उस रात उन्होंने 4 बार मेरी गांड मारी, लेकिन इतनी बेरहमी से कि कभी मिलूंगी ही नहीं या फिर कोई दुश्मनी निकाल रहे हों।
सुबह उठी तो मेरी गांड बहुत ही बुरी तरह से सूज रही थी इतनी कि मुझे ठीक होने के लिए 4-5 तक दवाई लेनी पड़ी।
लेकिन उसके बाद वे जब भी मेरी गांड मारने की कहते तो मैं उछल उछल कर गांड मरवाती हूँ और आज भी वैसा ही करती हूँ।
सच में उस दिन मैं भी उन खुशनसीब औरतों में शामिल हो गई जिन्होंने अपने पति से ही चूत और गाण्ड की सील खुलवाई एक बात और कहूँ तो गांड मरवाने के बाद मुझे सच में एक पूर्ण औरत होने का अहसास हो रहा था।
तो यह है मेरी पहली गांड चुदाई की कहानी!
आपको कैसी लगी मुझे मेल करके अपनी राय बताएँ, उम्मीद करती हूँ कि अच्छे कमेंट्स ही करेंगे।
आगे भी और कहानियां लिखती रहूंगी।