दीदी की गरम चूत मे मेरा लंड

पर किस्मत मे कुछ और ही लिखा था.

दी कभी मेरी और देखती तो कभी जीजू की और. जब जीजू की और देखती तो उन्हे प्यारी सेक्शी सी स्माइल पास करती, जिससे जीजू का दिल बना रहे. पर जब मेरी और देखती तो उसकी आँखो मे एक तड़प सी दिख रही थी.

मेरे लंड को पूरा ना ले पाने की तड़प. मैने अपने हाथो से लॉक बनाया हुआ था, जिससे मेरा लंड कुछ ही लिमिट तक अंदर जा पाए, क्यूंकी मुझे लगा की अभी जो पूरा लंड दी की छूट मे जाएगा, तो वो ज़रूर चिल्लाएगी, और फिर सारा खेल समाप्त.

पर दी मेरी और गुस्से से देखती, और कभी तो मेरे हाथो मे चुननी भी कटती की मैं लंड को ना रोकू और पूरा अंदर जाने डू. पर मैं ये रिस्क नही लेना चाहता था. मुझे लगा की अब माइज़ॉयर जाकर ही ये काम पूरा हो पाएगा, पर किस्मत मे तो कुछ और ही लिखा था.

हुमारा कार्यक्रम चल ही रहा था की जीजू ने कहा-

जीजू: अब माइज़ॉयर पास मे ही हैं, और ह्यूम वापस बंगलोरे भी निकलना हैं शाम को. और ऑफीस मे मुझे शायद टाइम ना मिले, तो मैं अभी कार मे गॅस डलवा लेता हूँ. अभी रॉंग साइड देखा एक पंप, थोड़ी भीड़ हैं, पर तुम लोग ओक हो तो मे वाहा पे रोक लू.

दी: ओक डार्लिंग. वैसे भी मुझे इस क़ैद से तोड़ा आराम मिलेगा, और मुझे वॉशरूम भी जाना हैं.

जीजू: ठीक हैं फिर. मैं साइड ले लेता हूँ. (मैने दी की और तोड़ा गुस्से से देखा की “हन” क्यूँ की अछा भला प्रोग्राम स्टॉप करवाया)

हुँने फटाफट अपने कपड़े पहन के आचे से भाई बेहन हो गये. सीग पंप पे काफ़ी गाड़िया थी और कल 31स्ट्रीट की वजह से ज़्यादातर सब घड़ियो में बाय्स ही थे. पंप पे जीजू ने अपनी गाड़ी को लाइन मे लगाया. दी नीचे उतार ही रही थी की मैने दी को याद दिलाया-

मे: ध्यान से दी कही गिर मत जाना, अभी तुम्हारी कमर अकड़ गयी थी तो.

दी: (मेरा इशारा समझ गयी और लड़खड़के चलने की आक्टिंग करने लगी.) लगता हैं भाई की कमर के साथ पैर भी अकड़ गया हैं.

मे: रूको मे मूव का स्प्रे निकलता हूँ.

दी: सुनिए, यहा कितना टाइम लगेगा?

जीजू: करीबन 20 से 25 मिनिट लगेगा.

दी: ठीक हैं, मैं और भाई हम चलते हैं, उसके सपोर्ट से मे वॉशरूम हो के आती हूँ, और बाद मे स्प्रे लगाकर तोड़ा रिलॅक्स हो जौंगी, अभी सफ़र तोड़ा बाकी भी हैं. आप अपना नो. आने पर ह्यूम कॉल कर दीजिएगा.

जीजू: ठीक हैं, इसे संभाल के ले जाना.

मैं और दी वाहा से चल दिए. मैने दी को कमर मे हाथ डाल के पकड़ा हुआ था. हम स्लोली स्लोली लॅडीस वॉशरूम की तरहा बढ़ने लगे. जैसे ही जीजू दिखना बाँध हुए दी ने अपनी चल सही की और फाटक से उस तरफ चल दी..लॅडीस वॉशरूम जेंट्स वेल से काफ़ी डोर था, और वाहा कोई और लॅडीस नही थी.

दी अंदर दाखिल हुई.

मे: दी, आप हो आओ. मे बाहर देखता हूँ.

दी: तू भी अंदर आ बहेँचोड़. मैं यहाँ वॉशरूम में मूतने नही, तुझसे चूड़ने आई हूँ. और अंदर जाके उसने वो गाते अंदर से लॉक कर दिया, और मुझ पर टूट पड़ी, मुझे स्मूच करने लगी, और मेरे लंड को सहलाने लगी. मेरा लंड तोड़ा बैठा हुआ था.

दी: जल्दी से अपने लंड को टाइट कर, ज़्यादा वक़्त नही हैं.

मे: तुम ही टाइट करो ना अपने हाथ से.

दी: मैं कैसे करू?

मे: क्यूँ कभी जीजू या अपने ब्फ का टाइट नही किया क्या कभी?

ओए दी स्माइल देते हुए अपने घुटनो के बाल बैठ गयी और मेरा बर्म्यूडा निकल दिया. मुझे लगा की वो आवने हाथो से मेरे लंड को मसलेगी, और बाद मे मैं दी को इसे मूह मैं लेने के लिए रिक्वेस्ट करूँगा, लिया तो ठीक वरना छूट तो हैं ही अंदर डालने को.

दी ने मेरे लंड को तोड़ा हिलाया, पर जब वो खड़ा नही हुआ तो झट से अपने मूह मे ले लिया और उसे अंदर बाहर करने लगी. मैं तो जैसे किसी और दुनिया मे पहुँच गया. मेरी सग़ी बाहें, जो की शादीशुदा हैं, मेरा लंड लोलीपोप की तरहा मस्त चूस रही थी.

कुछ देर बाद जब लंड टाइट हो गया तो दी ने मेरी उर देखा.

मे: क्या इरादा हैं?

दी: अपने भाई का बड़ा लंड अपनी छूट मे लेने का, वो भी पूरा इस बार, जो तुझे गाड़ी मे ही डाल देना चाहिए था.

मे: मुझे डाउट था की बड़ा लंड जाते ही तुम्हारी चीख या सिसकारी निकल जाती तो जीजू को शक हो जाता, इसी लिए.

दी: भाई, तुझे तो मेरी हिस्टरी पता हैं. ये मेरा पहली बार नही हैं.

मेरे मॅन मे आया की बोल डू: हन, मुझे पता हैं की तूने रंडियो की तरहा बड़े लंड ले रखे हैं. पर आज मूज़े इस रंडी को अपनी चुदाई बतानी थी.

मे: सॉरी दी, पर अब जल्दी से मैं अपनी ग़लती को सुधार देता हूँ.

दी: जल्दी से भाई, अब रहा नही जा रहा.

और दी अपनी स्कर्ट और पेंटी निकल के वाहा लाते गयी. मुझे यकीन था की आज अगर मैने अपना पूरा लंड इस रंडी बाहें के अंदर उतार दिया, तो ज़िंदगी भर ये मेरी घुलमी करेगी. भले ही इसकी छूट 2 सालो से टाइट हैं, पर इसने कॉलेज मे बड़े लंड लिए हैं, तो वो इसे आसानी से झेल जाएगी.

मैने अपना आधा लंड उसकी छूट मे डाला जितना गाड़ी मे डाला था, और उसके बाद टाइटनेस लग रही थी. मुझे लगा की पूरा अंदर लेने पर दी की चीख निकल जाएगी, तो मे उसे किस करने का सोचा. पर मुझे दी के चेहरे के एक्सप्रेशन देखने थे.

तो मैने उसके मूह मे उसकी पेंटी को दबा के एक जोरदार धक्का मारा और सदसदाता हुआ मेरा लंड दी की छूट की दीवारो को चीरता हुआ, उसकी छूट मे समा गया. दी की आँखो मे आँसू और चेहरे पर पसीना आ गया. वो दर्द से काँप रही थी.

अभी भी मेरा लंड तोड़ा बाहर था, मैने अपने लंड को बाहर निकालकर फिसे एक जबरदस्त पुश किया और लंड फंफनता हुआ उसकी बच्चेड़नी को टच हो गया. दी की हालत खराब हो गयी थी, मानो की किसीने उसकी बॉडी मे से आत्मा निकल दी हो.

कुछ देर तक उसी पोज़िशन में रहने के बाद दी थोड़ी नॉर्मल हुई और मुझे आँखो से इशारा किया, चुदाई वापस चालू करने का. तो मैने अपने लंड के धक्के मरने शुरू किए, और वो मेरा साथ देने लगी.

हर धक्के के साथ दी के होंठ भींच जाते, और आँखें बाँध हो जाती. कोई और होती तो शायद चुदाई रुकवा देती, पर दी की ये कशिश देखकर मैं समझ गया की मेरी सिस्टर बड़ा लंड लेने के लिए कब से तड़पति रही होगी.

मुझे पता था की फर्स्ट इंप्रेशन इस लास्ट इंप्रेशन, इसलिए मैं दी को स्मूच, बूब्स दबाना इन सबके बजे दी को छोड़ने मैं ही कॉन्सेंट्रेट किया हुआ था. क्यूंकी अगर आज मैने अपनी दी को अपने लंड से सॅटिस्फाइड कर दिया, तो ये रंडी ज़िंदगी भर मेरे लंड की गुलाम बनी रहेगा.

इसलिए मैं हर बार पवर के साथ दी की छूट मैं लंड डालता और निकलता. अब दी भी वो पुरानी वाली दी नज़र आने लगी, जो बड़े लंड आसानी से अंदर लेती थी.

हुमारी चुदाई चालू थी, मस्त महॉल था, उतने मे जीजू की कॉल आगाय, पर मैने कट करदी. दुबारा कॉल आई तो मेरे पहले दी ने उठा ली, और कहा,”ठीक हैं अभी बस आही रहे थे.”

दी: पागल हैं क्या, कॉल क्यू कट कर रहा था. अगर वो ह्यूम ढूँढते यहा तक आजाते तो? अब मैं किसी की बीवी भी हूँ, ये तुझे समझना चाहिए.

मे: सॉरी दी. वो आपकी चुदाई के चक्कर मैं हो गया.

दी: देख भाई, ऐसे मौके और भी माइलेज, पर ह्यूम ये सब तेरे जीजू और बाकी दुनिया से छिपकर और संभलकर करना होगा. चल अब, अपने आप को सही कर ले, तेरे जीजू बुला रहे हैं.

मे: (अपने खड़े लंड को दिखाते हुए) इसका क्या?

दी: वो भी तेरी तरहा समझदार हैं, बैठ जाएगा. और अपनी दी को ऐसे रोड पे ही फक करता रहेगा क्या? बेडरूम मे सेक्स करना आता हैं या नही ?

(और दी सेक्सी वाली स्माइल देकर आयेज चलने लगी, दी अब भी लड़खड़ा रही थी)

मे: अब तो लड़खड़ाने की आक्टिंग मत करो.

दी: ये आक्टिंग नही हैं पागल, बहुत दीनो बाद बड़ी साइज़ का लेने की वजह से थोड़ी सूजन सी हो गयी हैं, इसलिए चलने मे तकलीफ़ हो रही हैं.

मे: वाउ दीदी…सच में..? (और मे अपने लंड की साइज़ पे इतराने लगा)

कुछ देर चले, तो जीजू आयेज खड़े थे.

दी: क्या हुआ, गॅस भरवा लिया?

जीजू: अरे नही…मेरा नो. आने से पहले, गॅस ख़तम हो गई, और अब बहुत टाइम लगेगा, तो हम निकलते हैं. तुम्हे अब कैसा हैं पैरों में?

दी: अब पहले से अछा हैं.(और मेरी तरफ चुपके से देख कर एक स्माइल दी)

फिर हम कार मे सेट हो गये. मे बेता, और दी मेरी गोद में, और जीजू ड्राइव करने लगे.

मे: (दी की जंगो पे हाथ फेरते हुए) जीजू, अभी कितना टाइम लगेगा, घर पहुचने मे?

जीजू: ज़्यादा से ज़्यादा आधा घंटा.

मे: ओक. (और मे दी के बूब्स और थाइस को सहलाने लगा. मेरा लंड फिरसे खड़ा होने लगा, जो दी को भी महसूस हुआ, और उसने मेरी और सवालिया निगाहो से देखा.)

आक्च्युयली मैने कार मे बैठने से पहले वियाग्रा की टॅबलेट खाई हुई थी, जिससे मे दी की आचे से ले साकु. क्यूंकी फर्स्ट इंप्रेशन इस लास्ट इंप्रेशन.

मे: दी, एक बार ज़रा सा उपर उठिए तो मे फिर से सेट हो जौ.

दी: अभी बस घर आने मे ही हैं, ऐसे ही बेता रह. घर जाके आचे से जैसे चाहे सेट हो जाना.

मतलब की दी का कहना था अभी सेक्स नही, तू घर जाकर जैसे चाहे वैसे मुझे छोड़ते रहना.

मे: प्लीज़ दी, एक आखरी बार, फिर मे आपको तंग नही करूँगा.

जीजू: अगर वो कहता हैं तो एक बार हो जाओ तोड़ा उपर, प्राब्लम क्या हैं.

दी: (जीजू की और घूरते हुए) ठीक हैं फिर.

फिर दी जैसे ही उपर हुई, मैने अपनी चड्डी को नीचे कर दिया, और दी की पेंटी को भी नीचे उतार दिया.

दी: (मेरा इरादा समझ गयी) हो गया तेरा सेट, अब मैं नीचे बैठू क्या?

मे:एक हाथ से अपने खड़े लंड को और दूसरे से दी की छूट को लाइन मे लेकर, दी को अपने लंड के उपर बेता दिया. इस बार दी की छूट में पूरा लंड अंदर तक डाला हुआ था.

और फिरसे मैने दी की चुदाई शुरू करी, अब दी भी एंजाय करने लगी. कुछ देर बाद अब मेरा लंड अकड़ने लगा, और मेरे लंड का पानी निकालने वाला था.

और मैं दी की छूट मैं, पानी निकालु या नही, ये मुझे दी से कन्फर्म करना ज़र्रोरी था, क्यूंकी बाद मे दी शायद गुस्सा हो जाए. तो मैने दी को कोडवर्ड मे बात करी, जैसा हम बचपन मे करते थे.

मे: दी क्या तुम्हे पता था की मैं आनेवाला हूँ? (मेरा पानी निकलनेवाला हैं)

दी: कहा, यहा? (छूट में)

मे: हन दी. आपको कोई परेशानी तो नही हैं ? (मतलब की सेफ हैं ना)

दी: (कुछ सोचने के बाद) नही भाई. तू आया मुझे अछा लगा. आक्च्युयली मे भी आनेवाली हू घर पे. (मतलब मेरा भी अब पानी निकलनेवाला हैं)

मे: रियली दी, फिर तो हम साथ साथ चलेंगे इस बार. (मतलब साथ मे झाड़ते हैं)

दी: ठीक हैं भाई. अछा आइडिया हैं.

मैने एक कपड़ा मेरी सीट के नीचे रख दिया, और कुछ धक्को बाद मैने अपने लंड का पानी दी के छूट मैं, और दी ने अपनी छूट का रस मेरे लंड पर छोड़ दिया.

कुछ देर तो हम ऐसे ही बैठे रहे, तक के. फिर मैने कपड़े से सब सॉफ किया, और कुछ देर बाद दी का नये घर हम पहुच गये, जहा मैं दी के तीनो छेड़ो का आचे से बाजा बजनेवाला था.

तो फ्रेंड्स/रीडर्स, कैसा लगा ये पार्ट कॉमेंट्स मे ज़रूर बताईएएगा.

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