ढाबे के मलिक ने की मा की चुदाई

ही फ्रेंड्स, मैं कारण फिरसे न्यू सेक्स स्टोरी के साथ आप सब रीडर्स के सामने हाज़िर हू. आपने पिछली स्टोरी में देखा कैसे कंवली ने अशरफ और मा को पकड़ लिया था, जिसके बाद मा बहुत नाराज़ थी. लेकिन अशरफ ने मा को माना लिया था. फिर अगले दिन-

अशरफ: सब जल्दी से तैयार हो जाओ. थोड़ी देर में गाड़ी रेंट पर लेकर आता हू.

मे: लेकिन जाएँगे कहा?

अशरफ: उसकी चिंता तू मत कर.

फिर थोड़ी ही देर में गाड़ी आ गयी, और मा भी तैयार हो कर आ गयी. मा ने शॉर्ट जीन्स और वाइट त-शर्ट पहनी थी, जिसमे उसकी गोरा गड्राया बदन देख कर कोई भी उसकी चुदाई कर दे. मा एक लड़की नही है, वो एक औरत है, जिसे ऐसे कपड़ों में देखने पर किसी का भी लंड पानी निकाल दे. अशरफ ने जैसे ही मा को देखा, वो देखता ही रह गया. मा अब शरम से आँखें नीचे कर रही थी.

अशरफ: आ मेरी जान, कितनी बार मारोगी हमे?

मा: चलो अब चलते है.

रेहान: हा जल्दी चलो.

रेहान गाड़ी ड्राइव कर रहा था. मैं आयेज बैठा था, और मा और अशरफ बॅक्सीट पर बैठे थे. अशरफ अपना हाथ मा की उन नंगी जांघों पर रग़ाद रहा था. पर मा अभी भी नाराज़ हुई दूसरी साइड मूह करके बैठी थी.

अशरफ: सुनो ना जान, ये देखो पहाड़.

लेकिन वो कोई रिक्षन नही दे रही थी. अब हम सिटी से काफ़ी दूर आ गये थे, कही पहाड़ों पर. तभी अशरफ बोला-

अशरफ: किसी ढाबे पर रोक ले गाड़ी, भूक लगी होगी सब को.

ये सुन कर आयेज एक ढाबा था, वाहा रेहान ने गाड़ी रोक ली. मा के उतरते ही ढाबे वाले मा को घूर्ने लगे, क्यूंकी ऐसी गोरी गड्राई सेक्सी माल अगर टीन लड़कों के साथ ऐसे निकले, तो कोई भी घूरेगा. हम सब ने खाना ऑर्डर किया. वाहा का मलिक सुखविंदर एक पंजाबी 45-50 साल का आदमी था. वो बहुत स्ट्रिक्ट आवाज़ में बातें कर रहा था, जिससे उसके ढाबे पर कम भीड़ थी.

मा: बेटा मैं फ्रेश हो कर आती हू.

ये कह कर मा बातरूम में चली गयी. अशरफ भी मा के पीछे-पीछे बातरूम की तरफ चला गया.

मे: मैं देख कर आता हू.

ये कह कर मैं बातरूम के गाते पर चला गया. अशरफ मा के बातरूम से निकलते ही उसे बाहों में भर लिया.

अशरफ: मेरी जान तुम ऐसा क्यूँ कर रही हो?

मा: मुझे तुमसे कोई बात नही करनी

अशरफ: प्लीज़ ना सॉरी.

ये कह कर उसने मा को बाहों में पकड़ लिया.

मा: अभी यहा नही. ये लॅडीस वॉशरूम है. कोई आ जाएगा तो दिक्कत हो जाएगी.

अशरफ: कोई नही आ रहा यहा पर.

ये कह कर वो अपने हाथो से मा की चमकती गोल गांद मसालने लगा.

मा: प्लीज़ यहा नही, मानो बात मेरी.

अशरफ: तुम्हे ऐसे देख अब मुझसे नही रुका जेया रहा.

ये कह कर उसने मा की शॉर्ट जीन्स का बटन खोल दिया, और नीचे कर मा की गांद मसालने लगा. आज मा ने पनटी के जगह रेड थॉंग्ज़ पहना था, जिसकी एक लाइन मा की च्छेदों को धक रही थी. उसके होंठ मा को चूम रहे थे, और दोनो एक-दूसरे से मिल गये थे.

फिर उसने धीरे से थॉंग्ज़ सर्काय, और अपना काला लंड धीरे से डालने लगा. मा की आँखें बंद हो गयी. उसने मा के मूह पर हाथ रखा, और एक झटका मारा. मा की आँखों में आँसू आ गये थे. उसने दो-टीन शॉट्स ही मारे थे की पीछे से किसी ने मेरे कंधे पर हाथ रखा.

सुखविंदर: तू यहा क्या कर रहा है?

मे: जी मैं… कुछ नही.

तभी आवाज़ सुन कर मा और अशरफ अलग होने लगे सुखविंदर ने दोनो को देख लिया. मा जल्दी से अपनी जीन्स उपर चढ़ने लगी, और अशरफ अपनी पंत

सुखविंदर: ओये जल्दी आ छोटू, पकड़ सालों को.

ये कह कर उसने अपनी दुकान के छोटू को बुला कर अशरफ को पकड़ लिया. फिर वो बोला-

सुखविंदर: सालों तुमसे चुदाई बिना रहा नही जाता. नाम क्या है तेरा?

अशरफ: अशरफ, जी माफ़ कर दो (रोते हुए).

उधर मा के आँसू आ रहे थे. वो बहुत दर्र गयी थी.

सुखविंदर: ये तो सिंदूर लगा कर आई है. मुझे तो लगा था दोनो पति-पत्नी होंगे.

अशरफ: ये उसकी मा है, और मैं दोस्त.

सुखविंदर: आबे सेयेल इधर आ, जब तेरी मा चुड रही है, तू देख रहा है. (मा की तरफ देखते हुए) वैसे गर्मी तो बहुत है इसमे. मुझसे चूड़ेगी?

मा: प्लीज़ जाने दो, मैं वैसी नही हू.

सुखविंदर: पोलीस को फोन लगा देता हू फिर.

मा: प्लीज़ नही.

फिर उसने मा का हाथ पकड़ा, और उसको गले से लगा लिया.

सुखविंदर: आ क्या माल है. छोटू एक खाट ले आ अंदर.

खाट आते ही मा ने अपना त-शर्ट उतार फेंका. वो रेड ब्रा में थी, जिसे देख सुखविंदर पागल हो गया. वो मा को बाहों में पकड़ कर खाट पर लेट गया. मा उसकी बाहों में थी, और उसको किस कर रही थी. तभी मा ने उसके पाजामा को नीचे कर उसका लंड बाहर निकाला, और हिलने लगी.

सुखविंदर: ऐसे नही साली, छूट में डाल.

मा ने अपनी जीन्स का बटन खोल उसे उतार कर फेंक दिया. फिर अपना तोंग खिसका कर उसके लंड पर बैठ गयी. अब मा और सुखविंदर दोनो की आँखें बंद हो गयी थी. मा धीरे-धीरे उपर-नीचे करने लगी. थोड़ी ही देर में सुखविंदर ढीला हो गया. मा ने अशरफ की तरफ लाल आँसू भारी आँखों से देखा, और फिर सुखविंदर के लंड को चूस कर खड़ा करने लगी.

सुखविंदर: रुक तो जेया साली, तेरी फुददी में कितनी खुजली है.

उसका लंड खड़ा हुआ, और मा उस पर बैठ गयी. इस बार अपने चुचो को उसके चेहरे से लगा कर, अशरफ की तरफ देख कर, उसको चिढ़ते हुए अपने हाथो से खाट पकड़ कर, अपने छूतदों को ज़ोर-ज़ोर से उछालने लगी.

सुखविंदर: आराम से उफ़फ्फ़ आह. कितनी गर्मी है तेरे अंदर.

इतनी ज़ोर-ज़ोर से कूदने से खाट नीचा होता जेया रहा था. अचानक उसकी रस्सी टूट गयी, और उसका लंड पूरा अंदर घुस गया, और दोनो ज़मीन पर गिर गये.

मा: आह मा, उनम्म्म.

ये करते हुए मा उस पर गिर गयी. मा ने जैसे ही अपने छूट उठाई, उसका लंड पानी छ्चोढता हुआ निकल गया. दोनो बेजान हो गये थे. अशरफ ने एक गमछा उठा कर मा को लपेटा, और उसे गोद में ले लिया.

अशरफ: भाग जल्दी.

हम जल्दी से कार में आए, और स्टार्ट करके वाहा से निकल पड़े.

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