नमस्कार. सुक्रिया पिछली स्टोरी पसंद करने के लिए. ये पूरी कहानी की सीरीस मेरे सात जो हुआ उसके बारे मई है.
मिड्ल क्लास की फॅमिली से है तो हमारा इश्स घर का नक्शा जान लेने ज़रूरी है. अटीटिकट समय के लिए सुक्रिया.
इश्स घर मे अब जहा हम थे 3 साल पहले सिर्फ़ ओनर का पूरा परिवार रहता था. जहा हम है वाहा उनका बेटा आराव रहता.
लड़का सीडा था और तब वर्जिन भी तो भौत मूत मरता. पड़ाई ख़तम कर काम जाय्न किया था और तब मेरी उमर 17 की थी और हम उसे चिड़ते हहा.
उनकी बाड़ी बेटी सृटि की शादी हो गयी अब करीब 3 साल बीता है और बाकछे नही थे (हा हो जाएँगे पता है बाद मे).
उनकी शादी के बाद सब दूसरे घर चले गये और वाहा एक साल तक कोई नही रहता फिर अचानक उनके बाड़ी बेटी और बेटा अक्सर आते और कुछ 1 घंटे रुक के चले जाते. सबको लगा उनका घर है तो देख के जाते होंगे समान वही था. मेरा घर उसी गली के अंत मई था वो बिना बात किए चले जाते.
उसके बाद कुछ महीनो मई पापा को लगा इंडिविजुयल घर है तो रिक्वेस्ट प्र हमे किराए पे मिल गया.
इश्स घर पे आते हे 3 महीने मई सुरनीटा को उनके घर के छत पे चुदाई करी थी उसका क्रेडिट इन दोनो भाई बहें को दूँगा;
पहला दिन. घर डेड एंड वाली गली थी आयेज. बाजू और पीछे बिल्डिंग. मई वर्जिन था तो धुक इश्स बात का था के किसिका भी दरवाज़ा या कमरे की खिड़की हमारे घर की तरफ नही है कोई लड़की नही दिक्ट्ी.
कुछ समय तक मई खुद सोच मई पद गया था. क्यू?जो खिड़की थे उचाईयो पे बेकार थे बातरूम के.
हमारे छत पे एक वॉटर टांक जिसमे नाल जुड़ा था. बिल्कुल बाजू मई दो दीवार 5 फ्ट तक का उछा और 5:5 फ्ट का चौड़ा होगा. कोने पे कुछ बोर्ड के लंबी टुकड़े और कुछ पट्तर रखी हुई थी.
शायद वाहा कुछ बन रहा था पर बनाया नही. बाजू वेल छत से हमारा छत धिकता 1 मंज़िल उप्पर का घर है. यूयेसेस बिल्डिंग की कुछ भाभीया. औंतिया कपड़े सुकाने आती और चली जाती.
सूरज 9 से 12 के बीच और रत मे चाँदनी लाइट्स घर के सामने था तो अंडरा हे रहता छत पे.
हमारा कमरा 1भक है पर कमरा बाड़ा था अंदर स्नान घर हीटर के सात और घर के बाहर बे एक बातरूम था. कमरे मई एक खिड़की थी पर रोशिनी आती नही वाहा से.
अभी करीब हमारे आने के 5 से 6 महीने बाद उनके बेटे को उनकी पापा के रेफरेन्स से कोलकाता नौकरी मिली थी तो चला गया पर उनकी बाड़ी बेटी आती रहती बहुत धुकी(डिप्रेस्ड)रहती तब हम उनके कम आए थे. (हा ज़रूर उनकी कहानी आयेज बतौँगा).
कहानी पे वापस आते है. चाची अब पहले से ज़दया घर पे आने लगी थी 4 से 5 दिन यही रहेती. मा और चाची खुश दिन बार हेस्ट रहेती.
छोटी बहें रेका मेरे साथ आरती को डेक छिड़ जाती और मेरे सात बैट के ज़बरदस्ती हस्ती हमरी बतो पे.
मई रेका की तरफ ख़ास्स ध्यान नही दिया क्यू की मई आरती की छूट छोड़ने महेनट कर रहा था. अभी तक पूरा छोड़ नही पाया था और आरती बे दर के वजा से नही चुड़वति.
रेका दिकने मई अपने बहें के टक्कर की थी गोरी. उसके आरती से बे थोड़े फूले हुए चूचिया और गांद के उबर थे उसे कमर मटक थे डेक बहुत लौंदे मूत मरते होंगे उसकी फ्लॅट पायट और ज़ीरो का कमर. डेक्ते हे कोई बे उसे छोड़ना छाए पर मई भाव हे नही दे रहा था.
कही बार लगा मई डेकू इश्स लिए रेका जीन्स या फ्रॉक्स पहेंके आती और मेरे सामने मतकते हुए चलती.
मई एक शाम आरती की गंद रेका के सामने दबाया. लडो खेलने बुलाया और रेका मूज़े घूर्ने लगी.
मा और चाची भाभी और भैया मेरी दूसरे चाचा के बेटे उमर मई करीब 8 साल बादे और भाभी 3 साल बाड़ी उनके बारे मई बात कर रहे थे और हम खेलने लगे.
मा:अरे सुना वो सेतु(भाभी) और लोकन(भाई) के बीच फिर जगड़ा हुआ.
चाची:केतन(लोकन भाई के छोटे भाई)केतु की बे अभी शादी हुए है ना कही इश्स वजा से तो नही. लोकन क्या बोल रहा है.
तबी आरती ने खेलते हुए मूज़े आंक मारी और तोड़ा अपना दुपटा नीचे सरकया. मई गोरे मोमबे डेक्ते हुए अपने लंड पे एक तकिया रखा तो रेका भी मेरी तफर डेक के मुस्कुरा रही थी.
मा:राज के पापा को कॉल किया था. लोकन और सेतु अब अलग घर बनाएँगे और इन के पापा ने बोला है की हमारे पास डुंड लेंगे.
चाची:अक्चा है पर यहा ब कोई बबल ना खड़ा कर दे.
रेका और आरती के बीच कुछ मज़ाक हुआ तो हंसते हेस्ट रेका अपना दुपटा अड्जस्ट करने लगी और मूज़े उसके गोरे चिकनी चुचियों का उभर दर्शा हुए इसका कट आरती से भी अक्चा और गहरा था चिपके हुए थे.
मई उसे डेक्ता हे रहा गया और आरती ने पिल्लो लेके मेरे मूह पे मारा. ‘उंगली से इशारा किया खेलो’ फिर समाज गया क्यू और हासणे लगे और गुस्सा भी.
ग़मे ख़तम हुआ सब खाना खा लिए और मा और चाची अपने रेग्युलर प्लेस पे बाते करने लगी और हम रूम के अंदर गये.
दो नये बिस्तर थे जो सृटि ने पिछले हफ्ते गिफ्ट किया मेरे लिए पर पापा और मा हैरान थे इतने महेंगे बिस्तर क्यू. (हा बता है तुम लोग बे यही सोच रहे हो सायं रको)
एक के उप्पर एक रखा था उसे बिछाया और उसके अप्पर पुराने दो सिंगल बेड पापा और मा सोते उससे साइड कर दिया.
जो बिस्तर दिए था उसमे स्प्रिंग नही था फिर बे गंद दबाता और वो उछा उछालता और सब हेस्ट. ये बिस्तर छोड़ने के काबिल था.
मई:वो मेरी जघा है.
रेका:आज मई यहा सोहू. प्लीज़.
मई:थोड़ी देर बाद मान गया और अंडरा कर दिया.
हमेशा की तारा मई बिना अंडरवेर मे सोया और आरती की होतो को चूमते हुए चूचिया दबाने लगा. रेका मुजसे पीछे से किचा और मेरे कंडे पर सर रखा. आरती बे उसे कुछ नही बोली. मई बस उसके सर पे चूमा और पकड़ के लेता रहा.
थोड़ी देर मई चाची की पायल बजने लगी तो सब अलग हुए. मा पायल नही पहनती घर के अंदर.
मा:उतो राज ये कैसे सोया है मई. रेका और आरती एक कंबल के अंदर.
चाची:कोई बात नही सोने दो (काबी काबी लगता उनको पता तो नही और उनकी मदद से इतना दूर आ पाया हू).
मा कुछ नही बोली और फिर पापा आए सब सो गये चाचा कम से रत को बाहर रहते है. अगर वो होते तो गलिया पड़ती पर पापा को माना लिया.
रत के अंडरे मई मेरी आंक खुली तो सामने रेका का गोरा मूह मेरे सामने था. अप्सरा लग रही थी.
उसके कन के पास बाल हटते हुए मई बस उसे बहुत देर तक निहारता रहा और बिना सोचे रेका का सर चूमा और होतो को चूम लिया तो वो हिली और नींद मई दूसरी तरफ घूम गयी.
मई आरती क तरफ घूम गया. हम हमेशा के तारा एक दूसरे का रस निकला और फिर पलट के वो सो गयी.
सुकून मैइसुस करने लगा के तबी रेका पीछे से छाती पे हट राक चिपक के सो गयी.
मूज़े लगा वो नींद मई है और चुप छाप सो गया.
अगले दिन सुबे टॉवल ऑड के यूटा और सब चले गये और फिर शनिवार के शाम वापस आए मई देखा आरती यूयेसेस दिन वाली सेम छुरीदार पहनी हुई और रेका फ्रॉक पहनक्र् दोनो मटक थे मूज़े डेक्ते हुए आ रही थी रेका की चिकनी टाँगे चमक रही थी.
पर मई आज बे आरती को छोड़ने का प्रतिगया लिया और चुपान चुपाई खेलना सुरू किया. आरती को लेके सीडा बगल वाली बिल्डिंग के सीडीयो के नीचे छोटा सा समान रकने का जघा था वाहा ले गया.
आरती को जाते हे पेचए से झुकाके चूचिया दबाते हुए उसकी लेग्गीन नीचे किया और जीब से थूक लिया और मेरी लंड पे लगाया. तबी रेका आके भैया आरती पकड़ी गयी आरती तुम आउट और अब आप बे आउट. हमे पकड़ने पर उसके चेहरे पर अजीब मुस्कान थी और मेरा लंड घूर्ने लगी.
सच मई पता नई उसे ये जगा कैसे पता चला क्यू की आज था डुंड नही पाए थे हमे यहा. हम खुद आउट हो जाते अपना काम ख़तम करके.
मई आरती की तरफ डेका. धुकी होने लगा.
आरती:सब को जल्दी पकड़ लूँगी और काउंट करने लगी.
रेका हर बंद मुस्कुरा रही थी.
मई गुस्से से भगा तो मेरे पेचए रेका चुचियों को उछाल थे हुए मेरे सात बिल्डिंग के छत पे आ गयी. ये जघा सबसे हाइट वाली और किसी का बे बिल्डिंग इतना उछा नही था. प्लान पहले रेका या छोटे भाई को पकड़ के मूज़े पकड़ ना था पर रेका तो मेरे सात थी.
छत से मई झाँका तो आरती अब तक किसी को पकड़ नही पाई तबी उसने सर उपर छत के तरफ डेका तो रेका नई मूज़े पीछे किंचा और मई उसके उप्पर घिर गया.
उसकी फ्रॉक उसके गोरे जानोगो तक आ गये थे.
मई उसकी टॅंगो के बीच बिल्कुल छूट पे लंड रखा. दोनो गरम आहे भर रहे थे.
हम एक दूसरे को देकने लगे मई उतने की कोशिश किया तबी रेका ने मूज़े पीट से पकड़ और मेरी होतो को जात से चूमा. मई ढंग रह गया.
मई:यह क्या था.
वो फिर अपनी होतो को मेरे होतो पे रेक गुटनो को मेरे उप्पर मोड़ लिया मूज़े उसने पूरा पकड़ लिया. हम दोनो बहुत गरम हो चुके थे.
चुचियों को कपड़ो के उप्पर और मसालने लगा.
रेका:उम्म आ भैया आराम से दोनो इतने भूके और घरम थे के बस एक दूसरे मई समा जाना चाहते थे.
थोड़ी देर बाद यूटा और उसकी पनटी खोला पूरा सॉफ कुवारि छूट धेका तो पागल हो गया वो शरमाने लगी. वो वैसे हे लेती रही मूज़े अजीब लगा क्यू के मैने सुरनीटा और आरती के नाकरे देके थे.
मई बिना टाइम ज़ाया किए उसकी छूट पे अपना मूह राका इतनी मुलायम छूट से रस चूसने का मज़ा आ गया बहुत नमकीन रस भरा था.
रेका बस मेरे सर पकड़ के उम्म्म उम्म्म हा अहहा. . . भैया आ बहुत अक्चा लग रहा है आ अहहा. . . बोलते हुए टॅंगो से मेरा सर जाकड़ के मेरे मूह पे रस के जटके निकल दिए. कूवती छूट का रस स्वाद अलग हे होता है.
फिर मई अपना लंड निकाला थूक लगाया और उसके कुवारि छूट पे राक आराम से धक्का देने लगा तो आड़ा तक घुस गया वो एक आ भैया धार्ड हो रहा है के आवाज़ से तोड़ा चिल्ला उटी डेका तो तोड़ा खून निकला.
थोड़ी देर रुका ये तीसरा छूट है जिसमे मेरा लंड गुस्सा पर एसा पहला छूट जिसस पे एसा महसूस हो रा था के छूट के दीवारो पे पूरा रस मूज़े अपने अंदर बुला रहा हो. तोड़ा तोड़ा अपने आप गुस्स रहा था जैसे चुंबक किंच रहा हो.
रेका:अफ अफ आराम से करो भैया. . .
उसकी छूट बोहुत गरम और रस से भरा गया. रोक नही पाया तो धक्के के जगा लंड दबाया आराम से घुस्स रहा था के मूज़े जन्नत की सवारी लगी. उसकी छूट ने ठोस पकड़ बना ली लंड पे और पूरा अंदर घुस गया.
रेका मूह पे हट राक अपनी आवाज़ दबा दी दूसरा हट से मेरे बाल ज़ोर से किंचा मई चिल्ला पड़ा और दर्द के कारण छूट से हट गया वो बहुत सहें की बेचारी के आँसू निकले तो वो पे लिया.
मई तो थोड़ी देर भूल हे गया आरती के बारे मई क्यू की रेका की छूट किसी को बे भुला दे एसा छूट था. उसकी छूट से निकला खून मई खुद सॉफ किया.
मई:थोड़ी देर दर्द रहेगा फिर मज़ा आएगा और उसके सर पे चूमा दोनो गले लग के. फिर उसके तंगू को हट से लिया और छूट मे गुस्साया हल्की आ की आहे निकली.
अबी तोड़ा दर्द था फिर मूज़े डेक थे हुए धक्को के सात उम्म उम्म. . . भैया आप कितने प्यारे हो कितना ख्याल रक्ते हो आप से बहुत प्यार करती हू. . कहते हुए आह आ के आहे भरने लगी और उसके पायल की झंकार छान छान और धक्को से छाप छाप की आवाज़ होने लगी. इतनी रासली छूट और आवाज़ से बस मज़ा आ रहा था.
रेका:धक्के लगते हुए. . हा मई बे तुज से बहुत प्यार करता हू और मेरी प्यारी बहें का ख़याल नही रकुँगा तो किसका रखूँगा. . बोलते हुए उसके पैर के अंगउता चोसा. शायद उसको बिजली लगा.
तबी आरती की पायल के आवाज़ आई धोड़ के आ रही थी.
रेका की छूट से निकाला और उसने पनटी उप्पर किंचा अपना शॉर्ट्स उप्पर किया और दोनो अलग कोने पे बैट गये.
वो मुजको डेक शर्मा रही थी. तबी आरती ने मूज़े और रेका को पकड़ लिया.
हम बाहर निकले तो आरती ने मेरा खड़ा लंड डेका और मुस्कुराने लगी.
आरती:रेका तुम जाओ हम आते है इडार कम है.
रेका:क्या कम दीदी (एसा लग वो जलन से बोली हो).
मई:नही चलो चलते है
आरती:क्या? पक्का जाना है.
मई:हा(इश्स जवाब से रेका खुश हुए)आज उसका दिन था.
वाहा से निकल गये तो मई सीडा बातरूम गया और हल्का गीली लंड हिलाके कम चला लिया बहुत दीनो बाद आरती ने नही मैने अपने हटो से खुद रेका को सोचके हिलाया था.
आरती को अब तक नही छोड़ पाया था. लकिन इश्स समय के लिए मई सिर्फ़ रेका का चेहरा वो पायल के छम छम को याद कर रहा था अलग नशा था उसमे.
मूज़े अब आरती के सात रेका से बे बोहट ज़दया प्यार होगया था.
अब मई रेका का अधूरा प्यार पूरा करना चटा था. आयेज की कहानी अगली पार्ट मई बतौँगा.
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