फौजी की पत्नी चुत में लंड लेकर मेरे ऊपर कूदी

फौजी की पत्नी चुत में लंड लेकर मेरे ऊपर कूदी

(Fauji Ki Patni Chut Me Lund Lekar Mere Upar Kudi)

Fauji Ki Patni Chut Me Lund Lekar Mere Upar Kudi

मैं राज रोहतक से अपनी चौथी हिंदी सेक्स स्टोरी लेकर हाजिर हूँ।
जो मेरी नई पड़ोसन है, उसका पति फौजी है, भाभी की उम्र कोई 40 के पास होगी। उनके दो लड़के व एक लड़की है। लड़की की शादी हो चुकी है।

भाभी का नाम गीता (काल्पनिक) है। उनका बड़ा लड़का मामा के पास रहता है और छोटा गाँव में ही पढ़ता है। भाभी ने 8 महीने पहले ही हमारे पड़ोस में घर बना़या है। पहले उनका परिवार एक साथ रहता था, अब फौजी और उनके भाई अलग-अलग रहते हैं।

तो दोस्तो आपको तो पता ही है कि मैं तो हूँ ही कमीना.. बस भाभी के चोदने के सपने देखने लगा। उनकी चूचियां तो हमेशा तनी ही रहती थीं। मैं सोचता था कि काश उनकि इन तनी चूचियों को चूसता ही रहूँ।

वैसे मैं शरमाता भी बहुत था। बस इसी के चलते भाभी से कम ही बात करता था लेकिन उनको याद करके बबीता भाभी को बहुत चोदता था। मेरे घर के दाईं ओर सुनीता भाभी बाईं ओर बबीता भाभी और अब सामने गीता भाभी थीं। जिन्होंने मेरी पूर्व कहानी नहीं पढ़ी हो.. वो पढ़ लें.. देसी भाभी की रात भर चूत चुदाई
और
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और जान लें कि उनकी चुदाई कैसे हुई थी।

भाभी के घर पानी का नल नहीं लगा था.. तो भाभी पानी भरने हमारे घर आती हैं।

एक बार मैं नहा रहा था तो पानी आ गया। माँ ने भाभी को आवाज दी- गीता आ जा.. पानी भर ले..

भाभी की गांड

भाभी का नाम सुनते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा, मैं भाभी का इन्तजार करने लगा और धीरे-धीरे लंड मसलने लगा। भाभी आईं और वो झुक कर पानी का मटका भरने लगीं। मैं उनकी चौड़ी गांड को देखकर लंड तेजी से हिलाने लगा।

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भाभी मटका उठा कर जाने लगीं.. तो उनकी सलवार उनकी गांड में घुसी हुई थी। उनके उठे हुए चूतड़ों को देख कर मैंने लंड हिलाने की स्पीड बढ़ा दी और भाभी अभी घर से बाहर भी नहीं निकल पाई थीं कि तब तक मेरे लंड ने पानी फेंक दिया।

इसके बाद भाभी अपने घर चली गईं।

अब मैं इन्तजार करने लगा कि दुबारा कब पानी आए और भाभी की गांड देख सकूँ।
शाम को जब पानी आया तो मां खाना बना रही थीं, मैं पानी भरने लगा।
मां बोलीं- अपनी भाभी को भी बता दे पानी आ गया है।

मैंने भाभी को आवाज दी- भाभी पानी आ गया है.. भरने आ जाओ।
भाभी बोलीं- आ रही हूँ।

भाभी थोड़ी देर में आ गईं, उन्होंने होंठों पर लिपस्टिक लगा रखी थी, वे शायद नहा कर आई थीं।

भाभी के मटके में मैंने नल का पाइप लगा दिया और साइड में खड़ा होकर भाभी का मुँह देखने लगा। मैंने सोचा कि आज कुछ कर ही देता हूँ.. जो होगा सो देखा जाएगा।

भाभी का मटका भर गया और मैं मटका उठवाने लगा तो मटका उठाने के बाद भाभी जाने लगीं। मैंने पीछे से भाभी की गांड पर हाथ फिरा दिया।
भाभी कुछ नहीं बोलीं.. चली गईं।

थोड़ी देर बाद वो फिर मटका ले कर आईं, मैंने फिर वही किया।
क्या मस्त चूतड़ थे भाभी के एकदम रूई जैसे मुलायम!

अब मैं रोज पानी आने के समय घर पर ही रहने लगा। कभी मौका देखकर चूतड़ दबा देता.. कभी हाथ दबा देता।
लेकिन बात इससे आगे नहीं बढ़ रही थी, मुझे कुछ डर भी लग रहा था, ना ही भाभी कोई इशारा दे रही थीं।

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एक दिन हमारी चक्की खराब हो गई.. तो माँ ने भाभी से पूछ लिया- गीता, गेहूँ पीस दोगी?

भाभी ने कहा- काकी गेहूँ भेज दो.. बिजली आते ही पीस दूँगी।
माँ ने मुझसे कहा- जा बेटा.. अपनी गीता भाभी के घर ये बाल्टी में रखे गेहूँ रख आ।
मैं झट से बाल्टी उठा कर भाभी के घर चला गया।

मैं भाभी के घर गया तो भाभी बालों को पोंछ रही थीं… क्या मस्त लग रही थीं… मेरे लंड में करंट आना शुरू हो गया।

भाभी बोलीं- देवर जी, गेहूं चक्की के पास रख दो!

मैं चक्की के पास बाल्टी रख आया तो भाभी आइने के सामने खड़ी बालों को संवार रही थीं। मैंने सोचा चलो आज फिर हाथ लगा लेता हूँ क्या पता आज बात बन जाए।
मैं भाभी के नजदीक गया और कहा- भाभी आप बहुत सुन्दर हो।
भाभी ने कहा- हाँ पता है मुझे।

मैं भाभी के बिल्कुल पास हो गया और भाभी के चूतड़ों को दबा दिया।
तभी भाभी ने मेरे मुँह पर एक खींच कर थप्पड़ जड़ दिया और बोलीं- आज के बाद हमारे घर ना आना।

मेरी गांड फट गई मैं उधर से चला आया।
जब बिजली आ गई तो भाभी ने गेहूँ पीस दिया और उन्होंने मेरी माँ को आवाज दे दी- काकी, देवर जी से आटा उठवा लो।

मैं भाभी के घर गया और चुपचाप आटा उठा कर वापस आने लगा। मुझे गुस्सा सा देख कर भाभी ने मुझसे धीरे से कहा ‘देवर जी, बाजार से सब्जी ला दो।’

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