तो पिछली कहानी में आपने पढ़ा कैसे शिखा की छूट चूस कर उसे ऑर्गॅज़म दिया, और अब उसकी गांद मारने का टाइम आ गया था. मैं बहुत एग्ज़ाइटेड था यार उसकी गांद पेलने को. क्यूंकी उसकी गांद एक-दूं रौंद और गद्देदार थी.
लंड उसे देख कर फटने को हो आता था, और फिर मौका भी अछा था. सारी रात के लिए मेरे रूम पर थी तो कैसे छ्चोढ़ देता गांद बजाए बिना. शिखा दररी सी बैठी थी बेड पर. सोच रही थी की अब गांद फटेगी और कितना दर्द होगा. कैसे झेलेगी मेरा लंड गांद में जब छूट में लेने में फटत जाती है.
विवेक: तू बैठ यहा, मैं आता हू.
शिखा: अर्रे नही ना यार, कही नही जाना. यही बैठो आप तो मेरे सामने. गांद पेलनी है ना, तो बस चुप-छाप बैठो. यहा मैं भी अपने मॅन में रेडी हो जौ गांद फदवाने को. पर तक तब कही नही जाओगे आप.
विवेक: अर्रे पर क्यूँ यार? मुझे वॉशरूम जाना है. छ्चोढ़ मेरा हाथ वरना यही मूतने लग जौंगा, और फिर बातरूम से तेरे लिए समान भी लेकर आना है, समझा कर.
शिखा: चलो-चलो, चूतिया किसी और को बनाना. मुझे सब पता है वियाग्रा टॅबलेट खानी है आपको बस. ताकि देर तक गांद पेल सको. पर नही बच्चू, नही जाने दूँगी. गांद तो आप बिना टॅबलेट के ही मारोगे अब.
विवेक: अर्रे मेरी जान तेरी गांद मैं टॅबलेट के बिना भी घंटो छोड़ सकता हू. पर उसमे तुझे ज़्यादा दर्द ना हो उसके लिए कुछ समान लाने दे. छ्चोढ़ मेरा हाथ, वरना फिर रोएगी चिल्लाएगी, तो मुझे मत बोलना.
शिखा तोड़ा सोचने के बाद मेरा हाथ छ्चोढ़ देती है. मैं बातरूम जेया कर मूट कर उसके लिए लूब्रिकॅंट लेकर आता हू.
शिखा: इससे क्या होगा भैया?
विवेक: बस देखती जेया मेरी जान, की गांद छोड़ते टाइम तुझे ज़्यादा दर्द ना हो, उसके लिए सारे इंतेज़ां कर लिए है.
शिखा: आप कितना भी बोलो, मुझे पता है जान तो निकलेगी मेरी. इंटरनेट पर मैने भी बहुत रिसर्च की है गांद चुदाई के बारे में. इसलिए तो इतने टाइम से ताल रही थी आपको. कितना दर्द होता है वो पढ़ कर ही गांद फटत जाती है, और आप जैसा जानवर छोड़ेगा तो क्या ही हाल करेगा. चलो पर आज नही तो कल ये चूड़नी तो थी ही. तो आज ही सही. पर प्लीज़ भैया बहुत आराम से पेलना यार, फर्स्ट टाइम.
विवेक: बिल्कुल फिकर मत कर मेरी जान. तू मेरे लिए गांद फदवाने को तैयार है, तो मैं भी बहुत मज़े देकर लूँगा तेरी गांद.
शिखा ने मुझे सीने से लगाया. उसके चेहरे पर दर्र सॉफ दिख रहा था. मैने उसका चेहरा उपर किया, और उसके होंठो को एक किस दिया. फिर उसे बेड पर लिटाया और हम किस करने लगे. किस में भी उसके होंठ काँप रहे थे दर्र से.
मैने उसकी छूट पर अपनी उंगलियाँ रखी, और साइड-साइड चलाने लगा. वो भी थोड़ी देर में आहें भरने लगी गरम होके.
जब शिखा पूरी तरह साथ देने लगी, और हवस चढ़ गयी उसके भी सिर पर, तब मैने किस तोड़ी, और उसकी कमर के नीचे एक तकिया लगाया, और गांद थोड़ी उपर उठाई. वो बड़े गौर से देख रही थी सब. मैने लूब्रिकॅंट उठाया और उसकी छूट पे डाला, जो बहता हुआ गांद तक आ गया. फिर छूट और गांद के च्छेद पर आचे से मालिश की. वो फुल गरम थी.
शिखा: भैया यार अब रहा नही जेया रहा मेरे से. आप एक बार छूट पेल दो ना, फिर गांद मार लेना. मेरी छूट की नस्सो में इतना टेन्षन कर दिया है आपने, प्लीज़ छोड़ कर पानी निकालो.
विवेक: नही शिखा, अब तो लंड सीधा तेरी गांद में ही जाएगा.
मैने उसकी गांद के च्छेद को देखा, मस्त छ्होटा सा पिंकिश ब्लॅक. फिर एक उंगली धीरे से गांद के च्छेद में डालनी चाही.
शिखा: उम्म्म भैया, आराम से यार
विवेक: शिखा गांद को ढीला छ्चोढ़ दे, दर्द नही होगा.
शिखा: भैया ये अपने आप टाइट हो रही है यार.
तोड़ा प्रेशर दिया तो मिड्ल फिंगर उसकी गांद में घाप से अंदर हो गयी.
शिखा: उम्म्म फक, बहनचोड़ जब उंगली इतना दर्द दे रही है, तो लॉडा तो जान ले लेगा भैया.
फिर मैने फिंगर इन-आउट करना शुरू किया. थोड़ी देर में ही गांद रिलॅक्स हो कर लूस हो गयी, तो उंगली आसानी से अंदर-बाहर होने लगी. फिर मैने एक और उंगली डाली, तो शिखा फिरसे चीख पड़ी. पर थोड़ी देर में उसकी गांद दोनो उंगली अड्जस्ट कर गयी.
दोस्तों मैं चाहता तो डाइरेक्ट लंड भी पेल सकता था, बुत उससे उसे बहुत दर्द होता. तो मैं बस उसकी गांद को अपने लंड की मोटाई के अकॉरडिंग खोल रहा था उंगली करके, जो की खुल भी गयी थी.
विवेक: शिखा रेडी हो जेया, अब मैं लंड पेलुँगा.
शिखा: क्या रेडी हो जौ भैया? मेरी तो ऑलरेडी दर्र की वजह से फटत रही है. आप करो जो करना है यार झेल लूँगी. ये भी किस्मत में लिखा है तो करना तो है ही.
मैने शिखा को पलट दिया, और उसके पेट से पिल्लो लगाया, और गांद थोड़ी उपर उठाई. उसने भी एक पिल्लो लेकर अपना मूह उसमे दबा लिया. मैने उसकी गांद को पकड़ा दोनो हाथ में, और खोला.
विवेक: शिखा तू अपनी गांद को ऐसे खोल कर रख, मैं लंड पेलता हू.
शिखा: यार भैया मुझसे कुछ मत खुलवाओ प्लीज़. चुप-छाप पड़ा रहने दो. आप खुद ही करो जो करना है, और जल्दी करो. दर्र के मारे कही मॅर ना जौ. जल्दी ख़तम करो ये सब.
मैने लूब्रिकॅंट उठाया, और उसकी गांद के च्छेद पर डाला, और लंड पर लगाया. फिर लंड उसकी गांद के च्छेद पर टीकाया.
विवेक: रेडी शिखा, तो लूस युवर आस वर्जिनिटी?
उसने पिल्लो में मूह दबाए हुए ही हा में सर हिलाया. लंड फुल तन्ना हुआ था. मैने गांद के च्छेद पर लगाया, और तोड़ा प्रेशर से पुश किया टोपा अपना. पर उसकी गांद सच में बहुत टाइट थी, तो बहुत मुश्किल हो रही थी मुझे ही लंड पेलने में, तो शिखा की हालत का अंदाज़ा तो लगा ही नही सकते आप.
वो झटपटा रही थी, पर मेरी पकड़ मज़बूत थी. सो मैने भी फुल पवर से लंड दे मारा, और टोपा अंदर घुसा दिया. उउफ़फ्फ़ क्या फीलिंग थी यार उसकी गांद में लंड जाने की. मेरे टोपे पर ऐसा लग रहा था जैसे आग में डाल दिया हो, इतनी ज़ोर से कस्स लिया था उसकी टाइट गांद ने टोपे को.
एक-दूं गरम और सॉफ्ट-सॉफ्ट दीवारे उसकी गांद की धीरे-धीरे टाइट हो रही थी. फिर रिलॅक्स हो रही थी. उसके बाद एक-दूं से और टाइट हो जाती फक. मैं अपने मज़े में खोया था, और शिखा की तरफ ध्यान ही नही गया था. वो बेचारी पिल्लो में मूह दिए चीख रही थी आहह मा, और अपने हाथो से मुझे मारने की कोशिश कर रही थी.
मैं उसके उपर झुक गया, और लंड को पेलता गया. ऐसा लग रहा था की उसकी गांद का सारा गुडा मेरे लंड को बाहर फेंकने को पूरी ताक़त लगा रहा था, और मैं भी फुल फोर्स से उसे हरा कर लंड अंदर पेल रहा था. इस सब में शिखा की मा चुड रही थी. वो रोने लगी और झटपटा रही थी.
शिखा: रुक जाओ भैया. प्लीज़ और अंदर डाला तो मॅर जौंगी. प्लीज़ भैया नही झेल पौँगी यार.
पर मैं नही माना. मैं फुल फोर्स से लंड ज़बरदस्ती पेलता गया, और बिल्कुल जब तक गोते उसकी गांद से नही टकराए तब तक पेलता गया.
शिखा: अफ बहनचोड़ मार दिया.
और वो रोने लगी. ये देख कर यार पता नही क्यूँ पर लंड और तंन गया ढीला पड़ने की जगह.
विवेक: बस मेरी जान, अब हो गया. पूरा लंड अंदर है, अब दर्द कम होगा और मज़ा आएगा.
वो कुछ नही बोली और अपनी गांद को अपने हाथो से खोल कर रो रही थी. उसकी गांद में जलन हो रही थी, इसलिए वो और ज़्यादा टाइट्ली मेरे लंड को जाकड़ रही थी.
विवेक: शिखा मेरी जान, गांद को रिलॅक्स छ्चोढ़, ऐसे टाइट करके रखेगी तो और जलेगी और दर्द होगा.
उसने कुछ नही बोला, बस मूह च्छुपाए रो रही थी. मैने लंड अंदर-बाहर किया तो गुस्से में.
शिखा: दो पल की तसल्ली नही है बेहन के लोड.
रुक जेया ना 2 मिनिट, फिर छोड़ लेना, रोकूंगी नही. लंड बाहर था आधा, तो मैने पेल दिया एक झटके में अंदर, और रुक गया. उसको झटके से दर्द हुआ तो मूह उपर उठ गया.
शिखा: आहह माआअ प्लीज़ बचाओ अपनी बेटी को यार. ये बेहन का लोड्ा जान लेने पे उतारू है आज. प्लीज़ निकाल लो.
वो हाथ जोड़ कर रो कर बोल थी ये सब. मुझे बहुत प्यार आ गया उस पर और मैने पीछे से उसकी गर्दन पर किस किया.
विवेक: सॉरी जान, बुत गांद में इतना दर्द तो होता है, और अभी ये दर्द नही देता तो आयेज का मज़ा कैसे देता. सॉरी पर अब सच में बहुत मज़ा आएगा तुझे गांद छुड़वाने में.
थोड़ी देर रुकने के बाद उसकी गांद रिलॅक्स हुई, तो लंड पर पकड़ ढीली पद गयी. मैं समझ गया अब लंड को अड्जस्ट कर लिया है गांद ने, और शिखा भी बिना हीले-दुले पड़ी थी.
विवेक: शिखा बेबी अब भी दर्द हो रहा है गांद में? जल रही है गांद अभी क्या?
शिखा: हा भैया, बुत पहले से कम है अब पाईं.
मैं उसके उपर से उठा, और लंड धीरे से बाहर खींचा आधा, और उस पर लूब्रिकॅंट डाला, और धीरे से अंदर किया, ताकि लूब्रिकॅंट उसकी गांद की दीवार को चिकना कर दे, और जब मैं गांद छोड़ू, तो उसे जले नही.
शिखा: भैया यार दर्द कम हुआ है बोला था, इसका ये मतलब नही की आप और स्पीड बढ़ा दो. जल रहा है यार अभी भी, रूको तो सही.
बहनचोड़ 10 मिनिट हो गये थे यार बिना कोई हुलचूल किए, मैं भी कहा तक कंट्रोल करता. उपर से उसकी गांद देख कर हवस सिर पर नाच रही थी. मैने उसकी गांद पकड़ी और लंड अंदर-बाहर करने लगा धीरे-धीरे.
शिखा: उम्म मा, मदारचोड़, रुक जेया बेहन के लोड. भैया रहम करो यार प्लीज़.
मैने उसकी एक नही सुनी. लंड फुल शेप में था, और गांद मस्त टाइट ग्रिप बनाए थी. पेलने में जो मज़ा आ रहा था यहा नही लिखा जेया सकता भाइयों, बस महसूस करो. फुल तन्ना लंड टाइट गांद में अंदर-बाहर होता हुआ.
उसकी स्किन गांद के पकड़ से उपर-नीचे होती हुई, और उसके उपर गांद की मस्त गर्मी आए हाए किसी बहनचोड़ को और क्या चाहिए अपनी बेहन की गांद से.
इससे ज़्यादा मज़ा शायद ही किसी चीज़ से मिले यार. एक बेहन की मस्त छूट और गांद मिल जाए पेलने को, तो भाई कुछ भी लूटा दे दुनिया में यार.
मैं मज़े में खो गया. शिखा क्या चिल्ला रही थी, क्या बोल रही थी, कुछ नही सुनाई दे रहा था. मुझे बस अपना लंड उसकी गरम गांद में अंदर-बाहर होते हुए महसूस हो रहा था, और उससे मिलने वाली गर्मी और उसका मज़ा बस यही सब छाया था दिमाग़ में. मैं लंड आखरी एंड तक पेलता और निकालता डीप स्ट्रोक्स दे रहा था.
शिखा: आआहह आआहह माआ फुक्कककक. इतना अंदर मत पेलो अभी आहह. सुनता नही है एक तो बहनचोड़ एक भी बात. कोई फ़ायदा नही इस कुत्ते से कुछ भी बोलने का. छोड़ बहनचोड़, तू अपनी हवस निकाल ले बस. मैं चाहे मॅर ही क्यूँ ना जौ.
मैने लंड पेलते-पेलते स्पीड बधाई और उसकी गांद आचे से पकड़ कर और अंदर तक पेलने लगा.
शिखा: आ आ, छोड़ो ज़ोर से भैया.
विवेक: अभी तो रूको-रूको निकालो-निकालो चिल्ला रही थी बेहन की लोदी.
शिखा: हा तो बेहन के छोड़ू, कभी गांद छुड़वाना तब पता चलेगा कितना कुछ झेलना पड़ा मुझे इस मज़े के लिए.
अब बस मूह नही लंड चलाओ भैया. पेलो बीसी मुझे और ज़ोर से, और दूं लगाओ भैया.
भाइयों आप खुद ही सोचो ऐसा माल आपको भैया और तेज़, और अंदर, और दूं से पेलो बोले, तो आप क्या करोगे?
भाई मैने अपनी पूरी ताक़त से लंड अंदर पेलना शुरू कर दिया. कमरा पूरा पट्ट पट्ट आअहह आअहह और की आवाज़ो से गूँज रहा था. करीब 15 मिनिट उसकी कमर तोड़ गांद पेली मैने, और फिर वो झाड़ गयी.
शिखा: उफ़फ्फ़ भैया, मज़ा आ गया यार. छूट में इतनी टेन्षन हो रखी थी, सारी नास्से इतनी टाइट हो गयी थी, पर आपने सब शांत कर दिया.
विवेक: पर मेरा…
शिखा: पता है पता है मेरा नही हुआ अभी तक, यही ना? तो मैं कों सा मैदान छ्चोढ़ कर भाग रही हू यार. आपका पानी जब तक 4-5 बार छूट में ना जाए, तब तक मुझे भी शांति नही मिलती है भैया. इतना चुड़क्कड़ कर दिया है आपने. बस पेलो आप अब, और अपना माल पिलाओ मेरी गांद को भैया.
मैने दोबारा से उसकी गांद को पेलना शुरू किया, और मस्त 10 मिनिट पूरा लंड अंदर-बाहर करके पेला उसको, और उसकी गांद के आखरी एंड तक पेल कर झाड़ गया.
शिखा: एम्म भैया, गांद को पहला माल पीला दिया आपने.
कंग्रॅजुलेशन्स भैया, मेरी गांद के भी मलिक हो गये आज से आप. अब आपके लिए एक और होल तैयार हो गया है लंड पेलने को. उफ़फ्फ़ आपका गरम माल कितना अछा फील हो रहा है गांद में बता नही सकती. सारी जलन सारे दर्द की इतनी मज़ेदार भरपाई मिली है की क्या बतौ.
मैं उसके उपर निढाल गिर पड़ा और हम दोनो हानफते हुए पड़े रहे. 15-20 मिनिट बाद शिखा ने हटाया तो हम बातरूम गये, और सॉफ-सफाई करके वापस से बेड पर आ कर लेट गये.
शिखा: भैया गांद चुड़वते टाइम मज़ा आने लगा था, बुत अब गांद जल रही है.
विवेक: अछा तो बता, फिर डाल देता हू लंड गांद में
शिखा: हे भगवान, ये लड़का कभी चुदाई से तकता क्यूँ नही!