दोस्त ने अपनी मा को चुदवाने की इच्छा जताई

हेलो फ्रेंड मैं आपका प्यारा मिस्टर राय. ये कहानी ‘दोस्त के सामने उसकी मा को छोड़ा-1’ का अगला पार्ट है. यहाँ तक अपने पढ़ा की आंटी सिड्यूस्ड हो चुकी थी और पॅशनेट्ली किस्सिंग कर रहे थे. इतना किस्सिंग मे गुम थे की निरेश कब आया ह्यूम पता भी नही चला.

अब आयेज…

मैं आंटी (दोस्त की मा: संगीता) को किस कर रहा था. और किस करते करते मैने उसकी सारी नेक से हटा दी और कान, नेक, छाती की उपरी हिसे को चूम रहा था. बहोट मज़ा आ रहा था यार मैं बयान नही कर सकता.

अब आंटी को मैने उठा के अपनी गोड मे बिता लिया और उनको हग कर लिया कस के, उनकी आअहह निकल गयी.

आंटी मेरी गोड मे बैठ के स्लोली और रोमॅंटिक तरीके से मूव हो रही थी. क्यूकी अब वो भी गरम हो रही थी. और ये सब निरेश बहिर खड़ा देख रहा था. ये सब उनने बाद मे बताया कैसे, ये आगे चल के आप सब को पता चल जाएगा.

अब आंटी मेरे बाल खींच खींच के मुझे किस कर रही थी. कभी उनकी जीभ मेरे मूह मे आती तो कभी मेरी जीभ उनके मूह मे. ये मानिए जीभ से लड़ रहे होने पर प्यार का इज़हार. अब मेरा हाथ आंटी की गांद पर था.

आंटी की गांद फुल्ली शेप्ड मेंटेंड और नरम थी और बहोट सुंदर. कभी मैं आंटी की कमर दबाता तो कभी गांद. आंटी किस करते हुए बस आआआअहह आरामम्म से रययययी मैं यहीं हू भाग नही रहिी… उफफफफफ्फ़ बूऊओहत्त्तत्त अरसे से प्यासी हू, अंड्रा की आग जगा दी बूऊओहत्त्तत्त माआज़ाआ आ रहा दब्ाओ और दब्ाओ…

अब मेरा हाथ पीछे से उपर आता हुआ आंटी के ब्लाउस मे अगया. मेरा लंड भी पूरा टायर था आंटी के हर सुराख (छेड़/होल) मे जाने के लिए. जो आंटी को भी महसूस हो रहा था.

मैं आंटी की नेक पे लोवे बाइट्स देता हुआ अपनी जीभ आंटी की छाती के उपरी हिस्से पे फेर रहा था. आंटी मेरा सर और मेरी कमर अपने जिस्म मे पूरे ज़ोर ज़ोर से दबा कर मेरी गाओड़ मे उछाल रही थी.

अब आंटी की आग बढ़ रही थी जो मुझे भी पूरा गरम कर रही थी. मैने हाथ आयेज ला कर आंटी का ब्लाउस खोल दिया. अब आंटी की सारी और ब्लाउस उतार दिया.

आंटी के 36 के मॅमी ब्रा मे क़ैद थे जो आज़ादी की हवा खाने को तरस रहे थे. मैं बूब्स की लाइन के बीच अपने फेस दबा कर चाट रहा था, चूम रहा था और कभी काट रहा था.

अब निरेश अपनी मा को इस हाल मे देख के गुस्सा नही बल्कि खुद अपनी मा को हवस की नज़रो से देखने लगा. वो अपने लंड को खड़ा होते महसूस कर रहा था.

मैने उसकी मा की ब्रा खोल कर उसके बूब्स आज़ाद कर दिए. उफफफ्फ़ यरर गोरे गोरे मम्मो पे हल्के ब्राउन रंग के निपल जो थोड़े मोटे और खड़े हो चुके थे गर्मी की वजह से… सूपर सेक्सी लग रहे थे.. मैने अपने हाथ मे उसके बूब्स को फुल ज़ोर ज़ोर से दबाना शुरू कर दिया.

अब आंटी को तोड़ा मीठा दर्द और बहोट सारा मज़ा आ रहा था. मैने आंटी का रिघ्त दूध अपने मूह मे लिया और चूसने लगा.

उम्म्म्ममममम उम्म्म्ममममम उम्म्म्मममममाआआआआहह उम्म्म्मममममाआआआआहह मज़ा आ रहा था.

आंटी: बेटा और ज़ोर से चूस आज पी ले अपनी आंटी का दूध बरसो से प्यासी और तारसी हुई हू, खा जेया मुझे…

आंटी: आाऐययईईईई माआअ उफफफफफफफफफ्फ़ आआआहह और ज़ूऊऊररर सीए कर…

अब आंटी पूरे जोश मे करा रही थी. मैं भी आंटी की मोनिंग से जोश मे आ गया. आंटी को गोड मे उठा कर रूम की दीवार से लगा दिया, आंटी ने अपने 2नो बाज़ू और 2नो टॅंगो से मुझे जाकड़ रखा था.

मैने आंटी की गांद को दबाते हुए उसे उपर किया. अब आंटी अपने दूध मेरे मूह मे डाल के मुझसे चुस्वा रही थी. मैने एक हाथ से आंटी का पाठीकोत खोल दिया.

निरेश सब देख कर भूल गया था की वो उसकी मा है. वो बस अपना लंड अपनी पंत के उपर से दबा के अंदर के सीन्स का मज़ा ले रहा था.

आंटी ने मेरी शर्ट और वेस्ट दोनो निकल दिए. मेरी नेक, शोल्डर्स और अप्पर चेस्ट पे जुंगली बिल्ली की तरहा टूट पड़ी. कभी चूमे कभी छाते तो कभी ज़ोर से काटे. पर मुझे मीठा दर्द और बहोट सारा मज़ा आ रहा था.

अब आंटी की पनटी मैने तोड़ा ज़ोर लगा के फाड़ दी और नीचे से उसकी बूँद (गांद) की दरार (लाइन) मे बीच वाली उंगली फेरने लगा.

आंटी: हहाआआहहहहहहह माअज़ज़्ज़्ज़ाअ आ गया बीएततटा… उफफफफ्फ़ रुकना मत आज छोड़ डालो फाड़ डालो मेरी…

अब आंटी को नीचे उतरा, आंटी नीचे उतरते ही नीचे बैठी कुछ 5-10 सेकेंड्स मे ही मेरी पंत और अंडरवेर उतार दिया और सीधा मेरे बॉल्स को मूह मे ले के चूसने लगी. बहोट अरसे बाद चूज़ रही थी फिर भी किसी प्रोफेशनल रंडी की तरहा मेरे टटटे चूस रही थी.

फिर मेरे लंड के टोपे पे ज़ुबान फेरी, इतनी गर्मी के बाद मेरा प्री-कम निकल रहा था. पहले उसे छाती फिर पूरा लोड्‍ा चूसने लग गयी.

मैं: हाआााअ ऐसे ही आंटी चूसो, पूरा चूसो बहोट अरसे से कोई औरत नही छोड़ी ना किसी ने मेरा लंड चूसा.. आज आप दिल खोल के मेरा लंड चूज़..

अब आंटी ने करीब 15 मिनिट्स मेरा लंड चूसा. फिर मैने आंटी के बलों से उसका सर पकड़ा और उ एक मूह मे ज़ोर ज़ोर से झटके देने लगा और 3-4 मिन्स मे उसके मूह मे सारा लंड का पानी निकल दिया. आंटी ने ना लेफ्ट देखा ना रिघ्त सीधा निगल गयी मज़े से.

फिर मैने आंटी को बेड के कॉर्नर मे लिटाया. उनकी दोनो टाँगे जोड़ कर उसके मम्मो की तरफ की और उसकी फुदी को चाटने लगा. उनकी फुदी से बहोट प्यारी महक आ रही थी जो मुझे दीवाना कर रही थी.

मैं आंटी की फुदी को होन्ट समाज के फ्रेंच किस कर रहा था. कभी लेफ्ट वाली स्किन को कभी रिघ्त वाली स्किन को जीभ और होन्ट से चूमता चाट्ता. अब अपने थंब को आंटी के दाने पे रब कर रहा था. और एक उंगली उसकी गांद के छेड़ मे थोड़ी सी अंदर बहिर करता. आंटी हल्के हल्के झटके ले रही थी.

आंटी की फुदी को चूमते चाटते मुझे 10 मीं होने वेल थे. इस बीच आंटी एक बार जाध चुकी थी. अब आंटी बार बार छोड़ने को कह रही थी. पर अब निरेश के सबर का बाँध टूट गया, वो पंत उपर कर के अंदर आ गया. और उँचा बोला ये सब क्या हो रहा है???!

मेरी तो गांद फटत के मेरे हाथ मे आ गयी थी और अब आंटी की टाँगें भी कांप रही थी. पर जब मैने उसका खड़ा लंड देखा तो समझ गया की ये ज़्ब देख रहा था. मैने आंटी को इशारा किया मगर आंटी दर गयी थी, मैने हिम्मत कर के निरेश से कहा-

मैं: क्या ड्रामे कर रहा है.. मुझे पता है तू काफ़ी देर से ये खेल देख रहा है और अपनी मा की गांद देख के लंड को रग़ाद रहा है ब्स्दक.

निरेश: तू क्या बकवास कर रहा है बे!

मैं: बकवास नही हरामी तेरा खड़ा लंड बोल रहा, बोल क्या चाहता है कामीने!

पहले तो वो बोला की मैं अपने पापा को बता दूँगा. फिर मेरे काफ़ी बार बोलने पे बोला उसकी काफ़ी अरसे से फॅंटेसी थी की कोई उसकी मा को छोड़े. और वो अपनी मा को चूड़ते हुए अपने सामने देखे..

निरेश की मा का मूह खुला का खुला रह गया.

अब वो अपनी मा के पास आया और बोला-

निरेश: मुझे बुरा तो लगा पर मज़ा भी आया, तू घबरा मत जो करना है खुल के कर, मेरे सामने कर मा.

फिर निरेश मा को गले लगा और अपनी मा के नंगे जिस्म के मज़े लिए और फिर मुझे आँख मार दी.

मैं पीछे से उसकी मा की गांद खोल के गांद चाटने लग गया और निरेश पीछे जेया के चेर पे बैठ के सब देखने लगा और अपना लंड को दबाने लगा. मैने निरेश की मा की फुदी को चाट चाट के फिर से उसे गरम किया. अब वो शरमाना बंद कर दी और मज़े लेने शुरू हो गयी.

आयेज क्या हुआ आपको अगले पार्ट मे बतौँगा.

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