दीदी को जीजा जी से छीना

Behen ki chudai – Didi ko jija se cheena मेरा नाम रोकी है और मैं अपनी बेहन का प्रेमी हूँ. ये मेरी कहानी आप पसंद करेंगे अगर आप इन्सेस्ट में दिलचस्पी रखते हैं. मेरी बेहन आज मेरी पत्नी बन के रह रही है. मेरी कहानी आपको कैसी लगी इस बेहन के यार को ज़रूर लिखना.

मैं हूँ रोकी, एक बेहन का यार. मैने अपनी राधा दीदी को अपना लेने की तब से ठान ली थी जब से मैने दीदी को जीजा जी के साथ सुहागरात मनाते हुए देखा था. मैं उस वक्त 18 साल का था और दीदी 22 साल की. जीजा जी एक बहुत अमीर आदमी थे और हमारे शाहर से 30 किलोमेटेर पर एक कामयाब बिज़्नेस के मालिक थे. उनका नाम विनोद था और वो बहुत हॅंडसम थे. मा भी जीजा जी से बहुत इंप्रेस्ड थी. लेकिन मुझे दाल में कुच्छ काला लगता था. राधा दीदी की शादी की पहली रात विनोद ने दीदी को प्यार से नहीं ज़बरदस्ती से चोदा था. मैं जानता था किओं कि मेरा रूम उनके बिल्कुल साथ वाला था, दोनो रूम्स में कामन बाथरूम था. मैं राधा दीदी का आशिक बचपन से रहा हूँ और ये कैसे हो सकता था कि मेरी प्यारी राधा दीदी की सुहागरात हो और उनका प्यारा भाई देखे ना! मेरा लंड तो तन जाता है जब भी दीदी की याद आए!!

मेरा नाम रॉकी है (राकेश). मैं राधा दीदी को जब से नहाते हुए देख चुका हूँ, मेरी ज़िंदगी ही बदल गयी. राधा दीदी उस वक्त साबुन मल के नहाने में लगी हुई थी जब मैने देखा की बाथरूम का डोर लॉक नहीं किया हुआ. दीदी अपनी चूत को मल रही थी और बार बार उसकी कामुकता भरी सिसकी निकल जाती थी. मेरी दीदी का दूधिया जिस्म पानी की बूँदों से चमक रहा था और उनकी चुचि मुझे दीवाना बना रही थी. दीदी की आँखें बंद थी किओं कि उन्हों ने चेहरे पर साबुन लगा रखा था. मैने देखा कि दीदी अब चूत में उंगली कर रही थी. मेरी दीदी मस्ती में आ कर मॅसर्बेशन कर रही थी. मैने सोचा कि ज़रूर किसी मर्द के बारे कल्पना कर रही होगी. काश वो मर्द मैं होता!!! दीदी की साँसें तेज़ी से चल रही थी. उसकी सिसकी मुझे सुनाई पड़ रही थी. तभी मेरा हाथ अपने आप मेरे लंड पर चला गया और मैं उसको अप्पर नीचे हिलाने लगा. दीदी अचानक मूडी और अब उसकी गांद मेरी तरफ आ गयी. गोल गोल गोरे चूतड़ मेरी नज़र के सामने थे और दीदी अब शवर के नीचे खड़ी थी और शवर की धारा सीधी दीदी की चूत पर गिर रही थी. मेरा हाल बुरा हो रहा था और मैने अपना लंड बाहर निकाल कर मूठ मारनी शुरू कर दी. “ओह……….आआआअररर्रघ” की आवाज़ राधा दीदी के होंठों से निकली. मैं समझ गया कि दीदी झाड़ गयी थी. मैं सीधा अपने रूम में गया और मूठ मारता रहा. जब मेरा लंड पिचकारी छ्चोड़ रहा था तो राधा दीदी का जिस्म मेरी आँखों के सामने था. इतना लावा मेरे लंड से आज तक ना निकला था.

जब भी दीदी की शादी की बात चलती तो मैं उदास हो जाता. कई रिश्ते आए लेकिन विनोद जीजा जी का रिश्ता फाइनल कर लिया गया. मम्मी के कहने पर जीजा जी ने सुहागरात हमारे घर पर मनाई. मैने सोचा कि अगर अपनी बेहन के साथ सुहागरात नहीं मना सका तो क्या हुआ, कम से कम अपनी बेहन को सुहागरात मनाते हुए तो देख सकता हूँ. बाथरूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला था जिसको जीजा जी बंद करना भूल गये. मेरी किस्मत अच्छी थी. रात के 10 बजे दीदी बेड पर जीजा जी की वेट कर रही थी. मेरी बहना रानी लाल जोड़े में सजी हुई किसी परी से कम नहीं लग रही थी. तभी जीजा जी ने परवेश किया. लगता था कि उन्हों ने पी हुई थी. वो सीधा अपना पाजामा खोलते हुए अपना लंड राधा दीदी के होंठों से लगाने लगे और बोले,”जानेमन, बहुत दिल कर रहा है लंड चुसवाने के लिए, जल्दी से चूस कर झाड़ दे इसको फिर चोदुन्गा तेरी चूत और गांद आज!!” दीदी ने नफ़रत से मूह दूसरी तरफ मोड़ लिया. “ये क्या बद-तमीज़ी है? कितनी गंदी बात कर रहे हैं आप? पेशाब वाला…छ्ह्ही..और ये क्या बोल रहे हैं आप?” लेकिन जीजा जी ने दीदी को बालों से खींचा और अपना सूपड़ा दीदी के कंठ तक धकेल दिया,”चल हरामजादि, नखरे करती है? साली शादी की है तेरे साथ. अच्छी तरह चूस और फिर मेरे लंड के मज़े लूटना अपनी चूत में” दीदी के मुख से गूऊव….गूऊव की आवाज़ आ रही थी और वो लंड को मुख से बाहर निकालने की कोशिस कर रही थी. लेकिन जीजा जी ज़बरदस्ती अपने लंड की चुस्वाई करवा रहे थे. जीजा जी अपनी कमर हिला हिला कर दीदी के मूह में लंड धकेल रहे थे. आख़िर दीदी के मूह में जीजा जी के लंड का फॉवरा छ्छूट पड़ा. दीदी के हलक से एक चीख निकली और जीजा जी के लंड रस की धारा दीदी के होंठों से उनके चेहरे पर फैल गयी. दीदी के मूह से लंड रस टपकने लगा और दीदी ने उल्टी करनी शुरू कर दी.

“ये क्या कर रहे थे? उफफफफ्फ़ मेरा मन खराब हो गया…..उफ़फ्फ़ कितना गंदा है……” दीदी बोल रही थी और जीजा जी हैरानी से देख रहे थे. “साली क्या हुआ? लंड चूसना तो औरत को बहुत अच्छा लगता है…तुझे किओं पसंद नहीं? उल्टी किओं कर दी? तुमने कभी लंड नहीं चूसा क्या?’ दीदी ने ना में सिर हिलाया. मैं समझ गया कि जीजा जी एक चालू इंसान हैं और दीदी भोली भली लड़की थी. जीजा जी शायद रणडिबाज़ी करने वाले थे और मेरी दीदी को भी एक रंडी की तरह चोदना चाहते थे. दीदी ने मूह सॉफ किया और बाथरूम की तरफ बढ़ी. मैं जल्दी से खिसक गया. दीदी बाथरूम में पानी से अपना मूह सॉफ करती रही. मुझे जीजा जी पर बहुत गुस्सा आ रहा था और अपनी दीदी पर प्यार. उस रात राधा दीदी बहुत चिल्लाई और चीखी. शायद जीजा जी ज़बरदस्ती दीदी को चोद रहे थे. “बस करो…भगवान के लिए छ्चोड़ दो मुझे…मैं नहीं ले सकती इतना बड़ा…….आआहह….ऊओह..नाआआअ….बहुत दर्द होता है…..नाहीं…प्लीज़, छ्चोड़ दो मुझे!!!!!” मैं दीदी की हालत देख कर सारी रात सो ना सका.

अगली सुबह दीदी का चेहरा उत्तरा हुआ था. मैने मम्मी को कहते हुए सुना,’राधा.मर्द सब कुच्छ करते हैं…..बस झेल ले विनोद का…थोड़ी देर की बात है…आदत पड़ जाए गी…बेटी बड़ा तो किस्मत वाली को मिलता है…..मज़े करोगी..विनोद बहुत अमीर है..तेरी तो ऐश हो गी!!!” लेकिन मैने मन बना लिया. मेरी दीदी ऐश तो करेगी लेकिन जीजा जी के पैसे से और अपने भाई के लंड से. जीजा जी अपने शहर चले गये और मैं जीजा जी की जासूसी करने लग पड़ा. मुझे पता चला कि जीजा जी दीदी को प्यार नहीं करते. अगर चोद्ते भी हैं तो ज़बरदस्ती. जीजा जी के ऑफीस में उनका चक्कर उनकी सेक्रेटरी के साथ चल रहा था. मुझे ये भी पता चला कि, जीजा जी की मौसी की लड़की नीता भी उनके घर में रहती थी जो कि शादी के बाद अपने पति से अलग हो कर जीजा जी के साथ ही रहती थी. जीजा जी के घर के नौकर ने बताया कि जीजा जी ने अपनी मौसेरी बेहन को रखैल बना रखा था. औरत सब कुच्छ बर्दाश्त कर लेती है लेकिन सौतन नहीं. अब मुझे अपनी दीदी को वापिस अपने पास बुलाना था. “जीजा जी, अगर अपनी दीदी को आप से वापिस ना ले लिया तो मेरा नाम रॉकी नहीं” मैने अपने आप से वादा किया.

अब मैने जीजा जी के नौकर को रिश्वत दे कर जीजा जी और उनकी बेहन के साथ चुदाई की तस्वीरें खींचने के लिए राज़ी किया. नौकर बड़ा हरामी था. फिर मैने जीजा जी के ऑफीस से पता लगाया कि जीजा जी हर शनि वार अपनी सेक्रेटरी के साथ कब रंग रलियाँ मनाने जाते हैं. हर हफ्ते उनकी सेक्रेटरी मोना और जीजा जी बिज़्नेस ट्रिप का बहाना बना कर सुबा चले जाते थे और रात को वापिस लौट आते थे. एक बार मैने पीछा किया और देखा कि शाहर के बाहर एक होटेल संगम में उनका कमरा बुक होता था. कमरा नंबर था 439. मैं प्लान बना कर होटेल में गया और एक दिन पहले मैने 439 रूम बुक कर लिया. रूम के अंदर कॅमरा फिट कर लिया और एक रिकोडर लगा दिया और फिर होटेल के मॅनेजर से बोला,’ मुझे 440 नंबर कमरा भी चाहिए. मनेजर बोला,”सर, 439 नंबर आपको खाली करना पड़ेगा. बस एक दिन के लिए. उसके बाद आप फिर कमरामे रह सकते हैं” मैं भी यही चाहता था. कॅमरा बिल्कुल बेड के सामने था और अपना काम ठीक करेगा. उस शनि वार को जब जीजा जी वापिस लौटे तो मैं 440 नुंबेर्र कमरे में बैठ कर जीजा जी की सारी फिल्म देख रहा था. अब वक्त था जीजा जी को 440 वॉल्ट का झटका देने का.

उधर जीजा जी का नौकर भी मेरे पास जीजा जी और उनकी मौसेरी बहन की फोटो ले आया. मैने उसको पैसे दिए और राधा दीदी को मिलने उनके घर चला गया. शाम का वक्त था. दीदी पिंक सारी पहने हुए थी. गुलाबी रेशमी सारी में दीदी का गुलाबी जिस्म बहुत मस्त लग रहा था. डीप कट ब्लाउस से दीदी की चुचि का कटाव सॉफ दिखाई पड़ रहा था. दीदी का जिस्म कुच्छ भर चुका था और उनके नितंभ बहुत सेक्सी हो चुके थे. मुझे देख कर दीदी मेरी तरफ दौड़ कर चली आई. मैने दीदी को बाहों में भर लिया. लेकिन अब मैने दीदी को बाहों में लिया जैसे एक आशिक बाहों में लेता है, भाई नहीं!! दीदी ने मेरे मूह चूम लिया और मुझ से लिपटने लगी,”रॉकी, मेरे भाई!!इतनी देर से मुझे किओं नहीं मिलने आया? अपनी बेहन से नाराज़ हो क्या? तेरी बहुत याद आ रही थी, भाई!!” मेरे हाथ दीदी के बदन पर रेंग रहे थे और मैं भी दीदी को चूम रहा था. मेरे हाथ अचानक दीदी के नितंभों पर गये और मेरा लंड खड़ा हो गया. दीदी के नितंभ मानो रेशम हों.

जब हम अलग हुए तो मैने जान बुझ कर पुछा,”दीदी जीजा जी कहाँ हैं?” राधा के माथे पर थोड़े बल पड़े लेकिन वो मुस्कुराते हुए बोली,”ऑफीस में होंगे” मैं भाँप गया कि दीदी खुश नहीं है. दीदी शीशे के सामने अपने बॉल संवार रही थी और मेरी नज़र दीदी की गांद पर थी. “दीदी, तुम खुश नहीं दिख रही. जीजा जी तेरा ख्याल भी रखते हैं या नहीं. मुझे तो जीजा जी का चल चलन ठीक नहीं लगता.” कहते हुए मैं दीदी की पीठ के साथ सॅट कर खड़ा हो गया. शीशे में दीदी की गोरी चुचि उप्पेर नीचे होती दिख रही थी. मेरी दीदी मालिका शेरावत लग रही थी. मैने दीदी को पीछे से आलिंगन में ले लिया. मैने अपने होंठ दीदी की गर्दन में च्छूपाते हुए कहा,” कहीं जीजा जी तुमको धोखा तो नहीं दे रहे? मैने सुना है कि जीजा जी बहुत अयाश किस्म के आदमी हैं. उनका अपनी सेक्रेटरी के साथ अफेर चल रहा है और ……..” दीदी के होंठ काँप रहे थे “और क्या?’ मैने दीदी की चुचि पर हाथ रख दिया और बोला,”सुना है कि जीजा जी का संबंध उनकी मौसेरी बेहन के साथ भी है” दीदी मुझ से अलग होने लगी,” राकेश, क्या बक रहे हो? और तुम मेरे जिस्म को किओं छेड़ रहे थे? राकेश, मैं तेरी बेहन हूँ!!! मेरे पति के बारे में झूठ मूठ मत बोलो!!!” मैने दीदी को फिर से आलिंगन में ले लिया और इस बारी उनके होठों पर होठ रख दिए किओं कि मैं अब उनके सामने आ गया था. दीदी के जिस्म से भीनी भीनी इत्तर की खुश्बू मुझे पागल बना रही थी. उस वक्त अंधेरा सा हो रहा था और मैं हल्के अंधेरे में दीदी की आँखों में एक अजीब सी चमक देख रहा था. शायद दीदी का जिस्म मेरे आलिंगन में पिघलने लगा था और या फिर मेरे दिमाग़ का वेहम था.

“मैं नहीं मानती ये सब. नीता उनकी बेहन है!!ये क्या बक रहे हो!!!” नीता जीजा जी की मौसेरी बेहन का नाम था. मैने जीजा जी की अपनी सेक्रेटरी के साथ नंगी तस्वीरें दीदी के सामने फेंक डाली. “ये क्या है, रॉकी?” लेकिन सवाल बे मतलब था. फोटोस में जीजा जी सेक्रेटरी की चुचि चूस रहे थे तो दूसरी फोटो में उसकी चूत चाट रहे थे. जीजा जी की सेक्रेटरी थी बहुत ही मस्त. दीदी का चेहरा शरम और गुस्से से लाल हो गया. मैने दूसरा वार किया और उनके नौकर ने जो फोटो जीजा जी और नीता के साथ खेंची थी सामने रख दी. एक फोटो में नीता जीजा जी को रखी बाँध रही थी और दूसरे में उनका लंड चूस रही थी. फोटोस इतने क्लियर थे कि मेरा खुद का लंड खड़ा हो गया और मैने दीदी की चुचि को ज़ोर से भींच दिया. अब मेरा लंड अकड़ कर दीदी के पेट से टकरा रहा था. दीदी खुद ब खुद मुझ से लिपटने लगी. औरत के अंदर ईर्षा की आग कैसे भड़कती है मैं जानता था. मेरा मन बोल उठा,”मेरी दीदी अब मेरी बन के रहेगी, रॉकी बेटा!!”

तभी फोन बज उठा,”हेलो, कौन, क्या? नहीं आयोगे? क्या बात हुई? कहाँ हो तुम? अच्छा, ठीक है” दीदी ने फोन रखा और कहा,”तेरे जीजा जी आज घर नहीं आ रहे. किसी मीटिंग में देल्ही गये हुए हैं” मैं जानता था कि मीटिंग कौन सी है. मैने फोन में से वो नंबर पढ़ा जहाँ से फ़ोन आया था. जब मैने वो नंबर डाइयल किया ती एक लड़की की आवाज़ आई,” होटेल संगम! प्रिया स्पीकिंग” मैने फोन रख दिया. “राधा दीदी, देखोगी कि जीजा जी कौन सी मीटिंग में हैं? जीजा जी मीटिंग में नहीं रंग रलियाँ मना रहे हैं. दीदी तुम इनके साथ ज़िंदगी किओं खराब कर रही हो? चलो मेरे साथ और आप ही फ़ैसला कर लो” मैने दीदी को पहले तो बाहों में भर कर खूब प्यार किया. खूब चूमा, चॅटा. हमारे होंठ भीग गये किस करते हुए. मैने दीदी को बेड पेर लिटा लिया और उसकी जांघों पर हाथ फेरता रहा. जब मेरा हाथ दीदी की चूत पर गया तो उसने मुझे रोक दिया,’नहीं भैया, नहीं. ये ठीक नहीं है. तुम मेरे भाई हो, बस. हम ये नहीं कर सकते” मैं बोला,”दीदी, लेकिन जीजा जी….” दीदी बोली,”नहीं कह दिया तो मतलब नहीं”

लेकिन मैं दीदी को अपने मोटर साइकल पर बिठा कर संगम होटेल की तरफ़ चल पड़ा. दीदी मेरे पीच्छे सॅट कर बैठी थी और उसका हाथ बार बार मेरी जाँघ पर रेंग जाता था. मैने होटेल जा कर एक रूम बुक करवाया और अंदर जा कर विस्की ऑर्डर कर डाली. दीदी पहले कुच्छ सक पकाई लेकिन उसके अंदर तनाव इतना था कि दो पेग एक साथ पी गयी. “बहनचोद कहीं का!!! मैं उसको नहीं छ्चोड़ूँगी अगर तेरी बात सच निकली!!! रॉकी तू जो कहे गा करूँगी मेरे भाई अगर तेरी बात साची हुई” मैने एक पेग और दिया दीदी को और उसको फिर चूमने लगा. दीदी भी अब गरम हो चुकी थी. लेकिन जब मैने दीदी का हाथ अपने लंड पर रखा तो उसने लड़खड़ाती आवाज़ में कहा,” रॉकी अभी नहीं!!पहले दिखायो विनोद बेहन्चोद किसके साथ है साला रंग रलियाँ मना रहा है” मैं दीदी को ले कर जीजा जी के रूम की तरफ ले गया और दरवाज़ा खोल दिया. किस्मत की बात थी कि उन लोगों ने लॉक नहीं किया था. बिस्तर पर नीता नंगी जीजा जी के नीचे पड़ी थी और जीजा जी उसका जिस्म चूम रहे थे.” नीतू मेरी जान, जब से वो कुत्ति राधा आई है, हम को तो च्छूप च्छूप कर चुदाइ करनी पड़ रही है!! मेरा दिमाग़ खराब हो गया था जो मैने उस से शादी कर ली!! साली ढंग से चोदने भी नहीं देती और ना ही उसको चुदाई का कोई ज्ञान है. और उसके सामने तुझे दीदी कहना पड़ता है, ये बात अलग है. असल में तो साली वो मेरी दीदी है और तू मेरा माल, नीतू मेरी रानी बहना मैं तो तुझे अपनी पत्नी मान चुका हूँ,सच!!” नीता जीजा जी के लंड को थाम कर बोली,”और भैया मैं आपको अपना पति मान चुकी हूँ. ऐसे छुप छुप कर कब तक मिलते रहेंगे भैया?”

“ओ बेहन्चोद विनोद, तू इस मदारचोड़ रंडी को बना ले अपनी पत्नी!!! और नीता, तू इस बेहन्चोद को बना लो अपना पति!! विनोद मैं जा रही हूँ और तुमको देखूँगी कोर्ट में तलाक़ के केस में!!!” दीदी की आवाज़ काँप रही थी. मैं उसको खींच कर रूम में ले गया और दीदी फिर से विस्की पीने लगी. इस हालत में दीदी को घर नहीं ले जा सकता था. दीदी पी कर बेहोशी की हालत में सो गयी और अगले दिन मैं उसको घर ले आया. मा ने पुछा क्या बात हुई तो मैने कहा बाद में बताउन्गा. दीदी सारा दिन सोती रही. दोपहर को मैने मा को सारी बात बताई,” मा, विनोद साला दीदी को कोई सुख नहीं दे सकता. नीता ही उसकी पत्नी है उसके लिए, मा!! दीदी को तो एक खिलौना बना कर रखा है उस कामीने ने. कल रात तो दीदी ने खुद देखा है उसको नीता के साथ बिस्तर में. अब मैं दीदी को विनोद के साथ नहीं रहने दूँगा. मेरी इतनी सुंदर बेहन की ज़िंदगी बर्बाद नहीं होने दूँगा. आख़िर मैं दीदी से प्यार करता हूँ!!” मा मुझे गौर से देखती रही. ज़रूर मेरे चेहरे से वो मेरे मन को भाँप गयी थी. जिस तरह मैने दीदी को थाम रखा था मा से च्छूपा नहीं था.”रॉकी, सच बता क्या बात है? तू अपनी बेहन का घर बर्बाद करने पर किओं तुला हुया हो? तुम अपनी बेहन के साथ लिपटाए हुए थे जब वो घर आई. कहीं तुम खुद ही तो अपनी बेहन से प्यार नहीं करते?”
क्रमशः…………………..

गतान्क से आगे…………….
मैं मा की बात सुन कर बोला,”अगर मैं दीदी से प्यार करता हूँ तो क्या फरक पड़ता है? विनोद ने तो पहले दिन ही दीदी को एक जानवर की तरह चोद डाला था. मा, तुम नहीं जानती कि दीदी उस रात कितना रोई थी!! कितनी पीड़ा हुई थी मेरी बेहन को!! मैं उसका भाई हूँ……उसको सुख देना चाहता हूँ….मा मैं उसको प्यार करता हूँ और दीदी का अनुभव जो जीजा जी के साथ हुआ है दीदी पर बहुत बुरा असर डाल चुका है…दीदी सभी मर्दों से नफ़रत करने लगी है…सेक्स भी उसको अच्छा नहीं लगता…मैं दीदी को सही रास्ते पर ला सकता हूँ” मा मेरे पास आई और बोली”बेटा मैं तेरी बात समझती हूँ. लेकिन ये समाज नहीं समझेगा. तुम अपनी दीदी के पति तो नहीं बन सकते? सभी जानते हैं कि तुम भाई बेहन हो!!” मा की बात ठीक थी लेकिन मेरी प्लान भी थी, मैं दीदी का तलाक़ करवाने वाला था. इस गेम में हम जीजा जी को ब्लॅकमेल करने वाले थे. मेरे पास जीजा जी की फोटोस थी. हम जीजा जी से बड़ी रकम हासिल कर लेंगे और फिर हम तीनो इस शहर को छ्चोड़ देंगे. मैं और दीदी प्यार से ज़िंदगी बसर करेंगे, मा मेरी बात सुन कर सोचने पर मज़बूर हो गयी. मा मेरे गले लग गयी और बोली,”तुमने राधा से पूच्छ लिया है क्या? उसको पसंद है तेरा प्लान?” “मा, दीदी को अभी तक सेक्स का मज़ा नहीं मिला…जब मिलेगा तो दीदी खिल उठेगी….और दीदी की सेक्स की शुरुआत मैं करूँगा…एक सुहावानी सेक्स की शुरुआत…मुझे तुम सहयोग देने का वादा करो….मुझे और दीदी को अकेले छ्चोड़ दो…मुझे दीदी को सेक्स का सुखद अनुभव करने में मदद करो,…राधा दीदी ज़रूर पट जाएगी, मा”

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मा ने खुश हो कर मुझे होंठों पर किस कर लिया और जब मैने मा को वापिस किस किया तो मेरी मा भी गरम हो उठी और अपनी चूत मेरे खड़े लंड पर रगड़ने लगी. लेकिन मैने मा को अपने आप से अलग किया और दीदी के कमरे की तरफ बढ़ गया. दीदी बिस्तर में थी लेकिन जाग रही थी. मैने उसको बाहों में भर कर ज़ोर से होंठों पर किस किया और चुचि भी मसल डाली. अब नाटक करने का वक्त नहीं था. अब मेरी प्यारी दीदी को पता चल जाना चाहिए था कि उसका भाई अब उसकी चूत का दिवाना है और अपने जीजा जी जगह लेना चाहता है. दीदी को खूब चूमने के बाद मैं उतेज़ित हो गया. दीदी नहाने चली गयी. जब वो बाहर निकली तो एक सफेद नाइटी पहने हुई थी और नीचे कोई ब्रा या पॅंटी नहीं थी. “आज रात अपने भाई के रूम में ही सोना, देखना कितना मज़ा आता है!!!” कह कर मैं अपनी अलमारी से एक अडल्ट कहानी वाली बुक दीदी को देते हुए बोला,”इस किताब को पढ़ लेना. पता चलेगा कि प्यार क्या होता है और कैसे किया जाता है. रात को विस्की ले कर आउन्गा…मम्मी से चोरी…हम थोड़ी सी पी लेंगे अगर मेरी प्यारी दीदी चाहेगी तो…सच दीदी, बहुत सुंदर हो तुम….तेरा हुसन मेरे दिल का क्या हाल बना रहा है, मुझ से पुछो!!!” दीदी शरम से लाल हो रही थी. जो किताब मैने दीदी को दी थी वो राज शर्मा की कहानियो का एक भाई बेहन की चुदाई का मस्त किस्सा था. अगर दीदी ने वो किताब पढ़ ली तो मेरे आने तक उसकी चूत मचल रही होगी चुदने के लिए. बाहर जाते हुए मैने मा को सारा प्लान बता दिया और वो शरारती ढंग से मुस्कुराने लगी.

रात जब मैं वापिस लौटा तो दीदी मेरा इंतज़ार कर रही थी जैसे कोई पत्नी अपने पति का इंतज़ार करती हो. मुझ पर हवस का भूत सवार था. मैने दीदी को बाहों में भर लिया और चूमने लगा. दीदी के जिस्म पर मेरे हाथों का स्पर्श उस पर जादू कर रहा था. फिर मैने ग्लास में विस्की डाली और दीदी को ग्लास पकड़ा दिया. दीदी बिना कुच्छ बोले पी गयी. थोड़ी देर में नशा होने की वजह से दीदी के अंदर वासना ने ज़ोर पकड़ लिया लगता था. मैने अपना हाथ दीदी की चूत पर रखा और उसको रगड़ने लगा.”दीदी, मैं जानता हूँ की जीजा जी ने तुझे प्यार नहीं किया. इस वक्त भी विनोद नीता के साथ चुदाई में व्यस्त है. तुम अपने पति से उसकी बे वफाई का बदला नहीं लोगि? और दीदी मेरी किताब पढ़ी आपने/ कैसी लगी? ” दीदी मुस्कुराते हुए बोली ,”अच्छी थी लेकिन क्या भाई अपनी बेहन के साथ ऐसा करते हैं?” मैं भी मुस्कुराता हुआ बोला”ज़रूर करते हैं अगर बेहन आप जैसी सेक्सी हो और भाई मुझ जैसा प्यार करने वाला हो”

दूसरा पेग पी कर मैने दीदी को अपने आगोश में बिठाया और उसके जिस्म को नाइटी के उप्पेर से सहलाने लगा. दीदी के मस्त चुट्टर बहुत गुदाज़ थे और मेरा लंड उनके चूतर में घुसने लगा,”रॉकी मुझे तेरा….चुभ रहा है….उई…..बस कर…” मैं आनी दीदी को लंड से प्यार करना सीखाना चाहता था. ‘दीदी, तुझे किताब वाली कहानी कैसी लगी…कहानी में भाई का लंड,,,तुझे पसंद आया? कहानी में बेहन अपने भाई के लंड को कितना प्यार करती है ना? तुम मेरे लंड को प्यार करोगी? इसको सहलायोगी? दीदी मैं भी तेरे जिस्म को चुमुन्गा, चाटूँगा, इतने प्यार से जितने प्यार से विनोद ने भीनही चूमा होगा” मैं अब राधा दीदी के जिस्म के हर अंग को प्यार से सहला रहा था. और दीदी भी गरम हो रही थी.”विनोद कुत्ते का नाम मत लो, मेरे भाई. उसने मुझे इतना दर्द दिया है कि बता नहीं सकती. मुझे इस प्यार से भी दूर लगने लगा है. रॉकी मुझे दर्द ना पहुँचना, मेरे भाई”

मैने देखा कि दीदी गरम है और अब उसको तैयार करने का वक्त आ गया है. मैने दीदी की नाइटी उप्पेर उठाई और उसके जिस्म नंगा कर दिया. मेरी बहन का गुलाबी जिस्म बहुत कातिलाना लगता था. राधा दीदी की जंघें केले की तरह मुलायम थी और उसके नितंभ बहुत सेक्सी थे. सफेद ब्रा और पॅंटी में दीदी बिल्कुल हेरोयिन लग रही थी. मैने अपना मुख दीदी के सीने पर रख कर उसकी चुचि को किस करने लगा. दीदी ने आँखें बंद की हुई थी और वो सिसकियाँ भरने लगी, मैने दीदी का हाथ अपने दहक रहे लंड पर रख दिया. दीदी अपना हाथ खींचने लगी तो मैं बोला,”दीदी, इसको मत छ्चोड़ो. पकड़ लो अपने भाई के लंड को. ये तुझे दर्द नहीं देगा, सुख देगा. जिसस तरह किताब में बेहन अपने भाई की प्रेमिका बन कर मज़े लूटती है, उससी तरह तुम मेरी प्रेमिका बन जाओ और फिर जवानी के मज़े लूट लो आज की रात. मेरा लंड अपनी बेहन की प्यारी चूत को स्वर्ग के मज़े देगा. अगर मैने तुझे दर्द होने दिया तो कभी मुझ से बात मत करना. मेरी रानी बहना ये लंड तुझे हमेशा खुश रखेगा!!” दीदी कुच्छ ना बोली लेकिन उसने मेरा लंड पकड़े रखा. मेरा लंड किसी कबूतर की तर्रह फाड़ फाडा रहा था अपनी बेहन के हाथ में. मैने फिर दीदी की ब्रा को खोल दिया और उसकी चुचि मस्ती से भर के मेरे हाथों में झूल उठी. दीदी के स्तन बहुत मस्त हैं,”अहह….ऊऊहह…रॉकी क्या कर रहे हो?”वो सिसकी. “किओं दीदी, अपने भाई का स्पर्श अच्छा नहीं लगा?”मैने दीदी के गुलाबी स्तन पर काली निपल को रगड़ कर कहा.

“अच्छा लगा, रॉकी, लेकिन ऐसा पहले कभी महसूस ना हुआ है मुझे. ऐसा अनुभव पहली बार हो रहा है!!!” मैने हैरानी से पूच्छ लिया,”किओं दीदी, क्या जीजा जी एस नहीं करते थे तुझे प्यार?”अब मेरा दूसरा हाथ दीदी की फूली हुई चूत सहला रहा था और दीदी अपनी चूत मेरे हाथ पर ज़ोर से रगड़ रही थी.”तेरा जीजा मदर्चोद तो बस मेरे मूह में डाल देता था अपना बदबू दार लंड और बाद में मेरी चूत में धकेल देता था. मेरे भाई मैं दर्द से चीखती रहती थी और वो मेरे उप्पेर सवार हो जाता था. लेकिन तू तो प्यार करता है मेरे भाई…मुझे आनंद आ रहा है…तेरा लंड भी बहुत खुश्बुदार है…बहुत सुंदर है..तेरा स्पर्श बहुत सेक्सी है..रॉकी यार तेरे हाथ मेरे अंदर एक मज़ेदार आग भड़का रहे हैं…तेरी उंगलियाँ मेरी चूत में खलबली मचा रही हैं….मेरी चूत से रस टपक रहा है…तेरा स्पर्श ही मुझे औरत होने का एहसास करा रहा है…मैं तेरे अंदर समा जाना चाहती हूँ….चाहती हूँ कि तू मेरे अंदर समा जाए….मेरे जिस्म का हर हिस्सा चूम लो मेरे भाई…मुझे अपने जिस्म का हर हिस्सा चूम लेने दो!!!!!”

मैं जान गया था कि दीदी अब तैयार है. मैने एक पेग और बनाया और हम दोनो ने पी लिया. मैं नहीं चाहता था कि दीदी अपना फ़ैसला बदल ले. आज मैं दीदी को चोद कर सदा के लिया अपना बना लेना चाहता था. दीदी ने अपनी पॅंटी अपने आप उतार डाली और मेरे लंड से खुलेआम खेलने लगी. एक हाथ दीदी अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी. मैने झुक कर दीदी के निपल्स चूसना शुरू कर दिया और दीदी मेरे बालों में उंगलियाँ फेरने लगी. दीदी की चुचि कठोर हो चुकी थी और अब मैने अपने होंठ नीचे सरकने शुरू कर दिए. जब मेरे होंठ दीदी की चूत के नज़दीक गये तो वो उतेज्ना से चीख पड़ी,” रॉकी, मेरे भाई…किओं पागल कर रहे हो अपनी बेहन को? मुझे चोद डालो मेरे भाई…तेरी बेहन की चूत का प्यार मैने तेरे लंड के लिया संभाल रखा है…डाल दो इसको मेरी चूत में!!!” मैं अपने सारे कपड़े खोलते हुआ दीदी के उप्पेर चढ़ गया. दीदी का नंगा जिस्म मेरे नीचे था और उसने बाँहे खोल कर मुझे आलिंगन में भर लिया. दीदी की चूत रो रही थी, आँसू बहा रही थी. मैने प्यार से अपना सूपड़ा दीदी की चूत की लंबाई पर रगड़ना शुरू कर दिया. हम भाई बेहन की कामुकता हद पार कर गयी और दीदी ने बिनति की,”भैया, अब रहा नहीं जाता..घुसेड दो मेरी चूत में…होने दो दर्द मुझे परवाह मत करो, पेलो मेरी चूत में अपना लंड!!”

लेकिन मैने अपना सूपड़ा चूत के मुख पर टिका कर हल्का धक्का मारा. चूत रस के कारण सूपड़ा आसानी से घुस गया और दीदी तड़प उठी, जिस में दर्द कम और मज़ा अधिक था”है भैया…मर गई…आआआः…..है…बहुत मज़ा दे रहे हो तुम….और धकेल दो अंदर…पेलते रहो भैया…ऊऊहह..मेरी चूत प्यासी है….आज पहली बार चुद रही है……बहुत प्यारे हो तुम मेरे भाई………डाल दो पूरा!!!!” मैने लंड धीरे धीरे आगे बढ़ाना शुरू कर दिया. दीदी को तकलीफ़ नहीं देना चाहता था मैं. दीदी का मन जीजा जी की ज़बरदस्ती से की गयी चुदाई से जो डर बन गया था उसको मज़े में बदल देना चाहता था. चूत गीली होने से लंड ऐसे अंदर घुस गया जैसे माखन में च्छुरी. राधा दीदी की चूत क्या थी बिल्कुल आग की भट्टी. मैं भी नशे में था. दीदी के निपल्स चूस्ते हुए मैने पूरा लंड थेल दिया अंदर. दीदी की सिसकारियाँ उँची आवाज़ में गूँज रही थी. मुझे शक था कि मा ना सुन ले. लेकिन मेरे मन ने कहा,”अगर मा सुन लेती है तो सुन ले..उसकी बेटी पहली बार चुदाई के मज़े लूट रही है…आख़िर मेरी दीदी को भी तो लंड का सुख चाहिए ही ना!!अगर उसका पति नहीं दे सका तो भाई का फ़र्ज़ है उसको वो मज़ा देना!!”

फिर मैने धक्को की स्पीड बढ़ानी शुरू कर दी. दीदी भी अपने चूतड़ उप्पेर उठाने लग पड़ी. उसको लंड का मज़ा मिल रहा था. दीदी ने अपनी टाँगें मेरी कमर पर कस दी और मुझ से पागलों की तरह लिपटने लगी. मेरा लंड तूफ़ानी गति से चुदाई कर रहा था. दीदी के हाथ मेरे नितंभों पर कस चुके थे,” दीदी कैसा लगा ये चुदाई का मज़ा? मेरा लंड? तेरी चूत में दर्द तो नहीं हो रहा? मेरी बहना तेरा भाई आज पहली बार चोद रहा है किसी लड़की को और वो भी अपनी सग़ी बेहन को!!” दीदी नीचे से धक्के मारती हुई बोली,”रॉकी मुझे क्या पता था कि चुदाई ऐसी होती है..इतनी मज़ेदार!!भाई मेरे अंदर कुच्छ हो रहा है…मेरी चूत पानी छ्चोड़ने वाली है…मैं झड़ने को हूँ…ज़ोर से…और ज़ोर से चोद मेरे भाई…उूउउफफफ्फ़…ज़ोर से भैय्ाआआ!!!” मैं भी तेज़ चुदाई कर रहा था. मेरा लंड चूत की गहराई में जा कर चोद रहा था और मुझे भी झरने में टाइम नहीं लगाने वाला था”फ़चा फ़च “की आवाज़ें आ रही थी. तभी मेरे लंड की पिचकारी निकल पड़ी”आआआआहह…..डिदीईईई…मैं भी गया…..मैं गयाआअ” दीदी की चूत से रस की धारा गिरने लगी और हम दोनो झार गये. हम इस बात से अंजान थे कि दो आँखें हमारी चुदाई देख चुकी थी.

मा हम भाई बेहन को देख रही थी. लेकिन हम इस बात से अंजान थे. मैं राधा दीदी के साथ लिपट कर सो गया. चुदाई इतनी ज़ोरदार थी कि मुझे पता ही नहीं चला कि मैं कब तक सोता रहा. जब नींद खुली तो दोपहर के 12 बज चुके थे. दीदी मेरे बिस्तर में नहीं थी. उठ कर कपड़े पहने और मैं नहाने चला गया. पिच्छले दिन की शराब का नशा मुझे कुच्छ सोचने से रोक रहा था.. सिर भारी था. नहा कर जब बाहर निकला तो मैं चुस्त महसूस करने लगा. दीदी के साथ चुदाई की याद मुझे अभी भी उतेज़ित कर रही थी. रात के बाद दीदी क्या अपना मन तो ना बदल लेगी? कहीं मा इस संबंध से नाराज़ तो ना होगी? ये सवाल मेरे दिमाग़ में कौंध रहे थे.

जब में मा के रूम से गुज़र रहा था तो मुझे मा और दीदी की आवाज़ सुनाई पड़ी,” मा, रॉकी ने मुझे ज़िंदगी का असल आनंद दिया है कल रात. सच मा, विनोद ने तो जितना दर्द दिया सब भुला दिया भाई ने!! चाहे दुनिया इस प्यार को जो चाहे नाम दे, या पाप कहे लेकिन मेरे लिए रॉकी किसी भगवान से कम नहीं है. मैं तो अपने भाई के साथ ये ज़िंदगी बिताने के लिए कुच्छ भी करने को तैयार हूँ. कल तक लंड, चूत चुदाई जैसे शब्द मुझे गाली लगते थे, लेकिन आज ये सब मेरी ज़िंदगी हैं!! मा तू तो मेरी मा है. तुझे तो मेरी खुशी की प्रार्थना करनी चाहिए. अब तो तुझे भी मर्द का सुख ना मिलने पर दुख हो रहा होगा. मा मुझे रॉकी से मिला दो, प्लीज़. हमारी शादी करवा दो!! भाई बेहन को पति पत्नी बना दो, मा!!!!!!!!” मुझे खुशी थी कि राधा दीदी खुद मुझ से शादी करने के लिए मा को मना रही थी. वाह!!बेहन हो तो ऐसी!!!

राधा दीदी और मा को अकेले छ्चोड़ कर मैं अपने रूम में चला गया. कपड़े चेंज किए और घर से निकल गया. शाम को जब वापिस आया तो मा मुझे अजीब नज़रों से देख रही थी. मा ने भी आज लो कट गले वाली कमीज़ और सलवार पहनी हुई थी. मेरे सामने मा आटा गूंधने लगी. जब वो आगे झुकती तो उसकी चुचि लग भाग पूरी झलक जाती मेरी नज़र के सामने. मेरा लंड खड़ा होने लगा. सोचा कि चलो दीदी को कमरे में ले जा कर चोद्ता हूँ. तभी मा फिर से आगे झुकी और मेरी तरफ देखने लगी. उसकी नज़र से नहीं छुपा था कि मैं मा की गोरी चुचियो को घूर रहा हूँ. तभी उसकी नज़र मेरी पॅंट के सामने वाले उभार पर पड़ी. मेरी प्यारी मा मुस्कुरा पड़ी. मा की मुस्कुराहट को देख कर मेरे मन में आया कि उसको बाहों में भर लूँ और प्यार करूँ. “मा, राधा दीदी कहाँ है? दिखाई नहीं पड़ रही कहीं भी!!”

“अब सारा प्यार अपनी राधा दीदी को ही देता रहेगा या मा को भी कुच्छ हिस्सा देगा? बेटा, राधा तुझ से बहुत खुश है. लेकिन हम लोगों को प्लान करना पड़ेगा. हम तीनो को किसी ना किसी चीज़ की ज़रूरत है. सब से बड़ी चीज़ पैसा है. जो हम को विनोद से लेना है. जमाई राजा ने जमाई का काम तो कुच्छ नहीं किया लेकिन उसको हम ब्लॅकमेल ज़रूर कर सकते हैं….नीता के साथ संबंधों को लेकर…जब तक राधा का तलाक़ नहीं हो जाता तुझे भी समझदारी से काम लेना होगा. मैने राधा को वकील से मिलने भेजा है. आज रात को आराम से बैठ कर प्लान बनाएँगे. ठीक है ना? तुम ऐसा करो कि कुच्छ बियर वगेरा ले आयो और हम मिल कर रात को बियर पी कर बात करेंगे” मेरे मन में मा के लिए इतना प्यार आया कि मैने उसको बाहों में ले कर चूम लिया. मा की साँस भी तेज़ हो गयी और उसके सीने का उठान उप्पेर नीचे होने लगा. मा का सीना मेरी छाती से चिपक गया. मुझे वोही फीलिंग हो रही थी जो राधा दीदी को किस करते हुए हो रही थी. मुझे लग रहा था कि मेरा प्यार मेरी बाहों में है. जब मैने मा के मुख में अपनी ज़ुबान डाल दी तो मा उसको चूसने लगी. मुझे बहुत मज़ा आ रह आता और मेरा लंड अब मा के पेट से टकरा रहा था. मैने अब हर हद पार करते हुए मा का हाथ अपने तड़प्ते हुए लंड पर रख दिया. मा ने पहले तो मेरा लंड थाम लिया लेकिन फिर अचानक पीच्छे खींच लिया,’ नहीं रॉकी बेटा…नहीं …ये ठीक नहीं है…..छ्चोड़ दो मुझे!!”
क्रमशः…………………..

गतान्क से आगे…………….
मैं भी संभाल गया और मैने मा को छ्चोड़ दिया और मा किचन में चली गयी. मैने सोचा कि शायद मा अपने बेटे के साथ पहले नाजायज़ संपर्क से घबरा गयी थी. लेकिन चिंता की कोई बात ना थी. रात को बियर वाली बात मेरे लिए फ़ायदेमंद होगी. शराब से आदमी की झिझक ख़तम हो जाती है. मैं बाज़ार से कुच्छ बियर और एक बॉटल वोद्का की ले आया जिसको मैने फ्रिड्ज में रख दिया. राधा दीदी भी वापस आ चुकी थी. उसने एक सिल्क की हल्के नीले रंग की पारदर्शी सारी पहनी हुई थी. मा और दीदी ड्रॉयिंग रूम में बैठे हुए थे. मैं दीदी के साथ सॅट कर छ्होटे सोफे पर बैठ गया. दीदी के जिस्म से भीनी भीनी सुगंध उठ रही थी और उसका मखमली बदन मुझे उतेज़ित कर रहा था. “मा मैं बियर लाया हूँ. किओं ना थोड़ी सी हो जाए.

दीदी का मूड भी ठीक हो जाएगा और हम वकील से हुई बात भी डिसकस कर लेंगे” मा ने सिर हिला दिया और मैं तीन ग्लास में बियर के साथ वोड्का मिक्स कर के ले आया. मा और राधा दीदी ने ग्लास पकड़ लिए और धीरे से पीने लगी. शराब के अंदर जाते ही मेरे लंड में आग भड़क उठी. मुझे अपनी दीदी और मा बहुत ही कामुक लगने लगी. एक प्लेट में मैने फ्राइड फिश और सॉस रखी हुई थी. दीदी ने जब चुस्की लेने के बाद फिश खाई तो उसके होंठों पर सॉस फैल गयी.” राधा ध्यान से खा…देख अपना मुख गंदा कर लिया है तूने…मैं नॅपकिन ले कर आती हूँ” मा उठी और बाहर चली गयी. मैने देखा कि दीदी के मुख पर सॉस लगी हुई थी. मैने दीदी को बाहों में लेते हुए उसके होंठों से सॉस चाटनी शुरू कर दी,”मा तो पागल है…मेरे स्वीट दीदी के स्वीट होंठों से सॉस सॉफ करने के लिए जब उसका भाई बैठा है तो नॅपकिन की क्या ज़रूरत…भाई है ना दीदी के होंठों को प्यार से सॉफ करने के लिए!!!” मैने दीदी को कस कर आलिंगन में ले लिया और उसके चेहरे को चूमने लगा. दीदी भी उतेज़ित हो रही थी किओं कि वो मुझे वापिस किस कर रही थी.

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जब मा वापिस आई तो हम भाई बेहन के मुख एक दूसरे से ऐसे जुड़े हुए थे जैसे की कोई प्रेमी हों. मा चुप चाप बैठ गयी.”रॉकी बेटा, मैने तुझे यही सबक दिया था कि जब तक तेरी दीदी का तलाक़ नहीं हो जाता तब तक ध्यान से. तू यहाँ अपनी दीदी से किस कर रहा है और बाहर दरवाज़ा खुला है. अगर कोई अंदर आ जाता तो? मेरे बच्चो, मेरी खुशी तुम्हारी खुशी मैं ही है. मैने कल रात सब कुच्छ देख लिया था और राधा ने मुझे सब कुच्छ बता दिया था. मैं तुम दोनो के साथ हूँ. रॉकी बेटा, वकील ने कहा है कि विनोद को उसकी बेहन के साथ संबंध के साथ ब्लॅकमेल कर के अच्छा पैसा बनाया जा सकता है…खास कर जब तेरे पास उनकी फोटोस के साथ. अगर हम उस से 3-4 करोड़ ले लेते हैं तो इस शहर को छ्चोड़ कर किसी दूसरी जगह जा सकते हैं. लेकिन तब तक बहुत ध्यान से रहना होगा. बेटा तू जवान है…पर थोड़ा ध्यान से!!!”

मैने दूसरा ग्लास बनाया जब सब ने पहला ग्लास खाली कर दिया था. इस बारी मैने ग्लास में वोड्का की मात्रा बढ़ा दी ता कि सब को नशा जल्दी हो जाए. मेरी प्लान आज रात को अपने परिवार की दोनो औरतों को चोद लेने की थी. राधा दीदी के साथ मैं रात बिता चुका था जिसका मा को पता था. अब मा को छ्चोड़ देना बेवकूफी होगी. आख़िर मा की भी कुच्छ ज़रूरतें थी. मेरी मा की भी लंड की भूख मुझे ही मिटानी होगी. अपनी मा के गदराए जिस्म को देख कर मैं पागल हो रहा था. मैं दीदी को ग्लास पकड़ा कर मा के साथ सॅट कर बैठ गया. मा ने घूँट भरा तो शराब उसके होंठों से नीचे बह गयी और उसकी गर्दन तक शराब के कारण उसका जिस्म भीग गया. मैने जीभ से शराब चाटना शुरू कर दिया. मा ने अपने आप को छुड़ाने का प्रयास किया लेकिन मैने उसको जाकड़ रखा था. कुछ हिस्सा मा की चुचि तक चला गया जिसको मैं चूम चूम कर चाटने लगा. दीदी चुप चाप देख रही थी जब मेरे हाथ मा की चुचि पर कस चुके थे. मा की साँस ऐसे चल रही थी जैसे कोई जानवर चुद्ते वक्त साँस लेता हो.

मैं थोड़ी देर में मा से अलग होता हुआ बोला”मा, आज से हम दोनो तेरी हर बात मानेगे, लेकिन मेरी एक बात तुम दोनो को माननी होगी. तुम दोनो के साथ मेरा रिश्ता वैसा ही होगा जैसा तुमने कल रात दीदी के साथ देखा था. आज से मेरा क़ब्ज़ा ना सिर्फ़ राधा पर होगा बल्कि मा, तुझ पर भी होगा. मैं जानता हूँ मा, की तुझे भी जिस्म की भूख लगती है और दीदी के भी कुच्छ अरमान हैं. मैं घर का मर्द हूँ. आप दोनो का मेरे जिस्म पर पूरा हक है और मेरा तुम दोनो पर. यानी पति एक पत्नियाँ दो. रॉकी कल बना था बेह्न्चोद और आज बनेगा मदर्चोद!!! बोलो मज़ुर है आपको?” कहते हुए मैं मा का हाथ अपने लंड पर रख दिया. इस बरी मा ने अपना हाथ नहीं खींचा. “राधा क्या तुम मुझे मा के साथ बाँट सकती हो?” मैने पुछा तो राधा अपनी सीट से उठी और मा के होंठों पर होंठ रख कर किस करने लगी. किसी जवाब की ज़रूरत ना थी. मा मेरे लंड से खेलने लगी और अपनी बेटी को किस करने लगी.

मैने मा की जांघों पर हाथ फेरना शुरू कर दिया और दीदी की सारी खोल डाली. “रॉकी बेटा, तू और राधा तो ठीक हो, मुझे इस काम में मत घसीतो. मैं अब जवान नहीं हूँ. यूँ दोनो की शादी मैं करवा दूँगी. मेरा वादा रहा. मुझे तुम जैसा जमाई और राधा बेटी जैसी बहू कहाँ मिलेगी और मैं तुम दोनो का प्यार अपनी आँखों के सामने देख सकूँगी” मैं मा की बात सुन कर खुश तो हुआ लेकिन बिना मा के मेरी ग्रहस्ति पूरी होने वाली नहीं थी. आज रात को मेरी मा मेरे लिए मेरी प्यारी सुजाता बन जाएगी. बिल्कुल मेरी बेहन जैसी एक चोदने वाली औरत. मेरी एक और पत्नी!!! मैने अपनी ज़िप खोल दी और मा का हाथ अपने गरम लंड पर रख दिया,” सुजाता, अपने बेटे का लंड पकड़ कर देखो कि आपके पति से बड़ा है या नहीं? मेरी प्यारी सुजाता, चाहे ये लंड तेरी चूत से निकला हो, आज तेरी चूत को चोद कर तुझे औरत का सुख देगा, तुझे मेरे बाप की कमी महसूस ना होने देगा!!!”

मा ने मेरा लंड सहलाया और वो और भी कड़ा हो गया. राधा दीदी ने अपना हाथ मा की कमीज़ में डाल कर उसकी चुचि को सहलाना शुरू कर दिया. मेरी मा सुजाता का जिस्म आप वासना से गुलाबी होने लग चुका था. राधा दीदी भी बहुत सेक्सी अंदाज़ से माँ को किस कर रही थी. “मा, रॉकी तुझे भी उसी तरह प्यार करेगा जिस तरह मुझे कर चुका है. बहुत प्यारा है मेरा भाई….तेरा बेटा…..हमारा ख्याल रखेगा….हमारा मर्द रॉकी….हम दोनो इसकी बन के रहेंगी…और ये हमारा….ना मेरा …ना तेरा…मा और बेटी का एक मर्द…एक यार..एक लंड…..जो मेरा भी है और तेरा भी!!!!!”

मा का चेहरा और गुलाबी हो गया. शायद शरम और वासना का मिला जुला असर था.”हां बेटी, जिसको जमाई बनाया था वो तो धोका दे गया. अब अपने खून पर ही भरोसा है मुझे. रॉकी मेरा बेटा भी है और दामाद भी और पति भी….हे भगवान मेरे प्यार भरे परिवार को किसी की नज़र ना लगे. हां रॉकी, मेरे बेटे, तेरा लंड तेरे बाप से भी बड़ा है और मोटा भी…मुझे यकीन है तुम इस से हम मा बेटी दोनो को संतुष्ट रखोगे. तेरे लंड का स्पर्श मेरे अंदर एक जवाला भड़का रहा है. मेरे अंदर की औरत को जगा रहा है. मुझे कोई आपत्ति नहीं अगर राधा मुझे भी तेरा प्यार बाँटने के लिए राज़ी है. मेरे बेटा जैसा मस्त जवान हमारे लिए बहुत है. जो मन मे आए कर ले तू बेटा!”

मैं उठ खड़ा हुआ और मा की कमीज़ उतारने लगा. मैने मा के बालों का जुड़ा भी खोल दिया. राधा दीदी ने अपना ब्लाउस और पेटिकोट उतार दिया. राधा दीदी का गोरा जिस्म प्यार और शराब के नशे से बहुत गुलाबी हो रहा था.”मा, राधा दीदी को चोद चुका हूँ मैं. तुझे चोद कर आज की रात यादगार बनाना चाहता हूँ. सुजाता कहूँ तो कोई एतराज़ तो नहीं होगा? मुझे यकीन है कि राधा दीदी को भी जलन ना होगी अगर मैं आप दोनो को चोदु!!!” राधा ने अपनी पॅंटी उत्तरते हुए कहा”रॉकी, मेरे भाई, मा बेटी में कैसी जलन? घर का माल घर में ही तो रहेगा. और वैसे भी सुजाता की मर्ज़ी से ही हमारा मिलन संभव होगा. तेरा जितना हक अपनी बेहन पर है, उतना ही अपनी मा सुजाता पर होगा. मैं तुम दोनो को चुदाई करते देख कर मा से कुच्छ सीख लूँगी. किओं मा?”

“ठीक है बेटी. मुझे भी आज 20 साल के बाद लंड नसीब हो रहा है और वो भी अपने बेटे का. सच बेटा, तेरा लंड बिल्कुल तेरे बाप जैसा है, बस मोटा थोड़ा अधिक है. आज अपनी मा को वो सुख दे दो जो तेरा बाप देता था. राधा बेटी, चुदाई का सब से पहला कदम है मर्द का लंड सहलाना, मुठियाना, इस से प्यार करना, इसको चूमना, चाटना. जो मैं करती हूँ तू भी वैसे ही करना. जितना मज़ा रॉकी को आएगा, उतना ही तुझे और मुझे भी आएगा.” मा ने मेरा लंड अपने गरम हाथों में ले लिया और उप्पेर नीचे करने लगी. उसने मेरे सूपदे पर ज़ुबान फेरी तो राधा दीदी के मूह से आह निकल गयी. राधा अब मा की हर हरकत गौर से देखने लगी. मेरा लंड बेकाबू हो रहा था. राधा दीदी ने मा की नकल करते हुए मेरे लंड पर ज़ुबान फेरनी शुरू कर दी. ड्रॉयिंग रूम में ये सब करना मुझे आरामदायक नहीं लग रहा था. मैने दोनो से कहा,”हमको बेड पर चलना चाहिए. यहाँ मज़ा नहीं आएगा. मुझे लगता है कि मा के बेड पर चला जाए. उसी बेड पर जहाँ मा को पहली बार पापा ने चोद कर गर्भवती किया था, उसी बेड पर बेटा भी अपनी प्यारी मा की चुदाई का महुरत करना चाहता है!!किओं क्या विचार है सुजाता?”

मा के चेहरे पर एक खास मुस्कान उभर आई. आज मा का चेहरा ऐसे चमक रहा था जैसे किसी नई नवेली दुल्हन अपनी पहली चुदाई की प्रतीक्षा कर रही हो. हम तीनो पूरी तरह से नंगे हो कर मा के बेडरूम की तरफ बढ़ गये. जब मा आगे आगे चल रही थी तो मुझे उसकी गांद बहुत उतेजक लग रही थी. सुजाता मेरी मा के चूतड़ बहुत सेक्सी थे. “एक दिन सुजाता के मखमली नितंभों के बीच से उसकी गांद ज़रूर चोदुन्गा” मैने अपने आप से वादा किया! “तुम दोनो बिस्तर पर चलो, मैं एक लास्ट पेग बना कर लाता हूँ” मैने कहा और पेग बनाने लग पड़ा. शराब के नशे को वासना ने दोगुना बढ़ा दिया था. मैने तीन बड़े पेग बनाए और मा के रूम में जा घुसा. बिस्तर पर जो नज़ारा था देख कर दिल खुश हो गया. मेरी मा और बेहन दोनो एक लेज़्बीयन 69 की पोज़िशन में साइड बाइ साइड लेटी हुई थी. सुजाता की चूत पर राधा के होंठ और राधा की चूत पर सुजाता के होंठ थे. मैं समझ गया कि दोनो औरतें छुड़ासी हो रही हैं. राधा दीदी की जीभ सुजाता की चूत की फांकों को चूस रही थी और मा अपनी बेटी की चूत का रस चाट रही थी. मैने ग्लास टेबल पर रखे और नज़दीक जा कर मुझ से ना रहा गया और मैने एक उंगली मा की गांद में धकेल डाली. सुजाता को इस बात की कोई उम्मीद नहीं थी और हाड़ बदाहट में उसने राधा की चूत को काट खाया. ‘उई…मा ये क्या…मर गयी!!!!” राधा दीदी छ्ट पटा पड़ी.

मा ने अपना मूह राधा दीदी की चूत से हटा लिया और बनावटी गुस्सा दिखाती हुई बोली,”सॉरी बेटी, ये साला रॉकी मदर्चोद शरारत कर रहा था. इसने मेरी गांद में उंगली डाल दी थी जिसस के लिए मैं तैयार नहीं थी” मैने मा के नितंभ पर किस किया और बोला” कोई बात नहीं सुजाता रानी, अब गांद तो तभी स्पर्श करूँगा जब तू तैयार होगी, अपने मदर्चोद बेटे से गांद मरवाने के लिए. तब तक राधा दीदी को भी तैयार करो. सच कहूँ तो मेरा विचार तुम दोनो को अपनी पत्नी बनाने का है, अगर तुम दोनो चाहो तो! मैं जीजा और बाप दोनो का फ़र्ज़ निभाना चाहता हूँ. तुम्हारी दोनो की गांद है है ही बहुत सेक्सी!!!”

राधा दीदी ने झट से अपना ग्लास उठाया और एक ही साँस में गटक गयी. मैं सुजाता से लिपट कर उसको चूमने लगा और उसकी चुचि को मसल्ने लगा. राधा दीदी ने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. अब उसको अपने भाई के लंड से प्यार हो गया था,और होता भी किओं नहीं. मैं अपने लंड को साबुन से धो कर रखता हूँ और वो भी खुश्बुदार साबुन से.

राधा दीदी ने पहले तो अपने गालों पर मेरा सूपड़ा फेरा और फिर प्यार से उसको किस किया. मैं किस करते हुए एक हाथ से मा की चुचि मसल रहा था और दूसरे से उसकी चूत स्पर्श कर रहा था. तीन जिस्म अब हवस की आग में जल रहे थे. रुकना मुनासिब ना था. राधा ने अब मेरा लंड हाथ में ले लिया था और मेरे अंडकोष चूसने शुरू कर दिए थे. ‘बेटा, अब जल्दी से डाल दो मेरी चूत में अपना लंड. बहुत तर्सि हूँ मैं लंड के लिए. कल रात जब मैने तेरा लंड राधा की चूत में जाते हुए देखा था, तब से मेरी निगोडी चूत भी इसकी कामना कर रही है. तेरे लंड की चमक अभी तक मेरे दिलो दिमाग़ में बसी हुई है. बस देरी ना करो, रॉकी बेटा. ठोक दो अपनी मा को, अपनी सुजाता को चोद कर निहाल कर दो. हम मा बेटी के स्वामी बन जाओ. ओह बेटा, मेरी चूत में आग लगी हुई है!!!

मैने मा को लिटा लिया और उसकी जांघों को खोलते हुए उसकी चूत को प्यार से सूँघा. मा की चुदसी चूत रो रही थी खुशी के मारे. फिर मैने अपना सूपड़ा सुजाता की चूत पर टीकाया और चूत पर रगड़ने लगा. “उफफफफफ्फ़ रॉकी!!!! किओं तरसा रहे हो? डाल दो ना!!” राधा दीदी मेरी पीठ से सॅट कर मुझ से लिपटने लगी.”भाई, पेल डालो अपनी सुजाता को. फिर मेरी बारी आएगी अपने प्यारे भाई के लंड से चुदवाने की. रॉकी, सुजाता की चूत मस्ती से भरी पड़ी है. मसल डालो इसको अपनी मा की प्यासी चूत को. जो काम पापा ने किया था आज उनका बेटा भी कर डाले. भैया मा के बाद फिर मुझे कल वाली जन्नत दिखा देना. मैं महसूस कर रही हूँ कि आज तेरा लंड कल से भी अधिक उतावला हो रहा है. और मेरा राजा भैया का लंड उतावला हो भी क्यो ना? आज बेहन के साथ साथ मा भी मेरे भाई की हमबिस्तर हो रही है. शाबाश भाई, चोदना शुरू करो, तब तक मैं मा से अपनी चूत चुस्वाति हूँ. मेरी चूत भी जल रही है!!!” फिर राधा दीदी ने मेरा लंड पकड़ कर मा की चिुत के अंदर धकेल दिया. मेरी मा की चूत से इतना पानी बह रहा था कि लंड आसानी से चूत की गहराई में उत्तर गया. मा की टाँगों ने मेरी कमर को कस लिया और वो अपनी गांद उच्छालने लगी.

राधा दीदी ने अपनी टाँगों को फैला कर अपनी चूत मा के मुख पर रख दी और सुजाता ने अपनी ज़ुबान उसकी चूत में घुसा डी. राधा अब मा की ज़ुबान पर चूत हिलाने लगी. राधा की साँस भी बहुत भारी हो चुकी थी. मा और दीदी दोनो कामुक सिसकारियाँ भर रही थी. मैने सुजाता की चुचि को ज़ोर से मसल्ते हुए धक्कों की स्पीड बढ़ा डाली. लंड फ़चा फ़च चूत के अंदर बाहर होने लगा. जब मैने मा के निपल्स चूसना शुरू किया तो वो बेकाबू हो गयी और पागलों की तरह चुदवाने लगी. सुजाता ने अपना मुख मेरी बेहन की चूत से अलग करते हुए कहा,” वाह बेटा, वाह, चोद मुझे….चोद अपनी मा की चूत….चोद मेरी चूत!!….अपनी मा की चूत से पैदा हो कर आज उसको चोद, मदर्चोद….तू अपनी मा को जो आनंद दे रहा है, उसका का कोई मुकाबला नहीं…आआआहह….रॉकी!!!!! ओह्ह्ह्ह मदर्चोद………राधा…तेरा भाई वाकई ही बहुत दमदार है…तुझे हमेशा खुश रखेगा…हम दोनो को खुश रखेगा…खूब चोदेगा हम दोनो को!!!!”

राधा अब उठ कर आई और मेरे अंडकोष से खेलने लगी और मा की गांद में उंगली करने लगी. लगता था कि अब मेरी बहना चुदाई में अधिक दिलचस्पी लेने लगी थी. जिओं ही राधा की उंगली मा की गांद में गयी तो मा का जिस्म ऐंठने लगा. उसकी गांद तूफ़ानी गति से उप्पेर उठने लगी. मा अब झड़ने वाली थी. मैने भी चुदाई और तेज़ कर दी लेकिन मुझ से पहले मा झाड़ गयी.” ऑश बेटा….मैं गयी….रॉकी…तेरी सुजाता झारीईए…तेरी माआ झार रही है…आआअहह!!” सुजाता की चूत का रस उसकी जांघों से होता हुआ बिस्तर पर गिरने लगा. कोई 2 मिनिट छ्ट पटाने के बाद सुजाता शांत हो गयी. लेकिन मैं अभी नहीं झारा था. मैने अपना भीगा हुआ लंड सुजाता की चूत से निकाला और मा की बगल में ही राधा दीदी को लिटा दिया. दीदी मेरे लंड को भूखी नज़रों से देख रही थी. वो आगे झुकी और मेरे लंड को चूसने लगी, चाटने लगी. राधा दीदी मकी आँखें उतेज्ना कारण बंद थी और वो किसी रांड़ की तरह अपने भाई का लंड चूस रही थी. मुझे खुशी थी कि वो राधा जिसको अपने पति का लंड गंदा लगता था, आज अपने भाई के लंड को किस तरह प्यार से चूम रही थी.

मैने दीदी को बालों से खींच कर घोड़ी बनाया और लंड घुसेड दिया एक ही झटके में,”उम्म्फफफ्फ़… उम्म्फहफ़फ इन्न्ननननननन्‍न्‍नममममममम……म्‍म्म्मफफफ्फ़…इट…आआहह…
… म्‍म्म्फह…भैयाआअ….धीरे….माआआ….मर गइई” राधा बिलबिलाने लगी. मैं अब दीदी को बेरेहमी से चोदने लगा. “राधा…कैसा लग रहा है? मेरा लंड तेरी चूत में घुस चुका है…बहुत टाइट है तेरी चूत…..मुझे बहुत मज़ा दे रही है ये” उधर मा हम दोनो को देख कर मुस्कुरा रही थी और मुस्कुराती भी किओं ना. आख़िर घर का मर्द घर की औरत को चोद कर आनंदित कर रहा था.

मेरा हाथ कई बारी राधा दीदी की चुचि मसल देता और कई बार उसके चूतर पर चपत मार देता जिस से मेरी दीदी की कामुकता और तेज़ हो जाती. दीदी आगे की तरफ झुकी हुई थी और मैं उसको घोड़ी बना कर चोद रहा था. घोड़ी बना कर चोदने का मज़ा ही कुच्छ और होता है. कमरे के अंदर सेक्स की खुश्बू फैली हुई थी. मुझे दीदी के नंगे जिस्म की तस्वीर और भी कामुक बना रही थी. धक्के तूफ़ानी हो चुके थे और दीदी अपने चूतर पीछे धकेल कर मेरे मज़े को दोगुना कर रही थी.”रॉकी मेरे भाई, तेरी बेहन जा रही है…मेरी चूत पानी छ्चोड़ रही है…..आआहह मैं झाड़ रही हूँ…ज़ोर से….चोदो भाई……मैं मर गयी….चोदो भैयाआ!!!” मेरा लंड भी चोद रहा था. मैं अपना रस दीदी की चूत के अंदर छ्चोड़ने वाला था. मैने राधा को कस के पकड़ रखा था और तबाद तोड़ चोद रहा था.” ऊऊऊहह……उूुउऊहह…म्‍म्म्ममममंणणन्………..आआआआमम्म्ममम!!!!!!!!” मेरा लंड अपना फॉवरा छ्चोड़ने लगा. मैं कुत्ते की तरह हाँफ रहा था. राधा दीदी का भी हाल बुरा हो रहा था. मैं दीदी की चूत में लंड डाल कर सो गया.

अगले दिन जब मैं उठा तो दीदी और मा दोनो कमरे में नहीं थी. सवेर के 8 बज रहे थे. मैं उठ कर बाथरूम में गया. नहा धो कर जब बाहर निकला तो देखा कि मा पूजा कर रही थी और दीदी उसके साथ बैठी हुई थी. जब मैं वहाँ पहुँचा तो पहले दीदी ने और फिर मा ने झुक कर मेरे पैरों को स्पर्श किया. जब मैने उनको ऐसा करने से रोका तो वो शर्मा कर बोली,” रॉकी तुम आज से हमारे पति हो और हम तेरी पत्नियाँ. दुनिया हमारे रिश्ते को कुच्छ भी समझे, लेकिन तुम हमारे स्वामी हो” . तो कैसी लगी ये कहानी जरूर बताना दोस्तों फिर मिलेंगे एक और नई कहानी के साथ तब तक के लिए विदा आपका दोस्त राज शर्मा

समाप्त



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