फ्रेंड्स, मेरी ऑफीस सेक्स स्टोरी के अगले पार्ट में आपका वेलकम. अब आयेज-
हम दोनो पसीने में भीग चुके थे. उस पर मैने ध्यान दिया तो उसकी गर्दन पर, बूब्स पर, गालों पर लोवे बीते के निशान थे. रात के करीब 2 बाज चुके थे. थोड़ी देर मैं और आकृति एक-दूसरे की बाहों में ऐसे ही लिपट के लेते हुए बात कर रहे थे. वो नीचे मेरे लंड हो हिलाए जेया रही थी, और मैं उसके बूब्स को. थोड़ी ही देर में हम दोनो फिर से गरम हो गये.
अबकी बार मुझे उसकी गांद मारनी थी. मैं वॅसलीन लेके आया और उसको घोड़ी बनाया. फिर जैसे ही वॅसलीन लगाई, वो माना करने लगी. मुझे काफ़ी देर लग गयी उसको मानने में. मैने अपना खड़ा लंड गांद पर टीका दिया, और धक्का मारा. लंड अंदर नही जेया रहा था. मैने फिर से कोशिश की, और एक शॉट ज़ोर से मारा. इससे वो चिल्लाई-
आकृति: मा मॅर गयी, आहह.
और वो रोने लगी. मैने ज़ोर लगा के शॉट मारा, तो लंड गांद को चीरता हुआ अंदर तक चला गया था. वो बचने की नाकाम कोशिश कर रही थी. लेकिन मेरी पकड़ से छ्छूट नही पाई.
थोड़ी देर में उसको भी मज़ा आने लगा, और गांद खुद ही हिला-हिला के लंड को अंदर-बाहर करके मज़े से चूड़ने लगी. उसके बाद मैने उसको सुबा 6 बजे तक छोड़ा पोज़िशन बदल-बदल के. वो भी लगातार साथ देने लगी मेरा. फिर मेरी आँख 8:30 पर खुली, तो देखा आकृति मेरे बगल में बिना कपड़ों के लेती हुई थी, और मेरा दिल फिर से छोड़ने का किया. फिर मैने एक रौंद और छोड़ा, और मैं फ्रेश होने चला गया.
आया तो देखा आकृति से उठा भी नही जेया रहा था. लेकिन उसके चेहरे पर संतुष्टि भारी मुस्कान थी. मैने उसको सहारा देके उठा के बिता दिया, और किस की. फिर पूछा-
मे: रात कैसी रही?
आकृति: सिर रात को जो आपने मेरा दिल खुश किया है ना, उसके लिए थॅंक्स. और आज मैं ऑफीस जाने की कंडीशन में नही हू.
मे: तुम यही आराम करो आज, मैं ऑफीस जाता हू.
आकृति: सिर आपने मुझे खुश किया. मैं भी आपको एक खुश-खबरी देना चाहती हू.
मे: बोलो ना.
आकृति: सिर दक्षिता ने मुझे आप दोनो की हुई बात के बारे में बताया था. हम लॅडीस है, एक-दूसरे से शेर कर लेती है. जो आपने हा का इशारा देने के लिए ड्रेस बोली थी. दक्षिता को याद नही थी कों सी द्रीस थी वो, जो वो इंटरव्यू वाले दिन पहन के आई थी. और आपको लगा उनकी तरफ से ना है.
आकृति: दक्षिता ने मुझे इतना बताया तो मुझसे रुका नही गया आपसे चुदाई करवाए बिना. सॉरी! दक्षिता ने ही मुझे बताया था आप उनको इग्नोर कर रहे हो गुस्से में. इसलिए मैं उसको बोल के आई थी मैं सिर के साथ डिन्नर पर जेया रही हू, और आप दोनो की मिसांडरस्टॅंडिंग डोर कर दूँगी.
मे: थॅंक्स तुमने बता दिया ये सब. मैं कुछ और ही समझ चुका था.
आकृति: सिर छूट मेरी सूज चुकी है. लेकिन प्लीज़ एक बार और अपना लंड मेरी छूट को डेडॉ. फिर पता नही कब मिलेगा या नही भी मिलेगा.
उसके बाद खुशी-खुशी मैं फिर से एक रौंद और लिया. उसके बाद मैं ऑफीस आ गया आकृति को अपने गर छ्चोढ़ के.
दक्षिता: गुड मॉर्निंग सिर, लाते हो गये आज आप ऑफीस आने में? डिन्नर लाते तक चला क्या?
मैने कोई जवाब नही दिया. फिर उसका मेसेज आया व्हातसपप पर.
दक्षिता: सिर सॉरी, ग़लती हो गयी मुझसे. आप इतनी बारीक चीज़ें याद रखते हो मुझे पता नही था, और मुझे याद नही था उस दिन कों सी ड्रेस पहनी थी. ई’म एक्सट्रीम्ली सॉरी.
मे: तुमको लेकिन आकृति को ये बात बताने की क्या ज़रूरत थी? अगर ये बात ऑफीस में किसी को पता चली तो क्या हो सकता है पता है?
दक्षिता: एक बार फिर से सॉरी सिर. आज का डिन्नर आपके घर करे या मेरे घर?
मे: मेरे.
आकृति को मैने फोन किया और बोला: दक्षिता और मैं आ रहे है. अगर तबीयत ठीक है तो तुम निकल जाओ. अगर तबीयत ठीक नही है तो मैं आज उसको माना कर देता हू.
आकृति: सिर मैं आ गयी अपने घर, आप चले जाना.
मे: आकृति थॅंक्स रात के लिए भी, और इस खुश-खबरी के लिए भी.
आकृति: सिर प्लीज़ थॅंक्स मत बोलो. आपने जो सुख मुझे दिया है, मैं वो ज़िंदगी भर नही भूल सकती. बल्कि मुझे आपको थॅंक्स बोलना चाहिए, थॅंक योउ सो मच सिर.
उसके बाद दक्षिता और मैं दोनो मेरे घर आए. फिर डिन्नर किया और थोड़ी देर बातें की.
मे: दक्षिता जब तुम तैयार थी, तो मुझे उस टाइम ही बोला क्यूँ नही?
दक्षिता: सिर, तोड़ा ट्रस्ट इश्यू था इसलिए.
मे: ये ऑफीस नही है. तुम मुझे रक्षित बोलो बस.
दक्षिता: ओक रक्षित
मे: दक्षिता ई लोवे योउ सो मच.
दक्षिता: लोवे योउ टू मी स्वीटहार्ट.
उसके बाद मैने दक्षिता का हाथ पकड़ के अपनी लेग्स पर बैठा लिया. मुझे उसके खुले बालों से आती हुई महक से अपने आप नशा हो रहा था. फिर मैने दक्षिता की नेक पर किस किया. किस करते-करते मैं काट भी लेता था, और उसके मूह से आहह की आवाज़ मुझे और ऐसे काटने पर मजबूर कर रही थी.
दक्षिता ने उस दिन ब्लू सिल्क सारे और स्लीव्ले ब्लाउस पहना हुआ था, जिसमे वो बहुत कमाल लग रही थी. सारे को उसके कंधे से हटाया तो उसके ब्लाउस में से बूब्स के बीच की दरार सॉफ-सॉफ दिख रही थी, और धड़कन तेज़ होने के कारण उसके बूब्स भी उपर-नीचे हो रहे थे.
जैसे ही मौका लगा, मैने तुरंत ही खड़े-खड़े उसके होंठो को चूसना शुरू कर दिया. वो अपनी फिंगर्स को मेरे बालों में चलाने लगी, और मैं मेरे दोनो हाथो से लगातार उसकी गांद को दबा-दबा के मज़ा लिए जेया रहा था. किस करते-करते हम दोनो कब बेड पर आ गये, और एक-दूसरे के कभी उपर तो कभी नीचे आ रहे थे, ये हुमको भी पता नही चला.
फिर मैने देर ना करते हुए उसके ब्लाउस के हुक खोल कर ब्लाउस उसके शरीर से अलग कर दिया. उसकी ब्लॅक कलर की ब्रा देख मैं पागल सा होने लगा, जिसमे उसके बूब्स काफ़ी मुश्किल से समा रहे थे. मैं ब्रा के उपर से निपल्स का अंदाज़ा लगा कर बारी-बारी से चूस-चूस कर ब्रा को पूरा गीला कर दिया था.
तोड़ा सा नीचे खिसक के आया, तो उसकी नेवेल में जीभ डाल कर चाटने लगा. इससे वो अपना आपा खोने लगी, और अपने दोनो पैर मोड़ कर मेरी कमर को में लॉक कर दिया. नीचे आने के बाद मैने सारी और पेटिकोट को उपर किया. उसकी ब्लॅक पनटी उसकी छूट के पानी से गीली हो चुकी थी. पनटी के उपर से मैने उसके पानी का स्वाद लेना शुरू किया, और बहुत ही मज़ा आ रहा था नमकीन टेस्ट का.
उसके बाद मैने दक्षिता को खड़ा किया, और सारी उतार दी. फिर पेटिकोट का नाडा खींचा तो वो अपने आप उतार गयी. अब वो मेरे सामने ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक पनटी में थी. अब धीरे-धीरे उसने मेरी भी त-शर्ट और लोवर को उतार दिया. अंडरवेर में मेरा लंड एक-दूं तंन के खड़ा था, जैसे कोई फ़ौजी जुंग पर जेया रहा हो.
अब मैने एक-एक करके उसकी ब्रा और पनटी भी उतार दी, और वो मेरे लंड को अंडरवेर के उपर से ही मसल रही थी. फिर धीरे से अंडरवेर नीचे किया, तो मेरा लंड एक-दूं से बाहर आ गया. उस टाइम पे हम दोनो एक-दूसरे की जीभ को चूस रहे थे. जैसे ही उसने हाथ से मेरे लंड का नाप लिया, वैसे ही उसकी नज़र नीचे गयी, और वो बोली-
दक्षिता: कमाल का लंड है, मोटा भी और लंबा भी.
वो तुरंत ही नीचे बैठे कर मेरे लंड को अपने मूह में लेके ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी, और ना चाहते हुए भी मेरी सिसकारी निकल गयी-
मे: आहह जानेमन, मज़ा आ गया, और ज़ोर से चूसो.
वो अपना पूरा दूं लगा के चूस रही थी. हम दोनो फिर से बेड पर आए तो 69 पोज़िशन में आ गये (ये पोज़िशन मुझे बहुत अची लगती है). अब मैंस उसकी छूट में अपनी जीभ डाल के छोड़ना स्टार्ट किया. छूट में से धीरे-धीरे नमकीन पानी निकल रहा था, और मैं सारा चाट के सॉफ करने में लगा हुआ था. देखते ही देखते वो दो बार डिसचार्ज हो गयी थी. अब मेरा भी होने वाला था, तो मैने दक्षिता को बोला-
उसके बाद मैने दक्षिता को खड़ा किया, और सारी उतार दी. फिर पेटिकोट का नाडा खींचा तो वो अपने आप उतार गयी. अब वो मेरे सामने ब्लॅक ब्रा और ब्लॅक पनटी में थी. अब धीरे-धीरे उसने मेरी भी त-शर्ट और लोवर को उतार दिया. अंडरवेर में मेरा लंड एक-दूं तंन के खड़ा था, जैसे कोई फ़ौजी जुंग पर जेया रहा हो.
अब मैने एक-एक करके उसकी ब्रा और पनटी भी उतार दी, और वो मेरे लंड को अंडरवेर के उपर से ही मसल रही थी. फिर धीरे से अंडरवेर नीचे किया, तो मेरा लंड एक-दूं से बाहर आ गया. उस टाइम पे हम दोनो एक-दूसरे की जीभ को चूस रहे थे. जैसे ही उसने हाथ से मेरे लंड का नाप लिया, वैसे ही उसकी नज़र नीचे गयी, और वो बोली-
दक्षिता: कमाल का लंड है, मोटा भी और लंबा भी.
वो तुरंत ही नीचे बैठे कर मेरे लंड को अपने मूह में लेके ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी, और ना चाहते हुए भी मेरी सिसकारी निकल गयी-
मे: आहह जानेमन, मज़ा आ गया, और ज़ोर से चूसो.
वो अपना पूरा दूं लगा के चूस रही थी. हम दोनो फिर से बेड पर आए तो 69 पोज़िशन में आ गये (ये पोज़िशन मुझे बहुत अची लगती है). अब मैंस उसकी छूट में अपनी जीभ डाल के छोड़ना स्टार्ट किया. छूट में से धीरे-धीरे नमकीन पानी निकल रहा था, और मैं सारा चाट के सॉफ करने में लगा हुआ था. देखते ही देखते वो दो बार डिसचार्ज हो गयी थी. अब मेरा भी होने वाला था, तो मैने दक्षिता को बोला-
मे: मेरा होने वाला है.
उसने इतना सुन के अपनी स्पीड और बढ़ा दी, और मेरा पूरा पानी वो पी गयी. कुछ देर हमने रेस्ट की. फिर उसके बाद मैं उसके बूब्स को अपने मूह में लेके जानवरो की तरह ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा. उसको दर्द भी हो रहा था, और निशान भी आ गये थे बूब्स पर. वो मेरे लंड को हिला-हिला के खड़ा करने में लगी हुई थी.
जैसे ही लंड एक बार फिर खड़ा हुआ, मैने देर ना करते हुए उसको अपने उपर लिया, और उसने मेरा लंड पकड़ कर छूट का रास्ता दिखाया. छूट गीली होने की वजह से एक-दूं अंदर घुस गया. इससे उसकी ज़ोरदार चीख निकली-
दक्षिता: आअहह मा मार गयी.
मैने फिर उसके होंठो को अपने होंठो से मिला के पूरी आवाज़ गायब कर दी. ज़ोर-ज़ोर से मैने नीचे से झटके मारने शुरू किए. इसमे उसने पागलों तरह चिल्लाना स्टार्ट कर दिया-
दक्षिता: आहह बास्स ऊहह ऊहह.
ये आवाज़े कब ऊहह एस में बदली, मुझे भी पता नही चला. मैने अपना लंड उसकी छूट से बाहर निकाला, और मूह में दे दिया. 10 मिनिट लंड चूसने के बाद मैने उसको घोड़ी बनाया, और पीछे से अपना लंड उसकी छूट में डाला. छूट में से फटत-फटत की आवाज़ और चुदाई की महक पुर रूम में फैल चुकी थी.
10 से 15 मिनिट छोड़ने के बाद मैने उसको बेड से उतरा, और एक पैर बेड पर रखा. फिर हल्का सा झुका दिया. उसके बाद खड़े हो कर उसको छोड़ना स्टार्ट किया. इस पोज़िशन में मुझसे ज़्यादा देर रुका नही गया, और 5 मिनिट बाद मैं उसकी छूट में ही झाड़ गया. वो टोटल 5 बार फ्री हो चुकी थी. हम दोनो पसीने में भीग चुके थे.
दक्षिता: रक्षित शादी के बाद आज तक मुझे ये वाला मज़ा नही मिला था. मेरा हज़्बेंड आता और चढ़ कर 3 मिनिट से ज़्यादा नही करता है. वो तुरंत ही फ्री होके मूह मोड़ के सो जाता है, और मेरी छूट की आग मुझे उस रात पागल कर देती है. थॅंक योउ इतना प्यार देने के लिए.
मे: थॅंक योउ की कोई ज़रूरत नही है. मैने जब तुम्हे पहली बार देखा तभी तुम मेरे दिल और दिमाग़ पर हावी हो चुकी थी. मैने तुम पर कोई एहसान नही किया, बल्कि तुमने मुझे पर इतना भरोसा दिखा के मुझे पर एहसान किया, थॅंक्स दक्षिता.
उसके बाद पूरी रात हम दोनो ने रुक-रुक चुदाई की, और मैने दक्षिता की गांद भी मारी. जब तक मेरी वाइफ नही आ गयी, तब तक दक्षिता मेरी वाइफ बन के रही. उसके बाद मैने आकृति और दक्षिता का प्रमोशन करवाने में भी हेल्प की, और आकृति की शादी अनुज से हो गयी थी. लेकिन वो कभी-कभी मुझसे चुदाई करवाती थी. पर अनुज को ये बात पता नही थी. काफ़ी बार हमने थ्रीसम भी किया, जो कहानी मैं कभी और बतौँगा.
तो दोस्तों ये थी मेरी ऑफीस सेक्स स्टोरी. कोई ग़लती हुई हो तो माफ़ कर देना. अपनी फीडबॅक मुझे वॉर्स्तबॉय60@आउटलुक.कॉम पर एमाइल करके ज़रूर बताए.