मे: और ख़ौँगी?
नंदिता: हा आज मैं तुमको ख़ौँगी.
मैने फिर उसकी सलवार नीचे से उतार दी थी. अब वो बस पनटी में थी. मैने भी अपनी लोवर और अंडरवेर निकाल लिया था. अब हम दोनो की बॉडी नीचे से गरम हो चुकी थी. नंदिता भी पुर जोश में आ रही थी. मैं उनकी पनटी के उपर से ही अपना लंड उसकी छूट पर रग़ाद रहा था.
फिर मैने उसको उपर से भी नंगा कर दिया, और एक बीते चॉक्लेट की ली, और अपने मूह में चॉक्लेट पिघला कर उसके बूब्स पर उगल दी. उसके बाद मैं उसके निपल्स को मसालने लगा.
नंदिता: आ सूरज बस, आ मा मज़ा आ रहा है.
मे: बस मेरी जान. आज ऐसे छोड़ूँगा, की सारी ज़िंदगी याद रखोगी.
नंदिता: हा लग तो रहा ऐसे ही है.
मे: फिर मैं भी नंगा हो गया, और उसके बूब्स को चूज़ जेया रहा था नीचे से. लंड का टोपा उसकी छूट की दरार पर रग़ाद रहा था.
नंदिता: आहा सूरज, बस अब तड़पाव मत. छोड़ो मुझे अब.
मे: अछा रुक जेया ना साली.
और उसके मूह में चॉक्लेट डाल दी. उसने 10 सेकेंड्स खाई. फिर मैने उसके मूह में उंगली डाली, और चॉक्लेट निकाल उस उंगली को उसकी छूट में घुसा दिया.
नंदिता: आहा मा सूरज, उंगली नही. अब कुछ और डालो बाबू.
और नीचे से गांद उठा कर उंगली पूरी छूट में लेने लगी.
मे: रुका जाओ आज रात बस.
और उंगली तेज़ कर दी.
फिर मैं बोला: चॉक्लेट मेरे लंड पर उगल दे.
उसने जब मेरा लंड देखा तो बोली-
नंदिता: मा क्या मस्त लंड है तेरा तो.
फिर उसने चॉक्लेट लंड पर उगल दी. मैने कॉंडम निकाल कर लंड पर चढ़ा लिया. फिर मैने एक बिग बीते चॉक्लेट की खाई, और सारी चॉक्लेट लंड पर लगा ली. उसके बाद नंदिता के दोनो हाथ पकड़ कर दबा लिया. उसकी लेग्स मोड़ कर फैला ली, जिससे छूट की दरार खुल गयी. उसकी छूट में से भाँप निकल रही थी. टोपा छूट पर सेट किया, और हाफ इंच अंदर डाला.
नंदिता: आ सूरज, पूरा डाल दो, फाड़ दो आ.
मे: ओक बेबी, तो लो ना.
और उसके मूह को अपने मूह में भर लिया, और ज़ोर का धक्का मारा. इससे सारा लंड उसकी छूट में उतार दिया.
नंदिता: आ (झटपटाने लगी).
मैने उसको ज़ोर से पकड़े रखा, और उसकी आवाज़ भी मूह में दबा कर रखी. उसने मेरे को अपनी लेग्स में जाकड़ लिया था. मैं फिर हल्के-हल्के धक्के मारने लगा. करीब 1 मिनिट बाद वो भी एंजाय करने लगी. मैने भी पकड़ हल्की कर दी.
नंदिता: आ हा सूरज, मार दिया था तुमने (और वो भी नीचे से गांद उठा कर छुड़वा रही थी).
मैं ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा. 10 मिनिट की चुदाई में दोनो को पसीने आ गये थे. उसने फिर रज़ाई हटा दी. इतनी ठंड में भी दोनो गरम थे. मैने फिर पोज़ बदल कर उसको उल्टा किया, और छूट के नीचे तकिया रख कर गांद थोड़ी उपर की. उसकी एक लेग सीधी और दूसरी मोड़ कर, फिर लंड छूट पर रख कर उसको छोड़ने लगा
मे: कैसा लग रहा है मेरी जान?
नंदिता: आ छोड़ो, आ खूब छोड़ो सूरज.
मे: हा.
कमरे में भी पच-पच होने लगी थी. वो भी अपनी गांद पूरी आयेज-पीछे कर रही थी.
नंदिता: आ सूरज!
उसका होने वाला था. अब मैने भी स्पीड तेज़ कर दी. मैने एक हाथ उसकी कमर पर, और एक से नीचे से छूट रगड़ने लगा. करीब 2 मिनिट बाद वो ढीली हो गयी थी, और मेरा भी अब होने वाला था. मैं भी पुर जोश में धक्के मारने लगा, जिससे अब उसको दर्द हो रहा था.
नंदिता: आ सूरज धीरे करो.
मैं उसके मूह को तकिये में दबा कर बोला: चुप साली.
करीब 1 मिनिट बाद मैं भी उसकी छूट में ही फ्री हो गया, और उसके उपर लेट गया. मैं करीब 2 मिनिट लेते रहा, और मेरा लंड भी सूख के छूट से बाहर आ गया था.
मैं फिर सेट हुआ, और तकिया पीठ पर लगा कर बैठ गया. नंदिता भी मेरे आयेज मेरी गोद में आ कर बैठ गयी थी. हमने रज़ाई उपर लेली.
नंदिता: आ बाबू, मज़ा आ गया आज. ई लोवे योउ (और मेरे को किस किया).
मैं तो उसके बूब्स को मसल रहा था.
नंदिता: बहुत एक्सपर्ट हो तुम तो इन सब में.
मे: तुम जैसी सेक्सी छूट हो तो अपने आप जानवर जाग जाता है.
नंदिता: अछा जी?
रात के 1 बाज गये थे. वो अब चॉक्लेट खाने लगी. चॉक्लेट की बीते हाथ से मसल कर मैं उसकी छूट की दरार पर रगड़ने लगा.
नंदिता: अया, ये क्या कर रहे हो?
मे: छूट को मीठा कर रहा हू.
नंदिता: क्यूँ?
मे: चाट के मज़ा आएगा मीठी छूट.
नंदिता: नही बॅस ये नही करना आ.
वो अब फिरसे गरम हो रही थी, और उसने छूट नही चाटने दी. मैं अब उसकी छूट रगड़ने लगा, और लंड से कॉंडम निकाल, गाँठ मार कर साइड में रख दिया. मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. मैं फिर उसके बूब्स और छूट रगड़ने लगा.
नंदिता: आ बाबू, बस करो ना अब.
और वो मेरे लंड पर अपनी गांद घिसने लगी थी.
मे: आ आ नंदिता करो, ऐसे ही करो (और मैने छूट की रगदाई तेज़ कर दी).
नंदिता: हा बाबू आहह (वो भी गांद तेज़-तेज़ रगड़ने लगी).
करीब 5 मिनिट तक ये कचला बाद में मैने उसको आयेज की तरफ धक्का दिया, और सीधा घोड़ी की तरह बिता कर लंड छूट में सेट करा. फिर मैने उसकी चुदाई करने लगा.
नंदिता: आ बस करो अब.
मैं उसके हाथ पकड़ कर छोड़ने लगा और उसको गालियाँ देने लगा. करीब 10 मिनिट बाद फिर वो फ्री हो गयी थी. उसको करीब 20 मिनिट छोड़ा मैने पोज़ बदल-बदल. बुत मेरा नही हो रहा था.
नंदिता: बाद अब और नही. तक गयी हू मैं सूरज.
मे: रुक ना साली.
और उसको सीधा लिटा कर उसकी चेस्ट पर बैठ गया. फिर ज़ोर-ज़ोर मूठ मारने लगा. करीब 3 मिनिट बाद मैने सारा माल उसके मूह पर गिरा दिया.
नंदिता: ची! ये क्या किया?
मे: बस हो गया अब जो होना था.
नंदिता उठी, और सलवार से उसने अपना मूह सॉफ किया. फिर उसने कपड़े पहने और चली गयी.
मैं भी बस डोर लॉक करके सो गया. उस दिन के बाद तो बस मैं वीकेंड पे बुआ के घर जाता, और रात भर नंदिता को पेलता, 2 या 3 रौंद, और फिर आ जाता.
सो फ्रेंड्स ये थी मेरी और नंदिता की चुदाई कहानी. आप मेरे को रिव्यू दे