गाव के लोगो की हवस मेरी मा के लिए

ब्लॅक सारी पहें कर मा ने यूयेसेस दिन स्टेज पर स्पीच देना शुरू करा. हुमेशा की तरह सब मर्द को देख कर लंड मसल रहे थे. मा स्टेज पर बने पोडियम पर जाने लगी तो उसके गोरे जिस्म और यूयेसेस पर कुछ घाव देख कर स्टेज पर बेते हुए मेंबर ने वो घाव देख लिए.

“अरे रमेश…देख कितनी गोरी चिकनी मुलयूं औरत है यार…साली के जिस्म पर ये घाव किसने कर दिए.”

“अरे हन सतपाल…साली की कमर…भेंचो पेट पर भी बहोट लाल है यार..”

तभी एक और बोला…

“(लंड मसालते हुए) इतनी मादक चिकनी औरत है भाई. इसका पति रोज छोड़ता होगा इसको, साली को खा गया है पूरा..भेंचोड़ मेरा तो लंड बेकाबू हो रहा है.”

“सही बोला यार…वो सुनील है बहोट हरामी देख बेचारी कितनी गोरी मदारचोड़ पूरा कभबा कर खा गया इसको…”

“आबे यार मई तो सोच कर ही पागल हो रहा हू इसका मुलयूं जिस्म कैसे चबा कर खा जाता होगा वो..”

“सही बोला बे…इसका तो पेट मसालते ही लंड का पानी निकल जाए.”

“कसम ख़ाके कहता हू रमेश एक बार मेरे बिस्तर मे आ जाए साली की सारी प्रधानी निकल दूँगा…भेंचूड्द क्या चीज़ है!!”

“अरे बस करो माद्रचोड़ो सपना देखना वो इसका पति है ना सुनील, बहोट ब्डा हरामी है सला! जितनी सनडर है ना ये उतना रग़ाद कर छोड़ता है इसको. बाहर भी जाती है तो उसके साथ जाती है. देख अभी पीछे आके खड़ा हो जाएगे इसके और कमर पकड़ लेगा. मैने खुद देखा है..”

सतपाल- अरे ये तो कुछ नही तुम्हे पता नही है, रोज रॅली ख्तं होते ही डोफेर को इसका पति सुनील खुद रग़ाद कर छोड़ता है इसको, मैने खुद देखा है. इसकी चिकनी कमर मे हाथ डाल कर ले जाता है उप्र फिर वी चुड्ती है ये.

“तू सही बोला सतपाल, सुनील है तो किस्मत वाला. इतनी सनडर चिकनी बीवी और उपर से गाओ की प्रधान बॅन जाएगी..किस्मत बहोट जाबर है सेयेल की”

रमेश- आबे ऐसी मादक औरत को कोई कैसे छोड़े बिना रह सकता है. मई होता तो साली से दिन रात अपनी सेवा करवाता और खूब रग़ाद रगड़ कर छोड़ता रोज..

“ये तो कुछ भी नही रमेश, एक बार ये प्रधान बन गयी ना कैसे वो सरकारी बाबू इसको रग़ाद रगड़ कर छोड़ेंगे. ऐसी मादक औरत को देख कोई लंड का पानी निकले बिना नही रह पाएगा,”

अपनी किस्मत और मा के जिस्म को हवस से घूरते हुए वो सब मेंबर स्टेज पर भास्ं दे रही गत्री की साइड से चिकनी कमर और पल्लू मे उसका पेट देख कर लंड मसल कर आराम से बेते थे. और कुछ पीछे से मा की नंगी कमर के साथ उसकी मोटी गांद भी घूर रहे थे.

तभी उन्होने मुझे आता हुआ देखा और एक दूसरे को इशारा करने लगे की कैसे मई अब मा से मज़े लूँगा. लेकिन मुझे भी पता था की ये सब मा के जिस्म के लिए तड़प रहे है.

अब मई कैसे इनको भूका रहना देता आख़िर ये लोग इतनी हेल्प जो कर रहे थे. गाओ के सभी बड़े बड़े घर के मर्द स्टेज पर बेते थे और पीछे से गत्री को स्पीच देते हुए देख कर उसकी चिकनी नंगी और मोटी गांद भी घूर रहे थे.

गाओ के इन्न सब मर्दो मे नागपाल, रामपाल, गग्गू दादा, चौधरी साब और बाकी काफ़ी लोग थे. पीछे से गत्री की नंगी कमर को घूर कर नागपाल बोला-

नागपाल- (लंड मसालते हुए) अरे भाई साब इश्स गत्री ने ये सारी क्यू पह्न र्खी है. साली की कमर भी ना दिख रही सही से….उम्म्म्ममममम..

रामपाल- अब क्या उसकी गांद मरेगा तू…उउम्म्म्मम भेंचो इतनी मस्त लग रही है.

नागपाल- अरे भाई इसको बोलो गाओ की सब औरतो की तरह घग्रा चोली पह्न कर आए यहा. फिर देखना भैसाब साली की ये नंगी चिकनी कमर एकदम सॉफ चमकेगी और इसका पेट घग्रे मे इसकी मोटी गांद. ये चाह कर भी च्छूपा नही पाएगी कुछ. अभी देखो कैसे पल्लू करके खड़ी है.

गग्गू- सही बोल रहा है तू नागपाल, जब गहगरा चोली मे इसका ये मादक जिस्म सॉफ दिखेगा.

रामपाल- क्या बात है ठओ, इश्स उमर भी छूट की भूक मे बेते हो.

गग्गू- (मूठ मार कर इशारा करते हुए) आबे जब सामने ऐसी मादक जवान औरत हो मुर्दे का लंड भी खड़ा हो जाए.

सब हास पड़े और फिर-

मई- अब हुमारी होने वाली प्रधान मेडम सभी गाओ के बडो को उनके पास जाके माला पहना कर उनका स्वगत् करेगी.

सबसे पहले नागपाल का नंबर था, सबके मूह पर मुस्कान आ गयी. मा शर्मा कर उसकी तरफ आने लगी और वो मा का पल्लू मे चमकता हुआ आधा मुलयूं पेट देख कर मुस्कुराने लगा. फिर मा ने माला पहना दी और कककचह….मा की कमर पर नोच कर उंगलिया गाड़ दी.

मा- आहहूूच…हुहह…हुहह..हुहह..हा..

फिर मा को खिच कर अपने सिने से लगा लिया और उसके दूध से भरे चुचे अपनी च्चती मे दबा दिए. मा को शर्मा आ गयी क्यूकी पीछे से वो उनकी मोटी गोल गांद पर मसल रहा था और फिर धीरे से गले मिलते हुए मा के कान मे बोला-

नागपाल- बड़ी गरम लग रही हो मेडम..

मा ने शर्मा कर मूह झुका लिया और साइड मे बेता रामपाल भी खड़ा हो गया. मा ने देख लिया उसका लंड खड़ा हो चुका था.

रामपाल- अरे मेडम आपके हाथ पर क्या लगा है?

मा अपने मुलयूं गोरे गोरे हाथ देखने लगी की तभी उसने मा के हाथ मसल कर ड्बे दिए.

रामपाल- अरे मेडम आपके पेट पर कुछ लगा है अपना पल्लू हटाओ तो..

मा को और शरम आ गयी वो मुस्कुरा कर इधर उधर देखने लगी. अभी तक उसने मर्दो से भरे इश्स स्टेज पर अपना जिस्म पल्लू से किसी तरह छुपा कर र्खा था पर…

मा- जी….हुहह..हुहह..

मा ने अपना पल्लू साइड करा और उसका मुलयूं पेट देख बाकी बेत्ने वालो का लंड और त्नन हो गया. रामपाल ने एकदम मा के पेट को पकड़ कर नोच लिया.

मा- आहह…हूउहहुहहहहूहह…

रामपाल- मिल गया मेडम ये देखो आपकी नाभि मे जेया रहा था.

मा की सास और तेज ह्प गयी, उन्न मर्दो के बीच रानपाल ने गत्री का मुलयूं पेट कासके नोच कर भीच दिया था.

रामपाल- क्या हुआ मेडम..?

मा- सीसी….क…कुछ नही..हुहह..हुहह..कुछ नही..

बाकी सब मुस्कुराने लगे और गत्री ने रामपाल को माला पहना कर स्वगत् किया और गग्गू दादा की तरह आने लगी. अब गाओ का हरामी गग्गू दादा को तो सही से गत्री का जिस्म देखना था. उसका मॅन तो गत्री का पल्लू फाड़ कर उसका चुचे पीने का था पर अभी तो नही कर सकता था ना.

गग्गू- हम नही पहनेगे माला.

मई- अरे क्या हुआ गग्गू दादा क्यू नाराज़ होते हो?

गग्गू- अरे हुमारे गाओ मे औरत सारी नही घग्रा चोली पहनती है और इसको देखो.. जब तक ये घग्रा चोली नही पहनेगी मई नही माला नही पहनूगा.

मई- अरे दादा नाराज़ क्यू होते हो, आप गाओ के बड़े हो आपकी बात तो मानी पड़ेगी.

गग्गू दादा ने हरामी वाली मुस्कुरहत के साथ मुझे देखा.

मई- पर अभी तो घर दूर है मेडम को कैसे घग्रा चोली पहना दे..?

रामपाल- अरे सुनील भाई किसी का घर पास मे हो तो किसी और की पहना दो.

मई- हन ये सही है, चल गत्री कपदे बदल कर आ, सुना तूने गग्गू दादा क्या बोले…

मा- जी…

पास के घर से मा के लिए घग्रा चोली का जुगाड़ किया गया. कुछ देर बाद मा बाहर वो घग्रा चोली पह्न कर आई. मेरा तो सला लंड ही खड़ा हो गया मा को देख कर यूयेसेस घग्रा चोली मे.

असल मे वो घग्रा चोली मा के साइज़ से बहोट छ्होटे थे तो मा के चुचे आधे से ज़्यादा बाहर निकल गये. उसके निपल की गोली के पास का पिंक हिस्सा बाहर चमक रहा था और निपल की गोली चोली के बॉर्डर पर किसी तरह अटक रही थी.

उम्म्म्ममम मेरी आँखे लाल हो गयी. सामने गत्री जेसी मादक औरत जिसका दूध जेसा गोरा जिस्म हो उसके दूध से भरे चुचे बाहर तपाक रहे हो. तो मुर्दे का लंड भी खड़ा हो जाए. उपर से उसकी चोली भी छ्होटी थी. उसका पूरा पेट एकदम चिकना मुलयूं छूट के बॉर्डर तक सॉफ चमक रहा था और पीछे से उसकी मोटी गांद की लाइन भी एकदम सॉफ नज़र आ रही थी.

मा- (शरमाते हुए) ये साइज़ तोड़ा छ्होटा है..तोड़ा ब्डा चाहिए था.,,

मई उसके पास गया और उसके पेट पर क्ष्स के थप्पड़ मारा और अंदर तक नोच कर मसल दिया.

मा- आहहुऊम्म्म्मममम..हुहह…हुहह…

मई- साली कुटिया साइज़ छ्होटा है तबा भी तू इसको पह्न कर मेरे सामने आ गयी और अब नाटक करके दिखा रही है. तेरे जिस्म की भूक बहोट आचे से जानता हू मई, साली मुझे ब्ड़का रही है तू!

मा की सास और तेज हो गयी और चुचे फूलने लगे. और ऐसा होते ही ब्लाउस के बॉर्डर पर अटका हुआ उसका निपल बाहर निकल गया. उम्म्म्मममममम बस यही देखना बाकी था, आज तो साली रॅली से पहले ही चूड़ेगी.

मेरी आँख देख मा साँझ गयी की उसको छोड़े भी नही जाने दूँगा अब मई. मेरे पास आ गयी और मेरा लंड मसल कर माधोसही भारी आवाज़ मे बोली-

मा- छोड़ ना मुझे…हुहह..हुहह..गरम हो रही हू मई…हुहह…छोड़ अपनी रंडी को…हुहह…

मॅन तो था मेरा छोड़ने का, पर मैने सोचा साली बहोट गर्मी है गत्री तुझे. आज तुझे सही से त्का कर छोड़ूँगा. साली जब ये सब कुत्ते तुझे छहुउस कर तुझे निचोड़ देंगे जब तेरे जिस्म मे हवस तो होगी. पर ताक़त नही होगी तब तुझे गोली ख़ाके अपनी कुटिया बना कर छोड़ूँगा.

मैने मा की कमर पकड़ कर खिछा और उसकी नंगी च्चती पर उसका निपल नोच कर काट लिया.

मा- आहाआआआआआआआआआआआअहहुहह..उउम्म्म्मममम…

मई- छोड़ूँगा साली तुझे पर जब बाहर बेते हुए वो कुत्ते तेरे चुचो का दूध निचोड़ कर तेरा ये पेट कक्चा चबा कर तेरी इश्स क्सि हुई गुलाबी छूट को निचोड़ तेरा अंदर तक पानी निकल तुझे बेहोश नही कर देते तब तक. हुहह..हुहह साली जब तेरे अंदर खड़े होने की ताक़त भी नही बचेगी तब तुझे देख कैसे छोड़ूँगा!

मा मुझे घूर्ने लगी, वो भी साँझ गयी की अगेल 2 दिन तक उसका क्या हाल होने वाला है. फिर मा ने अपना निपल अंदर करा और बाहर आ गयी. बाहर स्टेज पर बेते हुए सारे मर्द्रचोड़ मेंबर के लंड मे खून की स्पीड तेज हो गयी.

आती हुई गत्री को देख कर गग्गू दादा की राल टपकने लगी आँखे घूर्ने लगी और माला लिए हुए गत्री सामने खड़ी हो गयी. गग्गू दादा बेते हुए थे उनके मूह के सामने गत्री की गहरी नाभि आ रही थी जिसको वो बेशार्मो की तरह घूर रहे थे.

मा की नाभि घूरते हुए गग्गू दादा खड़े हुए और माला पहनने से पहले दूध से भरे मा के आधे चुचे बाहर निकले हुए घूर्ने लगे.

गग्गू- पहले गले नही मिलेगी क्या मेरे..??

मा शर्मा कर मूह झुकने लगी.

मई- अरे बोल गग्गू दादा कुछ पूछ रहे है…

मा- (शरमाते हुए) जी…जी..मिलूंगी..

गग्गू- तो मिल ना मेरी जान..

मा शरमाते हुए गग्गू दादा के करीब आने लगी और उसकी च्चती देख कर गग्गू दादा से रहा ना गया और गत्री की चिकनी कमर मे उंगलिया गाड़ कर अपने से चिपका लिया.

मा- आअहहूूच…हुहह…हुहह…

मा पूरी कासके गग्गू दादा से चिपक गयी..उउम्म्म्ममममममममम…ऐसी मादक औरत का एहसास पाके गागु दादा और ब्ड़क गये. और कासके गत्री के चुचे अंदर ड्ब गये और उसकी नंगी कमर पर हाथ फेरने लगे. गत्री अंदर दबी हुई सिसकिया लेने लगी.

मा- हुहह…अहह…आहूहह….हुहह..

गग्गू- (मा के कान मे दबी आवाज़ मे) बहोट गरम चीज़ है तू, देख तुझे अब गग्गू दादा की गर्मी दिखौँगा ..

मा- आआआअहूओउुुउऊचह…हुहह..हुहह…

मैने देखा की गग्गू दादा ने मा की चिकनी नंगी कमर पर नाख़ून से खरॉच रहे है. उउम्म्म्ममममममम..भेंचोड़..ऐसी माखन जेसी चिकनी कमर पर नाख़ून की खरॉच बहोट मादक लग रही थी. गत्री की कमर लाल पड़ने लगी.

गग्गू दादा ने गत्री की कमर पर 10-11 खरॉच नाख़ून गाड़ कर मार दी और तब अलग हुए. क्यूकी गले जो मिल रहे थे. मा हाफ्टी हुई उनसे अलग हुई. अपनी गरम छूट पर गग्गू दादा का खड़ा लंड भी महसूष कर चुकी थी.

गग्गू दादा ने गत्री को घूर कर देखा तो उसनर शर्मा कर मूह झुका लिया, फिर वो उनको माला पहनने लगी. बाकी के सब मर्द भी मा का जिस्म घूर रहे थे जैसे अभी आँखे बाहर आ जाएगी. लेकिन गग्गू दादा ने तो बस सोच लिया था की मा को आज सही से छोड़ कर कक्चा खाना है. उनकी हवस कंट्रोल नही हो रही थी.

वो चाचजी जे के बाद गाओ के सबसे आमिर और रसूकदार मर्द थे तो गत्री को ऐसे तो जाने नही देंगे.

गग्गू- अरे सुनील बेटा ज़रा स्टेज के नीचे लोगो के बीच मे एक कुर्सी र्ख़्वा दे. व्हा मई ज़रा इन्न लोगो से हुमारी प्रधान के बारे मे बात करूँगा ताकि सब गत्री को ही वोट दे.

इतने मई गत्री से गाओ के बारे मे कुछ बात करलू आग्र तू बुरा ना माने तो..

मई- अरे दादा मई क्यू बुरा मौँगा, ये तो हुमारी होने वाली प्रधान है गाओ के बारे मे पता होना चाहिए.

मा ने शर्मा कर मूह झुका लिया और गग्गू दादा मेरे सामने मा की कमर पकड़ पीछे ले गये. और मई मुसकरुआता हुआ बाकी मेंबर के साथ नीचे जाने लगा. पीछे जाते ही गग्गू दादा ने मा की कम्र पकड़ कर खिछा और उसकी चोली मे हाथ घुसा कर उसका दूध से भरा चुचा बीच दिया.

मा- आहहुहह..यूहा..उहह…हुहह..

ग- साली कबसे देख रहा हू…..उउम्म्म्ममम..बहोट तडपा रही है तू…कुटिया!

मा- आहह..आहूहह..हुहह..क्या कर रहे है…ये सब मत करिए ना..आअहह…हुहहुऊम्म्म्म..

ग- नाटक कर रही है साली…हुहह..हुहह (हवस भारी आवाज़ मे).. साली कबसे अपना ये जिस्म दिखा कर लंड कर रही है सबका, अब नाटक करती है!

तभी पीछे से नागपाल आया और कासके मा को पीछे से पकड़ कर उसने भी हाथ मा के ब्लाउस मे दे दिया और दूसरे चुचे का निपल नोचने लगा. ऐसे 2 मर्दो का अट्तक्के एक साथ मा को उमीद नही थी.

मा- आआआअहहूूच..हुहह..हुहह..

न- सही कह रहे हो गग्गू दादा…भेंचोड़ कबसे तेरी चुचि और ये पेट देख रहा हू…हुहह…हुहह..सला लंड फदाक रहा है कबसे..

पीछे से घग्रे मे नागपाल का मोटा लंड और आयेज से गग्गू दादा का छूट पर घिसता हुआ लंड. गत्री की सास तेज हो गयी और वो भेकने लगी.

तभी पीछे से नागपाल ने मा का ब्लाउस खिच लिया और फेक दिया..उउम्म्म्मम दूध से भरे वो चुचे.. दोनो ने आव देखा ना ताव दोनो चुचो पर नागपाल और गग्गू दादा ने कक्चह.. से गत्री के मादक गुलाबी निपल पर काट लिया, वो काप गयी और बहक भी गयी थी.

और तभी दोनो ने खिच खिच कर . की तरह मा के चुचे से निपल चूसना शुरू कर दिया.

मा- आहह………बस..करो…आहह..

स्पप्रर कककच…कककच..कक्च…उउम्म्म्म..उउंम्म…उम्म्म..ससपरर..स्पपररर..ससपरर..कककच..कक्च्छ..कककच……

पपकचह..प्पउक्च..उम्म्म्म..ससपरर.कक्च…कककचूंम्म्मममममम..

गग्गू- कककच..कककच……….क्या चुचा है साली तेरा…….…

मा- …मेरा निपल….हुहह… जाएगे….……मम्मी..

नागपाल- उम्म्म्ममम…साली..प्रधान..तुझे तो मेरे बिस्तर की रंडी होना चाहिए था…………..

दोनो ने 10 मिनिट तक मा की च्चती पूरी चूस कर निचोड़ डाली. हाफ्ते हुई गत्री ने अपनी च्चती देखी पूरी दाँत के निशान गड़े हुए थे. मा ने देखा की नागपाल और गग्गू दादा ने अपने लंड बाहर निकल कर पूरे नंगे हो गये है. वो शर्मा कर कुछ बोलने ही वाली थी की तभी पीछे से नागपाल ने उसके घग्रे मे हाथ डाल कर उसकी गीली छूट को कासके नोच दिया.

गत्री की आँख बंद हो गयी और वो फफ़क पड़ी एकदम चिकनी छूट पकड़ कर नागपाल भी पागल हो गया और ज़ोर से मसालने लगा.

नागपाल- (हवस भारी आवाज़ मे) आहूहह..क्या छूट है…भेंचोड़..तेरी इतनी चिकनी…..हुहहूंम्म्म..आज तो तुझे साली..बस..

मा- ह…आहूहह..आआआआआआआआआआवउूचह…हुहह…हुहह…बस…करो…हहूहह..आहह..

लाल आँखो से लंड मसलते हुए गग्गू दादा ने एक गोली खा ली और फिर सिसकिया लेती हुओ गत्री का घग्रा खिच कर नीचे कर डाला…उउम्म्म्ममममममममम.. उसका जवान मादक जिस्म अब नंगा हो चुका था. ऐसा मादक जिस्म दोनो ने कभी नही देखा. इसीलिए आज उनकी हवस बुरी तरह टूट कर बाहर आअएगी.

गग्गू – (मा का नंगा जिस्म मसालते हुए) साली क्या जिस्म है तेरा एकदम अप्सरा है भेंचोड़.. तभी तेरा पति वो तुझे अकेला नही छ्चोड़ता, बहोट छोड़ता होगा ना साली तुझे वो…बोल साली बोल…!

तभी नागपाल ने मा की चिकनी गुलाबी छूट और ज़ोर से नोच दी.

मा- आआआआआआआअहहूूच…हुहहुउऊम्म्म्ममममममममम..

नागपाल- बोल साली….दादू..हुहह..हुहह..दादू क्या पूछ रहे है..

यह कहानी भी पड़े  मा, पापा, और चाचा के सेक्स की आँखों देखी कहानी


error: Content is protected !!