गर्लफ्रेंड की भाभी को अपनी रॅंड बनाया

हेलो दोस्तों, मेरा नामे विशाल अग्ग्रवाल है. मैं जाईपुर का रहने वाला हू. मेरी आगे 28 है. हॅंडसम और गुड लुकिंग हू. बॉडी शेप नॉर्मल है, बुत लड़कियाँ और भाभियाँ काफ़ी फिदा हो जाती है जिस भी फंक्षन में जाता हू. इसलिए मेरी काई फीमेल फ्रेंड्स रही है.

हा एक थी, जिससे मुझे प्यार हुआ. लगता था सारी दुनिया वो ही थी. बुत जब उसने धोखा दिया तो मैं टूट गया. और अब मैं किसी से दिल नही लगता. मैने काई सेक्स कहानियाँ पढ़ी है, जिसमे मों-सोन, आंटी, भाभी, मौसी, मामी या चाची के बारे में बताया जाता है.

मैं ऐसा नही हू. हालाकी मेरी कज़िन भाभी मेरे पीछे पड़ती है, और मुझपे ट्राइ मार्टी है. बुत मैं रिलेशन्षिप नही करता. क्यूंकी ज़रा सी बात ओपन होने पर दोनो की लाइफ खराब हो जाती है. तो आइए ज़्यादा समय ना लेते हुए कहानी की और आते है.

इस कहानी का हीरो मैं हू, और हेरोयिन है किरण (नामे प्राइवसी के कारण चेंज्ड है). ये कहानी तब स्टार्ट हुई, जब मेरी गफ़( आरती) ने मुझे धोखा दिया और किसी अमीर लड़के को पत्ता के भाग गयी. मैं टूट गया था, और दिन-रात रोता था. मेरी स्टडी डिस्टर्ब हुई. लड़की वालो के भी समाज को लेकर मातम जैसा माहौल था.

हालाकी मुझे उसकी सारी फॅमिली जानती थी, ब’कॉज़ मेरे दाद और उसके दाद बचपन के दोस्त थे, और हम लोगों का फॅमिली जैसा रीलेशन था. इसलिए मेरा और उनकी फॅमिली का आना-जाना था. दीपावली का टाइम था. दाद ने मुझे शॉपिंग के लिए पैसे दिए.

बुत मेरा मॅन नही था शॉपिंग का. सो मैने नही की धनतेरस पे. जब ये बात दाद को जब पता चली, तो उन्होने कसम देकर शॉपिंग के लिए भेजा. मेरे यहा से सिटी का रास्ता करीबन 45 मिनिट का था.

तो मैने बस पकड़ी. दीपावली के कारण बस में काफ़ी भीड़ थी. सही से खड़े होने की भी जगह नही थी. तो मैने जगह बना कर एक सीट ले ली. अभी सफ़र करे 10 मिनिट ही हुए थे, की बस में आरती की भाभी किरण दिखाई दी. उनको देखते ही मेरी सारी यादें ताज़ा हो गयी. पहले तो मैने मूह फेर लिया, ब’कॉज़ उन लोगों से मैं अब बिल्कुल भी ताल्लुक नही रखना चाहता था.

बुत मैने देखा की कुछ बाय्स उन्हे तंग कर रहे थे. उनको काफ़ी परेशानी हुई. किरण भाभी बहुत ही कामुक है. अची कर्वी बॉडी है, आगे 30 है, और दूध सा गोरा बदन है. मैने उनको हेलो किया वो मुझे देख कर बहुत खुश हुई. फिर मैने उनको सीट दे दी, की आप बैठ जाओ. वो उस पर बैठ गयी आंड हमारी नॉर्मल बात हुई.

तभी एक स्टॉप आया, और और भीड़ चढ़ गयी. तो मुझे तकलीफ़ हो रही थी. भाभी ने मुझे उनकी आधी सीट की जगह दी, और बैठने को बोला. पहले तो मैने माना किया, लेकिन उनके बार-बार कहने पर मैं बैठ गया. तब भाभी बोली-

किरण: क्या आरती के साथ हम लोगों से भी नाराज़ हो? घर ही नही आते.

मैं: नही भाभी, ऐसा नही है. वो मैं…

किरण: क्या वो ही सब कुछ है? हमारी फॅमिली कुछ भी नही आपके लिए?

मैं: भाभी है, बुत वाहा जाने से उसकी याद ताज़ा हो जाएगी ( और मेरी आँखें भर आई).

भाभी भी उदास हो गयी, आंड उन्होने अपने रुमाल से मेरे आँसू पोंछे. तभी एक डॉग गाड़ी के आयेज आ गया और बस वाले ने एक-दूं ब्रेक मारी, तो एक झटका लगा. तभी खुद को संभालने के चक्कर में मेरे हाथ भाभी की जाँघ पर जेया लगे, और भाभी के मूह से आ निकली.

मैं: सॉरी भाभी ( मैं खड़ा हो जाता हू ).

तभी भाभी ने मुझे हाथ पकड़ के रोक दिया-

भाभी: बैठे रहो.

अब मुझे भाभी का टच अछा लगने लगा था. सो मैं चुप-छाप बैठ गया, और बात करने लगा. उन्होने बताया की वो शॉपिंग करने जेया रही थी. आंड पता नही क्यूँ मेरे मॅन में भाभी की जाँघ को फिरसे छूने का मॅन हो रहा था. तो बात करते-करते मैने हिम्मत करके वापस जाँघ पर हाथ रखा.

भाभी कुछ नही बोली. उनको लगा की जगह कम थी, इसलिए लगा. जब ब्रेक लगती, तो मैं तोड़ा दबा देता. शायद भाभी को भी एहसास हो चुका था. देन हमारा स्टॉप आया, और हम उतार गये, और वाहा से अलग हुए. आज पता नही क्यूँ बुत मुझे अछा लगा.

मैने शॉपिंग की, और अपने लिए लोंग बूट्स, जीन्स, शर्ट्स, खरीदी. काफ़ी टाइम लग गया कॉज़ मार्केट पूरा भरा था. फिर मैने एक शॉप पर गोल-गप्पे खाने का सोचा. अभी मैने दो ही खाए थे, की पीछे आवाज़ आई, “अकेले-अकेले”. मैं चौंक गया. पीछे मूड कर देखा तो भाभी थी.

मैं: श भाभी आप. आइए ना.

भाभी मुस्कराय, और हमने साथ में गोल-गप्पे खाए. फिर हम साथ में बस मैं चढ़े, और पास-पास की सीट पर बैठ गये. अब भाभी भी कंफर्टबल हो कर मुझसे सतत गयी. मैं मोबाइल पर इंस्टाग्राम चलता रहा. फिर हममे थोड़ी बात-चीत हुई, और अपने-अपने स्टॉप पर उतार गये.

घर आ कर सब को ड्रेस दिखाई. वो सब को पसंद आई. बुत मैने ना-जाने क्यूँ भाभी वाली बात घर वालो से च्छुपाई. रात को मेरा मॅन नही लग रहा था, तो मैं रील देखने लग गया. तभी एक रील आई जिसमे आरती और उसका हब्बी था. तो मेरा मूड ऑफ गया. मुझे मॅन ही मॅन रोना आ रहा था की तभी एक अननोन ईद से मेसेज आया.

मैने पूछा: कों?

ईद: अछा बचु, इतना जल्दी भूल गये?

मैं: कों है, यार दिमाग़ खराब हो रहा है पहले से ही.

ईद: साद एमोजी.

मैं: सॉरी, तोड़ा अपसेट था. प्लीज़ बताए आप कों हो?

ईद: जिसको आपने गोल-गप्पे खिलाए थे (और गुस्से वाला एमोजी भेजा)

मैं: ऑम्ग भाभी आप. सॉरी, रियली सॉरी. वो, वो आरती.

भाभी: हा-हा आरती ही है सब कुछ.

कॉल आया फिर उनका.

भाभी: क्या यार, कब तक याद करोगे? ज़िंदगी में आयेज बढ़ो. आचे दोस्त बनाओ. इतने हॅंडसम हो. कितनी लड़कियाँ और भा…

इतना कहते हुए वो रुक गयी.

मैं: भा… मतलब?

भाभी: कुछ नही.

मैं: बताओ ना.

भाभी: भाभी और कों.

मैं खुश अपनी तारीफ सुन कर.

मैं: भाभी एक बात काहु?

भाभी: हा कहो.

मैं: क्या हम दोस्त बन सकते है?

कॉज़ मैं आरती को जलना चाहता था.

भाभी: सिर्फ़ दोस्त, इससे आयेज कुछ नही.

मैं: ओक.

ऐसे हमारी बातें होती रही. दीपावली हमारी आचे से गुज़री. हम दोनो ने एक-दूसरे को विश किया. दीपावली के अगले दिन मैं उनके घर गया, आंटी अंकल के पैर च्छुए. फिर भैया-भाभी के बारे में पूछा तो आंटी ने बताया की भैया 10 दिन के तौर पर बंगलोरे गये थे कंपनी के काम से. और भाभी उपर थी.

जब मैं उपर गया और बिना नॉक किए अंदर घुस गया, तो भाभी ब्रा पनटी में थी, और पेटिकोट पहन रही थी. मैं उनके गोरे जिस्म को देखता रह गया. भाभी भी मुझे देख कर शॉक हो गयी, और मैं नीचे आ गया.

थोड़ी देर बाद भाभी नीचे आई और दीपावली विश की. उन्होने नाश्ता दिया. बुत हम दोनो नज़रे चुरा रहे थे. मैं घर वापस आ गया. शाम को मोबाइल देखा तो भाभी की कॉल्स और मेसेजस आए थे.

भाभी: कहा हो? ही, हेलो.

मैं: ही भाभी.

भाभी: कहा बिज़ी हो?

मैं: बस भाभी मार्केट गया था.

भाभी: अछा एक बात काहु?

मैं (डरते हुए): हा कहो भाभी.

भाभी: आप बड़े भेशरम हो. गाते पर नॉक नही कर सकते थे क्या?

मैं: सॉरी भाभी, मुझे पता नही था की आप.

भाभी: आप क्या?

मैं: कुछ नही.

भाभी: बोलो भी.

मैं: आप ब्रा पनटी में हो.

भाभी: ऑम्ग बदतमीज़!

मैं: सॉरी (और स्मीली भेजा).

भाभी: साद एमोजी.

मैं: भाभी घबराव नही. ये बात हम दोनो तक रहेगी. भाभी रिलॅक्स हुई

मैं: एक बात काहु?

भाभी: हा.

मैं: आप तो अप्सरा हो. आज सच में जन्नत की डेदार हो गये.

भाभी: आरती को बतौ, ऐसे प्यार करते हो?

मैं (चौंकते हुए): नही मूह से निकल गया (मैं एक-दूं दर्र गया था की ये क्या कर दिया)

भाभी (स्माइली): दर्र गये बच्चू. चले थे डोरे डालने.

मैं: सॉरी यार.

भाभी: अछा और क्या अछा लगा?

मैं: कुछ नही.

भाभी: बताओ, नही कहूँगी किसी से.

मैं: आपका सब कुछ. आपकी कमर, बॅक, और बूब्स ( एक साँस में कह दिया की जो होगा देखा जाएगा).

भाभी: अछा. गुड बाइ.

मैं: ओक बाइ.

इस तरह हमारा हस्सी-मज़ाक होता रहा. एक बार रात को 1:30 बजे भाभी का कॉल आया-

भाभी: ससुर जी की तबीयत खराब हो गयी है. अभी हब्बी भी नही है. आप जल्दी से आ जाओ.

मैने गाड़ी ली, और चला गया. अंकल बहुत हाँफ रहे थे. मैं, आंटी, और अंकल हॉस्पिटल गये. वाहा उनको अड्मिट कर लिया. 5 बजे तक वाहा रुका. मैं आंटी के साथ रहा. भाभी मेसेज पर बात कार रही थी. मैने बताया अब सब ठीक था.

मैं: भाभी अपने ही अपनो के काम आते है.

भाभी: मैं ये एहसान कभी नही भूलूंगी.

मैं: इट’स ओक.

9 बजे आंटी ने घर भेजा की घर जेया कर फ्रेश हो लू, और खाना लेकर अओ. मैं भाभी के घर पहुचा. मैने नॉक किया. भाभी ने गाते खोला.

भाभी: अब कैसे है पापा जी?

मैं: ठीक है. मैं फ्रेश हो लेता हू. जब तक आप नाश्ता रेडी कीजिए.

भाभी: ओक.

मैं बातरूम में गया. वाहा भाभी की पनटी लटकी थी, जिसे देख कर मेरा मॅन दोल गया. मैने वो पनटी उठाई और छूट वाली जगह को सूँघा. ऑम्ग, सूंघते ही मदहोश हो गया. आंड लंड हिलने लग गया. तभी एक-दूं चिल्लाने की आवाज़ आई.

भाभी: ये क्या कर रहे हो? दिमाग़ खराब है तुम्हारा?

मैं दर्र गया और भाभी ने एक तमाचा लगा दिया, और पनटी चीन ली. मैने सॉरी कहा और रोने लगा. भाभी मुझे रोता देख एक-दूं मुस्कुराने लगी. तब मुझमे हिम्मत आई और भाभी से नंगा ही जेया कर लिपट गया.

मैं: भाभी मैं आपको छोड़ना चाहता हू. प्लीज़ मान जाओ.

भाभी: तुम ऐसे निकलोगे, मुझे पता नही था.

मैने उनको किस किया, और दोनो के होंठ मिल गये. भाभी मुझसे च्चूधने का ट्राइ कर रही थी. बुत मैने नही छ्चोढा, और उनकी कमर और गांद को दबाने लग गया. अब भाभी ने पकड़ ढीली की. तब मैने अपना किस तोड़ा.

भाभी: पहले जेया और गाते बंद कर. नही तो कोई तेरे जैसे बिना नॉक करे आ जाएगा (मुस्कुराते हुए).

मैने गाते बंद किया, और जेया कर भाभी को हॉल में किस करने लग गया.

भाबी: अगर जनाब की इजाज़त हो तो बेडरूम में चले?

मैं: ओक जान.

मैने भाभी को उठाया, और अंदर ले जेया कर बेडरूम पर लिटा दिया. और देखने लगा.

भाभी: क्या देख रहे हो?

मैं: आपकी जवानी.

भाबी: अछा जल मत जाना ( मुस्कुराते हुए).

मैं भाभी पर लेट गया, और किस करने लगा. धीरे-धीरे हाथ नीचे ले जाने लगा. जहा छूट होती है वाहा ले जेया कर हथेली दबाई.

भाभी: उई मा, क्या करते हो?

मैने अब भाभी का ब्लाउस खोला, और भाभी ने ब्रा खोल दी. उनके गोरे, भरे हुए बूब्स पर पिंक निपल थे. मैं उन्हे दबा दबा कर पीने लगा. धीरे-धीरे मैने भाभी का पेटिकोट और पनटी खोल दी. भाभी की छूट देखी तो बिल्कुल पिंक थी, जैसे फॉरिनर की होती है. मैं वैसे ही चाटने लगा.

भाभी: क्या कर रहा है कुत्ते?

मैं: रुक साली.

मैं चाट-ता रहा, जब तक भाभी झाड़ नही गयी. फिर मैने अपना लोवर निकाला, और अंडरवेर निकाला. भाभी मेरा लंड देख चौंक गयी.

भाभी: ऑम्ग!

मैं: क्या हुआ?

भाभी: इतना मोटा.

मैं: क्या हुआ, पसंद नही आया?

भाभी: बहुत. बाकी पर्फॉर्मेन्स पर डिपेंड करता है.

मैं: अछा.

मैं: चूसो ना.

भाभी: मुझे अछा नही लगता.

मैं: भाभी प्लीज़.

भाभी बहुत मानने पर मानी. शायद मुझे तडपा रही थी. फिर भाभी चूसने लगी. ऑम्ग, क्या फील था.

भाभी: अछा बस हुआ.

मैं: फिर अब क्या?

भाभी: मुझे गुस्से से देखने लगी: क्या मतलब?

मैं: डाल डू?

भाभी: और नही तो क्या हिला कर निकलोगे?

मैं: भाभी कॉंडम?

भाभी ने आल्मिराह से भैया का लाया हुआ कॉंडम निकाला, और पहनाया. फिर भाभी लेट गयी. मैं दोनो टाँगो को चौड़ा करके उनके बीच आया, और भाभी की छूट पर लंड रगड़ने लगा. भाभी तड़पने लगी.

भाभी: अब डाल भी दो. तुम्हे आरती की कसम.

मैं: उस म्सी का नाम मत लो अभी.

और एक ज़ोर से झटका मारम

भाभी: उउउइ मम्मी फाड़ दी. कुत्ते धीरे डाल कमीने उफफफफ्फ़.

मैं: क्या हुआ? (एक धक्का लगते हुए)

भाभी: आह, धीरे कर ना आह.

मैं: अछा कितना धीरे (ज़ोर से धक्का लगाया)?

भाभी: आह.

मैं भाभी को किस किया. थोड़ी देर बाद भाभी को अछा फील हुआ. फिर भाभी भी मेरी ताल से ताल मिलने लगी. भाभी और मैं पसीने-पसीने हो गये थे. काफ़ी टाइम तक ये खेल चला.

भाभी: आह, और कितना करेगा अफ? दो बार झाड़ चुकी हू. अब तीसरी बार नही.

मैं: बस होने वाला है भाभी जान.

भाभी: मार डाला यार, उफ़फ्फ़ बस कर.

मैं: भाभी आने वाला हू, कहा अओ?

भाभी: कॉंडम पहना है. तेरी मर्ज़ी हो वाहा

निकाल दे.

फिर हम दोनो साथ झाड़ गये. थोड़ी देर हम लेते रहे. फिर उठ कर वॉशरूम सॉफ करने गया.

मैं: भाभी कैसा लगा?

भाभी: भाभी के बच्चे, हालत खराब कर दी.

मैं हासणे लगा और भाभी भी. फिर भाभी ने तिफ्फ़िं रेडी किया, और मैं हॉस्पिटल देने गया. तब से लेकर दो साल तक ये चला. अब आरती भी मा बन गयी थी, और यहा से मेरे सफ़र का स्टार्ट हुआ.

तब से लेकर आज तक काई भाभियों के साथ किया है, लेकिन पूरी सेफ्टी के साथ. अब वो फॅमिली यहा से बंगलोरे शिफ्ट हो गयी. उनकी बहुत याद आती है. तब से लेकर आज तक काई अमीर फीमेल्स के साथ कर चुका हू. और सभी अपनी लाइफ पूरी इज़्ज़त के साथ जी रही है. किसी को कानो-कान तक भनक नही.

कैसी लगी स्टोरी बताना.

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