ग़लत फहमी में लड़की चुदी अपने फूफा से

आपको एक बात बता डू, की जो मेरे मामा जी है, वो पियू के फूफा जी है. और उनका नाम प्रीतम लाल है. उनकी आगे अभी 52 है.

हम एक साथ बैठ कर छाई पी रहे थे, तो मैने पियू से पूछा-

पिंकी: तेरा और राजू का ये चक्कर कब से चल रहा है, और कैसे स्टार्ट हुआ?

पियू: दीदी असल में हुआ यू था की राजू के साथ तो बाइ मिस्टेक ग़लती से मेरा चक्कर हो गया था.

पिंकी: तेरा कहने का क्या मतलब है, मैं समझी नही? खुल कर बता.

पियू: दीदी असल में मेरा चक्कर तुम्हारे मामा जी के साथ शुरू हुआ था, और चलते-चलते बीच में राजू से भी चक्कर हो गया.

पिंकी: मतलब मामा जी ने तुम्हें भी छोड़ डाला?

पियू: इसका मतलब आपको भी उन्होने छोड़ा है?

पिंकी: हा पियू. और फिर मैने उसे अपने बारे में बता दिया की मामा जी ने कैसे मुझे छोड़ा था.

पियू: दीदी आपके मामा जी तो बड़े कमीने है.

पिंकी: और तेरे फूफा जी कमीने है.

इतना बोल कर हम दोनो हासणे लगी. और फिर पियू ने अपने बारे में बताया कैसे वो यहा आई और उसके साथ सब कैसे हुआ.

अब सुनते है पियू की कहानी उसकी ज़ुबानी:-

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम पियू है. मेरी आगे 19 साल है. मेरा फिगर 34-26-34 है, रंग गोरा, और बॉडी शेप स्लिम है. तो कहानी आज से कुछ साल पहले की है, जब मैं 19 साल की हो गयी थी. और मुझे आयेज पढ़ना था, लेकिन मेरे घर वालो की वो पोज़िशन नही थी जो मुझे बाहर पढ़ने के लिए भेज सके.

तो एक दिन मेरे फूफा और बुआ घर आए थे मुझे अपने साथ ले-जाने के लिए. मैं खेत में थी तो मेरा छ्होटा भाई मुझे बुलाने आया की घर पर फूफा और बुआ आए थे. फिर मैं भी जल्दी से खेत का काम पूरा करके भाई के साथ घर वापस चली गयी.

मैं घर आ कर बुआ से हस्स कर मिली और फूफा जी से भी मिली. तभी मैने एक बात नोट की की फूफा जी मेरी च्चती ( बूब्स) को गौर से देख रहे थे. लेकिन मैने इग्नोर कर दिया.

फूफा जी: अर्रे पियू, तू तो बहुत बड़ी हो गयी है.

बुआ: हा मुझे भी इसे देख कर ऐसा लगा की पियू काफ़ी बड़ी हो गयी है. और भाभी, मैं पियू को अपने साथ अपने घर ले-जाने के लिए आई हू. मैं उमीद करती हू की आप ना नही बोलॉगी.

भाभी: लेकिन सुमन, तुम्हारे साथ में कैसे भेज डू? और अगर भेजती भी हो तो वो तुम्हारे साथ आ कर तुम्हारे घर क्या करेगी?

(बुआ का नाम सुमन है. मैने पहले नही बताया सॉरी)

बुआ: अर्रे भाभी, यहा आपके पास रह कर क्या करेगी? मैं इसे अपने साथ ले जौंगी तो मैं इसे पढ़ौँगी, जिससे आयेज चल कर कुछ बन जाएगी. और यहा तो ऐसे ही ज़िंदगी खराब हो जाएगी इसकी.

इतना सुनने के बाद मा ने हा कर दी. आयेज कुछ था ही नही मा के पास अपना बोलने के लिए. और फिर बुआ ने मुझसे कहा की मैं जल्दी नहा धो कर तैयार हो जौ, और फिर हम चलते है. तो मैं भी अपने कपड़े लेकर नहाने चली गयी घर के पिच्छवाड़े में.

(वो हमारे घर के पिच्छवाड़े में एक अछा सा बातरूम बना हुआ है, जिसका दरवाज़ा नही है. बस उपर लकड़ी पर परदा रख कर नहाते है )

तो मैं अंदर जेया कर नहाने बैठ गयी परदा लगा कर, और थोड़ी देर बाद अचानक से फूफा जी ने परदा हटा दिया. मैं दर्र कर सीधी खड़ी हो गयी, और फूफा जी मुझे सर से लेकर पावं तक देखे जा रहे थे. और तब मैं बिल्कुल नंगी थी.

फिर मैने वापस परदा कर दिया तो फूफा जी वाहा से चले गये. मुझे थोड़ी शरम आई, पर मैने सब इग्नोर कर दिया. क्यूंकी मुझे लगा फूफा जी ग़लती से आए होंगे. फिर मैं नहा कर बाहर आ गयी. बुआ और फूफा जी के साथ जाने के लिए अब मैं रेडी थी, और फिर हम तीनो घर से निकल गये.

फिर हम पहुँच गये फूफा जी के घर. उनका घर 2Bह्ख का था, और उनके घर में टीन लोग ही रहते थे. फूफा जी, बुआ, और उनका एक बेटा राजू जो दिखने में काफ़ी हॅंडसम लग रहा था.

नेक्स्ट रात के डिन्नर के टाइम:-

आज का खाना मैने बनाया था, जिसमे पनीर पालक, डाल चावल, रोटी, और साथ में हलवा बनाया था. सब को मज़ा आया खाने में. खाने के बाद राजू अपने रूम में चला गया सोने के लिए, और फूफा जी उपर टेरेस पर चले गये. और अब मैं और बुआ बैठी थी.

बुआ: पियू तूने खाना बहुत मस्त और टेस्टी बनाया था.

पियू: थॅंक्स बुआ.

बुआ: चल मेरे बेडरूम में तुझे आज टेस्टी खाना बनाने का गिफ्ट देती हू.

फिर बुआ मुझे अपने बेडरूम में ले गयी, और मुझे अपने दो जोड़ी कपड़े दिए, और साथ में एक नाइट ड्रेस भी दी.

फिर उन्होने मुझसे कहा: आज रात तुम हमारे बेडरूम में हमारे साथ सो जाओ, और नाइट ड्रेस पहन के सोना.

मैने उनसे कहा: ठीक है.

और फिर मैने नाइट ड्रेस (निघट्य) पहन ली. उसके बाद हम दोनो बातें करने लगे काफ़ी देर तक, और फिर मुझे नींद आने लगी तो मैने बुआ से कहा-

पियू: मुझे नींद आ रही है, मैं सोना चाहती हू.

उनका बेड बहुत बड़ा था तो मैं एक तरफ जेया कर सो गयी. अब थोड़ी देर बाद बुआ भी सो गयी लाइट ऑफ करके. रात के करीब 1:00 बजे के आस-पास मुझे ऐसा लगा की मेरे पीछे से कोई मुझे टच कर रहा था. और वो और कोई नही फूफा जी थे, जो मुझे बुआ समझ रहे थे.

फूफा जी: वाउ डार्लिंग, आज तो तुमने पुरानी निघट्य पहनी है जो मुझे बहुत पसंद है. और ये साथ में कों है? अछा पियू भी यही सोई है?

पियू (मॅन में): अर्रे ये फूफा जी मुझे तो बुआ समझ कर मुझसे इस तरह बात कर रहे है.

लेकिन मैं चुप हो कर लेती हुई थी.

फूफा जी: उठो मेरी जान, आज मेरा बहुत मॅन हो रहा है.

लेकिन मैं तो चुप-छाप लेती थी, और मेरे कुछ ना बोलने की वजह से फूफा जी अपना हाथ मेरे बूब्स पर रख कर मेरे बूब्स को सहलाने लगे. पर मैं चुप थी अभी भी.

फूफा जी: लगता है ये दोनो गहरी नींद में सोई हुई है. चलो कोई बात नही है. मैं भी अब सो जाता हू.

पियू (मॅन में): अर्रे ये क्या, फूफा जी तो मेरे साथ ही सो गये बुआ समझ कर.

मैं चुप थी क्यूंकी मैं नही चाहती थी की फूफा जी को खराब लगे. इसलिए मैं चुप-छाप सोई रही. फिर थोड़ी देर के बाद फिरसे फूफा जी मेरे बूब्स को दबाने लगे. अब मैं क्या करती? उनको मैं कैसे रोकती? मैं ऐसा सोच ही रही थी, की फूफा जी ने अब अपना हाथ मेरी निघट्य के अंदर डाल दिया, और मेरी छूट को सहलाने लगे.

फिर फूफा जी ने अपने हाथ के बीच वाली उंगली मेरी छूट के अंदर को डाल दी, और उंगली अंदर-बाहर करने लगे. मुझे गुदगुदी भी हो रही थी, और अछा भी लग रहा था. और साथ में बुरा भी, क्यूंकी मुझे शरम आ रही थी.

शरम इसलिए आ रही थी की वो मेरे फूफा जी थे. और मैं उन्हे रोकना तो चाहती थी, लेकिन वो मुझे बुआ समझ कर ऐसा कर रहे थे, जान-बूझ कर नही कर रहे थे. तो मैं चुप-छाप लेती थी. मेरी छूट बहुत गीली हो गयी थी.

अब तो फूफा जी ने अपना हाथ हटा दिया और फिर अपनी नाइट ड्रेस नीचे की, और अपना लंड मेरी छूट पर सेट किया. वो अपना लंड मेरी छूट पेर रगड़ने लगे. मुझे बहुत अछा लग रहा था, और मज़ा भी आ रहा था. मेरी छूट बहुत गीली थी, तो उनका लंड मेरी छूट के अंदर घुस रहा था.

लेकिन फूफा जी सिर्फ़ एक या 1.5 इंच तक अंदर घुसा रहे थे, और आयेज धक्का दे ही नही रहे थे (मतलब उनके लंड का टोपा और तोड़ा सा हिसा). मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मैं अपनी दो उंगलियों को अपनी छूट के उपर रग़ाद रही थी. लेकिन लंड के रगड़ने से मज़ा और ज़्यादा आ रहा था. उंगलियों से इतना मज़ा नही आता है.

फूफा जी साथ में मेरे बूब्स को भी दबा रहे थे, तो मज़ा और ज़्यादा आ रहा था. नीचे छूट पर लंड और उपर बूब्स पर हाथ, मज़ा तो आना ही था ना. ऐसे करीब 10 से 15 मिनिट तक मज़े लिए, और फिर मुझे ऐसा महसूस हुआ की फूफा जी के लंड से कुछ निकल कर मेरी छूट के अंदर गिरा. मतलब फूफा जी मेरी छूट के अंदर ही झाड़ गये थे.

फिर वो उठे, और उन्होने लाइट ओं की, और बिना मुड़े सीधे बातरूम की तरफ चले गये. जैसे वो बातरूम से बाहर आए तो सामने देख कर शॉक हो गये. क्यूंकी उन्होने जाते टाइम पीछे नही देखा था.

फूफा जी: अर्रे यह क्या? इसका मतलब मैने ग़लती से पियू को छोड़ डाला अपनी बीवी समझ कर? अब क्या करू. दोनो में से कोई जाग जाए, उससे पहले मैं सो जाता हू.

मैं सब सुन रही थी जो फूफा जी बोल रहे थे. बस मैं सोने का नाटक कर रही थी ताकि फूफा जी को ऐसा लगे की मैं सोई हुई थी, और वो चुप-छाप सो जाए.

तो फ्रेंड्स, इस कहानी के नेक्स्ट पार्ट में आपको पता चलेगा, की आयेज क्या हुआ मेरे और फूफा जी के बीच में. हम दोनो में कैसे सेक्स रिलेशन्षिप चालू हो गया, वो सब मैं नेक्स्ट पार्ट में बतौँगी. प्लीज़ मुझे मेरी कहानी पर कॉमेंट करे.

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