घर से लेके गाओं तक मम्मी के रोमॅन्स की

हेलो दोस्तों, मैं आपका दोस्त मनीष आप सभी का मेरी मम्मी की इस तीसरी सेक्स कहानी में स्वागत करता हू. तो दोस्तों जैसा आपने पहले दोनो पार्ट में पढ़ा की टॉ जी इलाज के लिए शहर आए थे, और हमारे घर रुके हुए थे. टॉ जी की सर्जरी हुई थी, और फिसियोतेरपी भी चल रही थी.

रात को पापा फिसियोतेरपी में मदद करते और दिन में जब पापा ऑफीस जाते, तो पापा ने मम्मी को टॉ जी की मदद करने को कहा था.

जैसा आपने पार्ट 2 में पढ़ा, की मम्मी टॉ जी की बातों से इंप्रेस तो हो ही गयी थी, और एक दिन चलते वक़्त जब मम्मी टॉ जी को सहारा दे रही थी. तभी टॉ जी ने जान-बूझ कर बॅलेन्स बिगड़ने का नाटक किया, और गिरने के बहाने मम्मी के गरम शरीर को हाथ लगाया.

टॉ जी के मर्दाना शरीर से स्पर्श होने के बाद मम्मी का टॉ जी के प्रति रवैया बदल गया, और टॉ जी ने अपनी मीठी मीठी बातों से मम्मी को पता लिया.

हेलो फ्रेंड्स तो जैसा की आपने लास्ट पार्ट में पढ़ा की टॉ जी का पैर ठीक हो गया था. इसलिए टॉ जी अब अपने गाओं वापस जाने वाले थे. मुझे लगा मम्मी ये बात सुन कर नाराज़ होंगी, लेकिन मम्मी खुश नज़र आ रही थी, और टॉ जी भी खुश नज़र आ रहे थे. पता नही उन दोनो का क्या प्लान था.

अगली सुबह मम्मी पापा से कहने लगी: अभी-अभी जेठ जी का पैर ठीक हो गया है, और अब वो अचानक गाओं में काम करने जेया रहे है. क्या गाओं में उनका ध्यान रखने वाला भी कोई है? अगर उनकी पत्नी होती तो उनका ज़रूर ध्यान रखती. लेकिन वो तो बेचारे अकेले है. मैं सोच रही हू की मैं और मनीष 15-20 दीनो के लिए जेठ जी के साथ गाओं चले जाए, और उनका ध्यान रखे.

पापा को भी मम्मी की बात ठीक लगी, इसलिए उन्होने भी मम्मी को हा कहा. मैं सब बातें सुन रहा था. पापा के मूह से हा सुनते ही मम्मी के चेहरे पर बहुत अची स्माइल दिखाई दे रही थी. उन्होने ये बात जब टॉ जी को जेया कर बताई, तो टॉ जी ये बात सुन कर बाहर आए, और पापा से कहने लगे-

टॉ जी: बहू को भेजने की कोई ज़रूरत नही है. मैं रख लूँगा अपना ध्यान खुद.

लेकिन मम्मी ने पापा के दिमाग़ में जो दर्र बिताया, उसकी वजह से पापा ने टॉ जी से कहा-

पापा: रजनी ठीक कह रही है.

आप उसे आपके साथ लेकर जाइए.

तो टॉ जी ने भी कहा: ठीक है.

और वो मम्मी को देख कर आँख मार के मुस्कुराए. अब मुझे मम्मी और टॉ जी का ये प्लान समझ में आया.

दोनो बहुत खुश नज़र आ रहे थे. उसी दिन मम्मी ने अपनी सारी अची-अची नाइटीस, ब्रास पॅंटीस, और डिज़ाइनर सरीस पॅक करके रख दी. टॉ जी ने भी मेरे साथ चल कर अपने बालों को कलर करवाया, और अपने लिए कुछ त-शर्ट्स खरीदी.

हेर कलर करने के बाद टॉ जी और जवान नज़र आ रहे थे. पापा होने के कारण मम्मी ने उनको देख कर आचे लग रहे हो ऐसा इशारा किया. अगली सुबह मैं, टॉ जी, और मम्मी बस से टॉ जी के गाओं के लिए रवाना हो गये. पापा हम को छ्चोढने बस तक आए थे.

जब तक पापा बस के पास थे, तब तक मम्मी ने सर पर पल्लू रखा था. फिर जैसे ही बस थोड़ी डोर गयी, मम्मी ने अपना पल्लू नीचे किया. मम्मी विंडो सीट पर बैठी थी. मैं बीच में बैठा था, और टॉ जी एक बाजू में बैठे थे. तभी मुझसे टॉ जी कहने लगे-

टॉ जी: बेटा बाहर देखो कितना अछा नज़ारा है. एक काम करो, तुम विंडो सीट पर बैठो, और रजनी को बीच में बिताओ. मैने भी हा कहा और विंडो के पास बैठ गया. टॉ जी ने मम्मी के पीछे से हाथ डाल कर अपना हाथ मम्मी के कंधे पर रख दिया, और दूसरे हाथ में मम्मी का हाथ लेकर मम्मी से बातें करने लगे.

दोनो को देख कर ऐसा लग रहा था की वो दोनो पति-पत्नी ही थे, और मैं उनका बेटा. दोनो एक-दूसरे के साथ बहुत खुश नज़र आ रहे थे. थोड़ी देर बाद बस एक होटेल पर रुकी. सब पॅसेंजर छाई पीने नीचे उतरे.

टॉ जी ने मुझसे कहा: बेटा तुम भी नीचे जेया कर एक पानी की बॉटल लेकर आओ.

मैं टॉ जी का प्लान समझ गया. लेकिन अंजान बन कर नीचे चला गया. अब बस में सिर्फ़ टॉ जी और मम्मी थे. थोड़ी देर बाद जब मैं बस में वापस आ गया, और देखा, तो टॉ जी और मम्मी एक-दूसरे से लिपट कर एक-दूसरे को ऐसे किस कर रहे थे, की एक-दूसरे के होंठो का रस्स पी रहे हो.

जैसे ही मेरी आने की भनक लगी, तो मम्मी ने टॉ जी को तोड़ा डोर किया. मैं भी ऐसा दिखा रहा था, की मुझे कुछ समझ नही आया, और मैने उनका किस्सिंग सीन नही देखा. लेकिन टॉ जी के होंठो पर मम्मी की लिपस्टिक का निशान उन दोनो के प्यार का सबूत दे रहा था.

तो जब थोड़ी देर बाद मम्मी ने टॉ जी के होंठो पर अपनी लिपस्टिक का निशान पाया, तो उन्होने उनके रुमाल से टॉ जी के होंठो पर लगी हुई लिपस्टिक पोंछ दी. टॉ जी मम्मी को ऐसा करते देख कर मुस्कुरा रहे थे, और मम्मी शर्मा कर उनकी मुस्कुराहट का जवाब दे रही थी.

थोड़ी देर बाद हम टॉ जी के गाओं पहुँच गये. बस से उतरते ही टॉ जी का लड़का हमे लेने आया था. टॉ जी ने उसके हाथो में बाग थमा दिया, और मुझे उसके साथ आयेज चलने को कहा. टॉ जी और मम्मी हमारे पीछे आ रहे थे. कक़ची सड़क थी, इसलिए मम्मी को चलने में तकलीफ़ हो रही थी. ऐसा बहाना देकर टॉ जी मम्मी के हाथो में हाथ डाल कर चल रहे थे.

बाहर बैठे कुछ गाओं के लोग मम्मी और टॉ जी को देख रहे थे. लेकिन टॉ जी को कुछ फराक नही पद रहा था. उन्होने अभी भी मम्मी का हाथ नही छ्चोढा. लेकिन मम्मी तोड़ा शर्मा रही थी. शायद मम्मी सोच रही थी की गाओं के लोग उनके बारे में क्या सोच रहे होंगे.

लेकिन टॉ जी को कुछ फराक नही पद रहा था. ये बात बयान कर रही थी, की टॉ जी मम्मी से सच-मच प्यार करने लगे थे. वो समाज से दर्र कर जीने वाले इंसानो में से नही थे.

तोड़ा डोर तक चलने के बाद हम टॉ जी के घर के बाहर तक पहुँचे. मम्मी अंदर जाने वाली ही थी, की टॉ जी ने उनको रोक लिया, और उनके लड़के को कहा-

टॉ जी: जब दुल्हन पहली बार घर आती है, तब चावल से भरा हुआ लोटा रखते है. वैसा ही लोटा यहा रखो. हमारे यहा कितने सालों बाद एक औरत पधार रही है.

फिर टॉ जी के लड़के ने वैसा ही किया, और उस लोटे को पैर से गिरा कर मम्मी ने टॉ जी के घर में अपना पहला कदम रखा. टॉ जी का ये अंदाज़ मम्मी को भा गया. मम्मी को भी अब महसूस होने लगा था, की टॉ जी उनसे बहुत प्यार करते थे. इसलिए मम्मी बहुत खुश नज़र आ रही थी.

मैं तो सोचने लगा की टॉ जी ने पहले दिन ही मम्मी को इतने प्यार में रखा, तो अगले 10-15 दिन और मम्मी के साथ क्या-क्या करेंगे. तो नेक्स्ट पार्ट में मैं आपको टॉ जी के घर में गुज़री मम्मी और टॉ जी की पहली रात की कहानी बतौँगा.

देखते है आयेज क्या होता है. जानने के लिए पार्ट 5 का वेट कीजिए. आपको कहानी कैसी लगी, और मम्मी के बारे में बात करने के लिए मुझे गूगले छत या गमाल कीजिए

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