दोस्त की कामुक बहन सरिता की कुंवारी चूत

राकेश और मैं बचपन के दोस्त हैं हम दोनों ने अपने स्कूल की पढ़ाई एक साथ की उसके बाद हम दोनों ने जब कॉलेज में दाखिला लिया तो उस वक्त भी हम दोनों साथ में ही रहा करते थे हम दोनों की दोस्ती बहुत ज्यादा गहरी है इसीलिए हम दोनों ने आगे चलकर भी एक साथ काम करने की सोची। कुछ समय तक तो मैंने और राकेश ने जॉब की लेकिन जब हम दोनों के पास थोड़ा बहुत पैसा जमा हो चुका था दो उसी दौरान हम दोनों ने अपने कैटरिंग का काम शुरू कर दिया। हमारे सामने कई समस्याएं थी पहले तो हमारे पास पैसे इतने नहीं थे कि हम लोग ज्यादा सामान खरीद पाते फिर भी हम लोगों ने कैटरिंग का काम शुरू कर ही दिया था। उसके बाद हम लोगों का काम कुछ अच्छा नहीं चला लेकिन फिर भी हम दोनों ने हिम्मत नहीं हारी और अपने काम को जी जान से करने लगे हमारे पास काफी समय तक कुछ काम नहीं था हम लोगों ने अपनी सारी जमा पूंजी लगा दी थी।

एक दिन मैं और राकेश साथ में बैठे तो राकेश मुझे कहने लगा यार अविनाश ऐसे तो हम दोनों पूरी तरीके से बर्बाद हो जाएंगे मुझे नहीं लगता कि हम दोनों अब आगे कोई काम कर भी पाएंगे या नहीं। मैंने राकेश को समझाया और कहा तुम बिल्कुल भी चिंता मत करो सब कुछ ठीक हो जाएगा तुम बस काम पर ध्यान दो और फिर हम दोनों काम पर ध्यान देने लगे। तभी मेरे एक परिचित के यहां शादी थी मैंने जब उनसे बात की तो उनके घर से मुझे उस शादी की बुकिंग मिल गई मैंने बड़े अच्छे से उन लोगों का काम किया। हम दोनों खुश थे क्योंकि उन लोगों का शादी का फंक्शन बड़ा ही जोरदार हुआ और उसके बाद हमारे पास बुकिंग आने लगी धीरे धीरे हम दोनों का काम अच्छा चलने लगा था। उसी दौरान मेरे और सरिता के बीच में नजदीकियां बढ़ने लगी सरिता राकेश की बहन है मैं नहीं चाहता था कि राकेश को इस बारे में कोई भी जानकारी हो इसीलिए हम दोनों ने राकेश को कुछ भी नहीं बताया हम दोनों चोरी छुपे ही मिला करते थे। हम लोग फोन पर बात किया करते लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि हम दोनों की इतने वर्षों की दोस्ती में दरार पड़ने वाली है। हमारा काम अच्छे से चल चुका था लेकिन उसी बीच एक दिन हमें एक बुकिंग मिली मैं उस दिन अपने किसी रिलेटिव के घर गया हुआ था बुकिंग के पैसे पहले ही राकेश को मिल चुके थे ना जाने राकेश ने वह पैसे कहां रखे।

उन्हीं पैसों की वजह से हम दोनों के बीच में बहुत झगड़े हुए उसके बाद हम दोनों ने अलग होने की सोच ली और हम दोनों ने अपना अलग अलग काम खोल लिया। हम दोनों ही अलग हो चुके थे लेकिन मेरे सामने सबसे बडी जो दिक्कत थी वह सरिता थी सरिता और मेरा मिलना पूरी तरीके से बंद हो चुका था लेकिन मुझे तो सिर्फ सरिता के साथ ही रिलेशन में रहना था। मैं सरिता के पीछे पूरी तरीके से पागल था और सरिता भी चाहती थी कि हम दोनों एक दूसरे से शादी करें लेकिन मुझे बिल्कुल भी उम्मीद नहीं थी कि हम दोनों की शादी हो पाएगी। एक दिन यह बात राकेश को पता चल गई की मेरे और सरिता के बीच में कुछ चल रहा उसने उस दिन सरिता को बहुत भला बुरा कहा और कहा कि तुम आज के बाद कभी भी अविनाश से नहीं मिलोगी। मेरे और सरिता के बीच में जो सबसे बड़ी दीवार थी वह राकेश थी क्योंकि राकेश कभी नहीं चाहता था कि मेरे और सरिता के बीच में कोई भी रिलेशन हो। हम दोनों के झगड़े की वजह से सरिता भी मुझसे दूर हो चुकी थी और मैं सरिता से बहुत कम ही मिल पाता था कभी कबार वह घर से बाहर आ जाती थी तो तब मेरी सरिता से मुलाकात हो जाती थी वरना हम दोनों का मिलना बहुत कम होने लगा था। सरिता जब मुझे मिलती तो वह कहती कि मुझे तुम्हारी बहुत याद आती है तुम मुझसे कब शादी करोगे वह कहने लगी हम दोनों कहीं भाग कर चले जाते हैं लेकिन ऐसा कभी हो ही नहीं सकता था। मैंने सरिता से कहा मैं तुमसे तभी शादी करूंगा जब राकेश की रजामंदी होगी नहीं तो मैं तुमसे शादी नहीं कर सकता। सरिता मुझे कहने लगी अविनाश तुम्हें तो मालूम है ना कि भैया कभी भी हम दोनों के रिश्ते को बढ़ने नहीं देंगे।

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मैंने सरिता को समझाया और कहां देखो हमारे बीच में पहले कितनी अच्छी दोस्ती थी लेकिन कुछ समय बाद हमारे पैसों को लेकर अनबन हुई और हम दोनों ने अपना काम अलग कर लिया लेकिन उसमें ना तो मेरी गलती थी और ना ही राकेश की गलती थी। उस दिन जब राकेश ने पैसे लिए थे तो उसने वह पैसे ऑफिस के अलमारी में रख दिए थे और हमारे ऑफिस में ही काम करने वाले लड़के ने वह पैसे चोरी कर लिए जिसकी वजह से हम दोनों के बीच में झगड़े हुए। जब मुझे इस बात का मालूम पड़ा तो मुझे बहुत बुरा लगा लेकिन तब तक हम दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके थे और हम दोनों ने अपना अपना काम शुरू कर लिया था। मैंने उसके बाद राकेश से दोस्ती के बारे में दोबारा सोचा लेकिन हम दोनों का रिलेशन हो ही नहीं पाया क्योंकि अब हम दोनों एक दूसरे से अलग हो चुके थे। मैंने सरिता से कहा तुम यदि मेरी राकेश से बात कराओ तो शायद कुछ हो पाये सरिता मुझे कहने लगी मैंने उनसे ना जाने कितनी बार बात कर ली है लेकिन वह बिल्कुल भी नहीं चाहते कि मैं तुमसे बात भी करूं। इसी बीच राकेश ने भी शादी करने का निर्णय ले लिया और उसकी शादी होने वाली थी लेकिन उसने मुझे अपनी शादी में नहीं बुलाया था परंतु फिर भी मैं चाहता था कि उसकी शादी अच्छे से हो और वह अपनी पत्नी के साथ खुश रहे। मैंने राकेश को फोन कर के बधाइयां दी और उसे कहा तुम अपने जीवन में हमेशा खुश रहो और हमेशा ही तरक्की करते रहो। शायद मेरे फोन करने की वजह से राकेश को यह एहसास हुआ कि उसे मुझसे बात करनी चाहिए उसके बाद एक दिन राकेश मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में आया।

जब वह मुझसे मिलने के लिए मेरे ऑफिस में आया तो मैंने राकेश से उस दिन सारी बात की और कहा उस दिन जो कुछ भी हुआ उसमें ना तो मेरी गलती थी और ना ही तुम्हारी गलती थी। उस दिन स्थिति ही कुछ ऐसी बन गई थी जिससे हम लोगों के बीच में उस बात को लेकर बहुत झगड़ा हुआ लेकिन अब तुम्हारी शादी हो चुकी है और मैं भी अपने काम में बिजी हूं। मुझे राकेश कहने लगा हां हम लोगों को इस बारे में भूल जाना चाहिए मैंने राकेश से कहा देखो राकेश मैं सरिता से बहुत प्यार करता हूं और मैं नहीं चाहता कि हम दोनों के झगड़े की वजह से मेरा रिलेशन खतरे में आए। राकेश मेरी बातों को समझ चुका था और हम दोनों के बीच में जो भी गलतफहमी थी वह सब दूर हो चुकी थी। राकेश ने मुझसे तो नहीं कहा था कि तुम सरिता से शादी कर लो लेकिन हम दोनों की कभी कबार बातें हो जाए करती थी मैं भी सरिता से मिलने लगा था। हम अब इस बात से खुश थे कि कम से कम मेरे और उसके बीच में अब राकेश नहीं है राकेश को मुझसे कोई आपत्ति नहीं थी हम लोग मिलते रहते हैं और राकेश भी अपनी शादीशुदा जिंदगी से बहुत खुश है। राकेश अपने शादीशुदा जीवन से खुश था और मैं सरिता के साथ ही अपने लव अफेयर को आगे बढ़ा रहा था लेकिन मेरी भी कुछ जरूरत थे। एक दिन मैने सरिता को किस कर लिया हम दोनों के बीच यह पहला ही किस था उसके बाद तो जैसे हम दोनों के बीच में किस होने लगे।

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हम दोनों एक दूसरे के साथ बड़े अच्छे से किस किया करते एक दिन मैंने सरिता के स्तनों को दबाना शुरू किया जब मैं उसके स्तनों को अपने मुंह में लेने लगा तो उसे बड़ा अच्छा लगने लगा वह मेरा साथ देने लगी। मैंने जब उसकी चूत पर अपनी उंगली को फेरना शुरु किया तो मुझे बहुत अच्छा लगा वह कहने लगी मुझे बड़ा अच्छा लग रहा है। उसकी योनि से गिला पदार्थ बाहर की तरफ को निकल रहा था उसकी उत्तेजना इतनी ज्यादा बढ़ गई कि मैंने अपने लंड को जैसे ही उसकी योनि पर सटाया तो वह मचलने लगी। मैंने अपने लंड को धक्का देते हुए उसकी योनि के अंदर प्रवेश करवा दिया उसने अपने दोनों पैरों को चौड़ा कर लिया जब मेरा लंड उसकी योनि के अंदर प्रवेश हुआ तो वह मचलने लगी उसकी योनि से खून का बहाव होने लगा। उसने पहली बार सेक्स किया था उसे काफी डर भी लग रहा था लेकिन उस वक्त हम दोनों के शरीर से इतनी ज्यादा गर्मी बाहर निकल रही थी कि मैं उसे लगातार तेजी से धक्के मार रहा था और मुझे उसे धक्के देने में बहुत आनंद आ रहा था। हम दोनों के अंदर इतनी ज्यादा गर्मी बढने लगी की वह मुझे कहने लगी तुम मुझे घोड़ी बनाकर चोदो।

मैंने जब उसे घोड़ी बनाया तो मैंने अपने लंड को देखा तो मेरे लंड पर खून लगा हुआ था जैसे ही मैंने अपने लंड को दोबारा से सरिता की योनि में प्रवेश करवाया तो वह चमलने लगी मैं बड़ी तेज गति से उसे धक्के देने लगा। मेरे धक्के इतने तेज होते की उसकी चूतडो का रंग मैंने लाल कर दिया था। मैं जिस प्रकार से उसे चोदता तो मुझे बड़ा आनंद आ रहा था जब मेरा वीर्य पतन होने वाला था तो मैंने अपने वीर्य को सरिता के मुंह के अंदर डाल दिया। उसने मेरे वीर्य को अपने अंदर ही निगल लिया उस दिन हम दोनों के बीच पहला ही सेक्स हुआ लेकिन हम दोनों ने एक दूसरे के बदन को महसूस कर लिया था। उसके बाद तो जैसे हम दोनों को आदत सी हो चुकी थी जब भी हम दोनों मिलते तो हम दोनों के बीच में सेक्स संबंध बना करते। हम दोनों ने अपनी शादी के बारे में अभी तक नहीं सोचा है लेकिन हम दोनों एक दूसरे की जरूरतों को पूरा कर दिया करते हैं जिससे सरिता को कोई दिक्कत नहीं है और ना ही मुझे कोई परेशानी होती है। मुझे इस बात की खुशी है कि मैं सरिता के साथ सेक्स करता हूं।



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