बेटी ने बाप से ट्रेन में चूत चुडवाई

नमस्कार रीडर्स, मैं दृष्टि अपनी बाप-बेटी सेक्स कहानी का अगला पार्ट लेके आई हू. जिन लोगों ने भी अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो उसको ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा की कैसे मेरे मॅन में अपने पापा का लंड लेने की इक्चा जाग गयी, और कैसे मैने उनसे चूड़ने का प्लान बनाया. फिर मेरे प्लान के तहत हम दोनो मेरे एग्ज़ॅम के लिए दूसरे शहर जाने के लिए ट्रेन में बैठ गये. अब आयेज-

जिस कॉमपार्टमेंट में हमारी सीट थी, वहाँ हमारे अलावा कोई नही था. ये देख कर मैं बहुत खुश हो गयी. लेकिन मेरी खुशी ज़्यादा देर तक नही टिकी, क्यूंकी वहाँ एक फॅमिली (हज़्बेंड, वाइफ, और उनके 2 बच्चे) आके बैठ गयी.

उस आदमी से पापा की बात हुई, तो उसने कहा की वो रास्ते में ही उतरने वाले थे, और 1 घंटे बाद ही उनका स्टेशन आने वाला था. ये सुन कर मेरी खुशी फिरसे वापस आ गयी. अब मैं उनके जाने की वेट करने लगी.

उधर पापा ने मुझे चादर दी, और खुद चादर ओढ़ कर सोने के लिए लेट गये. हम दोनो की सीट्स उपर नीचे थी. पापा का मिड्ल बर्त था, और मेरा लोवर. पापा सो गये, और मैं उस फॅमिली के जाने की वेट करती रही. मैं एक मिनिट भी वेस्ट नही करना चाहती थी, और उन लोगों ने मेरा एक घंटा वेस्ट करवा दिया.

फिर एक घंटे बाद उनका स्टेशन आया, और वो चले गये. अब मैं पापा पर हमला बोलने वाली थी. मैं अपनी सीट से खड़ी हुई, और पापा को देखा. वो सोए हुए थे. फिर मैने उनके लंड की तरफ देखा. उनका काला लंड उनके पाजामे में दिख रहा था. उनका लंड आधा खड़ा हुआ था.

पापा के लंड को देख कर मेरे मूह में पानी आ गया. मैने धीरे से उनके लंड पर हाथ रखा, और उसको महसूस करने लगी. उनके लंड पर हाथ रखते ही मेरी छूट गीली होने लगी. अब मैं सोचने लगी की कैसे चुड़ू पापा से. उनको क्या बोलू वग़ैरा-वग़ैरा.

लेकिन फिर मैने सोचा की जो भी करू, रिज़ल्ट तो 2 ही होंगे. एक, की पापा मुझे छोड़ेंगे. दूसरा, की वो मुझे नही छोड़ेंगे. ये सोच कर मैने सब कुछ डाइरेक्ट करने का फैंसला किया. फिर मैने धीरे से पापा के पाजामे का नाडा खोला, और पाजामा नीचे कर दिया.

अब मेरे पापा का लंड मेरे सामने था. सबसे पहले मैने पापा के लंड की खुश्बू महसूस की. फिर मैने उसको चूमा, और धीरे-धीरे चाटने लगी. पापा गहरी नींद में थे, और अभी तक उनको कुछ नही पता था. लेकिन उनका लंड मेरे चाटने से धीरे-धीरे खड़ा होने लगा.

फिर मैने अपना मूह खोला, और पापा के लंड को अपने मूह में लेके चूसने लगी. अभी 40-50 सेकेंड्स ही हुए थे मुझे लंड चूस्टे, की पापा की नींद खुल गयी. जब उन्होने नीचे अपनी बेटी को अपना लंड चूस्टे देखा, तो वो हड़बड़ा गये, और जल्दी से सीधे हो गये.

पापा बोले: दृष्टि! ये क्या कर रही हो?

मैं: पापा जो आप देख रहे हो, मैं वही कर रही हू.

पापा: दृष्टि, ये ग़लत है! तुम मेरी बेटी हो.

मैं: पापा कुछ ग़लत नही है. मैं जवान हो गयी हू. मेरी छूट लंड माँगने लगी है. बाहर किसी के साथ संबंध बना कर रिस्क लेने से अछा मैं घर में ही संबंध बना लू. इससे घर की इज़्ज़त घर में ही रहेगी.

ये बोल कर मैं फिरसे पापा का लंड चूसने लगी. कुछ सेकेंड्स पापा की तरफ से पापा की तरफ से कोई रेस्पॉन्स नही था. लेकिन फिर वो आ आ करने लगे. मैं समझ गयी थी की मुझे पापा की मंज़ूरी मिल गयी थी. फिर पापा ने मेरे बालों में हाथ डाला, और मेरे मूह को अपने लंड पर दबाने लगे. वो मुझे चोक कर रहे थे, लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था. पापा नीचे से अपनी गांद भी हिला रहे थे.

कुछ देर लंड चूस-चूस कर मैने उसको पूरी तरह से चिकना कर दिया था. फिर मेरी और पापा की आँखें मिली. पापा अपनी सीट से नीचे उतरे, और हम दोनो गले मिल कर किस करने लगे. वो पागलों की तरह मेरे होंठ चूसने लगे, और मैं भी पुर जोश में उनका साथ दे रही थी. पापा ने मेरे बूब्स भी दबाए.

फिर पापा नीचे वाली सीट पर बैठ गये, और मेरी त-शर्ट उपर करके ब्रा में से बूब्स बाहर निकाल लिए. वो कपड़े उतार शायद इसलिए नही रहे थे, ताकि कोई हमे देख ना ले. फिर पापा मेरे बूब्स दबा-दबा कर चूसने लगे. उनके मर्दाना हाथ मेरे बूब्स को आचे से निचोढ़ रहे थे. मुझे दर्द और मज़ा साथ में आ रहे थे.

फिर पापा ने मुझे नीचे वाली सीट पर लिटाया, और मेरा फेस दीवार की तरफ करा दिया. उसके बाद वो मेरे पीछे लेट गये मेरे साथ, और हम दोनो के उपर चादर ओढ़ ली. वो सेफ्टी कर पूरा ध्यान रख रहे थे.

फिर उन्होने चादर में रहते हुए ही अपना पाजामा और मेरी लेगैंग्स उतार दी. अब मुझे उनका लंड पनटी के उपर से गांद में चुभ रहा था.

पापा अपना हाथ आके लाके मेरी पनटी में डाल दिए, और छूट सहलाने लगे. मैं तो पानी-पानी हो रही थी. फिर उन्होने मेरी पनटी नीचे की, और टाँगों से निकाल दी.

अब मेरी नंगी गांद उनके लंड को महसूस कर पा रही थी. मैं बाई तरफ मूह करके लेती थी. पापा ने मेरी डाई टाँग उठाई, और अपना लंड मेरी छूट पर रगड़ने लगे. मैं ज़ोर की आहें भरना चाहती थी, लेकिन पापा ने ज़्यादा आवाज़ करने से माना कर दिया था.

फिर उन्होने लंड का टोपा मेरी छूट पर सेट किया, और धक्का मारा. मेरी चीख निकली, लेकिन मैने अपने मूह पर हाथ रख लिया. फिर ऐसे 3-4 धक्के और लगे, जिसमे मुझे बहुत दर्द हुआ. अब मुझे अपनी छूट भारी हुई फील हो रही थी. लंड इतना मोटा और सख़्त था, जैसे कोई रोड हो.

लंड छूट में डाल कर पापा रुक गये, और मेरे बूब्स दबाने लगे. फिर जब मेरा दर्द कम हुआ, तो वो लंड अंदर-बाहर करने लगे. अब मुझे बहुत मज़ा आने लग गया था, और मैं भी गांद हिला-हिला कर लंड छूट में ले रही थी.

फिर पापा ने स्पीड बधाई, और ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगे. चुदाई से ठप-ठप की आवाज़े आ रही थी. मैं तो मानो जन्नत में थी. कुछ देर ऐसे ही पापा मुझे छोड़ते रहे. फिर वो मेरे उपर आए, और मुझे मिशनरी पोज़िशन में छोड़ने लगे.

आधे घंटे तक पापा ने मुझे छोड़ा. इस दौरान मैं 3 बार झाड़ गयी. फिर पापा ने अपने गरम-गरम माल को मेरी छूट में ही छ्चोढ़ दिया. बड़ा सुकून मिला मेरी छूट को. अपनी मंज़िल तक पहुँचने से पहले हम पूरी रात चुदाई करते रहे.

वहाँ से आने के बाद भी हमारा चुदाई का रिश्ता अभी तक बना हुआ है. दोस्तों मेरी बाप-बेटी सेक्स स्टोरी पर कॉमेंट ज़रूर करे.

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