कॉलेज की मेडम को लंड की तलब लगी

मैं दीप्ति राजपूत. मैं मेरी रियल स्टोरी कन्फेस करना हमेशा से चाहती थी. तो ये साइट बहुत अची है. अब मैं 29 की हू. मेरी पहली चुदाई तब हुई थी, जब मैं 21 की थी. मेरे ब्फ आफताब पहले फ्रेंड बनने के बाद ब्फ बन गये, और मेरी वर्जिनिटी लूस की. अब उसके बाद की स्टोरी बताने जेया रही हू.

अब मेरी फिगर 36-30-34 है. जब मैं 21 की थी, तब मेरी फिगर 34-28-32 थी. अब स्टोरी पे आती हू.

तो मेरी पहली चुदाई कुछ ऐसी हुई थी की मैं बहुत रोई थी, और आख़िर में थोड़ी अची लगी थी. बुत मैं सेक्स की दीवानी नही थी. मेरे ब्फ उस दिन के बाद थोड़ी नॉटी टाइप के चाटिंग करते थे. बुत मैं उतना नही करती थी.

कॉलेज में आस आ टीचर जाय्न किए हुए मुझे कुछ ही मंत्स हुए थे. और कॉलेज के मेरे स्टूडेंट्स मुझे घूरते रहते थे. बुत मैं ये सब नोटीस नही करती थी, बस इग्नोर करती थी, और सब के साथ स्ट्रिक्ट रहने की कोशिश करती थी.

ऐसे ही कुछ दिन चलता रहा. फिर एक दिन ब्फ को मैं डाइरेक्ट बोल दी की-

मैं: देखो आफताब, तुम अगर हर वक़्त ऐसी गंदी छत करने की कोशिश करोगे, तो मैं आप से बात नही करूँगी.

आफताब तब बोले: अछा बेबी सॉरी. बुत यार आज कल तुम मिलने से क्यूँ माना कर रही हो?

मैं: जी सच बोलू?

आफताब: हा बोल.

मैं: नही तुम बुरा मान जाओगे जी.

आफताब: नही मानूँगा, प्रॉमिस.

मैं: पिछली बार जब मिले थे, तब तुम मेरी चुदाई ऐसे किए थे, की मुझे दर्र है की तुम फिरसे छोड़ ना दो.

आफताब: हा हा हा हा, तो ये बात है. नही बेबी मैं ऐसा बिल्कुल भी नही हू. मैं तेरे दिल से प्यार करता हू ना की तेरी छूट से.

मैं: सच?

आफताब: हा मच, चल ना कल मिलते है.

मैं: ओक जी, मुझे भी तुम्हे बहुत सी बातें बतानी है.

आफताब: ओक कल शाम को पार्क में.

अगले दिन कॉलेज में स्टूडेंट्स के क्लासस ख़तम करके मैं दोपहर 3 बजे फ्री हो गयी थी, तो मैं चली गयी पार्क. आफताब भी आ गये थे. फिर बैठ कर थोड़ी सी कॅषुयल कॉन्वर्सेशन हुई.

उसके बाद आफताब बोले: और दीप्ति, तुम तो कल बोल रही थी की बहुत सी बातें बतानी है, बोलो.

मैं: वो क्या है ना कॉलेज में मेरे स्टूडेंट्स सब मुझे घूरते रहते है. मुझे ऑक्वर्ड लगता है जी. और तो और जेंट्स टाय्लेट के दरवाज़े पर कोई गोल-गोल 2 बड़ी बॉल्स बना के लिखा है की दीप्ति माँ के दूध (2 लिटेर पेर दे).

आफताब बहुत हासणे लगे, और हेस्ट ही रहे.

वो बोले: तेरे बूब्स छ्होटे भी तो नही है. कोई भी पहली मुलाक़ात तेरे से करेगा ना, तो वो तेरे बूब्स को हमेशा याद रखेगा. इसमे तेरे स्टूडेंट्स की कोई ग़लती नही है. नैन इसमे कुछ नही कर सकता.

मैं: तो क्या आप कोई भी सलाह नही देंगे मुझे?

आफताब: ना, कॉलेज के मामले में मुझे पड़ना ही नही. और तेरे को क्या प्राब्लम है? हमेशा की तरह नॉर्मल बिहेव कर ना कॉलेज में

मैं: ओक.

फिर वो बोले: सुन आज मेरा कुछ काम है, कल मिलते है.

मैं: ओक.

वो मेरी सारी बातें सुने ही नही जो प्राब्लम मैं कॉलेज में फेस करती थी.

बीटीयौ कॉलेज में प्रॉब्लम्स ये थी, की मैं जिस ब्रांच (मेटाल्लूरगे) के स्टूडेंट्स को पढ़ती थी, उस ब्रांच में गर्ल्स बहुत कम पढ़ती थी, और बाय्स ज़्यादा होते थे. सो क्लास की टोटल स्ट्रेंत थी 65. इनमे से गर्ल्स 3 थी और 62 बाय्स.

ये 3 गर्ल्स लुक वाइज़ आवरेज दिखती थी, तो कोई भी लड़के लोग उन लड़कियों में इंटेरेस्ट नही देते थे. सो सब बाय्स मुझे ही घूरते थे जब मेरी क्लास होती थी. कोई-कोई फ्लर्ट भी करता था. एक बार की बात है. इंटर्नल एग्ज़ॅम के रिज़ल्ट्स आए थे, तो मैं सब को उनका पेपर दे रही थी.

उस दिन मैने सारी पहनी थी. मेरी क्लीवेज 25% दिख रही थी, और मेरी 2 मोल्स भी विज़िबल हो रही थी, जो मेरी क्लीवेज में है. तो एक स्टूडेंट मेरे पास आ कर बोला-

स्टूडेंट: माँ आपने मुझे कम मार्क्स दिए है चेक करिए.

उसे देख के और भी बहुत से बाय्स आ गये, और मेरे चारो तरफ सब खड़े थे. तो मैं सिन्सियर्ली सब का पेपर देख रही थी. फिर मैने नोटीस किया, की सब मेरी क्लीवेज देख रहे थे. तो मैने सारी के पल्लू से थोड़ी सी धक दी.

फिर मैं पेपर देखने लगी. उसी बीच पता नही कोई लड़के ने मेरी पीठ पीछे ब्लाउस के उपर से मार्कर पेन से लिख दिया था “सेक्सी”. तब मैने अपने हेर को उपर करके बाँधा हुआ था. मुझे ये पता ही नही चला क्यूंकी मैं पेपर देख रही थी, और बहुत शोर भी था.

फिर कोई लड़का पीछे से मेरे ब्लाउस के 2 हुक खोल दिया. सडन्ली मेरा ब्लाउस बूब्स के नीचे तोड़ा स्लिप हो गया, और मेरी ब्लॅक ब्रा आधी विज़िबल हो गयी. मैं तुरंत खड़ी हुई, और क्लास के बाहर चली गयी.

बाहर मैं अपना ब्लाउस ठीक की, और मुझे तोड़ा सा शक हुआ की कोई मेरा ब्लाउस खोला होगा, या तो हुक ठीक से लगे नही होंगे. फिर मैं अंदर आई, और सब को बोली-

मैं: सब अपना-अपना पेपर दो. मैं रे-चेक करके कल सब को लौउटौँगी.

फिर एक दिन दूसरी ब्रांच का कोई बिगड़ा हुए लड़का मुझे बोल रहा है की-

स्टूडेंट: माँ, कभी हमारे क्लासरूम में आइए ना.

मैं: क्यूँ?

वो बोला: आपके जैसा यंग टीचर हो तो अछा लगेगा पढ़ने में. वैसे आप ना 18-19 साल की लगती हो.

मैं: मैं 21 की हू.

वो बोला: आप तो मुझसे 5 साल बड़ी है माँ.

मैं: हा.

वो हल्की सी आवाज़ से बोला: और आपके दूध भी बड़े है.

मैं: क्या बोले!

लड़का: कुछ नही माँ, वैसे आपके क्लासरूम में आपकी ब्लाउस खुल गयी थी.

मैं थोड़ी गुस्से वाले एक्सप्रेशन में: शूट युवर मौत.

लड़का: अर्रे सॉरी माँ सॉरी, गुस्सा मत होइए.

फिर मैं गुस्से से जेया रही थी, तो वो मेरी कमर पर हाथ साइड से टच कर दिया. तब ऐसा लगा की उसने जान-बूझ कर नही किया हो, और ग़लती से हो गया हो. फिर ऐसे ही कोई क्लास रूम के 1स्ट्रीट बेंच वाला अपनी पंत से लंड निकाल कर रख दिया था, ताकि मेरी नज़र उसके लंड पे पड़े. वैसे छ्होटा लंड ही था उसका.

फिर कभी-कभी कोई कॅंटीन में जान-बूझ कर मेरी ही टेबल पे बैठता है, और टेबल के नीचे मोबाइल का कॅमरा ओं करके मेरी नेवेल का पिक्स ले रहा था. इसी बीच ब्फ सुधरे नही थे, और बीच-बीच में नॉटी छत करने की कोशिश करते थे.

एक दिन ब्फ अपने लंड की फोटो भेज दिए. उनका बड़ा लंड देख के पता नही मुझे मेरी पहली चुदाई की याद आ गयी. मैने बस फोटो को लीके करके छ्चोढ़ दिया.

आफताब: क्या हुआ बेबी, रिप्लाइ दो.

मैं: जी कुछ नही, ये सब सही नही है जी.

आफताब: बुत तूने तो लीके की.

मैं: वो ग़लती से हो गयी जी.

फिर आफताब इंटरनेट से एक डाउनलोडेड फोटो भेजे, जो की एक काले आफ्रिकन का बड़ा लंड था. मैं इससे गुस्सा हो गयी, बुत उस पिक को भी लीके दी, और दिल ही दिल में पसंद करने लगी. फिर आफताब म्स्ग किए की-

आफताब: क्या हुआ रंडी दीप्ति? तुझे शायद पसंद आने लगे है ना, रॅंड कही की?

मैने ये सुन कर उन्हे ब्लॉक कर दी. अगले दिन सुबह मैने उन्हे अनब्ल्क करके मेसेज किए-

मैं: सॉरी जी, ओक मैं मानती हू की मुझे वो पिक्स अची लगी. बुत मुझे ऐसे रंडी मत बोलिए.

आफताब: ओक बेबी, बुत तुझे लंड पसंद आया ना?

मैं: हा.

आफताब: चूड़ेगी?

मैं: नही जी, दर्द होती है बहुत. और मुझे सेक्स पसंद नही है जी.

आफताब: चूड़ेगी की नही?

मैं: ओक बस मूह में लूँगी.

आफताब: चल आज शाम को आ जाना पार्क. सिर्फ़ चूसेगी ना तू, तो पार्क में कही च्छूप के कर लेंगे.

मैं: ऑम्ग पार्क, प्लीज़ नो-नो.

आफताब: एस-एस.

फिर मैं सोची ओक सिर्फ़ चूसना ही तो है. मैं थोड़ी वाहा नंगी होंगी. शाम को पार्क में ब्फ और मैं मिले. फिर ब्फ ने कुछ बात ही नही की, और पार्क के एक कॉर्नर में ले गये.

आफताब: चल मेरी पंत की ज़िप खोल और मूह में लेले.

मुझे ऐसा करना बहुत गंदा लग रहा था, की पार्क में ही क्यूँ?

मैं: पक्का कोई देखेगा तो नही ना?

आफताब: ठीक है मैं जेया रहा हू.

मैं: रूको-रूको चूस्टी हू चूस्टी हू.

फिर मैने उनका लंड निकाला, पूरा नरम सा था. पूरी तरह खड़ा भी नही था. फिर मैं चूसना शुरू की. अभी 2 मिनिट हुए थे की मैं बोली-

मैं: ये पूरा खड़ा क्यूँ नही हुआ है जी?

आफताब: एक कंडीशन में खड़ा होगा.

मैं: क्या कंडीशन?

आफताब: तेरी टॉप के उपर से तेरे बूब्स को बाहर करके रख.

मैं: प्लीज़ नो-नो, कोई देख लेगा प्लीज़.

आफताब: कोई नही देखेगा, दर्र मत.

मैं: जी मेरी टॉप पूरा गले तक है जी, इसमे कैसे उपर से बाहर करू?

आफताब: चल नीचे घुटने में रह, और हाथ उपर कर और आँखें बंद कर.

मैं: ओक.

आफताब सडन्ली मेरी टॉप को नीचे से पकड़ के पूरा उपर की तरफ खींच लिए. वो मेरी पूरी टॉप को उतार दिए. मैं सिर्फ़ ब्रा में थी. फिर मैं तुरंत नीचे बैठ गयी, और हाथ से च्छूपा कर सर नीचे करके बोली-

मैं: प्लीज़ एल-प्लीज़ कोई देख लेगा. ऐसा क्यूँ किए आप? प्लीज़ हाथ जोड़ रही हू, प्लीज़ टॉप डेडॉ ना.

फिर ब्फ बोले: अर्रे दररो मत, देख आस-पास कोई नही है.

अब आयेज की कहानी पार्ट-2 में बतौँगी. तब तक बाइ बाइ.

रिंकयसः4@गमाल.कॉम तीस इस मी मैल ईद, योउ कॅन रिव्यू आंड कॉमेंट.

थॅंक योउ एवेरिवन.

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