तौजी हुए मम्मी के दीवाने

हेलो दोस्तो मैं आपका दोस्त मनीष आप सभी का मेरी मम्मी के इश्स तीसरी सेक्स कहानी के 2न्ड पार्ट मे स्वागत करता हूँ. तो दोस्तो जैसा आपने पहले पार्ट मे पढ़ा की तौजी इलाज के लिए शहर आए थे और हमारे घर रुके हुए थे. तौजी की सर्जरी हुई थी और फिसियोतेरपी भी चल रही थी.

रात को पापा फिसियोतेरपी मे मदद करते और दिन मे जब पापा ऑफीस जाते तो पापा ने मम्मी को तौजी की मदद करने को कहा था. पर शायद मम्मी के स्पर्श ने तौजी के अंदर की कामवासना जगाई थी.

क्यूंकी एक दिन मैने देखा तौजी मेरे साथ हॉल मे बैठ कर टीवी देख रहे थे लेकिन मैने देखा तौजी की नज़र टीवी से ज़यादा किचन मे काम कर रही मम्मी पर थी.

मम्मी की चिकनी पीठ और उभरी हुई गांद को देखकर शायद तौजी की अंतर्वसना जाग रही थी. तौजी को धोती मे उनका खड़ा लंड भी ये ही दिखा रहा था की उनकी नज़र मम्मी की जवानी पर पड़ी है.

लेकिन क्या मम्मी को ये बात पता थी या नही ये मुझे पता नही था. मम्मी के कामुक जवानी पर आकर्षित हुए तौजी हॉल से उठकर वॉकर के सहारे किचन मे गये और मम्मी के पिच्चे खड़े हो गये. मैं सब हॉल से देख रहा था.

तौजी ने एक बार पिच्चे मुड़कर मेरी तरफ देखा की मैं उन दोनो को देख रहा हू या नही पर तौजी के देखने से पहले ही मैने अपनी नज़ारे दूसरी तरफ़ कर ली. तौजी मम्मी की चिकनी पीठ और उभरी हुई गांद को अपनी नज़ारो से निहार रहे थे.

मम्मी को शायद पता नही था की तौजी उनके पिच्चे खड़े है या क्या पता शायद मम्मी जानकार भी अंजन बन रही थी.

मैने देखा तौजी उनके हाथो से मम्मी के पीठ को च्छुने ही वेल थे की मम्मी पीछे मूड गयी और उनसे पुच्छने लगी : अरे जेठ जी आप! क्या चाहिए आपको?

तौजी घबरा गये और बोले : कुछ नही बहू पानी पीने आया था.

मम्मी बोली : अरे तो आप क्यू आए मुझे आवाज़ लगाई होती या मनीष को कहा होता.

तौजी: अरे नही बहू तू काम कर रही थी तो मैने सोचा क्यू तुझे और तकलीफ़ डू”.

मम्मी : जी अच्छा ठीक है.

तौजी : अरे वा बहू तूने तो रसोई घर बहोट अच्छा रखा है .

मम्मी : जी

तौजी : ठीक है बहू मैं चलता हू अपने रूम मे.

मम्मी : जी ध्यान से जाइए या मैं अओ आपकी मदद करने.

तौजी : नही तू अपना काम कर मैं चला जौंगा.

और तौजी उनके कमरे मे चले गये. फिर रात को पापा आए. हम सब साथ बैठकर खाना खा रहे थे. पापा और तौजी गाव की पुरानी बाते कर रहे थे और हसी मज़ाक कर रहे थे. मम्मी भी उनकी बाते सुन रही थी. ऐसे ही बातो ही बातो मे तौजी ने पापा से शायद जान बूझकर कहा.

तौजी : अरे भाई संजय थोड़ी कसरत वग़ैरह किया कर मुझसे 8 साल छ्होटा होकर भी मुझसे बुढहा लग रहा है. और हास दिए.

पापा : हाँ भैया सही कहा पर क्या करे ये नौकरी के चक्कर मे टाइम ही नही मिलता कसरत करने के लिए.

तौजी ( मम्मी को देखते हुए) : मुझे देख तुझसे 8 साल बड़ा होकर भी लोग मुझे तेरा छ्होटा भाई बोलते है गाव मे.. खेत मे काम कर करके मेरा शरीर मजबूत हो गया है.

शायद तौजी मम्मी को इंप्रेस करना चाह रहे थे.

पापा : हन हन भैया पता है आप बहोट जवान है तो दूसरी शादी क्यू नही करते?

तौजी : दूसरी शादी करने के लिए मैं तैयार हो जाो तो आज भी लड़कियो की लाइन लग जाएगी.. आज भी गाव की औरते मेरी दीवानी है.

पापा : अच्छा जी.

तौजी : हाँ और तेरी तरह पढ़ा लिखा होता तो शहर की औरते भी तैयार हो जाती (मम्मी को देखकर).

पापा : हहा बस करो भैया.

तौजी : तुझे हसी आ रही है ? रुक तुझे दिखता हूँ.

ये कहकर तौजी ने वही हम सब के सामने अपना कुर्ता उतार दिया तौजी अब बनियान पर थे. हाथ फोल्ड करके उनके डोले दिखा रहे थे. तौजी की बॉडी बनियान पर किसी जिम जाते हुए आदमी की लग रही थी.

थोड़ी सी बाहर आई हुई चेस्ट मजबूत शोल्डर फूले हुए डोले और सख़्त गतिला शरीर. तौजी की आगे 50 थी पर उनकी बॉडी 40 के जवान आदमी की तरह लग रही थी. मम्मी भी तौजी की बॉडी को देख रही थी. शायद तौजी ने ये सब जान बूझकर किया था पर पापा के सामने करके तौजी ने सेफ ग़मे खेला था.

मम्मी भी शायद तौजी की बॉडी से इंप्रेस हुई थी.

वो भी पापा से कह रही थी : देखिए, जेठ जी सही कह रहे है आप उनके सामने बुड्ढे लगते हो और कितना जल्द तक जाते हो.

बातो ही बातो मे मम्मी ने भी तौजी से कह दिया की पापा से मम्मी के यौवन की प्यास नही बुझती.

तौजी हास रहे थे : देखा बहू ने भी मान लिया ना.

पापा: हन हन ठीक है. आप ही जवान मैं बूढ़ा. और सब हासणे लगे.

पापा को ये बाते मज़ाक लग रही थी पर यहा कुछ और ही खिचड़ी पाक रही थी.

अगले दिन पापा ऑफीस गये मैं हॉल मे बैठकर टीवी देख रहा था दोपहर मे तौजी के फिसियोतेरपी का टाइम हुआ था. मुझे पता था आज कुछ ना कुछ ज़रूर होगा. क्यूंकी कल रात दोनो ने एक दूसरे को बतो ही बातो मे इशारा किया था.

मैने देखा मम्मी तौजी की तरफ पीठ कर के बैठकर उनके पैरो पर तेल लगा रही थी. रोज मम्मी पल्लू लेकर उनकी पीठ धक लेती थी लेकिन आज मम्मी ने पल्लू नही लिया था इसलिए बॅकलेस ब्लाउस की वजह से मम्मी की चिकनी पीठ के दर्शन तौजी को हो रहे थे. तौजी को अंदाज आ रहा था की शिकार जाल मे फस गया है.

तो ताओूजी भी हिम्मत करके बोले : बहू आज बहुत गर्मी हो रही है है ना?

तो मम्मी बोली : जी हन.

तौजी : मैं अपना कुर्ता उतार देता हू बहुत ही गर्मी है आज.

मम्मी : जी निकल दीजिए.

तौजी ने कुर्ता उतरा और साइड मे रख दिया. तौजी अब बनियान मे थे उनका गतिला बदन आकर्षित लग रहा था. शायद मम्मी को भी उनकी बॉडी देखनी थी इसलिए मम्मी उठकर तौजी की ओर मूह करके बैठी और तौजी के पैरो की तेल लगाकर मालिश कर रही थी.

उनका खड़ा लंड उनकी धोती से बाहर आने की कोशिश कर रहा था और शायद मम्मी ने भी तौजी के खड़े लंड का आकर देखा था मम्मी अब और भी नरमी से मालिश कर रही थी जैसे वो तौजी को और उनके लंड को और उकसा रही थी.

तौजी : बहू सच मे तेरे हाथो मे तो जादू है.

मम्मी : अच्छा जी वो कैसे?

तौजी : तू ना किसी भी बैठी हुई चीज़ को खड़ी कर सकती है. (तौजी लंड की ओर देख कर कहने लगे).

मम्मी ये सुनकर शर्मा गयी : ये क्या कह रहे है आप?

तौजी : हन बहू देख ना तू कितना मेरा ख़याल रख रही है मुझे लगता है मैं जल्द ही अपने पैरो पर खड़ा हो सकता हूँ.

मम्मी: हाँ जी आप जल्दी से ठीक हो जाइए.

फिर तौजी के अंदर अब कॉन्फिडेन्स आ गया था वो अब मम्मी को और खुलकर बाते करने लगे.

तौजी: बहू बुरा ना मानो तो एक बात काहु?

मम्मी : जी कहिए.

तौजी : कल रात तू कह रही थी की संजय जल्दी तक जाता है.

मम्मी : जी देखिए ना आते है काम से खाना खाते है और सो जाते है दूसरा कुछ काम ही नही करते घर का

तौजी : अच्छा..और बहू वो तुझे खुश तो रखता है ना?

मम्मी : जेठ जी ये आप क्या बाते कर रहे है मैने ऐसा कब कहा?

तौजी : अरे गुस्सा मत हो मैने बस ऐसे ही पूछा.. तुझे बुरा लगा तो माफ़ कर दे.

फिर मम्मी ने तौजी को वॉकर के सहारे चलने को कहा पर तौजी ने आज अलग ही मूड बना लिया था शायद.

तौजी : बहू ये वॉकर से कितने दिन चालू मैं अपने आपके पैरो पर चलना चाहता हूँ.

मम्मी : जी पर डॉक्टर ने आपको वॉकर के सहारे ही चलने को कहा है.

तौजी : हाँ बहू पर कल मैने डॉक्टर के साथ फोन पर बात की डॉक्टर ने कहा की मैं अब किसी और के सहारे पैरो पर चलना चालू कर सकता हूँ. तू मुझे सहारा दे मैं चलने की कोशिश करता हूँ.

मम्मी ने भी ठीक है कहा और तौजी को सहारा दे रही थी. मैने देखा तौजी का हाथ मम्मी के हाथो मे था और तौजी चल रहे थे. उनको तकलीफ़ हो रही थी पर वो कहा हार मानने वाले थे उन्होने मुझे भी चलकर दिखाया.

फिर वापस अपने कमरे मे मम्मी के सहारे जाने के लिए चल पड़े फिर अपने कमरे मे जाते ही पता नही उनका बॅलेन्स बीगाढ़ गया या उन्होने जान बूझकर किया वो बेड पर गिरे और मम्मी का हाथ उनके हाथो मे था इसलिए मम्मी को भी उन्होने अपनी ओर खिछा और मम्मी तौजी के उपर गिर गयी.

मम्मी के खुले बाल तौजी के मूह पर थे और मम्मी का पल्लू भी गिर गया था. तौजी के चौड़ी सख़्त छाती पर मम्मी के बूब्स डब रहे थे. तौजी ने भी मौका देख कर उनके हाथ मम्मी के पीठ पर फेरे. और मम्मी के गांद के उपर भी हाथ रखकर गांद भी दबाई.

तौजी तो मम्मी को छ्चोड़ना नही चाहते थे पर मम्मी उठ गयी, तौजी मम्मी की माफी माँगने का नाटक कर रहे थे.

तौजी : अरे बहू पता नही कैसे मेरा बॅलेन्स बिघड़ गया.

मम्मी : जी ठीक है कोई बात नही.

ये कहकर मम्मी शर्मकार अपनी रूम मे चली गयी और उन्होने कमरे का दरवाजा बंद किया. शायद बहोट दीनो के बाद मम्मी के जवानी पर किसी मर्द का हाथ पड़ा था क्यूंकी तौजी के घर होने के कारण मम्मी टीचर के साथ और सरपंच के साथ भी संबंध नही बना पा रही थी.

मम्मी की छूट 1 महीने से सुखी पड़ी थी और तौजी के मर्दाना हाथो के स्पर्श से श्यद मम्मी की छूट भी गरम हो गयी थी. इसीलिए उन्होने रूम मे जाकर शायद उंगली से ही अपनी छूट को शांत करने की कोशिश की होगी.

पर तौजी बड़े खुश थे क्यूंकी ताओूजी ने मम्मी की गांद भी दबाई और पीठ पर भी हाथ फेरा जो उनकी उस दिन से इच्छा थी.

अब आयेज क्या होता है क्या तौजी मम्मी को छोड़ने मे कामयाब हो जाते है या पापा को तौजी और मम्मी के नाजायज़ संबंध के बारे मे भनक लग जाती है. ये जानने के लिए अगले पार्ट का इंतजार कीजिए.

ये पार्ट आपको कैसे लगा नीचे कॉमेंट करके ज़रूर बताइए और मुझसे बात करने के लिए मुझे एमाइल या हणगौट अप पर मेसेज कीजिए

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