दोस्त की मा के साथ हमबिस्तर हुआ

अगले दिन निखिल के पापा को किसी काम के लिए 3 दिन के लिए बाहर जाना था. मैने इश्स मौके का फयडा उठा के निखिल से कहा की तू मेरे घर चला जेया कुछ दीनो के लिए. इससे मुझे उसकी मा के साथ अकेले मे रहने को मिलेगा तो मई उनको पटना की कॉसिश करूँगा.

निखिल – हन ये सही आइडिया है, और मई भी जेया के तेरी मा को आराम से छोड़ूँगा कुछ दीनो तक.

मे – हन मज़े ले तू, और यहा मई तेरी मा की चूत का जुगाड़ करता हू.

हुँने नीलम से बनाना बना दिया और फिर कुछ निखिल मेरी मा के पास चला गया. अब घर मे सिर्फ़ मई और नीलम ही थे.

नीलम पड़ोस में किसी के घर गयी थी और फिर जब वाहा से आई तो मई उपर उन्ही के कमरे में सोया हुआ था,वो मेरे बगल में लेट गयी तो मैने अपना हाथ नीलम के पीठ से होते हुए उनके उस साइड तक रख दिया और उनसे चिपक गया.

नीलम – मतलब तू सोया नही है?

मे – बस सोने वाला ही था की आप आ गयी.

नीलम – हन सो जेया फिर आज शाम को मार्केट भी जाना है

मई सो गया और शायद नीलम भी. हुमारी नींद शाम को 6 बजे खुली और फिर नीलम ने मुझे उठाया और जल्दी तैयार होने का बोली. उस टाइम रात के 10 बजे तक बाहर अलोड था,नीलम ने एक ब्लॅक कलर की सारी पहनी थी.

मे – आंटी आप को तो सारी पसंद नही थी फिर आज कैसे?

नीलम – अरे पहन लिया बस ऐसे ही और तू भी क्या मेरी हर एक आक्टिविटी पर नज़र रखता है की मैने क्ब क्या बोला क्या नही.

मे – ऐसा कोई बात नही है बस जो अब्ज़र्व किया वो बोल दिया.

नीलम – हन ठीक अब चल जल्दी वापस भी आना है 1 अवर में और तू कार चला लेगा ना?

उन्होने कार से चलने को बोला पर मई आज मौका नही चोरना चाहता था.

मे – नही आंटी मुझे कार चलना नही आता.

नीलम – ले अब हुई प्राब्लम.

मे – क्यू क्या हुआ?

नीलम – अब बिके से चलना होगा और क्या.

वापस आने में 8 बाज गये थे और तभी बारिश भी स्टार्ट हो गयी. पर मैने बिके नही रोका ये बोल कर की पोलीस चलन कर देगी. फिर हम उसी बारिश में भींगटे हुए वापस आने लगे. बारिश के वजह से सारी नीलम के बदन से चिपक गया था और उसके कारण वो मुझसे चिपकी हुई थी. हम किसी तरह घर पहुचे और फिर नीलम ने चेंज किया और निघट्य पहन ली.

हम दोनो का ही खाने का मॅन नही था तो हुँने खाना नही खाया. नीलम ठंड के वजह से काँप रही थी. हम उन्ही के बेड पर लेट गये और मैने हुमेशा की तरह नीलम के उपर हाथ रखा तो नीलम अभी भी काँप रही थी. मैने उनको अपने से चिपका लिया और एक चादर हम दोनो ओढ़ कर सो गये.

अगली सुबह जब मई उठा तो नीलम को फीवर था. फिर मैने उनके सिर को ठंडे पानी से पोछा और फिर घुटनो तक निघट्य कर के वाहा भी पोछा.

नीलम अभी दर्द में थी. मैने निखिल को फोन कर के डॉक्टर का नंबर माँगा और फिर जब डॉक्टर ने डॉवा दिया तब दोपहेर में उन्हे तोड़ा होश आया. वो मुझे देखे जेया रही थी. मैने जो तोड़ा खाना बनाया था वो उनको ला कर दिया और फिर शाम तक वो बिल्कुल ठीक हो गयी. शाम को हम हाल में थे-

मे – सॉरी आंटी मुझे नही पता था की आप बारिश में भीग कर बीमार हो जाओगी नही तो हम उधर ही रुक जाते.

नीलम – रहने दो उसमें तुम्हारी क्या ग़लती है और मुझे भी बारिश में भींगे टाइम हो गया था.

मे – आपको भी बारिश पसंद है क्या आंटी?

नीलम – हन ऐसे बारिश में भींगे का आनंद ही अलग है.

मे – हन ये बात तो है.

नीलम – वैसे भी ये बारिश एक तरह से अक्चा ही हुआ वरना मुझे पता नही चलता की तुम खाना भी बना लेते हो.

मे – चलिए तब अभी बनता हुआ मई, क्या खावगी आप?

नीलम – जो भी बना के खिला दो.

हम किचन में आ गये और मई खाना बना रहा था. तब नीलम ने मुझे हटाया और खुद खाना बनाने लगी. उसने अभी भी निघट्य पहन रखी और उसकी गांद मस्त शेप में लग रही थी.

वो कुछ चीज़ ढूंड रही थी जो तोड़ा उपर था. फिर मैने मौका देख कर उनसे चिपक कर वो डिब्बा उतार दिया. मेरा लंड बिल्कुल उनकी गांद में था, कुछ देर मई वैसे ही रहा और फिर हट गया.

हुँने खाना खाया और फिर सोने के लिए चले गये. आज मैने जाते ही नीलम को पकड़ लिया जैसे हम पिछली रात को सोए थे, उन्होने भी कोई ना नही किया.

हम एक दूसरे से चिपके थे और नीलम के बूब्स मेरे सीने पर चिपके हुए थे और मेरे हाथ उनके पीठ पर थे. हम एक दूसरे के सांसो को फील कर रहे थे. मई आयेज बढ़ना चाहता था पर निखिल के वजह से रुक गया और शायद नीलम भी चाहती थी की मई कुछ करू. पर मई सो गया और फिर वो भी सो गयी.

अंकल और निखिल अगले दिन आने वाले थे पर निखिल दोपहेर में ही आ गया. तब आंटी ने निघट्य पहना हुआ था पर निखिल को देखते ही वो चेंज करने बातरूम में चली गयी और फिर-

निखिल – भाई मा कहा है?

मे – वो तुमसे शर्मा रही है.

हम जस्ट बातरूम के बगल में खड़े हो कर बात कर रहे थे.

निखिल – पर मुझसे क्यू शर्मा रही है?

मे – अब मुझे क्या पता तुम जानो.

निखिल – पर हुआ क्या है?

मे – वो 2 दिन से आंटी निघट्य में थी और तुम्हारे आने के वजह से अब सूट पहन रही.

नीलम – मई किसी से शरमाती नही तुझे बताया था ना.

मे – तब आंटी आप अंदर क्या कर रही?

नीलम – कुछ न्ही.

ये बोल कर वो निघट्य में ही बाहर आ गयी. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था की वो क्या करने गयी थी. हुँने थोड़ी देर बात किया और फिर आंटी अपने रूम में चली गयी.

निखिल मुझे ले कर बातरूम में गया वाहा उसने हॅंगर चेक किया. तो बोला इतने दिन मा बिना ब्रा पनटी के थी. अब मई आया हू तो उन्होने पहन लिया है.

निखिल – आख़िरकार तू उन्हे बिना ब्रा पनटी के सुला ही लिया.

मे – और तूने मेरी मा को कुछ पहनने दिया या नही?

निखिल – नही पुर 2 दिन मस्त मज़ा हुआ.

मे – वीडियो बनाया है?

निखिल – हन चल देखते है.

हुँने उस दिन वीडियो देखा और फिर नीलम के रूम के पीछे चुप कर उनको देख कर साथ हिलाया निखिल भी कुछ प्लान बना कर आया और फिर हम उस शाम किसी ना किसी तरह नीलम को टच करते रहे. रात को जब हम सोने गये तो नीलम मेरे बगल में लेती थी तब-

निखिल – मा आप लगता है ऋतिक को ज़्यादा मानने लगी है.

नीलम – क्यू ऐसा क्यू लग रहा है तुझे?

निखिल – आप कभी मेरे साथ नही सोती इसीलिए.

नीलम – वो तो इसको अकेले सोने की आदत नही है इसीलिए आती हू वरना यहा भी नही आती.

निखिल – तो आप बीच में क्यू नही सोती?

नीलम – आज अचानक तुझे क्या हो गया तूने ही तो बोला था मुझे यहा सोने को.

निखिल (थोड़े गुस्से में)- हन मैने ही बोला था.

इतना बोल कर वो दूसरे साइड फेस कर के लेट गया. नीलम उठी और फिर बीच में आ कर सो गयी.

नीलम – ले अब मई आ गयी अब खुश?

निखिल तुरंत पलट गया और उनके हाथ को पकड़ कर आँख बंद कर लिया. मैने भी करवट लिया और फिर नीलम के बूब्स पर हाथ रख दिया. नीलम ने मुझे इशारा किया की निखिल है पर मैने उनके इशारों पर ध्यान नही दिया और उन्हे गाल पर किस कर के सो गया.

अगली सुबह निखिल के पापा भी घर आ गये और वो उस दिन घर पर ही रुके. नीलम ने भी अब निघट्य निकल कर लग्गीएस कुरती पहन लिया था. मुझे भी अब ऐसा लगने लगा था की अब कुछ नही हो पाएगा और मई भी अगले दिन घर निकालने का नीलम से बोल दिया. उन्होने कुछ न्ही बोला.

निखिल – भाई हुमारे प्लान का क्या?

मे – नही हो पाएगा भाई तेरी मा तेरे बाप से डरती है वो एक्सट्रामरिटल अफेर नही संभाल पाएगी.

निखिल – तब अपना क्या?

मे – कुछ न्ही मेरी मा है ना कॉलेज खुलेगा तो वीकेंड पर उसको वाहा बुला लेंगे बस सिंपल.

उस पुर दिन कुछ ख़ास नही हुआ और फिर रात को हम खाना खा कर निखिल के रूम में थे. तभी उपर नीलम और निखिल के पापा के बीच झगड़े की आवाज़ आई और फिर वो आवाज़ बंद हो गयी.

मे – निखिल ये बेस्ट और लास्ट मौका है मई तुझे जैसा बोलू वैसा करना.

निखिल – ओक.

करीब 20 मिनिट्स बाद ऐसा लगा की नीलम सीधी पर थी और व्ह बैठ गयी. मई रूम से निकला और उनके पास गया और वही बैठ गया.

नीलम (आँसू पोछते हुए)- तुम सोए न्ही चलो मई आती हू.

मई तोड़ा और उनके करीब गया.

मे – कभी कभी सोने से ज़्यादा रोना अक्चा होता है.

उन्होने अपना सिर मेरे कंधे पर रखा और रोने लगी और बोली – हुमेशा वो ऐसा करते है और मेरा भूल जाते है.

मे – क्या मतलब आंटी?

नीलम – कुछ न्ही तू मुझे रो लेने दे.

नीलम ऐसे ही 5 मिनिट्स रोटी रही और फिर मैने उनके चेहरे को पकड़ा और उनके गालों पर किस किया और बोला – अब चले सोने?

वो भी चल दी और मेरे और निखिल के बीच लेट गयी. मैने उनको पकड़ लिया और उनके बूब्स पर अपने हाथों को घुमाने लगा.

मैने जब उपर देखा तो वो मुझे ही देख रही थी और मैने तुरंत उनके होंठों पर किस किया. वो भी मेरा साथ दे रही थी.

उन्होने मेरे कान में बोला – उपर चलते है यहा निखिल है.

मैने ना में सिर हिलाया और उनके एक बूब्स को निघट्य के बाहर कर दिया. मैने फिर से उनके होंठो को चूसना शुरू किया की तभी…

ये पार्ट यही रोकते है आयेज क्या हुआ जानने के लिए जुड़े रहे आंड मेसेज भेजते रहे

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