डेरे वाले बाबा जी और सन्तान सुख की लालसा-2

आरती कि बात सुनके जसवंत खुश हुआ और एक हाथ से आरती की कमर पकड़ के और दूसरे हाथ से उसके मम्मे ज़ोर से दबाते हुए लंड आरती की गाँड में घुसाने लगा। जैसे ही जसवंत का लंड आरती की गाँड में घुसा तो आरती दर्द से छटपटाती हुई ज़ोर से चिल्लाने लगी, “आआआआआआहहहहहहह ज़अ… सवंतऽऽऽ रह…म खाआआ…. मेरीईईई गाँड गयीईईईई….। बहुत दर्द हो रहा है… प्लीज़ लंड निकाल मेरी गाँड से।” आरती यह भी भूल गयी कि वो कॉलेज में है और कोई उसका चिल्लाना सुन सकता है और वही हुआ। आरती का चिल्लाना तब मंगल ने सुना और आ के दरवाजा नॉक करते हुए बोला, “सर, क्या हुआ? वो पूजा की माँ क्यों चिल्ला रही है? कोई तकलीफ है क्या?” मंगल वैसे एक हरामी मर्द था। कॉलेज की कम्सिन लड़कियों को बड़ा छेड़ता था और कई लड़कियों को चोदा भी था उसने। आज आरती को देख के उसका भी लंड खड़ा हुआ था। उसे यह मालूम था कि जसवंत आरती को चोद रहा था, क्योंकि उसे जसवंत का रंगीन मिजाज़ मालूम था। उसने सोचा कि हो सके कि उसे भी मौका मिले आरती को चोदने का।

मंगल की आवज़ सुनके आरती डर गयी लेकिन जसवंत बिंदास था। मंगल ने दरवाज़ा खटखटाया तो जसवंत ने आरती की गाँड से लंड निकला और नंगा ही, कौन आया है देखने चला गया। गाँड से लंड निकल जाने से आरती को कुछ राहत मिली। आरती वैसे ही नंगी टेबल पकड़ के झुक के खड़ी रही। जसवंत ने नंगे ही दरवाज़ा खोल के मंगल को देखते हे उसे अंदर बुला के दरवाज़ा बँद कर दिया। मंगल ने अंदर आके देखा कि जिस औरत को उसने सज-धज के आते देखा था वो औरत अब सिर्फ सफ़ेद रंग के ऊँची हील के सैंडल पहने बिल्कुल नंगी जसवंत साहब की टेबल पे कुत्तिया जैसे झुकी खड़ी है, उसके बाल थोड़े बिखर गये हैं, बिंदी गायब है और सिंदूर भी माँग में थोड़ा फ़ैल गया है। मंगल समझ गया कि जसवंत साहब आरती की गाँड मार रहे थे और उसी दर्द से आरती चिल्ला रही थी।

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आरती मंगल को देख के अपना सीना दोनों हाथों से ढकते हुए बोली, “जसवंत यह क्या है, मंगल को अंदर क्यों बुलाया तूने? प्लीज़ उसे बाहर भेजो, मुझे शरम आ रही है। जसवंत प्लीज़, ऐसे मुझे दूसरों के सामने बे- इज़्ज़त मत करो” आरती खड़े हुए बहुत शरमा रही थी बल्कि शरमाने का नाटक कर रही थी। आरती फिर आँख के इशारों से जसवंत से बोली कि मंगल को बाहर भेज दे। जसवंत ने आरती की बात पर ध्यान ना देते हुए आरती को पीछे से पकड़ कर फिर से झुका दिया और अपना लंड उसकी गांड पे रख के बोला, “मंगल आजा, देख आज यह नई चूत मिली है, मै आरती की गाँड मारता हूँ… तू इसके मम्मे मसल के साली का मुँह चोद अपने लौड़े से। तू क्या समझती है साली… मैं ऐसा मौका जाने दूँगा? तू मेरी रंडी है तो जिससे चाहूँ तुझे चुदवा दूँगा… छिनाल… तु ही अकड़ के बोल रही थी ना कि एक लंड तेरे लिए बहुत नहीं है… तो ले अब दो लंड एक साथ मिल गये तुझे…। चल मंगल इस रंडी की चूचियाँ मसल।”

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