दोस्त की रस भरी माशूका की चूत चुदाई

मैंने एक लड़के से दारू और कुछ खाने के लिए मंगा लिया था।

जैसे ही मैंने कमरे को बन्द किया.. वो मुझसे लिपट गई और एक ही बार में ही मेरे चेहरे पर काफ़ी सारे चुंबन जड़ दिए।

मैंने भी कहाँ रुकने वाला था.. ज़ोर से भींचकर सीधा उसके होंठों को अपने होंठ से चिपका दिए।

वो भी साली बड़ी हरामी थी.. मेरी जीभ को मज़े लेकर चूस रही थी।

हमारा ये चुंबन काफी लम्बा चला और फिर हम अलग हुए।
मैंने उसकी आँखों में एक अजब सी प्यास देखी.. जैसे वो मुझे आज खा ही जाएगी।
फिर वो मुझसे लिपट गई और किस करने लगी।

नंगी भाभी
मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो पा रहा था। मैंने उसे उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और उसके कपड़े उतारने लगा। पहले उसकी साड़ी उतारी और फिर उसका ब्लाउज उतारा।

अब वो सिर्फ़ ब्रा और पैन्टी में थी… उसका बदन दूध की तरह चमक रहा था।

फिर मैंने भी एक-एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए।

तभी दरवाजे पर किसी ने नॉक किया.. ये वही लड़का था, जो दारू लेकर आया था।
मैंने चादर डालकर उससे सामान लिया और उसे कुछ पैसे देकर दफ़ा कर दिया।

मैंने दो पैग पिए और वो छिनाल साली पूरी पक्की वाली निकली.. उसने भी दो पैग खींच लिए। अब वो मुझसे लिपट गई और हम फिर से किस करने लगे।

मैं किस करता हुआ उसके उन दोनों खरबूजे जैसे चूचों को मसलने लगा। उसके चूचे निधि के मुक़ाबले थोड़े टाइट थे।

मैंने उसकी ब्रा भी उतार फेंकी और उन्हें चूसने में लग गया। उसे भी पूरा मज़ा आ रहा था। उसके मुँह से कामुक सिसकारियां निकल रही थीं।

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‘उम्म्म्म आहह.. राहुल खा जाओ इन्हें.. पी लो इनका सारा दूध.. उम्म्म्मम.. आअहह..’

दस मिनट की चुसाई के बाद मैं उसकी पीठ पर किस करते हुए नीचे की ओर बढ़ा और पैन्टी के ऊपर ही उसकी फूली हुई चूत को किस करने लगा.. जो कि गीली थी। उसमें से अजीब सी गंध आ रही थी।

मैंने अपने दांतों से ही उसकी पैन्टी को खींचा और उतारने लगा। इसी कामुक अंदाज से मैं उसकी पैन्टी को घुटनों तक ले आया और इसके बाद हाथों से उसको निकाल फेंका।

उसकी चूत को देखकर ही मेरे मुँह से ‘वाहह..’ निकला.. सच में क्या मस्त चूत थी यार.. बिल्कुल क्लीन शेव्ड.. साली चुदवाने की सोच के ही आई थी।

वो मुझसे चुदने के लिए एकदम राजी थी.. तभी तो चूत चिकनी करके आई थी। उसका छेद भी ज़्यादा बड़ा नहीं था। चूत की पुत्तियाँ चिपकी हुई थीं।

मैं उसकी चूत को सूँघ रहा था और उसको चूसने ही वाला था.. पर उसने मना कर दिया.. क्योंकि उसकी माहवारी आज सुबह ही ख़त्म हुई थी। मुझे बड़ा गुस्सा आया।

यार इसी चीज़ को चूसने में तो मज़ा आता है.. और वो ही नहीं करने दी साली ने.. कोई बात नहीं।

मैंने जैसे ही अपना अंडरवियर उतारा, मेरे लौड़े को देखकर उसकी आँखों में चमक सी आ गई।

वो दारू की टुन्नी में कहने लगी- अरे वाह राहुल.. तुम्हारा शेर तो काफ़ी तगड़ा है.. लगता है आज मेरी फाड़ ही डालोगे।
मैंने कहा- टेंशन मत लो जानेमन.. आज तुम्हारी चूत की सारी खुजली दूर कर दूँगा।

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ये कह कर मैंने लौड़ा उसके मुँह में डाल दिया।

वो भी साली रंडी की तरह एक बार में ही मेरा आधा लण्ड ही मुँह में लेकर चूसने लगी।

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