मेरा नाम राजन है और में मुंबई का रहने वाला हूँ। मेरे घर पर में मेरी माँ और मेरे पापा रहते है। में एक कॉलेज में पढ़ता हूँ और मेरी माँ एक ग्रहणी है और मेरे पापा की एक अख़बार की एजेन्सी है। दोस्तों मैंने अभी कुछ समय पहले मेरे एक बहुत अच्छे दोस्त की माँ को चोदा है। मेरे फ्रेंड की माँ का नाम कल्पना है और उनकी उम्र करीब 38 साल है और उनका भी पार्थ इकलोता बेटा है और उसके पापा किसी प्राईवेट बैंक में नौकरी करते है। दोस्तों कल्पना आंटी का फिगर करीब 40- 34-46 के आसपास होगा और उनका कलर भी बहुत गोरा है और अब में सीधा उस दिन पर आता हूँ कि उस दिन क्या हुआ?
दोस्तों उस दिन दोपहर को में पहली बार पार्थ के घर पर जाने वाला था और उस दिन रविवार का दिन था। अब में उस दिन पार्थ की बिल्डिंग में चला गया और लिफ्ट से ऊपर पहुंच गया और फिर मैंने दरवाजे पर लगी घंटी बजाई तभी कुछ देर इंतजार करने के बाद दरवाजा खुला तो मैंने देखा कि मेरे सामने पार्थ की माँ कल्पना खड़ी हुई थी। उस वक्त उन्होंने असमान के जैसे नीले रंग की जालीदार साड़ी पहनी हुई थी और उनका ब्लाउज भी बिल्कुल वैसा ही था। उसमें से उनकी सफेद कलर की ब्रा भी साफ साफ दिख रही थी हाँ और जब उन्होंने दरवाजा खोला तो..
में : हैल्लो आंटी क्या पार्थ घर पर है?
कल्पना : पार्थ तो इस समय घर पर नहीं है, लेकिन तुम कौन हो?
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में : में आंटी उसका एक दोस्त हूँ और मेरा नाम राजन है।
तो वो एकदम से चकित होकर मुझसे बोली।
कल्पना : राजन अच्छा तो तुम हो, मुझे माफ़ करना में तुम्हे पहचान नहीं सकी, तुम अंदर आ जाओ ना।
में : नहीं आंटी में बाद में आ जाता हूँ।
कल्पना : अब आ भी जाओ, वैसे भी तुम आज पहली बार आए हो और पार्थ भी यहाँ पास में ही गया है, अभी कुछ देर में आ जाएगा।
अब हम दोनों अंदर चले गये, आंटी ने दरवाजा बंद किया और फिर में सोफे पर बैठ गया। आंटी किचन में जाकर मेरे लिए पानी लेकर आ गई।
कल्पना : हाँ बोलो अब तुम क्या खाओगे?
में : नहीं आंटी में कुछ नहीं खाऊंगा, आप बस रहने दीजिए।
कल्पना : क्या नहीं? ऐसा बिल्कुल भी नहीं चलेगा, वैसे भी तुम आज पहली बार घर पर आए हो और फिर क्या बिना कुछ खाए जाओगे?
में : सच में आंटी मुझे कुछ नहीं चाहिए।
कल्पना : तो ठीक है तुम चुपचाप यहीं पर बैठो और में तुम्हारे लिए संतरे का जूस निकालकर लाती हूँ।
आंटी उठकर किचन के अंदर चली गई और अब उन्हे देखकर मुझे कुछ कुछ हो रहा था, लेकिन मेरे मन में ऐसा कुछ नहीं था क्योंकि उनकी वो मटकती हुई गांड और उनके ब्लाउज के अंदर के वो बड़े बड़े बूब्स मुझे अब बहुत उत्तेजित कर रहे थे, लेकिन तभी आंटी जूस लेकर आई। उन्होंने जूस मुझे दिया और मेरे पास बैठ गई। में अब वो जूस पी रहा था।
कल्पना : इतने दिनों से सिर्फ़ मैंने पार्थ से तुम्हारे बारे में सुना था। तुम कॉलेज में क्या करते हो और क्या तुम जिम जाते हो?
में : आपका बहुत बहुत धन्यवाद आंटी।
कल्पना : तुम पार्थ को भी जिम में क्यों नहीं लेकर जाते?
में : आंटी मैंने तो उसे कितनी ही बार कहा है, लेकिन वो हमेशा मुझसे कहता है कि में सोचूँगा और बाद में आऊंगा, हमेशा कोई ना कोई बहाना बनाता है।
कल्पना : देखो ना अब तुमने अपनी बॉडी बनाई है तो तुम पहले से भी अब कितने अच्छे दिखते हो?
में : तो शरमाते हुए उन्हें आपका धन्यवाद आंटी।
तभी आंटी ने मेरे हाथ की कलाई को हाथ में ले लिया और कहा।
कल्पना : अब तुम्हारे मसल भी देखो, कितने अच्छे हो गए है?
में : हंसते हुए बोला कि नहीं आंटी अभी कहाँ इतने अच्छे हुए है?
कल्पना : नहीं सच में देखो और यह तुम्हारी टी-शर्ट भी तुम पर कितनी अच्छी लग रही है?
अब में एकदम से शरमा गया था और यह सब मुझे अब बहुत अजीब सा लग रहा था, लेकिन तभी वो मेरी तरफ मुस्कुराते हुए वो उनका एक हाथ मेरी छाती पर लेकर गई और फिर मुझसे कहने लगी।
कल्पना : और तुम्हारी छाती भी बिल्कुल बढ़िया आकार की है।
अब वो हाथ मेरे पेट से घुमाते हुए मेरी गांड पर लेकर चली गई और मुझसे पूछने लगी।
कल्पना : और क्या इसके लिए भी कोई एक्ससाईज होती है?
तो में थोड़ा सा एक साईड में होते हुए उनसे बोला।
में : हाँ होती है।
अब आंटी के चेहरे के हावभाव भी एकदम से बिल्कुल बदल गये थे। मुझे अब उनकी बातों से ऐसा लग रहा था कि आज कुछ ना कुछ गड़बड़ होने वाली है और तभी आंटी ने उनका एक हाथ मेरी गांड से सीधे मेरे लंड पर लेकर चली गई और फिर मुझसे बोली।