फेक भाई ने की बहन की चुदाई

हेलो दोस्तों, आपका दोस्त विराट एक बार फिर से हाज़िर है अपनी सेक्स स्टोरी का लास्ट पार्ट लेकर.

जैसा की आप जानते है मैं एक कल्लबोय भी हू, और मेरी हाइट 6 फीट, कलर नॉर्मल, और लंड का साइज़ 6 इंच है. तो दोस्तों अब आयेज स्टोरी शुरू करते है उस भाभी की ज़ुबानी ही, जिससे आपको मज़ा आए.

हम दोनो भाई-बेहन एक-दूसरे का रस्स पी कर सोफे पर ही बैठ गये. मैने अपनी निघट्य सही की, और भाई ने भी अपना लोवर उपर कर लिया. कुछ देर आराम करने के बाद मैने दो पेग बनाए, एक अपने लिए और एक भाई के लिए. क्यूंकी अब हमे थोड़ी शरम भी आ रही थी, तो तोड़ा नशा होना ज़रूरी था, जिससे पूरी रात मस्ती की जाए.

क्यूंकी दोस्तों आपको तो पता है मेरी अपने भाई के साथ शादी से पहले सेक्स करने की फॅंटेसी थी, जो आज विराट की वजह से पूरी हुई.

मैने अपना पेग ख़तम किया, और भाई की बोला: भाई पेग लो.

भाई ने एक झटके में आँखें खोली और पेग पीने लगा. उसे भी थोड़ी शरम आ रही थी. फिर मैं रूम की तरफ चल दी, और हॉल की लाइट बंद करके नाइट बल्ब जला दिया. भाई ने मेरी तरफ देखा तो मैं एक मुस्कान के साथ बोली-

मैं: भाई मैं तो सोने जेया रही हू. आपको सोना है तो आ जाओ.

इतना बोल कर भाई ने मेरी तरफ देखा, तो मैने अपनी निघट्य अपने कंधे से सरका दी, जिससे वो एक-दूं नीचे गिर गयी. अब मैं भाई के सामने पूरी नंगी हो गयी. भाई का मूह खुला का खुला रह गया, क्यूंकी उसकी तरफ मेरी सिर्फ़ कमर और गांद थी.

फिर मैं बोली: जैसे मैं जेया रही हू, ऐसे ही आना.

और फिर मैं मुस्कुराती हुई अंदर चली गयी. बस फिर क्या था, भाई ने अपने सारे कपड़े बाहर ही उतार दिए, और अंदर चला आया. मैने पहले रूम का भी सिर्फ़ नाइट बल्ब ओं किया.

मैं बेड पर जेया कर उल्टी ही लेट गयी, जिससे मेरी 38″ की गांद उबर गयी. गांद को देख कर भाई पागल हो गया. फिर एक-दूं आ कर मेरे उपर लेट गया, और मेरे दोनो कंधो को पकड़ कर मेरी गर्दन को बुरी तरह से चूमने लगा.

मेरी तो मज़े से आ निकल गयी, और सिसकियाँ निकालने लगी: आ भाई, धीरे आ.

भाई का लंड मेरी गांद पर लग रहा था, जो अभी पूरी तरह से खड़ा तो नही हुआ था, बुत थोड़ी जान आ गयी थी उसमे. उसके बाद भाई मेरी पूरी गर्दन, मेरे कंधों को ज़ोर-ज़ोर से चूमने और चाटने लगा. मैं मज़े से पागल हो रही थी.

पूरी गर्दन चाटने के बाद भाई मेरी कमर को चूमते हुए मेरी गांद को अपने हाथो से सहलाने लगा. वो गांद मसालने लगा, और मैं मज़े बस सिसकती रही.

मैं: आ भाई, धीरे आहह आ.

5 मिनिट मेरी गांद से खेलने के बाद भाई ने मेरी थाइस पर हमला बोल दिया. वो उन्हे धीरे-धीरे चबाने लगा, जिससे मेरी छूट से पानी बुरी तरह निकालने लगा. मैं आपको बता नही सकती की कितनी बुरी तरह गरम हो गयी थी मैं.

मैं भाई से बोली: भाई बस करो. अब बस छोड़ दो मुझे, वरना मैं पागल हो जौंगी.

पर भाई कहाँ मानने वाला था.

भाई: आ दीदी, बहुत मुस्किल से मिली हो तुम. तुम्हारे नाम की बहुत मूठ मारी है. आज तो पूरा खा जौंगा.

मैं: भाई अब मैं तुम्हारी हू, जो मर्ज़ी करना. बस अभी छोड़ दो एक बार, रुका नही जेया रहा आ.

भाई तब तक मेरी पिंदलियों को अपने मूह में भरने की कोशिश करने लगा, और दोनो हाथो से उन्हे दबाने लगा, जिससे मैं मज़े से पागल हो गयी. मैं एक-दूं सीधी हो गयी, जिससे भाई पीछे को हो गया.

फिर भाई को मेरी गीली छूट और मेरी मोटी-मोटी चुचिया नज़र आने लगी, और उसका लंड भी पूरी तरह ताप गया था. भाई एक-दूं मेरे उपर आ गया, और मेरी चुचियो को दोनो हाथो से पकड़ लिया, और दबाने और चूसने लगा.

मैं बोली: आ भाई, बस करो. आज ही निचोढ़ लोगे इन्हे आ? कुछ तो रहम करो आ आ.

भाई: उम्म्म्मम हााअ दीदी बहुत रसीले है आपके आम. आज तो इनका सारा रस्स पी जौंगा उम्म.

उदार भाई का लंड मेरी छूट के उपर लग रहा था, जो इस टाइम बहुत सख़्त हो गया था. वो बार-बार मेरी छूट की पंखुड़ियों को रग़ाद रहा था, जिससे असीम आनंद आ रहा था, और मेरी सिसकियाँ अब बहुत तेज़ होने लगी थी.

मैं: आ भाई, बस करो. मॅर जौंगी ऐसे तो मैं आ आ.

पर भाई मानने को तैयार ही नही था. वो तो बस मेरी चुचियो को दबा-दबा कर चूस रहा था. अब मुझसे बर्दाश्त नही हो रहा था. मेरी छूट पूरी गीली हो गयी थी, इसलिए मैने भाई को पकड़ा, और बहुत तेज़ धक्का मार कर बेड पर गिरा दिया.

फिर मैं झटके से उसके उपर आ गयी, और सीधा उसका लंड पकड़ कर छूट पर सेट किया. उसके बाद एक झटके में उसके लंड पर बैठ गयी. इससे उसकी भी बहुत तेज़ आ निकल गयी.

भाई: आ दीदी, आराम से. कितनी गरम है तेरी छूट आ.

और मेरी भी एक हल्की सी चीख निकल गयी अहह भाई की. क्यूंकी पूरा लंड एक झटके में अंदर चला गया था. मैं झुक कर उसके होंठो को चूसने लगी उम्म उम्म करके. एक मिनिट होंठ चूसने के बाद मैं सीधी हो गयी, और उसके उपर धीरे-धीरे उछालने लगी.

उसका लंड मेरी छूट में अंदर-बाहर होने लगा, और मेरी मोटी-मोटी चुचिया भी हर धक्के के साथ उछाल रही थी, जिन्हे देख कर भाई उन्हे पकड़ कर फिर से मसालने लगा.

5 मिनिट तक मैं भाई के उपर धक्का लगती रही, और तक गयी तो मेरी स्पीड थोड़ी कम हो गयी. फिर भाई ने मुझे नीचे लिटाया, और फिर एक झटके में ही लंड मेरी छूट मैं डाल दिया. अब वो मुझे बुरी तरह छोड़ने लगा.

मैं: अया भाई, आराम से. मैं यहीं हू, आहह धीरे.

और भाई पूरा मेरे उपर लेट कर मेरे होंठो को चूसने लगा. वो मेरी चुचियो को मसालने लगा. हमे चुदाई करते-करते 20 मिनिट हो गये थे, और अब मेरा पानी निकालने वाला था, तो मैं भाई को बोली-

मैं: भाई और तेज़, और तेज़, मेरा होने वाला है.

अब भाई भी तोड़ा उपर हो कर पुर ज़ोर से मुझे छोड़ रहा था. उसका भी पानी निकालने वाला था.

भाई: दीदी आहह, मेरा भी निकालने वाला है. कहाँ निकालु?

मैं: आ भाई, अंदर ही निकाल दो. मैं तुम्हारा पानी महसूस करना चाहती हू. आ भाई मैं गयी.

मेरा पानी निकल गया, और मैं बुरी तरह अकड़ गयी. एक मिनिट बाद मुझे अपनी छूट में भाई का गरम-गरम लावा महसूस हुआ, और मैं एक-दूं भाई से लिपट गयी.

तो दोस्तों कैसी लगी स्टोरी? अगर आप इस स्टोरी का अगला पार्ट चाहते है, तो मैल करे की कैसे मैने उन भाभी की गांद भी मारी फर्स्ट टाइम, और रात में कितनी बार चोदा.

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