maa ki chudai kahani दोस्त ने अपनी मा को मुझसे चुड़वाया.
हेलो दोस्तों मेरे बारे मे तो आप जानते ही हो. अपने मेरी पिछली कहानियो को ढेर सारा प्यार दिया बहुत अछा रेस्पॉन्स दिया.
मई इस बार ले कर आया हूँ एक और कहानी के साथ. जो की मेरे और मेरे दोस्त की मा के बीच है जिसका पूरा क्रेडिट मेरे दोस्त को जाता है. टाइम ना बर्बाद करते हुए कहानी पर आता हूँ.
मेरे दोस्त का नाम डेप था. उसकी मों का नाम अनिता (बदला हुआ). बेहन का नाम देपिका था (बदला हुआ). उसके पापा जॉब के सिलसिले मे बाहर ही रहते थे. जो की इंटरनेट पर मेरा दोस्त बना था. काफ़ी टाइम उस से बात हुई और हम अच्छे दोस्त बन गये थे.
कुछ टाइम बाद उसने मुझे अपने घर बुलाया. तो मई भी सनडे को उसके घर गया तो उसने मुझे अंदर बुलाया. फिर हम दोनो सॉफ़फे पर बैठ गये कुछ टाइम बाद उसकी बेहन छाई ले कर आई.
तो मानो मई उसकी बेहन को देलहता रह गया. क्या कमाल की बाला थी, बड़े चुचे मोटी गांद मानो जन्नत. उसकी बेहन बोली-
देपिका (देपी) – छाई लीजिए ना.
फिर मैने छाई उठाई. छाई वगेरह पीने के बाद हम उसके रूम मे जेया कर बातयन करने लगे. कुछ टाइम बाद उसकी मों आई रूम मे. मई मेरी आँखे फाटती की फाटती रह गयी. येल्लो सॅडी क्या हुसनपरी थी.
मैने जान भूखकर उसके पैर चुने के बहाने से उसको टच किया और उसकी खुसबु ली. मानो नज़ारा आ गया. आंटी को समझ तो आ गया था की मे क्या कर रहा हूँ.
आंटी- बेटा पैर ही छूटा रहेगा क्या? आ जाओ तुम्हे खाना खिलाती हूँ.
मेरे मॅन मे तो था की मई उन्हे खाजौन पर खुद पर सबर करा. खाना खाते टाइम मैने आंटी पर लाइन मारनी शुरू करी.
मे- आंटी खाना तो बहुत ज़्यादा स्वाद है जैसे आप सुंदर है वैसा ही खाना है.
आंटी- बेटा शुकरिया पर सब के घर मे ऐसा ही खाना होता है.
मे- आंटी मई तो घर से बाहर रहता हूँ तो घर का खाना कहा मिलता.
आंटी- जब भी डिल करे आजाया करना अपना ही घर समझो.
मैने मौका देखकर लाइन मारी.
मे- आंटी अंकल कहाँ है दिख नही रहे?
आंटी- बेटा वो काम के सिलसिले मई बाहर रहते है.
मे- ओके आंटी.
मई समझ गया की आंटी मे आग तो होगी अंकल ट है नही. फिर मई खाना खाकर वहाँ से जाने लगा तो आंटी ने बोला-
आंटी- बेटा फिर आना जब भी डिल करे आ जया करना.
मे- जी आंटी अब तो आता रहूँगा.
फिर कुछ दिन ऐसे ही निकलग्ये उसके बाद मेरा दोस्त मेरे साथ ही कॉलेज मे ल्ग गया. फिर जब भी मेरा डिल करना आंटी के जिस्म को देखने का मई उनके घर चला जाता. कुछ दीनो बाद मेरे दोस्त का फ्न आया.
वो- यार मुझे तुझसे एक जरूरी बात करनी है मिल सकता है?
मे– हाँ यार ये भी बोलने वाली बात है चल मई आया पास के पार्क मई आजा मिलता हूँ तुजर 10 मिंट मे.
10 मिंफ मई वहाँ फुँछ गया और फिर वो भी आ गया. कुछ टाइम ऐसे बैठने के बाद उसने बोला-
वो- यार तुझसे कैसे बोलूं.
मे- यार तू दोस्त है मेरा बोल बिना किसी झिझक्क हो कर बोल.
वो- यार काफ़ी दीनो से मम्मी बहुत प्रेशान जैसी है ना अच्छे से बोलते ना खुश दिखते.
मे- यार आंटी को ऐसा क्या हुआ तबीयत तो ठीक है?
वो- तबीयत ठीक है पर वो थोड़े चिद्डचिड़े जैसे हो गये है.
मे- फिर तूने पुचछा की क्या हुआ?
वो- नही यार पर मैने उनके रूम से एक दिन आवाज़े सुनिी जैसे ह उऊहह अहह…
मे- यार क्या बोल रहा है तू पागल है क्या?
वो- यार तुझे तो पता ही है की पापा घर से बाहर रहते शायद इस लिए मम्मी तड़प रही है.
मे- यार अब क्या करे फिर?
वो- यार मुझे मम्मी को खुश देखना है मई उसके लिए कुछ भी कर सकता हूँ.
मे- यार उनको किसी और से चुड़वाएगा?
वो- करना पड़े तो ये भी कर सकता हूँ.
मे- यार बदनामी ना होज़ाये आंटी की इज़त का क्या होगा?
वो- बदनामी तब होगी जब कोई और छोड़ेगा अगर तू छोड़ड़ दे तो कैसी बदनामी घर की बात घर.
मेरी तो खुशी का ठिकाना नही रहा मानो सब कुछ खुद हो रहा हो. मैने जन्ंभुज से ऐसे बोला-
मे- यार तू ये क्या बोल रहा है आंटी मुझे अपने बचे जैसा समझती है.
वो- वो सब तू मुझ पर चोर दे तू बोल मेरी हेल्प करेगा दोस्ती निभाएगा सिर्फ़ इंता कर्दे यार प्लीज़.
उसके मिन्नत करने के बाद.
मे- यार अगर तू इतना बोलता है तो मई तयार हूँ पर आंटी…?
वो- मेरे पास प्लान है तू टेन्षन मत ले जब मों रूम मे ऐसे कर रही होंगी. मई उन्हे रंगे हाथ पकड़ लूँगा फिर समझौँगा.
मे- ठीक है जैसे तुझे ठीक लगे मई सिर्फ़ तेरी भलाई और आंटी के लिए हन बोल रहा हूँ.
वो- शुकरिया मेरे दोस्त मे तेरा ये एहसान नही भूलूंगा कभी.
फिर वो घर चला गया और अगले दिन हुआ.
वो रात को चुपके से वो अपनी मम्मी के रूम के पास हो गया. जब उसकी मम्मी ज़ोर ज़ोर से आवाज़े निकाल रही थी. तब उसने के होल से देखा उसकी मा बिल्कुल नंगी बेड पर लेट कर मज़े ले रही थी. उसने देर ना करते रूम का दूर खोल दिया और अंदर से लॉक कर लिया.
आंटी- तू यहा क्या कर रहा है तुझे शरम नही आती अपनी मा के रोम मे ऐसे आते?
वो- मों मुझे पता है आप बहुत तड़प रहे पापा यहाँ नही है.
आंटी – तू होता कों है ऐसे बोलने वाला शरम कर मई तेरी मा हूँ.
वो- मों मई काई दीनो से देख रहा हूँ आप प्रेशान हो और मे ये देख नही सकता की आप प्रेशान हो.
आंटी- तो करू भी क्या तेरे बाप को तो मेरी फिकर है नही अब मुझे तो तड़पना ही पड़ेगा. तुम्हारे पापा आते नही घर उन्हे मुझसे क्या है!
वो– मों मेरे होते आप क्यू तड़पोगे मे हूँ मई आपकी खुशी के लिए ज़्ब कुछ करूँगा.
आंटी- तू क्या कर सकता है तू मेरा बेटा है तुझसे क्या करूँगी और बाहर बदनामी के दर्र से मुझे तड़पना ही पड़ेगा.
वो- मई आपका बेटा हूँ माना पर अगर कोई और आपके साथ आपको खुश करे तब तो हो सकता है.
आंटी- तू पागल है क्या बाहर बदनामी हो जाएगी!
वो- मा कोई बदनामी नही होगी और हन आप जब चाहो उसके साथ कर सकते हो,
आंटी- ऐसा कों है जिसके साथ बदनामी नही होगी,
वो- मेरी बेस्ट फ्रेंड जो उस दिन घर आया था. आप उसके साथ कर लो मा किसी को पता नही चलेगा. मई आपको दुखी नही देख सकता.
आंटी- वो मानेगा क्या और वो मुझ बुधिया से क्यू करेगा?
वो– मों आप बुधिया किसने बोल दिया, आप आज भी जवान हो और उसको मनाना मेरी ज़िमेदारी.
आंटी- मुझे शरम आएगी उसके साथ.
वो-मा एक काम करना कल आप रूम मे आँखों पर पट्टी बाँध कर रखना, आप उसको देखोगे नही तो शरम कैसी.
आंटी- लोवे योउ बेटा, तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो. तुम्हारे जैसा बेटा लाखों मे एक होगा.
वो – चलो मों अब ये सब करना छोड़ो, कल के लिए तयार हो जाओ.
इतना कह के वो वाहा से चला गया और उसने मुझे कॉल किया.
वो — हेलो मैने मों को मना लिया है, तुम काम करना कल सुबा घर आ जाना और मेरी बेहन को मत बताना कुछ.
मे- भरोसा रख तेरे लिए कुछ भी कर सकता हूँ.
अगले दिन मई उनके घर गया. उसकी बेहन ने छाई दी और फिर 10 मिंट बाद मेरे दोस्त ने मुझे अपनी मों के रूम मे धक्का दे कर रूम लॉक कर दिया.
जैसे ही मई रूम मे गया आंटी निघट्य पहने बेड पर बैठी हुई थी आँखो पर पट्टी बँधी हुई थी. मे नज़देक गया आंटी को पता लग गया की मई आ गया हूँ. मैने जाते ही बिना कुछ बोले उनकी निघट्य फाड़ दी.
आंटी- अरे इतने उतावले क्यू हो रहे हो, मई तुम्हारी ही हूँ अब तोड़ा सबर करो.
मे- सबर करू जिस दिन का तुम्हे देखा है मानो तब से सोच रहा हूँ की कैसे छोड़ू मई और कब कैसे छोड़ डालु.
मे- तुम्हारे ये बड़े बड़े बूब्स मोटी गांद मानो पागल कर दिया था. उस दिन का मई तो काब्से ही वेट कर रहा था आज के दिन का.
आंटी ये ज़्ब सुन कर हैरान हो गयी और उन्होने जैसे ही आँखो पर से पट्टी हात्ताी मुझे देखने के लिए. मैने देर ना करते अपना 6-7 इंच का लंड उनके मूह मे डाल दिया.
वो चौंक गयी, मैने अपना सारा का सारा लंड उनके मूह मे डाल दिया और उनका मूह चूड़ने लगा.
आंटी- अरे बेटा तोड़ा सबर करो मुझे नही पता था तुम मुझे छोड़ना चाहते हो. मई तो काब्से तुमसे छुड़वा लेती, मई तो खीड तड़प रही थी.
औनटु- तोड़ा ढेरे करो बेटा पूरा दिन पड़ा है अभी से जल्दी दिखाओगे तो कैसे चलेगा.
मे- उसकी चिंता आप मत कीजिए, मुझ पर छोड़ दीजिए.
फिर मैने ढेरे ढेरे आंटी का जिस्म चाटना शुरू किया. क्या बूब्स है वाह मज़ा आ गया. और फिर मैने 20 मिंट उन्हे जम्म कर मसला और आंटी बोले-
आंटी- बस कर कितना तडपाएगा, अब छोड़ डाल, फाड़ दे मेरी चुड और गांद.
मे– अभी कहाँ अभी तो शुरू हुआ है. खेल तो अभी बाकी है… ये कह कर मैने अपनी जीभ उनकी छूट पर रख दी.
और वो पागलो की जैसे आहैण भरने लगे. उनके मूह से सिरफ्फ़ “अहह उहहुउूऊहहुउऊुुुउउ फफफफुऊऊऊउक्ककककककककककककक ष्सससशाहहहहााहह..” सी आवाज़े आ रही थी.
तोड़ ही देर मे वो झड्द गयी उन्होने बोला-
आंटी– छोड़ डाल अब क्यू तड़पा रहा है.
मे- खुद मज़ा लिया मुझे कों देगा, चल इसे चूस मूह मे ले मेरे लंड को.
आंटी- मई नही ले पवँगी इतना ब्द्डा.
मे–नखरे मत करो अभी तो मूह मे था जब क्या था.
आंटी — ठीक है.
और आंटी ने जैसे ही सुपादे पर मूह रखा. मैने उनका फेस लंड पर दबा दिया और पूरा लंड उनके मूह मे डाल दिया. उसके बाद आंटी खुद मेरा लंड मज़े से चूस रही थी. 10 मिंट बाद-
आंटी- बेटा अब तो मेरी तड़प को मिटता दे, तेरे अंकल को तो मेरी परवाह नही.
मे- कोई बात नही जानेमन.
आंटी- अच्छा अब जानेमन पर आ गया?
मे- रुक जेया थोड़ी देर, मई रंडी पर अवँगा.
और मैने अपना लंड उसकी चुड पर सेट किया. क्या छूट थी गरमा गरम भट्टी की जैसे. सेट करते ही मैने ज़ोर का झटका दे डाला.
आंटी– उओ मी गोड्ड़ फदद्ड़ दी तूने मेरी छूट साले आराम से नही कर सकता था. इतना बड़ा लंड एक झटके मे कों डालता है.
मे- आबे रंडी चुप छाप मज़ा ले, नखरे ना कर.
आंटी- बाज़ारुन रंडी नही हूँ, मई तड़प रही थी तब तेरा सहारा लिया.
मे- अरे जानेमन गुसा क्यू कर रही हो. रफ सेक्स मई ही तो मजा है इसलिए कर रहा मई ऐसे.
उसके बाद क्या था मैने धक्कों की स्पेड तेज़ कर दी. और आंटी का दर्द मज़े मे बदल गया और वो अहायन्न्न भरने लगी.
“आहह उओह फ़फफूूक्कककककक इय्याअहह” “फक मे हार्ड” ऐसे बोलने लगी..
मैने बहुत दबा कर छोड़ा उनको फिर आंटी बोले मेरा होने वाला है तेज़ करो…
मे- इतनी जल्दी यूँ बोल रही थी तड़प रही हो, तुम तो जल्दी ही ढेर हो गयी.
आंटी- तुम तो हो जानवर मे इंसान ही हूँ.
आंटी के झाड्ड़ने के कुछ देर बाद मई भी झाड्ड़ने वाला था मैने बोला-
मे- आने वाला हूँ कहाँ निकालूं?
आंटी- तुम भी क्या याद करोगे जहाँ मॅन है वहाँ निकाल दो.
मैने देर ना करते ज़ोर से धक्के देने शुरू कर दिए और सारा माल आंटी के आंद्र ही गिरा दिया.
आंटी- शूकर मनाओ की मैने ऑपरेशन करवाया हुआ है. नही तो जितना माल तूने अंदर भर दिया इतने मे एक बार मे ही मैने प्रेग्नेंट हो जाना था.
उसके बाद मैने आंटी को दिन मे 4 बार छोड़ा और फिर आंटी तक कर वहीं सो गयी. और मई भी वही लेट गया. फिर रात को भी हमारा प्रोग्राम चला. अगले दिन मई अपने अपने घर चला गया. और फिर कुछ दीनो बाद आंटी की कॉल आई की-
आंटी- आ जाओ तुम्हारी ज़रूरत है यार.
मे- मई तो आ जौ मगर मेरी ज़रूरत का क्या होगा?
आंटी- तुम्हारा क्या मतलब? मुझे छोड़ तो रहे तो तुम.
मे- तुम्हे तो छोड़ रहा हूँ पर मुझे तुम्हारी बेटी की छूट मारनी है. जो की मेरे हिसाब से अभी सील पॅक है.
आंटी- तू पागल है, वो तेरी बेहन जैसी है, ऐसा नही हो सकता.
मे- देखो, हो तो आप भी मेरी मा जैसी. अब आप पर है कैसे करती आप ये आप देखो. मुझे चाहिए मतलब चाहिए. नही तो मई नि आने वाला.
आंटी- ठीक है करती हूँ कुछ. तू अभी मेरी आग भुजा जेया. 1-2 दिन मे मेरी बेटी की भी ले लेना तब तक उसको मनौँगी.
फिर मैने आंटी के घर जेया कर दबा कर छोड़ा और फिर उन्होने बाद मे अपनी बेटी को भी माना लिया.
अगर आपको कहानी अच्छी लगी हो तो आप मैल या हणगौट करके ज़रूर बताए. अपना फेडबॅक ज़रूर दे कोई मुझे इंतेज़ार रहेगा.
लड़किया भाभी और आंटी मेसेज ज़रूर करे, इंतेज़ार रहेगा और बाते करेंगे मैल करे [email protected] आप की सारी डीटेल्स एक दम सीक्रेट रहेंगी उससे आप लोग बेफ़िक्र रहे.
धन्यवाद