दोस्त की मा को अपना माल पिलाने की कहानी

तो पहले मैं आपको इस कहानी के किरदार से मिलवा देता हू.

रज़िया:- दोस्त की अम्मी. बहुत ही जुगाडू माल है, 38-36-40 के फिगर के साथ. बहुत ही मस्त मिलफ है.

नादें:- ये मेरा दोस्त है. बहुत ही गान्डू है सला, और बहुत ही भोला भी है. लेकिन इसकी अम्मी तो बहुत बड़ी चुदसी औरत है. एक-दूं माल टाइप दोस्तों, मैं ज़ुबान से भी बयान नही कर सकता.

तीसरा मैं, आप सब का दोस्त, जो काफ़ी टाइम बाद आप लोगों के लिए स्टोरी लाया है.

फ़ैज़न:- आप लोग मुझे तो जानते ही है. आपने मेरी पहली कहानी में तो पढ़ा ही होगा, की मेरा 7 इंच का लंड है, जो जब छोड़ने में आता है, तो गांद ही फाड़ देता है.

अब मेरी क्या तारीफ करू दोस्तों, कोई भी औरत या कोई क्यूक्कल्ड जो अपनी मा छुड़वाना चाहता है, तो बिना हिचकिचाए मुझे मेरी गामिल ई’द पर मेसेज कर सकता है. तो चलिए अब कहानी स्टार्ट करते है.

ये डिसेंबर के टाइम की बात है. मैं और नादें बहुत ही ख़ास दोस्त है. तो एक दिन मेरे घर पर कोई नही था. घर वाले सब बाहर गये हुए थे, तो मैने नादें को बोला-

मैं: भाई मेरे घर पर आज कोई नही है. यार अकेले सोने में मेरी गांद फट-ती है.

नादें: तो यार तू मेरे घर आजा. यहा सो जाना अगर तुझे दिक्कत नही है तो.

मैं: हा भाई चल ये सही है. मैं तेरे घर आ जाता हू.

नादें: हा भाई आजा, खूब मज़े करेंगे अपन, और मस्त नेत्फलिक्ष देखेंगे दोनो भाई मिल कर.

मैं: ओक भाई, मैं जल्दी से घर जाके कपड़े चेंज करके आता हू.

नादें की फॅमिली मैं उसकी अम्मी रहती है. उसके पापा आउट ऑफ कंट्री काम करते है, और घर पर पैसे भेजते है. फिर मैं घर जेया कर नाइट ड्रेस पहन कर मतलब शॉर्ट्स और त-शर्ट पहन कर, अब सर्दी का टाइम था तो शॉर्ट्स के उपर ही पाजामा पहन कर नादें के घर पहुँच जाता हू.

गाते पर खड़ा होके बेल बजता हू. रिंग रोंग, रिंग रोंग. नादें की अम्मी ने गाते खोला. यार मैं आपको बता नही सकता, की नादें की अम्मी क्या ग़ज़ब माल लग रही थी. उस टाइम एक तो उन्होने हिजाब पहन रखा था. उनका कमीज़ बिल्कुल टाइट था, जिसमे चूचे अलग ही दिख रहे थे तनने हुए, और एक-दूं टाइट. लेगैंग्स जिसमे उनकी गांद अलग ही दिख रही थी.

रज़िया: हा बेटा.

मैं: चाची वो नादें है क्या घर पर?

रज़िया: हा बेटा, अंदर ही है. आ जाओ.

मैं: जी चाची.

हॉल में नादें बैठा था, और टीवी देख रहा होता है. उनका घर एक मंज़िला बना हुआ था. हॉल है, 1 किचन है हॉल से अटॅच, और 3 कमरे है. आंड बातरूम और वॉशरूम अटॅच है.

उसकी अम्मी को देख कर तो मेरा पूरा लंड खड़ा हो गया था. कसम से कहर बरसा रही थी वो उस टाइम. आप लोगों को बता डू, हम आचे दोस्त है. लेकिन घर में फर्स्ट टाइम ही गया था उसके.

मैं: यार नादें, तेरी अम्मी बहुत सेक्सी है यार.

नादें: पता है, जान मत खा, देखने दे.

ये तो गान्डू था शुरू से ही. उस टाइम रज़िया किचन में काम कर रही होती है. मुझे उनके निपल्स कमीज़ में अलग ही नज़र आ रहे होते है. टाइट कमीज़ के अंदर बड़े-बड़े 2 निपल्स. शायद उन्होने उस टाइम ब्रा नही पहनी थी.

मॅन में बोला मैं: यार लंड खड़ा हो गया लगता है. मूठ ही मार के आनी होगी.

फिर मैने नादें से पूछा: भाई नादें, टाय्लेट कहा है? बहुत ज़ोर की लगी है.

नादें: किचन के पास में है गाते देख.

मैं: ओक भाई.

मैं बातरूम की तरफ जाता हू. फिर अंदर घुस जाता हू, और गाते लॉक कर लेता हू, और टाय्लेट करने लगता हू. बातरूम का गाते ऐसा था की किचन का सारा नज़ारा दिख जाए. मैने हल्का सा गाते खोला, तो मुझे रज़िया अलग ही दिखी. मैने सोचा मस्त है यार देख-देख कर मूठ ही मार की जाए.

फिर मैं रज़िया को देख-देख मूठ मार रहा होता हू. तब वो किचन में बर्तन धो रही होती है. मैं आँखें बंद कर लेता हू मूठ मारते-मारते. तभी रज़िया की नज़र मुझ पर पड़ती है, और वो मेरे बड़े लंड को देखती और शॉक हो जाती है. मैं आँखें बंद करके मस्त हिला रहा होता हू, पूरा सपनो में डूबा हुआ आह.

रज़िया (मॅन में): आ, ये क्या कर रहा है बातरूम में, और आ इसका लंड कितना बड़ा है. वाउ, ऐसा लंड आज तक नही देखा मैने.

ये देख कर रज़िया अपना काम छ्चोढ़ कर बातरूम की तरफ बढ़ती है, और हल्का से गाते खोल कर अंदर आ जाती है. उस टाइम मेरी आँखें बंद थी.

अचानक से मुझे एहसास होता है, की पीठ पर किसी के बूब्स टच हो रहे थे. मैं आँखें खोलता हू तो देखता हू रज़िया मेरी पीठ पर अपने बूब्स सत्ता कर खड़ी थी, और अपने हाथ से मेरे लंड को चू कर टच कर रही थी.

रज़िया: ये क्या कर रहे हो फ़ैज़न तुम? और ये क्या, तुम्हारा इतना बड़ा लंड कैसे है?

मैं: श चाची, आप कब आई? और ये क्या कर रही हो?

रज़िया: श चुप, आवाज़ मत करो. नादें हॉल में ही है. पहले ये बताओ तुम किसे सोच कर अपना ये बड़ा और मोटा लंड हिला रहे थे?

रज़िया लगातार मेरा लंड हिला रही होती है आह.

मैं: चाची वो आपके बूब्स देख कर मेरा खड़ा हो गया था. ख़ास कर आपकी कमीज़ के उपर से निपल्स देख कर.

इतने में रज़िया मुझे अपनी तरफ करके नीचे बैठ जाती है, और अपने हाथो को मेरे लंड पर रख देती है.

मैं: आहह चाची, आप ये क्या आह?

वो मेरा मस्त तरीके से लंड चूसने लग जाती है. पूरा अंदर तक ले रही होती है, गले तक उम्म ह उंह.

मैं: ओह चाची, क्या लंड चूस्टी हो आप आह.

रज़िया: उम्म आ, बहुत बड़ा लंड है तेरा फ़ैज़न. मैने आज तक ऐसा लंड नही देखा, और ना ही चूसा है.

और वो ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी उम्म उम्म्म. 10 मिनिट लगातार लंड चूसने के बाद-

मैं: आहह चाची, मेरा माल निकालने वाला है आह, चाची आह.

रज़िया: आ मेरे उपर ही कर दो, मेरे मूह में निकाल दो तुम्हारा सारा माल बेटा आह.

मैने सारा माल चाची के मूह में डाल दिया, और उनके गले तक उतार दिया आ.

अगर आयेज आप ये स्टोरी कंटिन्यू करना चाहते हो तो प्लीज़ मुझे एमाइल करे. तभी मैं अपनी आयेज की स्टोरी बतौँगा की कैसे मैने आगे दोस्त की अम्मी को छोड़ा.

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