गाँव की छोरी के साथ खेत में चोदम चोदी का खेल

नमस्ते दोस्तो, मैं महावीर एक गाँव में रहता हूँ।
बात उस समय की है जब मैं 19 साल का था।

गाँव की अल्हड़ छोरी
मेरे पड़ोस में पूजा नाम की देसी लड़की रहती थी, वो 20 वर्ष की थी, उसके जिस्म की खूबसूरती मस्त थी उसके बोबे कमाल के थे, वो असली देसी माल थी।
उसकी और मेरी खूब बनती थी।

एक दिन घर वाले खेत में काम करने गए हुए थे तभी वो मेरे घर आई।
मैं टीवी देख रहा था.. वो मेरे पास आकर बैठ गई और हम बातें करने लगे।

मेरी वासना
तभी मेरी नजर उसके स्तनों पर पड़ी.. तो मेरे मन में वासना जाग उठी।

मैंने अपना पैर उसके पैर रख दिया और अनजान बनते हुए एक हाथ उसके पेट पर रख दिया..
उसका कोई विरोध ना पाकर मैं उसके हाथ को सहलाने लगा।

तभी उसने मेरी ओर देखा और अपना हाथ मेरे हाथ पर रखकर मेरे हाथ को अपने स्तनों पर रख दिया। मैं उसके स्तनों को मसलने लगा और उसे चूमने लगा।
कुछ मिनट तक चूमा-चाटी करके वो मुझसे दूर हो गई, उसने कहा- यहाँ कोई देख लेगा.. इसलिए कल सरसों वाले खेत में आ जाना।
इतना कह कर वो अपने घर चली गई।

उसके कल के बुलावे पर मैं बड़ा उत्साह में था।

खुले आकाश के नीचे खेत में चूत चुदाई
दूसरे दिन मैं उसकी बताए हुए खेत में गया और एक पेड़ के नीचे थोड़ी जगह साफ करके उसका इंतजार करने लगा।
तभी किसी के आने की आहट हुई।

मैंने देखा तो आज पूजा कहर ढा रही थी लाल सलवार सूट में! उसके उभरे हुए चूतड़ और आगे उठे हुए चूचे मेरे बदन को सुलगा रहे थे।
वह आई और शरमाते हुए मेरे पास आकर बैठ गई।

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मैंने उसका हाथ पकड़ कर अपने ऊपर गिराया और मेरे होंठों में उसके होंठों को कैद कर लिया.. धीरे-धीरे हम दोनों का शरीर हिलौरें मारने लगा।
मैं अब उसके स्तनों को जोरों से मसलने लगा।

वो पूरे रंग में आ गई और मुझे अचानक कस के पकड़ लिया और फिर मेरे ऊपर गिर पड़ी।
मैंने अपना पजामा सरकाया, उसकी सलवार का नाड़ा खोला और उसे लेटाकर उसके नंगे शरीर पर किस करने लगा।
तभी उसने मेरा लण्ड जो कि फनफना रहा था.. उसे अपनी योनि पर रख लिया।

वो बोली- अब रहा नहीं जा रहा है.. जल्दी डालो ना।

मैंने उसकी चूत में अपना लौड़ा घुसाना शुरू किया.. पर हम दोनों को बहुत दर्द होने लगा।
उसकी चूत में मैंने उंगली करके उसको चौड़ा किया और लौड़े पर थूक लगाकर चूत में डालना शुरू किया।

एक जोर का एक झटका लगाकर मैंने आधा लण्ड घुसेड़ दिया.. तभी वो चिल्ला उठी।
मैंने उसका मुँह पकड़ लिया और धीरे-धीरे लण्ड को आगे-पीछे करने लगा।

अब हम दोनों को मजा आने लगा।

हम दोनों की यह पहली चुदाई थी तो जल्द ही हम दोनों झड़ गए।

इसके बाद कुछ देर आराम करने के बाद मैंने उसको फिर से चोदा।
इस बार मैंने उसे काफी देर तक चोदा और उसने भी मेरा पूरा साथ दिया।

बस अब तो मेरी उसके साथ निकल पड़ी थी, गाँव का कोई सा भी ऐसा सुनसान खेत नहीं बचा होगा.. जहाँ हम दोनों ने चुदाई का खेल न खेला हो।

यह मेरी सच्ची कहानी थी मुझे उम्मीद है कि आप सबको पसंद आई होगी।

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