एक अनोखा संयोग

मैं एक बार एक गोरखपुर से दिल्ली ट्रेन का रिजेरवेशन न मिलने के कारण स्लीपर बस से यात्रा कर रहा था। मुझे सीट भी आखिरी, अपर स्लीपर, मिली जो दो लोगों के सोने की थी लेकिन शायद कोई सवारी न होने के कारण ही देर होने के बाद भी रुकी हुई थी। मेरे बैठने के साथ ही ड्राइवर ने बस चला दी। ड्रेस चेंज करने के बाद, लूँगी बनियान में ही थका होने के कारण 10 बजे के आसपास सो गया। चूंकि बस नानस्टाप थी, इसलिए भी निश्चिंत था कि अब रास्ते में कंडक्टर सवारियाँ तो लेगा नहीं।

रात में महसूस हुआ कि कोई मेरे पास लेटा हुआ है और उसका हाथ मेरे लन्ड को सहला रहा है। पहले मैंने सोचा कि मेरा सपना होगा पर फिर वही हुआ तो चुपचाप बिना हिले ड़ुले यह देखने की कोशिश की कि यह हो क्या रहा है और कौन कर रहा है। बहाने से मैंने टटोलने के लिए अपना हाथ बढ़ाया तो हाथों को चूचियों का स्पर्श हुआ। मतलब कि मेरी सहयात्री कोई महिला थी। अब तो डर के मारे मेरी और भी गाण्ड फटने लगी कि कहीं बवाल न हो जाए।

यही समझ में नहीं आ रहा था कि यह सपना है या हकीकत, पर बस के झटकों से यह लगा कि कुछ तो गड़बड़ है। घड़ी में रात का 1 बज रहा था। आहट लेने पर महसूस हुआ कि बस काफी स्पीड में चल रही है और सब लोग भी सो रहे हैं और कोई आहट भी नहीं मिल रही थी।

फिर मैंने नींद के बहाने और अपने लन्ड पर धीरे धीरे उस महिला के हाथ के न रुकने वाले स्पर्श को ध्यान में रखते हुए अपने हाथ का दबाव बगल में लेटी हुई महिला की चूचियों पर कुछ बढ़ा सा दिया और टांग को उसकी जांघों पर इस तरह से रखा कि उसका हाथ मेरे लन्ड को सहलाता भी रहे।

इसके बाद तो जैसे उसकी हिम्मत कुछ अधिक ही बढ़ गई और उसने यह समझते हुए कि मैं सो रहा होऊँगा, मेरी लुंगी हटा कर लन्ड को बाहर निकाल कर अपने कब्जे में ले लिया। जब इतना हो गया तो फिर मैंने भी कुछ आं ऊं आं ऊं करते हुए अपना हाथ उसकी चूची से हटा कर उसकी पीठ पर रख दिया। और जब इस पर कोई रिएक्शन नहीं मिला तो फिर नींद की माँ चोदते हुए उस औरत को चोदने के मूड में आ गया और उसको बाहों में भर कर अपने सीने से लगा कर उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिये।

अम्मम… कितने गरम होंठ थे उसके। इसके पहले कि मैं उसको किस करना शुरू कर पाता, उसने खुद ही मुझे चूमना शुरू कर दिया। अब तो शक कि कोई गुंजाइश नहीं थी कि उसका और हमारा मक़सद एक है। अंधेरा होने की वजह से चेहरा भी नहीं देख पा रहा था लेकिन इजहारे मोहब्बत का कोई बन्धन महसूस नहीं हुआ और उसने भी मुझे अपनी बाहों में भर लिया और पता ही नहीं चला कि हम कब तक एक दूसरे को चुम्बन करते रहे।

चूंकि चुदाई की दोस्ती बहुत महान होती है इसलिए उसकी इच्छा का पूरा सम्मान करते हुए और उसको बाहों में भरे हुए ही मैंने उसकी आँखों को भी चूमा, उसके कानों के किनारों को भी कुतरा और इस बीच, मुझे महसूस हुआ कि वह झड़ी भी।

सभी सीटों पर परदे होने की वजह से किसी से इतनी रात में खलल की भी उम्मीद नहीं थी। फिर भी मैंने उसके कान में कह दिया कि आवाज न हो बस में।

इस पर उस महिला ने उठ कर अपने बैग से एक साड़ी निकाल कर उसको सीट के दोनों छोरों से इस तरह से बांधा कि कोई अंदर तक झांक ही न सके। मैंने भी उठ कर पर्दे रूपी साड़ी बँधवाने में उसकी मदद की और उसके बाद जैसे ही वह मेरी तरफ मुड़ी। मैंने बैठे बैठे ही उसको अपनी बाहों में भरते हुए ब्लाउज के बटन खोल कर ब्रा हटा दिया और उसकी रसभरी चूचियों को चूसने और कुतरने लगा और साथ में उसका पेटीकोट भी उतार दिया।

इसके बाद तो जो सेक्स का दौर-ए–मुहब्बत शुरू हुआ तो उस औरत ने सभी सीमायें पार करते हुए मुझे अपना गुलाम समझते हुए बहुत तबीयत और प्रेम से मेरी ही चुदाई कर डाली। अगर कहीं भगवान औरतों को लन्ड दिये होता तो सचमुच वो मेरी गांड फाड़ चुकी होती।

उसने अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरे बदन को सहलाने लगी। होंठ चूसते चूसते साली मस्ती के मारे सख्त लण्ड को मसलने लगी। लण्ड पर उसका हाथ पड़ते ही गुदगुदी सी भर गई और मैं उससे लिपटता चला गया।

करीब दस मिनट तक होंठ चुसाई और चूची मसलन के बाद मैं अब चोदने को तैयार था। लेकिन अभी भी लण्ड चुसवाने की इच्छा को दबा नहीं पाया था इसलिए 69 पोजीशन में आ गए। कपड़े पहले ही कम कर चुका था। अब दो नंगे बदन एक दूसरे में समां जाने को तैयार थे। मैं अपना लण्ड चुसवाना चाहता था इसलिए उससे कहा- मेरी जान, कम से कम मुँह से लण्ड तो चूसो…

उसके लण्ड के सुपारे को मुँह में लेकर चूसते ही मोटा लण्ड अकड़ने लगा पर उसकी चूत भी ज्यादा फचफ़चा रही थी उसको अपने अंदर लेने के लिए।

इसलिए कुछ देर में ही उसकी भावनाओं का आदर करते हुए लण्ड का सुपारा चूत के मुहाने पर लगा दिया। गर्म गर्म लण्ड का स्पर्श पाते ही जैसे उसकी चूत धन्य हो गई और और वो पानी पानी हो गई। मेरे मुँह से भी आह आह ओह आह निकल गई। उसने मेरी आह सुनी तो पोजीशन बदल कर चूत को लण्ड के सुपाड़े पर फिट कर के एक झटके से धक्का लगा दिया और लण्ड एक ही बार में उसकी चूत की गहराई में उतर गया। लण्ड शायद उसकी बच्चेदानी से जा टकराया होगा इसीलिए उसकी चीख ही निकल गई। बस लण्ड पूरा घुसते ही मैंने बिना दया किये ताबड़तोड़ धक्के लगाने शुरू कर दिए और पाँच मिनट की चुदाई के बाद ही उसकी चूत पानी पानी हो गई। मैं बीच बीच में चुदाई करते करते उंगली से उसकी गाण्ड भी कुरेद रहा था।

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मैं उसे धीरे-धीरे चोदने लगा, कुछ देर चोदने से उसे भी मजा आने लगा। अब मैं उसे और जोर से चोदने लगा और वो भी गांड उठा-उठा के मेरा साथ देने लगी, मेरा लंड एक अंजान चूत के अंदर-बाहर हो रहा था, मैं उसे चोदता रहा… चोदता रहा।

उसकी चूत इतनी कसी थी कि मैं आपको बता नहीं सकता। करीब बीस मिनट चोदने के बाद मैंने एक जोरदार झटके के साथ अपना सारा पानी उसकी चूत में छोड़ दिया। उसकी चूत मेरे वीर्य से भर गई, इस बीच वो 2-3 बार झड़ चुकी थी।

मेरा लंड कुछ ढीला हुआ तो वो मेरे ऊपर से उठ गई। मैंने महसूस किया कि वह बहुत खुश थी। इस प्यार मोहब्बत में कब 4 बज गए पता ही नहीं चला। उसके बाद मैंने उसे 1 बार और चोदा, इसके बाद हम दिल्ली पहुँच गए।

दिल्ली पहुँचने से पहले हमने एक दूसरे का परिचय भी लिया, यह भी बताया कि अगले दिन सुबह की फ्लाइट से चेन्नई जाना है।

इस पर उसने बहुत आग्रह के साथ रात फिर से उसके साथ बिताने की बात कह कर मेरा सामान अपने सामान के साथ ऑटो में रख लिया और मैं उसके घर आ गया।

उसके बाद मैं अपने काम पर तैयार हो कर चला गया और जल्दी जल्दी काम निबटा कर एक व्हिस्की की बोतल और कुछ चिकन लेग पीस लेकर करीब 8 बजे उसके घर पर पहुँच गया।

जब उसने दरवाजा खोला तो मैं तो उसको देख कर दंग ही रह गया। लाल रंग का टाँगों पर उठा हुआ गाउन, हाई हील की सैंडिल, गाउन से बाहर आती हुई बड़ी-2 चूचियाँ और उस पर सुर्ख लाल लिपस्टिक। लगा कि कहीं मैं गिर न पड़ूँ !

साली 49 साल की होने के बाद भी कल की लौंडिया लग रही थी। उसके अंदर घुस कर दरवाजा बंद करते ही मैंने उसे अपने गोद में उठा लिया और चुम्बन करते हुए उसको ले जाकर बिस्तर पर लिटा दिया और अपनी बाहों में जकड़ कर प्यार करने लगा। वह कसमसा रही थी लेकिन मैं उसको चूमे जा रहा था।

खैर, वह किसी तरह से मेरी गिरफ्त से बाहर हुई और लंबी सांस लेकर बोली– उफ तुम तो रात से भी ज्यादा चोदू बन गए मादरचोद ! कम से कम सांस तो ले लेने देते ! अभी मर जाती तो फिर क्या अपनी अम्मा को चोदते, स्वागत सत्कार का मौका भी नहीं दोगे क्या? क्या पिओगे, क्या खाना है और क्या प्रोग्राम है?

मुझे उसके मुँह से ठेठ नंगी गलियाँ सुन कर बहुत अच्छा लगा और मैंने उससे कहा- अगर तुम ऐसे ही गालियाँ देती रहीं तो चुदाई का मज़ा भी बहुत आएगा।

खैर मैंने उसे बताया कि सुबह 6 बजे की फ़्लाइट है, चार बजे तक निकल जाऊँगा, खाने के लिए चिकन लेग पीस लाया हूँ और पीने के लिए व्हिस्की है और प्यार करने के लिए हम दोनों है। अब तुम बताओ कैसे और कहाँ से शुरू करें?

उसकी राय बनी कि पहले दारू, फिर पीने के बाद मुर्गा खाकर मुर्गी को हलाल करो तो मैंने उसकी राय से इत्तेफाक रखते हुए पहले साथ नहाने की पेशकश की और हम दोनों ने बहुत देर तक उसके बड़े से बाथ टब में लेट कर बहुत अच्छी तरह से एक दूसरे को नहलाया फिर शावर में नहा कर एक दूसरे को पोंछ कर नंगे ही बाथरूम से निकल कर बेडरूम में आ गए।

बेडरूम में नहाने जाने से पहले ही खाने पीने और चोदने की व्यवस्था कर गए थे ताकि आने के बाद कुछ तैयारी न करनी पड़े।

हमने एक दूसरे को पाउडर लगाया, सेंट लगाया, फिर मैंने उसके होंठों पर, चूचियों पर और बुर के होंठों पर भी लिपस्टिक लगाई और वहाँ से उसके होंठों को चूमते हुए उसे बाहों में उठाए उठाए ही बिस्तर पर ले आया।

वह उठ कर दो गिलासों में व्हिस्की निकाल और दो चिकन पीस लेकर बिस्तर बैठी और बोली- बोल माँ के लौड़े, पहले व्हिस्की पिएगा या अपनी अम्मा को चोदेगा?

और यह कहने के साथ ही मेरा लन्ड पकड़ कर अपने गिलास में दुबा दिया और उसको ही चूसने लगी। दुबारा उसने लन्ड के ऊपर से अपने गिलास की व्हिस्की डाली और इस तरह से दारू पीने लगी। यानि उसका तो कम चल रहा था मैं बैठा हुआ था।

इस पर मैंने कहा- रंडी, मादरचोद अपना काम चला रही है और मैं क्या मुट्ठ मारूँ? चल पलट और 69 की पोजीशन में आ जा।

और फिर मैं उसकी बुर में व्हिस्की डाल कर चाटने लगा और वो मेरे लंड को तर करके चूसने लगी।

थोड़ी ही देर में 2 पेग खत्म होने के बाद वह मचलने लगी कि अब उसकी चूत को जीभ नहीं लंड की जरूरत है- चल भोसड़ी के ! अपनी अम्मा की मशीन चालू कर !

मुझे उसकी लड़खड़ाती जबान से पता लग गया कि मेरी जान पर नशा हावी हो रहा है। वो ई… ई… इस्सस… इस्सस… आ… आय… यीई… आयी… ई… कर रही थी और मैं चपर चपर करके उसकी चूत चाट रहा था थोड़ी ही देर में वो बोली- आ… आ… अह्ह… ह्ह… राजा मैं झड़ने वाली हूँ।

वह मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगी जो उसकी चूत चाटने से सिकुड़ चुका था। वो धीरे धीरे सहला रही थी और मैं उनकी बड़ी बड़ी चूचियों को मसल रहा था। कभी कभी बहुत जोर से दबा देता था जिससे उसकी चीख निकल जाती थी। मैं जितनी जोर से उसकी चूची दबाता वो उतनी ही जोर से मेरा लंड दबाती थी। उसके सहलाने से थोड़ी देर में ही मेरा लंड फ़िर से खड़ा हो गया। और फ़िर उसे देख कर वो अपने होंठ पर जीभ फ़िराने लगी मैंने अपने हाथ में लंड पकड़ा और घप्प से उसके मुंह में घुसेड़ दिया और उसका मुंह खुला का खुला ही रह गया वो गूं गूं कर रही थी जैसे कहना चाह रही हो निकाल लो लंड को मगर मैंने एक करारा धक्का और मारा और पूरा 8″ लंड, रात की तरह उसके मुंह में समा गया।

एक तो रात भर की चुदाई का नशा और दिन भर के काम की थकान, ऊपर से सुबह जाने की जल्दी, मैंने भी सोचा कि उसकी चूत मार ही ली जाये !

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यही सोच कर मैंने उसकी टांगें पूरी तरह से फ़ैला दी, मैं जमीन पर खड़ा हो गया और उसकी चूत को बिस्तर के किनारे पर लाकर अपने लंड से चूत का सेन्टर मिला कर झटके से लंड का धक्का उसकी चूत में दिया और उसके बाद उसके मुंह से एक जोरदार चीख निकली- आअययीई आआआह्ह राम मार डाला साले। हरामीईई क्या करता है। चुदायी या कुछ और? भोसड़ी के मादरचोद, कहीं ऐसे भी चोदा जाता है? मुझे बता देते तो आराम से लेट तो जाती बेड पर। तुम तो लगता है मेरी चूत के साथ साथ बेड भी फ़ाड़ दोगे।

वो अपने चूतड़ को उचका रही थी नीचे से मैं भी धक्के मार रहा था।

आंटी आअह आआ… आह्ह आ..आयय..यीईईइ आआययी..ईईइ कर रही थी और उनके उछलने से उनकी बड़ी बड़ी चूचियाँ उछल रही थी। मैं भी उनकी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा और धक्के भी मार रहा था। थोड़ी देर बाद मैं थक गया और तब तक उसका भी पानी बहुत तेजी से निकल कर बहने लगा और मैं भी जल्दी से झड़ गया।

थोड़ी देर बाद उठ कर हमने फिर दारू पी और खाना खाकर बातें करने लगे क्योंकि अब तक 2 बज चुके थे। बातों बातों में उसने बताया कि दो साल पहले उसके पति की एक्सीडेंट में मौत हो गई थी। एक लड़की है वो जॉब कर रही है बंबई में, और वह खुद पति का एडवरटाईजिंग का बिजनेस देख रही है। उसने कभी भी किसी से भी चुदने की इच्छा नहीं कि पर बस में पता नहीं रात में क्या हो गया कि वह मेरे लंड को सहलाने लगी और अब उसी से घर में भी चुदवा लिया। लेकिन एक अच्छा दोस्त मिल गया बदले में।

मैंने अपने बारे में बताया कि एक चाचा और उनका परिवार ही मेरा सब कुछ है। मैं भी प्रायवेट फ़र्म में वाइस प्रेसिडेंट हूँ और काफी टूर करता रहता हूँ। अभी अकेला ही हूँ, शादी की तरफ ध्यान नहीं दे पाया हूँ। बातचीत करते करते 3.30 बज गए और एक बार फिर हम दोनों साथ नहाए और मेरे तैयार होते होते टैक्सी भी आ गई। फिर उसने मुझे प्यार से सीआफ किया।

करीब 5 महीने के बाद, एक दिन, एक एक्सिक्युटिव लड़की के वैवाहिक विज्ञापन पर मेरी नज़र पड़ी और अपनी जात के अलावा सब कुछ मिल रहा था सो मैंने बायोडाटा भेज दिया।

कुछ दिन बाद एक मेल आया जिसमे लड़की और उसके परिवार में सिर्फ माँ का ही जिक्र था। उन्होंने मुझे अपने घर बुलाया था बातचीत के लिए।

पते की जगह फोन नंबर और एरिया का नाम था। एरिया जाना पहचाना सा लगा और याद आया कि बस वाली महिला इसी एरिया में रहती थी। मैंने सोचा कि चलो उसको भी अपनी आंटी बना कर साथ ले चलेंगे।

सुबह नौ बजे उस जानेमन के घर पर मैंने दस्तक दी तो मुझे देख उसे भी आश्चर्य मिश्रित खुशी सी हुई कि मैं कहाँ से टपक पड़ा।

खैर उसको मैंने अपने आने का मक़सद बताया और उसको शाम को साथ चलने का निमंत्रण भी दिया।

वो बोली कि उसको मेरे साथ चलने में बहुत खुशी होती लेकिन कोई आ रहा है उसके घर पर।

मैं तैयार होकर अपने काम पर चला गया। दोपहर में मैंने दिये हुए नंबर पर बात करके सात बजे शाम का टाइम तय कर लिया और पता भी ले लिया। पता देख कर मुझे लग रहा था कि कुछ जाना पहचान सा लग रहा है, लेकिन कैसे, यह याद नहीं आ रहा था।

निर्धारित समय से 5 मिनट पहले वहाँ पहुँच गया तब पता चला कि यह तो वही मकान है मेरी हीरोइन का।

चूंकि वहाँ ऊपर एक किराएदार भी थे तो सोचा कि शायद उनका विज्ञापन रहा होगा। पर फिर भी मैंने हीरोइन की घण्टी दबा दी।

वो खुद बाहर आई तो वो भी अचकचा गई। चेहरे का रंग भी उड़ गया।

मैंने सॉरी बोलते हुए उसको बताया- मुझे उसके किराएदार से सुबह वाले शादी के संदर्भ में मिलना है।

तो उसने कहा कि हम लोग एक दूसरे को जानते हैं, ऐसा किसी को भी वहाँ पता न चले और यह कह कर अपने ही घर के अंदर ले गई।

अंदर एक खूबसूरत, जवान और स्मार्ट लौंडिया बैठी थी जिससे उसने मेरा परिचय अपनी बेटी के रूप में कराया और मुझे बताया कि वह विज्ञापन उसने अपनी बेटी के रिश्ते के लिए दिया था। मैंने भी बिना यह जाहिर किए हुए कि मैं उसकी माँ को चोद चुका हूँ, दोनों को हॅलो हाय कहा और हम लोग बातचीत करने लगे।

उस लड़की ने, जिसका नाम शेफाली था, बताया कि वह क्या कर रही है और आगे भी काम करना चाहेगी तथा शादी के बाद भी दिल्ली में ही रहना चाहेगी क्योंकि उसके बिना माँ अकेली पड़ जाएगी। तब तक उसकी माँ कुछ खाने के लिए ले आई और हम सब बातचीत करते हुए नाश्ता करने लगे। करीब 2 घंटे के बाद मैं शेफाली को यह बता कर निकला कि मुझे कुछ समय दीजिये।

मैं चला आया।

शेफाली की माँ, जिसका नाम आरोही था, का फोन रात में मेरे पास यह जानने के लिए आया कि मैंने क्या सोचा शेफाली से शादी के बारे में? प्लीज बस वाली घटना की वजह से शेफाली को न मत कह देना।

तो मैंने बताया- मैं भी यही सोच रहा था कि कहीं तुम मुझे उस घटना की वजह से रिजेक्ट न कर दो, इसीलिए मैंने टाइम लिया था। इस पर वो बहुत खुश हुई और कहा- कभी भी शेफाली को इसका पता न चले, नहीं तो उसका दिल टूट जायगा।

एक सप्ताह के बाद मैंने हाँ कर दी और एक महीने में हमारी कोर्ट मैरिज भी हो गई, मैंने अपना तबादला भी दिल्ली करवा लिया और हम सब साथ साथ रहने लगे।

शेफाली के सामने मैं आरोही को माँ ही बुलाता था और जब शेफाली काम के सिलसिले में बाहर जाती थी तो उसकी माँ को चोद भी देता था।



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