भाई की हवस मिटी बहन की चूत से

हेलो गाइस, मेरा नाम आकाश है, और मेरी उमर 20 साल है. और ऐसी कहानी के अपडेट्स के लिए कॉंटॅक्ट करे आकशकालाकार99@गमाल.कॉम.

ये मेरी पहली कहानी का दूसरा पार्ट होने वाला है. लेकिन ये पहली कहानी से अलग है. टाइम वेस्ट ना करते हुए चलते है कहानी की तरफ.

ये बात है 1 महीने बाद की जब मैने अपनी बेहन (अंजलि) को छोड़ा था. 1 महीना हो चुका था, लेकिन मैने मेरी बेहन को फिरसे छोड़ा नही था. मेरा उसकी गांद मारने का बड़ा मॅन हो रहा था. पर हुमको अकेलापन मिल ही नही रहा था.

एक दिन मैं सुबा उठता हू, तो मेरा लंड टवर की तरह खड़ा था, और मुझे मॅन कर रहा था हिलने का. तो मैं उठने के बाद बातरूम जाता हू. वाहा देखता हू की अंजलि बातरूम में थी.

फिर मैने उसे कहा: मुझे अंदर आने दे.

उसने कहा: कोई देख लेगा.

पर मुझे कैसे भी करके उसे छोड़ना था.

तो मैने उसको बोला: किसी को कुछ पता नही चलेगा.

फिर उसने डोर खोल के मुझे अंदर लिया, और मैं वाहा नंगा हो गया. बातरूम में हम दोनो एक-दूसरे के सामने नंगे खड़े थे. मेरी नज़र उससे हॅट ही नही रही थी.

उसके बूब्स से गिरता हुआ पानी उसकी छूट से जाके मिल रहा था. मैने बिना कुछ सोचे उसे किस करना शुरू किया, और किस करते वक़्त मैं उसकी छूट में उंगली करने लगा. और अंजलि अपने हाथ से मेरा लंड हिला रही थी. फिर मैं उसे पलट के उसकी गांद में अपना लंड डाल देता हू.

1 महीने से उसको ना छोड़ने की वजह से उसकी गांद टाइट हो गयी थी. लेकिन मैने कैसे भी करके लंड उसकी गांद में डाल दिया. फिर मैं उसको धीरे-धीरे धक्का मारना शुरू करता हू. मुझे मज़ा आने लगता है, और वो भी चिल्लाने लगती है.

10 मिनिट तक अंजलि को छोड़ने से मेरा मूठ निकालने ही वाला होता है, की मा आ जाती है और डोर पे नॉक करती है.

वो बोलती है: अंजलि कितना नहाएगी? बाहर आजा, और ये बता तेरा भाई कहा गया?

तो अंजलि बोलती है: आती हू.

और भाई के बारे में उसको पता नही बोलती है. फिर मा वाहा से चली जाती है. हम बाहर निकलते है वाहा से, और अपना-अपना काम करने लगते है. लेकिन मेरा मूठ नही निकलता तो मुझे और मॅन करता है उसे छोड़ने का. पर कैसे, बस यही सोचता रहता हू. फिर दोपहर हो जाती है, और हम दोनो टीवी देख रहे होते है. मा हमारे साथ बैठ के सोफा पे टीवी देख रही होती है.

तो मैं चुपके से अंजलि के बूब्स दबाने लगता हू. अंजलि को भी मज़ा आने लगता है. फिर मैं देखता हू की मा तो सो गयी थी. तो फिर मैं अंजलि को बोलता हू-

मैं: अपनी पंत आंड चड्डी को हल्का नीचे कर, और मेरी गोद में बैठ जेया. और मैं भी अपना लंड निकाल लेता हू.

फिर वो मेरे लंड पे बैठती है, और मैं अपना लंड उसकी छूट में डालता हू. उसके बाद मैं अपने लंड पे उसको उछालता हू धीरे-धीरे. लेकिन अंजलि चिल्लाने लगती है, तो मैं अपने एक हाथ से उसका मूह बंद कर देता हू, और दूसरे हाथ से उसके बूब्स दबाता हू. वो मज़ा कुछ अलग ही लेवेल पे था, क्यूंकी मा के सामने अपनी बेहन की छूट मार रहा था.

फिर कुछ देर उसको छोड़ने के बाद मैं अपना मूठ छ्चोढने वाला होता हू. फिर वो वाहा से उठ के मेरे लंड को चूसना शुरू करती है. मैं अपना पूरा मूठ उसके मूह में छ्चोढ़ देता हू.

फिर हम लोग अपने-अपने रूम में आ जाते है. रात को खाना खाने के बाद मैं अपने कमरे में सोने आ जाता हू, और रज़ाई ओढ़ लेता हू. फिर अंजलि मेरे कमरे में आ जाती है, और मेरे पास आके सो जाती है. मैं भी उसको गले लगा लेता हू, और अपने लंड से उसकी गांद में घिसने लगता हू, जिससे मेरा लंड फिरसे खड़ा हो जाता है.

तो अंजलि रज़ाई के अंदर चली जाती है और मेरी चड्डी नीचे करके मेरे लंड को चूसने लगती है. तभी अचानक से मा कमरे में आ जाती है. मैं रज़ाई से अंजलि को च्छूपा लेता हू. मा आके बाजू में बैठ जाती है और इधर-उधर की बातें करती है. और रज़ाई के अंदर अंजलि मेरा लंड चूस रही थी. फिर थोड़ी देर बाद मा चली जाती है.

अंजलि तब बाहर निकलती है, और बोलती है: आधी रात को वापस अवँगी. तब हम अपना अधूरा काम पूरा करेंगे. मैं खुश हो जाता हू, की 1 महीने के टाइम के बाद फाइनली अंजलि को छोड़ने मिलेगा, वो भी अकेले में.

1 बजे मेरे रूम का डोर खुलता है, और अंजलि वाहा से अंदर आती है, और मुझे उठती है. मैं उठ के अंजलि को अपनी बाहों में ले लेता हू, और उसके कपड़े निकालने लगता हू. फिर सीधा उसकी पहले गांद मारने लगता हू, और उसको कुटिया बना के छोड़ता हू.

उसको छोड़ते वक़्त उससे पूछता हू: हू’स युवर डॅडी? टेल मे योउ फक्किंग स्लट.

ये बोलने के बाद अंजलि बोलती है: एस फक मे डॅडी. प्लीज़ फक मे. मेक मी आस सॉयर आंड मी पुसी युवर कम डंप स्पॉट.

ये सुन के मुझमे अलग ही जोश आ जाता है, और उसे ज़ोर-ज़ोर से पेलने लगता हू. फिर अंजलि ज़ोर से चिल्लाने लगती है, और बोलती है-

अंजलि: भैया और ज़ोर से. अपने लंड का पूरा पानी मुझमे डाल दो.

कुछ देर उसको कुटिया बना के छोड़ने के बाद उसको मैं बाहर चलने बोलता हू, और उसको बोलता हू की घर के बाहर बिल्डिंग में चल.

लेकिन वो बोलती है: बाहर कोई देख लेगा, और किसी ने देख लिया तो मा पापा को पता चल जाएगा.

लेकिन मुझे कैसे भी करके उसे अलग तरीके से छोड़ना था. तो मैं उसका हाथ पकड़ के बाहर लेके गया. हम दोनो एक-दूं नंगे होके घर के बाहर जाते है, और बिल्डिंग के टेरेस पे आते ही उसको मैं अपने हाथ से उपर उठा लेता हू, और अपने लंड पे बिता के हवा में छोड़ने लगता हू.

कुछ देर उसको हवा में छोड़ने के बाद उसको मैं ज़मीन पे लिटा देता हू, और उसको नंगा ज़मीन पे लिटा के छोड़ना शुरू करता हू. कुछ देर छोड़ने के बाद मैं उसको उठा के छोड़ते-छोड़ते नीचे अपने घर लेके आता हू, और हम दोनो तक चुके होते है.

उसकी गांद और छूट को छोड़ने में जो मज़ा है, वो कही नही. उसको रात भर छोड़ता हू अपनी रंडी बना के, और मेरी रंडी बेहन अंजलि की गांद मार-मार के गांद सूजा देता हू. फिर सुबा होते ही अंजलि लंगदाते हुए अपने कमरे में जाती है.

सुबा फिर हमारा दिन रोज़ की तरह आचे से जाता है, और कुछ दिन तक मेरा लंड खड़ा नही हो पाता, क्यूंकी वो सूज जाता है. इतना पहले मैने कभी किसी को नही छोड़ा था. लेकिन वो एक्सपीरियेन्स अलग ही था. वैसे भी ये मेरी बेहन के साथ सेक्स लास्ट टाइम होने वाला था, क्यूंकी वो पढ़ने के लिए दूसरी स्टेट जेया रही थी.

फिर वो दिन आ ही गया जब वो दूसरी स्टेट पढ़ने जाने वाली थी. मुझे अछा नही लग रहा था. मैं अपने कमरे में बैठा था, बस तभी अंजलि आती है और बोलती है-

अंजलि: भैया मुझे आपकी बड़ी याद आएगी, और आपके लंड की भी. तो लास्ट टाइम मुझे आपका लंड चूसने दो.

मैने भी उसको हा बोल दिया. फिर उसको अपना लंड चुस्वाया, और फिर लंड चूस्टे हुए मैने एक वीडियो बना लिया जिसे याद करके मैं हिला साकु. कुछ देर बाद मेरा मूठ छूट जाता है, और मेरा सारा पानी वो पी लेती है, और फिर वो चली जाती है.

स्टोरी होती है ख़तम. मिलेंगे नेक्स्ट स्टोरी में.

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