हेलो फ्रेंड्स, मेरा नाम सोहैल है, और मैं बंगलोरे में रहता हू. मैं एक मार्केटिंग फ्रीलॅनसर हू. उमर 32 यियर्ज़ है मेरी. यू तो बहुत सारी कहानिया है, मगर ये मेरी कहानी थोड़ी अनोखी है, और मेरे लिए यादगार है. जो मैं अब बिना कोई डेले करते हुए सुनता हू.
जून का महीना था. मैं डेली मार्केट के लिए बाहर निकला था. मार्केट मेरे घर के पास में ही है, तो हमेशा बाइ वॉक करके जाता हू, और ज़रूरत की समान लेकर आ जाता हू. उस दिन मेरी मुलाकात एक बच्चे से हुई, जो एक बेकरी के पास खड़ा था, शाम के 6 बजे अकेला. तोड़ा दर्रा हुआ सा था वो, तो मैं उसके पास गया और पूछा-
मैं: क्या हुआ? तुम अकेले क्यू खड़े हो?
तो उसने कहा: टुटीओन ख़तम हो गयी है, मगर मम्मी नही आई अभी तक लेने के लिए.
तो मैने उसको दिलासा देते हुए कहा: मम्मी आ जाएगी, तुम चिंता मत करो.
और ये कह कर उसको मैने बेकरी से एक चॉक्लेट मिल्कशेक दिलवाया. फिर मैं उससे बातें करने लगा ताकि वो घबराए नही. उसका नाम कृष था, और वो सिर्फ़ 4 यियर्ज़ का था.
ऐसे ही नॉर्मल बातें करते हुए हाफ आन अवर हो गया. तब उसकी मम्मी भागते हुए आई उसके पास, और उसको सॉरी बोली लाते होने के लिए. फिर कृष ने मुझे अपनी मम्मी से इंट्रोड्यूस करवाया. उसकी मम्मी को देख के कसम से मैं खो गया.
गोरी चित्ति, सुनहरे बाल, फिगर साइज़ 36-30-36, मस्त माल लग रही थी वो. उस दिन उसने टाइट टॉप आंड जीन्स पहनी हुई थी, जिसमे उसके बड़े-बड़े बूब्स बाहर निकालने लगे थे. अंदर पहनी हुई ब्रा की शेप भी बाहर से क्लियर्ली दिख रही थी.
मैं तो उसको देख के कही खो गया था. तब अचानक से एक आवाज़ सुनाई दी-
आवाज़: ही, ई आम मोनिका.
मैने तुरंत होश संभाला और बोला: ही, मैं सोहैल.
फिर उसने मुझे थॅंक्स कहा उसके बेटे का ध्यान रखने के लिए, और मा बेटे दोनो वाहा से चले गये. रात भर मैं उन बूब्स के बारे में सोच-सोच के पागल हो रहा था. मॅन में बार-बार ऐसे ख़याल आ रहे थे की बस वो मुझे मिल जाए और मैं उसको दबा-दबा के सारे दूध निचोढ़ लू.
पता नही कितनी बार मैं मूठ मार चुका था उसको सोच कर. पता नही कब फिर मिलना होगा उस लड़की से, ये सोच के उदास भी रहता था. फिर किस्मत खुली, और 2 दिन बाद फिर मुझे वो मिली उसी बेकरी के पास.
इस बार वो अपने बेटे का वेट कर रही थी. मैने उसको देखा मगर जान-बूझ के इग्नोर करके बेकरी की तरफ चल पड़ा. पर मैं मॅन में यही सोच रहा था, की काश वो मुझे पहचान ले और आवाज़ लगाए. ताकि थोड़ी बात-चीत आयेज बढ़े. बिल्कुल वैसे ही हुआ. उसने मुझे देखा और आवाज़ लगाई-
मोनिका: ही सोहैल!
मैं तुरंत मुड़ा और ही बोला (आक्टिंग कर रहा था की जैसे मैने उसको नही देखा था). फिर हमारी बातें हुई और हम दोनो छाई पिए, जब तक कृष टुटीओन्स से नही आ गया.
ये सिलसिला जैसे 1 महीने तक चला. हर दिन मैं उसको मिलता रहा, और हर दिन वो ऐसे-ऐसे कपड़े पहन के आती जिसको देख के मॅर हुए बुड्ढे का भी लंड खड़ा हो जाए. एक महीने तक मैं पॉर्न मूवीस देखता रहा, और मोनिका को सोच-सोच के हिलता रहा.
ये बता डू, मोनिका एक हाउसवाइफ है, और उसका हज़्बेंड अक्सर बाहर ही रहता है बिज़्नेस के सिलसिले में. मेरे घर से कुछ 2-3 केयेम दूरी पर उन्होने अपना एक घर बनाया था, जो सबसे कॉर्नर में था, और बहुत ही शांत जगह पे था. ना नेबर्स की परेशानी, ना ट्रॅफिक का शोर-गुल.
एक सनडे मोनिका की कॉल आई, और उसने बोला की उसके हज़्बेंड को मिलना था मुझसे. तो वो मुझे डिन्नर पे इन्वाइट कर रही थी. मैने भी तुरंत हा बोल दिया, और शाम 8 बजे उसके घर पहुँच गया फ्लवर्स और कृष के लिए चॉक्लेट लेकर.
फिर मैं उसके पति से मिला. उसका पति बहुत ही सीधा था. मैं ये सोच के हैरान होता था, की इतना सीधा आदमी बिज़्नेस कैसे चला रहा था. और अगर मैं अपने टपोरी वर्ड्स में बोलू, तो वो एक-दूं चूतिया था.
मोनिका, मैं और उसका हज़्बेंड (देव) बातें करने लगे. फिर बात आई कृष की टुटीओन की.
मोनिका बोली: कृष को रोज़ लेकर जाना और ले कर आना बहुत मुश्किल हो रहा है. और कृष मेरी बात नही सुनता है पढ़ाई के मामले में. तो टुटीओन भेजना ज़रूरी है. अट लीस्ट टीचर की बात सुन के पढ़ाई कर लेता है. मगर ये सब तोड़ा डिफिकल्ट हो रहा है.
तो देव ने सजेस्ट किया: सोहैल, आप ही हेल्प कर दो, वैसे आप फ्रीलॅनसर हो, ऑफीस का कोई झंझट नही. आप ही आके 2 अवर्स डेली कृष को पढ़ा लीजिए. कृष आपको आचे से जानता भी है, और मानता भी है.
ये सुन के मोनिका बहुत खुश हुई, और मुझे कन्विन्स करने में लग गयी. उस दिन मोनिका की खुशी कुछ और ही बयान कर रही थी. पता नही क्या, मगर उस खुशी का मतलब कुछ और था. मुझे भी मौका मिल गया मोनिका को रोज़ देखने का, वो भी उसके घर पर. तो मेरे लिए तो सोने पे सुहागा वाली बात हो गयी थी.
मैने सिर्फ़ यही सोच के हा बोल दी. इस बात पे सारे खुश हुए, और कृष की खुशी डबल, क्यूंकी उसको पता था की उसको डेली चॉक्लेट मिलने वाली थी, जो उसकी मम्मी कभी-कभार देती थी.
फिर हमने डिसाइड किया मंडे से होमे टुटीओन्स शुरू करेंगे. शाम के 5-7 बजे तक का टाइम डिसाइड हुआ. फिर हम सब ने डिन्नर किया, और मैं वापस अपने घर चला आया.
बेड पे सोते हुए मैं सोचने लगा की अब मौका मिला था, तो जाने नही दे सकता था. मोनिका को लेकर सिर्फ़ और सिर्फ़ मेरे दिल में और दिमाग़ में नंगे-नंगे ख़याल आने लगे. उसके होंठ, गाल, गोरा बदन, बड़े-बड़े रसीले बूब्स, उसकी बड़ी-बड़ी गांद, ये सब सोचने लगा.
मैने प्लान बनाया की किस तरह से और किस-किस पोज़ में उसको छोड़ा जाए. बस यही सब ख़याल सपने में आ रहे थे, और मैं मूठ मार रहा था.
मंडे शाम के 5 बजे मैं उसके घर पहुँचा. घर पास में ही था, तो सोचा बाइ वॉक ही चलता हू. मैने डोरबेल बजाई, और मोनिका ने डोर ओपन किया. उसको देख के तो मेरी सिट्टी-बिट्टी गुल हो गयी.
आयेज क्या हुआ जानने के लिए तोड़ा इंतेज़ार करिए. मैं जल्दी ही अवँगा आपको बताने के लिए. अपने फीडबॅक और सजेशन्स के लिए प्लीज़ मैल मे अट