हिमाचल की गीता के बाप ने उसका थ्रीसम देखा

मेरा नाम राज प्रकाश है. मैं हिमाचल का रहने वाला हू. मैने यहा पर बहुत सी कहानियाँ पढ़ी है. आज मैं अपनी खुद की कहानी लिखने जेया रहा हू. तो चलिए मैं सीधे कहानी पर आता हू.

मेरी उमर 47 साल है, और मैं एक शादी-शुदा और बच्चो वाला आदमी हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 7 इंच का है. मेरी फॅमिली में मेरी बीवी, मा, और 2 बच्चे है. 2 बच्चो में से एक बेटी है, जिसकी उमर 22 साल है, और दूसरा बेटा है, जो 15 साल का है.

मेरी बेटी कॉलेज में पढ़ती है, और बेटा स्कूल में है. मेरी बेटी का नाम गीता है, और वो बहुत खूबसूरत है. उसकी हाइट 5’6″ है, और रंग गोरा है. फिगर उसका 34-29-35 है. सीधे-सीधे बतौ तो बहुत सारे लड़कों के सपनो की रानी होगी वो.

मैं एक ओपन माइंडेड बंदा हू. मैने अपनी बीवी और बच्चो पर कभी भी कोई रिस्ट्रिक्षन नही लगाई. मैं चाहता था की वो अपनी मर्ज़ी से लाइफ स्पेंड करे और अपने खुद के डिसिशन लेके खुद की ग़लतियों से सीखे. लेकिन मुझे ये नही पता था की इस आज़ादी का उल्टा नतीजा निकल आएगा.

मेरी बेटी कॉलेज जाती थी, तो ज़ाहिर सी बात थी की उसके काई फ्रेंड्स होंगे, और बाय्फ्रेंड भी हो सकता था. मैं जानता था मेरी बेटी जवान हो चुकी थी, और इस उमर में बाय्फ्रेंड होना आम बात थी. तो मैने कभी उससे इसके बारे में एंक्वाइरी नही की.

फिर एक दिन मैने देखा मेरी बेटी किसी के साथ बिके पर घर आई. बिके से उतार कर दोनो ने एक-दूसरे को हग किया. मैं सब देख रहा था च्चत पर से. फिर जब हम दोनो का आमना-सामना हुआ, तो मैने उससे कहा-

मैं: बेटा बाय्फ्रेंड होना कोई बुरी बात नही है. लेकिन एक बात याद रखना, की लड़की घर की इज़्ज़त होती है.

गीता: पापा आप चिंता मत करो. मैं आपका भरोसा कभी नही तोड़ूँगी.

मैने खुश होके उसके सर पे हाथ रख दिया. फिर कुछ दिन बाद हमे पूरी फॅमिली के साथ किसी फंक्षन पर जाना था. लेकिन गीता ने जाने से माना कर दिया. उसने कहा की उसकी क्लास में कोई इंपॉर्टेंट टॉपिक चल रहा था. तो मैने उससे कहा-

मैं: बेटा तुम घर में अकेली कैसे रहोगी?

गीता: पापा मैं ब्रेव गर्ल हू. और अपने घर में रहना है, कों सा किसी और के घर में रहना है.

मैं: मेरी बेटी बहुत ब्रेव है. चलो ठीक है फिर ध्यान रखना तुम अपना.

फंक्षन हमारे घर से 50 केयेम डोर था, और हमे 2 दिन के लिए जाना था. फिर हम सब तैयार होके, अपना समान लेके गाड़ी में निकल पड़े. वाहा हमे रूम दे दिया गया, और हम सब समान सेट करने लगे. तभी मेरी बीवी ने बताया-

बीवी: सुनो जी, उनका गिफ्ट तो घर पर ही रह गया.

मैं: यार, तुमने चेक नही किया था आने से पहले?

बीवी: चेक तो किया था. बॉक्स तो यही है, लेकिन गिफ्ट नही है.

मैं: श, चलो मैं वापस जाके ले आता हू.

फिर मैं वाहा से निकल गया. रात का टाइम था, तो ट्राफ़्फिसे नही था. मैं 1 घंटे में घर पहुँच गया. रात के 10 बाज रहे थे. घर पहुँच कर मैने देखा की बाहर एक बिके खड़ी थी. मैने सोचा पता नही कों पार्क कर गया होगा.

घर की लाइट्स बंद थी, तो मैने सोचा गीता सो गयी होगी. उसको डिस्टर्ब ना करने के लिए मैने अपनी चाबी से दरवाज़ा खोला, और अंदर चला गया. फिर मैं बिना आवाज़ किए अपने रूम में गया, और वाहा से गिफ्ट ले लिए. वापस जाने से पहले मैने सोचा एक बार गीता को चेक कर लू.

फिर मैं उसके रूम की तरफ गया. जब मैं उसके रूम की तरफ गया, तो मुझे कुछ आवाज़ आई. उसके रूम के बाहर पहुँच कर मैने सुना तो गीता सिसकियाँ ले रही थी. उसके कमरे की लाइट बंद थी, बस एक ज़ीरो वॉल्ट का बल्ब ओन्न था. उस बल्ब की रोशनी अंदर जो हो रहा था, उसको देखने के लिए काफ़ी थी.

फिर जैसे ही मैने देखा, तो हैरान हो गया. अंदर गीता 2 लड़कों के साथ सॅंडविच पोज़िशन में चुदाई कर रही थी. ये देख कर मुझे अपनी आँखों पर यकीन नही हुआ. मैने कभी सोचा भी नही था की मेरी बेटी ऐसा कर सकती थी, और वो भी 2 लड़कों के साथ. मुझे बहुत गुस्सा आया, और मैने उसी वक़्त चिल्ला कर उसका नाम लिया-

मैं: गीता!

वो तीनो दर्र गये, और मैने कमरे की लाइट ओं कर दी. तभी तीनो खुद को थकने की कोशिश करने लगे. मैं आयेज बढ़ा, और मैने दोनो लड़कों को एक-एक झापड़ लगाया. वो दोनो अपने कपड़े उठा कर भाग गये. अब रूम में सिर्फ़ मैं और मेरी बेटी थे.

मेरी बेटी नंगी अपने बेड पर बैठी थी, और चादर से अपने बदन को ढके हुए थी. मैं भी बेड पर बैठ गया दूसरी तरफ मूह करके. मुझे समझ नही आ रहा था की मैं क्या बोलू. फिर जब मैने कुछ बोलने के लिए पीछे देखा, तो मुझे एक बहुत खूबसूरत लड़की नंगी नज़र आई.

उसके गोरे-गोरे बूब्स बगल से दिख रहे थे. गीता के बाल खुले हुए थे, और उसकी गर्दन पर लोवेबीटे का निशान था. उसके होंठ पिंक कलर के थे, और वो नज़रे झुका कर बैठी थी. उसको इस तरह से देख कर पता नही क्यूँ मुझे अपने जिस्म में करेंट सा फील हुआ. मेरा लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा.

मैने अपनी बेटी के लिए पहले कभी ऐसा महसूस नही किया था. मैं समझ नही पा रहा था, की मैं उसके लिए ऐसा कैसे फील कर सकता था. फिर मैं उसको उपर से नीचे देखने लगा. वो चादर से अपने आप को ढके हुए थी, लेकिन उसकी बॉडी की शेप नज़र आ रही थी.

पता नही क्यूँ मेरा दिल कर रहा था की मैं उसको चादर हटता कर देखु. मैं उसके बदन को देखना चाहता था. मेरा दिमाग़ मुझे रोक रहा था, लेकिन मेरा दिल मुझे उसकी चादर खींचने के लिए बोल रहा था. फिर मेरा दिल दिमाग़ पर हावी हो गया. मैने अपना हाथ आयेज बढ़ाया, और उसके पैर के पास से चादर पकड़ कर खींच दी.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको आयेज भी शेर करे.

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