगी के सुख लेने लगा. कुछ देर बाद मैंने लौड़ा उसकी बुर से निकाल लिया और वैदेही की गांड में ऊँगली डाल दी. दोस्तों, वो सिसक गयी.
“लाला जी !! ये क्या कर रहे है???’ वैदेही बोली
“तेरी गांड मारूंगा और क्या..” मैंने कहा
“नही.प्लीस ऐसा मत करिये. मैंने आपने इतना चुदवाया है. आपको इतना मजा दिया है. प्लीस लाल जी ऐसा मत करिए” वैदेही बोली.
“अरे पगली !! तू बड़ी नादान है. गांड मराने में तो और भी मजा मिलता है. तू बस देखती जा !!” मैंने कहा. दोस्तों, मैंने अपनी ऊँगली में थोडा थूक ले लिया और बैदेही की गांड में ऊँगली करने लगा. उसको इतना मजा मिलने लगा की वो कुछ अपनी चूत जल्दी जल्दी सहलाने लगी. फिर मैंने अपना मोटा खीरे जैसा लंड वैदेही की गांड में डाल दिया. माशाअल्ला, उस छिनाल की गांड तो बिलकुल कुवारी थी. मैंने उसे उसी तरह पीटी वाले पोस में झुकाए रखा और खड़े होकर उसकी बहनचोद गांड की गांड मारने लगा. कुछ देर बाद जब जल्दी जल्दी मैं लंड उनके अंदर चलाने लगा तो वैदेही पापा पापा करके चिललाने लगी.
पापा पापा नही !! लंड लंड करो मेरी कबूतरी !! मैंने उपहास किया. उसने मुझे बाद में बताया की ऊंटासन में उसे लंड ४ जगह महसूस हो रहा था. चूत में , पेट में, आँखों में और दिमाग में. तो दोस्तों इस तरह ने मैं अपनी पुरानी माल आलिया की बहन को लेने लगा. कुछ देर बाद मेरा माल उसकी गांड के कसे छेद में छूट गया. दोस्तों, आज भी मैं अपनी पुरानी माल आलिया को तो ठोकता ही हूँ छुप छुपकर उसकी फूल जैसी बहन वैदेही को भी लेता हूँ.