घर की औरतों की जवान लड़के से चुदाई की कहानी

हेलो मैं राज आपका फिर से स्वागत करता हू देसी कहानी की साइट पर. उम्मीद है आप सभी आचे होंगे, और अपनी सेक्स लाइफ एंजाय कर रहे होंगे. आप मुझे अपनी फीडबॅक ज़रूर भेजा करे. इससे हमे हॉंसला होता है, और अपनी स्टोरी आप तक पहुँचते हुए अछा भी लगता है जब आप हमे प्यार देते है. आप मुझे एमाइल कर सकते है, या सकती है हॉटमास्ती190@गमाल.कॉम पर.

अब नेक्स्ट:-

जैसे की आपने पिछली स्टोरी में पढ़ा था, की अब 2 तरीके बचे थे, जिससे मैं बड़ी मा की छूट और गांद देख सकता था. उनमे से कपड़े बदलते हुए मैने काई बार चोरी च्छूपे बड़ी मा को देखा था.

क्या हुस्न था सुमन मा का. देख कर लंड में आग लग जाती है, जब भी उनको इस हालत में देखता हू. लेकिन कपड़े बदलते टाइम वो ब्रा और पनटी डाले रहती थी, जिसके कारण अभी तक मैं बड़ी मा की छूट को और गांद को और चूचियों को बिल्कुल नंगी नही देख पाया था.

तो अब बचा लास्ट तरीका, की किसी भी तरह उनको नहाते टाइम ही नंगा देखा जेया सकता था. तो मैने दिन में देखा की बड़ी मा शाम को उपर वाले बातरूम में नहाती थी.

जब मैं बातरूम के पास गया, तो मुझे एक छ्होटा सा सुराख दिखा, और जब मैने उस सुराख से अंदर झाँक कर देखा, तो वही सुराख मुझे बहुत बड़ा लगा. क्यूंकी उसमे से बातरूम के अंदर का सब कुछ आचे से दिखाई दे रहा था.

अब शाम के टाइम गाओं में तो लोग कुछ खेतो में चले जाते है, और कुछ भैंसो के काम करने घर में चले जाते है. मैं बहुत मुश्किल ही घर का कुछ काम करता था, और अब तो मुझे वैसे ही बड़ी मा की छूट और गांद को देखने की इक्चा थी, तो मैं घर से बाहर कैसे जेया सकता था.

अब हुआ क्या, जब बड़ी मा नहाने आई, और उन्होने बातरूम का दरवाज़ा बंद किया, तो मेरे दिल की धड़कने तेज़ हो गयी. मैं कमरे से बाहर ही आया था, की बड़ी मा ने मुझे आवाज़ दी-

बड़ी मा: राज तुम कहा हो? एक बार बातरूम की साइड आओ बेटा.

ऐसा सुनते ही मैं जल्दी से बातरूम के पास आया, और उनसे पूछा की क्या हुआ.

तो बड़ी मा सुमन बोली: लाइट ओं नही हो रही.

तो मैं बोला: आप ऐसे ही नहा लो ना बड़ी मा.

ऐसा सुनते ही वो बोली: मैं कभी अंधेरे में नही बात करती.

मैं ये सुनने के बाद जल्दी से ट्यूब लेके आया, और न्यू लाइट ओं कर दी. और फिर बड़ी मा दरवाज़ा बंद करके मुझे बोली-

बड़ी मा: जाओ कर लो तुम जो काम कर रहे थे राज.

मैने ओक बोल के वैसे ही आक्टिंग की जाने की उधर, पर मैं गया नही. अब बड़ी मा अपने कपड़े उतारने लगी, और उन्होने अपनी सलवार और कुर्ता निकाल दिया. अब मेरे सामने उनकी चूचियाँ जो क़ैद थी आज़ाद होने के लिए मचल रही थी.

मेरी आज बहुत दीनो के बाद बड़ी मा को नंगा देखने की इक्चा पूरी होने वाली थी. अब मेरी आँखों को वो दिखने वाला था जिसके सपने बहुत दीनो से मैं जागते हुए भी देख रहा था. जो थे बड़ी मा की छूट, गांद, और सेक्सी गोल-मटोल चूचियाँ.

जैसे ही मेरी बड़ी मा ने अपनी ब्रा को खोलने के लिए हुक पर हाथ रखा, तभी लाइट चली गयी, और मेरे अरमानो पर पानी फिर गया. फिर गुस्से में मुझसे बातरूम के दरवाज़े पर हाथ लग गया. आवाज़ सुन कर बड़ी मा ने अंदर से पूछा-

बड़ी मा: कों है?

और बगैर जवाब दिए उधर से मैं अपने रूम में आ गया.

अब कुछ देर बाद बड़ी मा नहा के बाहर आई, तो मैं उनसे नज़रे नही मिला रहा था, और वो मेरी तरफ देख कर नीचे चली गयी. वैसे मुझे पता तो था ही की वो किसी को कुछ बोलेंगी नही इस बारे में.

शायद बड़ी मा भी जानती थी, की मैं ही बातरूम के पास खड़ा था. लेकिन वो नीचे जब गयी, उसके बाद उन्हे कन्फर्म हो गया था, की हम दोनो के साइवा अभी मौके पर घर में कोई नही था.

उससे अगले दिन मैने चाची को घर जेया कर आचे से छोड़ा, और उनको ये बात तो नही बताई. लेकिन वो मुझसे हर बार यही बोलती थी, की “राज लोहा गरम है, मार दे छूट पर तेरा ये लोड्‍ा”.

और जब चाची शीला ऐसी बात करती थी, तो मैं उनको बहुत ज़ोर से छोड़ता था, जिसमे उनको बहुत मज़ा आता था. शायद अब चाची भी जान चुकी थी, की मैं अब अपनी बड़ी मा को छोड़ने की फिराक में था.

अगले दिन दोपहर को बड़ी मा उपर आई, और उनके कान पर फोन था. और वो मेरी बड़ी मामी जी से बात कर रही थी. ये बात मुझे बाद में बड़ी मा ने ही बताई, की वो उस टाइम अपनी सहेली यानी की मेरी बड़ी मामी सुनीता से बात कर रही थी, और चोरी-चोरी मेरे रूम की तरफ देख रही थी.

मैं अब उन दोनो की बातें सुनने लगा. मामी सुनीता की बातें बाद मैं मेरे को बड़ी मा ने बताई, की उन दोनो के बीच क्या बात हुई थी.

बड़ी मा: और सूनाओ सुनीता, क्या चल रहा है आज कल? इधर तो सब सूखा है. तू बता तेरी भी सूखी है या गीली हो जाती है.

मामी सुनीता: अर्रे दीदी आप भी ना. कहा, इधर भी सब सूखा ही पड़ा है. गीला कुछ नही है. मेरा भी आप जैसा ही हाल है. आपके भाई में अब वो दूं नही रहा, जो मेरी छूट को आचे से ठंडा कर सके.

बड़ी मा: ह्म यही हाल इधर है. बुत मुझे लगता है की कोई इसकी प्यास बुझाने की कोशिश कर रहा है. और आज मेरे को कोई नहाते हुए देख भी रहा था. राज के अलावा घर पर कोई नही था उस टाइम.

मामी सुनीता: अर्रे दीदी, आप भी क्या बोले जेया रही है? आपका दिमाग़ तो सही है? भला वो क्यू आपको नहाते हुए देखेगा? कुछ भी बोल देती हो.

बड़ी मा: नही पागल, तुझे एक बात बताती हू. किसी को मत बताना. राज ना शीला को छोड़ता है, और क्या मस्त छोड़ता है. एक-दूं कड़क लंड है उसका. मेरी तो छूट में पानी आ गया था तभी.

मामी सुनीता: सॅकी में दीदी, अपना राज शीला दीदी को छोड़ता है? मुझे यकीन नही हो रहा अपने कानो पर. आपको कैसे पता चला?

बड़ी मा: अर्रे दिन में एक दिन मैं शीला से मिलने गयी. तब मुझे कुछ आवाज़े सुनाई दी. फिर अंदर देखा तो तेरी तरह मुझे भी विश्वास नही हुआ. लेकिन पता नही कुछ देर बाद मैं उन्हे देखने लगी. और सच बोलू, तो पहली बार किसी औरत को चूड़ते देखा, और वो भी गांद मरवाते हुए.

बड़ी मा: क्या मस्त नज़ारा था. और राज का लंड 7 इंच लंबा और काफ़ी मोटा है सुनीता. और लंड पे छूट के पानी की चमक उसको और सुंदर बना रही थी. उसका लंड देख कर मेरी छूट में पानी आ गया था, और मैं खो सी गयी थी. मुझे लगता है, राज को पता है की मैने उनको देखा है. उस दिन के बाद से ही हम दोनो के अंदर एक-दूसरे के लिए सेक्स वासना बढ़ गयी है.

मामी सुनीता: वाउ यार, लंड तो मस्त होगा राज का. लेकिन वो आपका बेटा है दीदी. आप कैसे ये सोच सकती हो राज के बारे में?

बड़ी मा: अर्रे बेटा तो शीला का भी है. और शीला ना बहुत तडपा करती थी हमारी तरह. लेकिन 6 महीने से उसको उसके पति की कमी नही महसूस हो रही, और वो खुश भी रहती है. और उसका शरीर और सुडोल हो गया है. क्यूंकी उसकी इतनी चुदाई जो होती है.

मामी सुनीता: दीदी आपको कैसे पता शीला की अची चुदाई होती है?

बड़ी मा: अर्रे सुन, जब उन्हे देख रही थी तब शीला कह रही थी, की “राज मेरे पति, तुम मुझे ना मिलते तो मेरी ये प्यास और छूट की आग कभी नही बुझती. और जीतने प्यार से और लंबे टाइम तक तुम छूट को ठोकते हो ना, कोई भी और एक बार तुमसे चुड ले, तो कभी भी ज़िंदगी भर तुम्हारी चुदाई नही भूल सकती. जब ये तेरे कड़क लंड का झटका लगता है, पूरी छूट खुल उठती है. ऐसे डुमदार लंड की हर औरत प्यासी होती है. ख़ास कर 30 प्लस लॅडीस. क्यूंकी इस आगे के बाद उनके पति उन्हे वो टाइम नही दे पाते, जो पहले दे पाते है. तो उनकी छूट की आग ठंडी नही होती”.

मामी सुनीता: बात तो शीला दीदी ने सही ही कही है. बुत मैं तो नही, लेकिन आप करो ट्राइ राज पे. वो आपके पास है. अगर आप अपनी छूट में राज का लंड ले लो, तो मेरी छूट को भी दिला देना. अब आपकी बात सुन कर लगता है, की इस छूट में भी राज का लंड डलवा ही लू. क्यूंकी वो तो अपना ही है, और सबसे अची बात है ट्रस्ट होगा उस पर.

बड़ी मा: बात तो तेरी सही है. चल मैं करती हू जुगाड़. अगर मेरी छूट की प्यास बुझ गयी, तो मैं पक्का तुझे मौका दूँगी की राज तेरी छूट को भी प्यार करे. अब फोन रख, मैं राज को पाटने का कुछ करती हू.

थॅंक्स फॉर रीडिंग थे स्टोरी.

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