हे दोस्तों, मेरा नाम दिलीप है. वैसे तो मैने अपनी गली की बहुत सी भाभियों को छोड़ा है. उनमे से एक आरती भी थी. उसके बारे में मैं कभी और बतौँगा. अब आते है कहानी की तरफ.
ये कहानी तब की है, जब मैं 25 साल का था. मैं और सूर्या बहुत जिगरी दोस्त थे. लेकिन उसके घर वाले मुझसे नफ़रत करते थे. क्यूंकी मैं गली में आवारा हू, ऐसी लोगों के बीच में बातें होती थी. इसी वजह से सूर्या के घर वाले मुझे पसंद नही करते थे. ख़ास करके उसकी मा शांटबैई.
एक दिन सवेरे के वक़्त मैं सूर्या के घर में सूर्या से मिलने चला गया. लेकिन काई बार आवाज़ देने के बावजूद जब सूर्या बाहर नही आया, तब मैं ही उसके घर के अंदर चला गया. उसके घर के अंदर जाने के बाद मुझे बातरूम से कपड़े ढोने जैसी आवाज़ आ रही थी. इसलिए मैं बातरूम की तरफ बढ़ा की वाहा पर कों था ये देखने के लिए.
तब मुझे साक्षात सूर्या की मा शांटबैई के दर्शन हुए. उन्होने अपनी सारी अपनी जांघों के उपर तक कर रखी थी. अपना पल्लू उन्होने कमर पर बाँध रखा था, और उनके ब्लाउस के उपर के दो बटन खुले थे. इसकी वजह से उनके दोनो पके हुए आम ऑलमोस्ट बाहर झूल रहे थे.
वैसे सूर्या की मा शरीर से पतली और गोरी थी, लेकिन दिखने में इतनी ख़ास नही थी. लेकिन जब उसके दोनो आम के दर्शन हो गये, तो मेरा लंड सलामी देने लगा. अचानक शांटबैई की नज़र मुझ पर पड़ी, और वो मुझे गुस्से से देखते हुए बोली-
शांटबैई: यहा क्या कर रहा है तू?
तब मैने कहा: मैं सूर्या से मिलने आया हू.
तो उसने कहा: वो घर पर नही है. तू यहा से निकल जेया, और मेरे बेटे से मिलना-जुलना बंद कर दे.
मैने कहा: क्या हुआ आंटी, मैने ऐसा क्या ग़लत कर दिया की आप सूर्या से मुझे मिलने को माना कर रही है?
तब शांटबैई ने कहा: मुझे पता है तू कैसा है, और तेरी संगत में मेरा बेटा भी बिगड़ जाएगा.
मैने उनसे कहा: आंटी मैने ऐसा क्या किया जो आप मुझे सूर्या से मिलने से माना कर रही है? मैं तो बहुत शरीफ लड़का हू.
तब उन्होने कहा: तू कितना शरीफ है, ये मैं जानती हू. तू मुझे मत बता.
तेरी सारी करतूत मैं आचे से जानती हू. मुझे आरती ने सब बता दिया है.
मैं थोड़ी टेन्षन में आ गया और ये सोचने लगा की आरती ने क्या बताया होगा. फिर यही सोचते-सोचते मैं उनके घर से बाहर निकल गया. अब बारी आरती की थी. मैं सीधे आरती के घर पहुँच गया और आरती से पूछा-
मैं: तूने सूर्या की मा को ऐसा क्या बता दिया की वो मुझ पे भड़क रही है?
तब आरती ने कहा: मैने तो आंटी से कुछ नही कहा.
तब मैने उससे कहा: तब आंटी ऐसा क्यूँ कह रही थी की आरती ने मुझे सब बता दिया है? आरती तेरी मैं चुदाई करता हू, ये बात तेरे अलावा किसी को पता तो नही? अगर ये बात आंटी को पता है, तो उसे तूने ही बताया होगा.
वो पहले ना कर रही थी इस बात पे. लेकिन मेरे ज़ोर देने के बाद उसने सब सच बता दिया-
आरती: हा मैने ही आंटी को हमारी चुदाई के बारे में बताया.
तब मैने आरती से पूछा: आंटी और तेरी उमर में काफ़ी अंतर है. तो तूने उन्हे कैसे बताया?
तब एक राज़ आरती ने मुझे बताया: आंटी सूर्या के बाप से शादी के बाद से ज़्यादा खुश नही रहती थी. लेकिन उन्होने कभी भी किसी दूसरे मर्द की तरफ देखा भी नही. लेकिन एक बार मैने शांटबैई को मोबाइल पर पॉर्न देखते हुए पकड़ लिया था, और फिर बातों ही बातों में आंटी ने अपनी सारी कहानी बता दी.
आरती: और दिलीप तू तो ये जानता ही है की मुझे लंड के साथ छूट भी पसंद है. तो मैने मौका देख कर आंटी के कंधो पर, होंठो पर, और गर्दन पर हाथ फेरना शुरू कर दिया. इसकी वजह से आंटी गरम हो गयी और मेरे साथ छूट से छूट घिसते हुए एक हो गयी. फिर उसके बाद कम से कम 1 साल से हम दोनो के बीच में ये सब चल रहा है.
ये सब जान कर मैं हैरान हो गया की ये 55 साल की बुधिया आज भी अपने छूट से रास निकाल रही थी. तब मैने आरती से कहा-
मैं: आरती मुझे किसी भी हालत है शांटबैई चाहिए.
तब आरती ने कहा: वो तो तुम्हारे दोस्त की मा है. तुम उसे कैसे छोड़ सकते हो? ये पाप है.
तब मैने कहा: जब तू अपनी छूट से उसके छूट पर रगड़ती है, तब वो पाप नही है?
ये कह कर मैने अपना लंड आरती के मूह में दे दिया, और आरती से कहा-
मैं: देख आरती, मुझे किसी भी हालत में शांटबैई की छूट चखनी है, और उसमे तू मेरी मदद कर.
तब आरती ने कहा: मैं कैसे मदद करू?
मैने उससे कहा: वो जब अगली बार तेरे पास आएगी, तब तू चुपके से वीडियो बना लेना.
तब आरती ने मेरा लंड अपने मूह से निकालते हुए कहा: मैं ये सब क्यूँ करू? मैं ऐसा नही करूँगी.
फिर मैने आरती को लिटते हुए उसकी सारी उसकी कमर तक ले आया, और उसकी पनटी निकाल कर उसकी छूट में मेरा लंड डालते हुए कहा-
मैं: देख रंडी, तेरी काई वीडियोस मेरे साथ वाली मेरे पास है. अगर तूने मेरी नही मानी तो ये सब वीडियोस तेरे ससुराल और तेरे पति के पास भेज दूँगा.
तब वो डरते हुए बोली: क्या तुम मुझे ब्लॅकमेल कर रहे हो?
मैने कहा: नही तो पगली, मैं तो बस छूट की माँग कर रहा हू.
तब उसने कहा: ठीक है, मैं कर दूँगी. लेकिन आंटी की छूट मिलने के बाद मेरी छूट को भूलना नही.
मैने उसकी दोनो टाँगो को अपने कंधे पर रख कर झुकते हुए मेरे लंड से उसकी छूट पर दाना-दान झटके मारते हुए कहा-
मैं: मेरी जान, नही भूलूंगा तुझे.
और ऐसा कह कर मैने अपना पूरा पानी उसकी छूट में निकाल दिया.
दोस्तों ये कहानी थोड़ी लंबी हो गयी है. लेकिन स्टोरी लाइन के हिसाब से जाना पड़ता है. अगली स्टोरी में बतौँगा की सूर्या की मा की छूट कैसे ली मैने.