डेरे वाले बाबा जी और सन्तान सुख की लालसा-4

मंगल पूजा की पैंटी नीचे खींच के उसकी गाँड मसलते हुए बोला, “तेरी माँ की चूत साली… और गालियाँ दूँगा तुझे, वही तेरी औकात है… चुदक्कड़ राँड… २-२ मर्दों से चुदवाती है और खुद को शरीफ समझती है… तेरी गाँड मारूँ रंडी साली… उन दोनों के साथ तेरी चुदाई की तस्वीर दिखाऊँ? वैभव तेरी गाँड मार रहा था… उस वक्त की तस्वीर मैंने देखी है… बोल दिखाऊँ वो तस्वीर रंडी?” अब पूजा समझ गयी कि इनको सब बातें मालूम हैं और ज्यादा नकारने से जसवंत शायद उसे कॉलेज से निकाल भी सकता है। पूजा ने अपने सीने से हाथ हटा दिए और अपना एक-एक पैर उठा कर मंगल को अपने पैरों से पैंटी निकालने में मदद की। अब पूजा सिर्फ अपने काले हाई हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और बहुत ही सैक्सी लग रही थी। जसवंत उसके मम्मे मसलने लगा और तब पूजा बेशरम होके बोली, “नहीं नहीं सर… मंगल जो कह रहा है सही है… लेकिन प्लीज़ आप यह बात मेरी माँ को मत बताना… मैं आपका सब कहा मानूँगी। ऊउउउउउम्म्म्म्म्‌म जऽऽऽऽसवंत सर… प्लीज़ आराम से मसलो ना… मैं आप दोनों के साथ सब करने को तैयार हूँ… लेकिन प्लीज़ मुझे दर्द मत देना।”

जसवंत और मंगल पूजा को छोड़ के जल्दी से खुद भी नंगे हो गये। उनके वो मोटे लम्बे लंड देखके पूजा को डर भी लगा लेकिन खुशी भी हुई। जसवंत पूजा के निप्पल से खेलते हुए बोला, “क्यों साली अब समझ में आयी हमारी बात? बहुत नाटक कर रही थी… अब सब अकड़ निकल गयी तेरी पूजा… या और कुछ बाकी है?” अब भी थोड़ी शरमाते हुए पूजा बोली, “नहीं सर… अब जो आप बोलेंगे वही होगा, अब मेरी तरफ से आपको कोई शिकायत नहीं होगी, लेकिन सर यह सब करने के बाद आप मुझे कॉलेज से तो नहीं निकालेंगे ना?” तभी पीछे से मंगल पूजा की गाँड के छेद को अँगुली से सहलाते हुए बोला, “क्यों साली रंडी… अब क्या सौदा करेगी? चुदक्कड़ छिनाल पहले तुझे जी भरके चोद लेने दे… बाद में सोचेंगे कि तेरे लिए क्या करना है… समझी?” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

पूजा मंगल के मुँह से ये गालियाँ सुनके शर्मा गयी। उसे कभी गालियाँ खाके चुदवाने की आदत नहीं थी क्योंकि राजेश और वैभव उसे प्यार से चोदते थे… पर आज एक चपड़ासी की औकाद का आदमी उसे बातों से बे-इज़्ज़त कर रहा था वो भी उसके प्रिंसिपल के सामने और जसवंत भी कुछ नहीं कह रहा था। इससे पूजा समझ गयी कि जसवंत सर को भी यह सब अच्छा लगता होगा। पूजा ने तय किया कि वो जसवंत सर को शिकायत का कोई मौका नहीं देगी और उन दोनों से जैसे वो चाहें वैसे चुदवा लेगी। वैसे भी उसे एक साथ २-२ लंड लेने की आदत थी। जब जसवंत उसके निप्पल चूसने लगा तो पूजा भी बेशरम होके उसका मुँह अपने मम्मों पे दबाते हुए आँखें बँद करके सिसकरियाँ लेने लगी। पीछे से मंगल उसकी गाँड को अँगुली से सहलाते हुए पूजा का हाथ अपने लौड़े पे ले गया। पूजा उसका गरम लंड सेहलाते हुए बोली, “मंगल तू मुझे छिनाल क्यों बोल रहा है? मुझे शरम आती है ऐसी गालियाँ सुनके… प्लीज़ मुझे गालियाँ मत दो।”

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मंगल अपनी अँगुली थूक से गीली करके आहिस्ता-आहिस्ता पूजा की गाँड में घुसाते हुए बोला, “अब ज्यादा नाटक मत कर रंडी, चुदक्कड़ साली… दोस्तों के साथ ना जाने कहाँ-कहाँ चुदवाती है और अब भी खुद को अच्छी लड़की समझती है? साली तू सिर्फ़ अब एक अच्छी राँड है और कुछ नहीं… आज के बाद तू सिर्फ़ हमारी रखैल बनके रहेगी। हमें पता है कि तू कैसी लड़की है समझी? इसलिए चुदासी रंडी अब अपनी नकली शरम छोड़ और दिल खोलके हमसे चुदवा ले और देख कैसे हम तुझे उन चूतिया लड़कों से ज्यादा माज़ा देते हैं।” जब मंगल ने उसकी गाँड में अँगुली घुसायी तो पूजा ने उसका लंड कस के पकड़ लिया। आगे से जसवंत उसके निप्पल चूसते हुए उसकी नंगी कमसिन चूत सहलाने लगा। पूजा अब इन दोनों मर्दों की हर्कतों से काफी गरम होने लगी थी। जसवंत और मंगल के कड़क हाथ और लंड उसे बेकरार कर रहे थे।

पूजा ने भी अब बेशरम होना बेहतर समझा और खुद ही जसवंत का लंड पकड़ लिया। अब पूजा एक साथ २-२ राजपुताना लंडों को सहला रही थी। वो दो मोटे-मोटे लंड पा के बड़ी खुश हुई। अब उसे डर सिर्फ़ इस बात का था कि कहीं इस चुदाई के दौरान उसकी माँ, आरती ना आ जाये। जसवंत के लंड को मुठ मारती हुई पूजा बोली, “ऊफ्फ्फ्फ…. सर कितना अच्छा लग रहा है आपका हाथ मेरे बदन पे। कैसा है मेरा बदन जसवंत सर? ऊईईई… माँआआआ… सर आपका लौड़ा तो राजेश और वैभव के लंडों से भी बड़ा है… मुझे दर्द तो नहीं होगा ना? सर मुझे डर इस बात का है कि कहीं हमे इस हालत में मेरी माँ ना देख ले, अगर हमारे इस खेल के दौरान मेरी माँ क्लब से आ गयी तो वो क्या करेगी पता नहीं… वो क्लब से शराब पी के आती है और नशे में उसे कुछ होश नहीं होता और काफी झगड़ालू हो जाती है”

जसवंत ने उसके मम्मे मसलते हुए उसकी चूत में अँगुली डाल दी और पीछे से मंगल अपना लंड पूजा की गाँड पे रगड़ने लगा। अपनी अँगुली से पूजा की चूत को चोदते हुए जसवंत बोला, “तू बड़ी हसीन और सैक्सी है… राजेश और वैभव तो क्या… तेरा यह जिस्म देख के किसी का भी इमान डोल जाये… देख… तेरी चूंची और चूत और गाँड कितनी खूबसूरत है… साली मेरा लौड़ा देख कैसे मसल रही है रंडी… मुझे मालूम है उन दोनों के लंड हमारे जितने लम्बे-मोटे नहीं हैं… आज तुझे असली लंड का मज़ा देंगे।” मंगल भी अपना लंड पूरी तरह पूजा की गाँड पे रगड़ते हुए बोला, “और सुन मेरी कमसिन छिनाल, हमें तेरी माँ से कोई डर नहीं लगता… उस कुत्तिया की चूत साली… तुझे चोदते वक्त तेरी माँ कितनी भी नशे में आये… या तो उसे हमारे लंड पसंद आयेंगे और वो खुद हमसे चुदवाने को तैयार हो जायेगी नहीं तो हम तेरी माँ का रेप करेंगे। वैसे तेरी माँ भी एक मस्त माल है… क्यों…? और नशे में होगी तो उसे चोदने में और मज़ा आयेगा।”

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मंगल के मुँह से अपनी माँ के लिए ऐसी बात सुनके पूजा शरमा गयी। उसे अपनी माँ के नाजायज़ सम्बंधों के बारे मे शक तो था पर उसे यह बिल्कुल नहीं पता था कि उसकी माँ इतनी चुदासी है कि कहीं भी किसी से भी चुदवा सकती है। अब दोनों मर्द पूजा को आगे पीछे से लिपटे थे। माँ के लिए गालियाँ सुनके भी पूजा आगे से जसवंत की अँगुली से चूत चुदवा रही थी और पीछे से मंगल का लंड अपनी गाँड पे रगड़वा रही थी। मंगल ने पूजा को फिर अपनी तरफ घुमाया और उसके मम्मे मसलते हुए चूसने लगा। पूजा भी उससे मस्ती से अपने मम्मे चुसवाती हुई बोली, “मंगल मेरी माँ के बारे में इतना गंदा क्यों बोल रहा है? मुझे शरम आती है उसके लिए ऐसी बातें सुनके।” मंगल उसके दोनों मम्मे चूसते हुए बोला, “छिनाल… उसके बारे में बात करता हूँ तो शरम आती है ना… तो तेरी माँ गयी चुदाने… तू बेशरम होके हमसे चुदवा… तेरी माँ आयेगी तो तब की बात तब देखेंगे। अब खुल के हमसे चुदवा और अपनी सज़ा कम करवा ले।”

फिर मंगल ने पूजा को सोफ़े पे बिठाया और वो दोनों पूजा के हाथों में अपने लंड पकड़ा के उसके सामने खड़े हो गये। पूजा दोनों के लंड सहलाते हुए बोली, “ऊफ्फ्फ्फ…. सर, आप दोनों के लंड काफी लम्बे और मोटे हैं… मुझे दर्द होगा… लेकिन कोई बात नहीं… मैं यह दर्द सह लूँगी। सर आज मेरा नसीब है कि २-२ तगड़े मर्द मुझे चोदने वाले हैं… लगता है कि आज मेरे बदन की खैर नहीं।” जसवंत पूजा के मम्मे मसलते हुए अपना लंड पूजा के चेहरे पे रगड़ने लगा और बोला, “तेरी माँ कि चूत में गधे का लंड… साली… रंडी… तू २-२ लंड से चुदवाती है… तुझे दर्द नहीं होगा। तू तो कमसिन छिनाल है… साली २-२ मर्दों से चुदवाती है राँड… आज हम दोनों तुझे रंडी की तरह चोदेंगे… क्यों मंगल सच बोल रह हूँ ना मैं?”

पूजा ने बिना बोले जसवंत का लंड पकड़के चूमा और आहिस्ता-आहिस्ता मुँह में लेके चूसने लगी। धीरे-धीरे करके पूजा अब जसवंत का पूरा लंड चूस रही थी। बीच-बीच में वो जसवंत की गोटियाँ भी चूस रही थी। जसवंत भी मस्ती में पूजा का मुँह चोदने लगा। तब पूजा दूसरे हाथ से मंगल का लंड हिलाने लगी और मंगल उसके मम्मे मसलने लगा। जसवंत का लंड चूसके उसे और कड़क बना के पूजा बोली, “ओह सर मुझे आप बहुत अच्छे लगते थे और मेरी तमन्ना थी कि आपसे चुदवाऊँ लेकिन कभी हिम्मत नहीं हुई आपसे वैसी हर्कत करने की। यह मंगल आते-जाते मुझे छूता तो था लेकिन मैंने इसे लिफ्ट नहीं दी और आज मैं आप दोनों से चुदवाने जा रही हूँ। सर अब आप दोनों अपने-अपने लौड़े मेरी चूत, मुँह और गाँड में डालके मुझे चोदो और अपनी रंडी बनाओ।” इस कहानी का शीर्षक ’आरती की वासना’ है!

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