do saheliyo ki jordar chudai kahani सुनीता और अनिता पक्की सहेलियाँ थी. दोनो एक दूसरे की हर बात की राज़दार तो थी जो काम करती थी इकट्ठे करती थी. कॅंटीन
में मिलेंगी तो दोनो लाइब्ररी में होंगी तो दोनो. अकेली कोई भी आप को नहीं मिलेगी. सुनीता की सगाई हो गयी तो अनिता को गुस्सा आ गया कहने
लगी ‘ जब आज तक हम ने कोई काम अलग नही किया तो तूने सगाई अकेले कैसे करवा ली.’ सुनीता ने कहा ‘ मेरी प्यारी सखी बता इसमे मैं क्या कर सकती थी मैने खुद तो सगाई की नहीं घर वालों ने कर दी वो भी मेरे मना करने के बावज़ूद.’ ‘
क्या तेरे लड़का नहीं देखा बिना देखे ही सगाई हो गयी’. ‘ लड़का मैने नहीं देखा हाँ लड़का मुझे देखने ज़रूर आया था और मैं उस्दिन ना नहाई थी ना ही कोई अच्छे कपड़े पहने थे ताकि वो ना कर जाए लेकिन उसने हाँ कर दी और मुझे आज ही पता लगा है. अब बता मैं क्या करती.’ ‘ जब वो तुझे देखने आ रहे थे तो तू मुझे बता सकती थी.’ ‘ मुझे भी नहीं पता था के वो मुझे देखने आ रहे हैं’. ‘ ठीक है तूने अपना वादा तोडा है. हम ने आपस से एक दूसरी से वादा कर रखा था के हम एक ही दिन शादी करेंगी और एक ही रात सुहागरात मनायें गी, अब तू अकेली शादी करेगी और अकेले ही सुहागरात मनाएगी.’
‘ अब इसमें मैं क्या कर सकती हूँ, तू ही कोई रास्ता निकाल मैने तुझे बताया है के यह सब मेरी मरज़ी के बिना हुया है और मेरी जानकारी के बिना’.
‘ चलो अब शादी तो तेरी हो जाए गी लेकिन सुहागरात तो हम इकट्ठी मना सकती है.’ ‘ वो कैसे’. ‘ देख सुहागरात यानी हनिमून मनाने तो कहीं हर जाएगी और किसी होटेल में मनाएगी.’ ‘ वो भी मैं नहीं कह सकती, लड़के वालों की मरज़ी है.’ ‘ क्या अब तू लड़के से शादी के पहले नहीं मिलेगी.’
‘ क्यो नहीं लेकिन वो भी लड़का ही पहल करे तो अच्छा है मैं तो नहीं कह सकती.’ ‘ ठीक है मुझे उसका टेलिफोन नंबर दे मैं प्रोग्राम
बनाउन्गि , और मैं ही पूच्छ लूँगी के हनिमून मनाने कहा जा रहे हो.’ ‘ उस से क्या होगा अगर पता लग भी जाए के कहाँ जा रहे हैं.’ ‘ यह मेरे पर छ्चोड़ दे तू देखती रह मैं क्या करती हूँ, लेकिन तुझे अपना वायदा याद है के हम दोनो सुहागरात इकट्ठे मनाएँ गी.’
‘ अरे बाबा याद है और जैसे तू करना चाहे कर लेना मुझे कोई एतराज़ नहीं.’ सुनीता की शादी हो गयी और जब वो हनिमून मनाने के
लिए मनाली गये तो अनिता भी मनाली पहुँच गयी और जिस होटेल में उन्होने कमरा बुक करवाया था उसी होटेल में उसके साथ वाला कमरा
उसने बुक करवा लिया. दोनो कमरों के बीच में टाय्लेट था. सुनीता से अनिता ने कह दिया के अब अपने वायदे के मुताबिक तू रात को एक बार
लंड लेने के बाद उठ कर टाय्लेट आए गी और मैं तेरी जगह तेरे बिस्तेर पर चली जाउन्गि और तू मेरे कमरे में. अनिता ने एक बैरे से मिल कर टाय्लेट के दरवाज़े में एक सुराख करवा दिया था जिसमें से कमरे का पूरा नज़ारा दिखाई देता था.
जब सुनीता सुहागरात मना रही थी तो सारा नज़ारा अनिता टाय्लेट के दरवाज़े से देखने लगी. सुनीते के होंठो को और मम्मों को चूसने से लेकर उसकी चूत में लंड जाते हुए सभी कुच्छ अनिता ऐसे देख रही थी जैसे ब्लू फिल्म देख रही हो और साथ साथ अपनी चूत पर हाथ भी फेर रही थी क्यो के सुनीता की चुदाई हो रही हो और अनिता की चूत में खुजली ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता था. वो तो ना जाने कैसे यह बर्दास्त कर रही थी कि सुनीता अकेले ही चुदाई करवा रही है नही तो उसकी मरज़ी तो यह थी के दोनो इकट्ठे ही चुदाई करवाएँ गी चाहे एक ही से चाहे दोनो अपने अपने पति से लेकिन एक ही कमरे में एक ही समय. लेकिन ना तो ऐसा होना मुमकिन था ना हुया लेकिन फिर भी अनिता देख देख कर मज़े ले रही थी. सुनीता को
चोदने के बाद जब उस का पति सो गया तो सुनीता टाय्लेट में आ गयी और अनिता उस की जगह पलंग पर जा कर लेट गयी.
पलंग पर लेटने
से पहले उस ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे क्योंकि जब सुनीता पलंग से उठ कर आई तो वो नंगी थी. उसके पति ने उसे बिल्कुल
नंगी कर के चोदा था. अनिता ने अपना मुँह सुनीता के पति राजीव की ओर कर लिया और अपने हाथ उस की छाती पर फेरने लगी. राजीव को पहली
चुदाई के बाद जब खुमारी टूटी तो उसने देखा के सुनीता उसकी छाती पर हाथ फेर रही है, इसका मतलब है वो अभी और चाहती है.
राजीव अपना हाथ उस के मम्मों पर रख कर उन्हे दबाने लगा. अनिता पहले से ही गरम हो रही थी सुनीता की चुदाई देख कर इसलिए वो
बर्दाश्त ना कर सकी और राजीव से लिपट गयी. राजीव ने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और उन्हे चूसने लगा. अनिता भी बड़े जोश
से उसके होंठ चूसने लगी. फिर राजीव ने उस के मम्मों को चूसना शुरू किया तो अनिता के लिए रुकना मुश्किल हो गया लेकिन वो कर भी
क्या सकती थी आज तो जो करना था राजीव को ही करना था. वो तो बोल भी नहीं सकती थी के कहीं भेद ना खुल जाए.