ही फ्रेंड्स, मेरा नाम पालक है. मैं राजस्थान के जाईपुर से हू. मेरी उमर 20 साल है, और मैं कॉलेज में पढ़ती हू. ये मेरी चुदाई की कहानी है. कहानी शुरू करने से पहले मैं अपने बारे में बता देती हू.
मेरी हाइट 5’7″ है, और वेट 70 किलो है. फिगर मेरा 34-27-36 है, और रंग मेरा गोरा है, पर ज़्यादा गोरा नही. अब तो आप समझ ही गये होंगे की मैं काफ़ी सेक्सी और खाते-पीते घर की लड़की हू. तो चलिए अब कहानी पर आते है.
ये बात 6 महीने पहले की है. जिस कॉलेज में मैं पढ़ती हू, वो हमारे घर से काफ़ी डोर पद जाता है. इसलिए मेरे घर वालो ने मुझे वाहा स्कूटी पे जाने से माना कर दिया, और मुझे कॉलेज वन में भेजने लगे.
उस वन में स्टूडेंट्स के अलावा कुछ टीचर्स भी थे. उन्ही टीचर्स में थे अरुण सिर. अरुण सिर को मैने फर्स्ट एअर की क्लास में पहली बार देखा था, और उनकी पर्सनॅलिटी ने मुझे पहली बार में ही मोहित कर दिया था.
5’11” की हाइट, फिट बॉडी, सिंगल स्टेटस, गोरा रंग, और शाहरुख ख़ान जैसे बाल. उनकी उमर 28 साल थी. उनके पढ़ने का तरीका मुझे ही नही सब स्टूडेंट्स को पसंद था. क्यूंकी मेरा कॉलेज गर्ल्स कॉलेज था, तो क्लास की सभी लड़कियाँ उन पर मारती थी.
वन में आने जाने के दौरान मुझे काई बार अरुण सिर के साथ बैठने का मौका मिल जाता था. मेरी रूह खुश हो जाती थी उनके साथ बैठ कर. मेरा लास्ट स्टॉप था, और उनका सेकेंड लास्ट, तो मुझे 15-20 मिनिट रोज़ उनके साथ बिताने को मिल जाते थे.
अरुण सिर का फितूर मुझ पर चढ़ता गया, और मुझे उनसे प्यार होने लग गया. फाइनली मैने फैंसला कर लिया, की मैं उनसे अपने प्यार का इज़हार ज़रूर करूँगी. फिर मैने एक लोवे लेटर लिखा, और जिस दिन उनके साथ बैठने का चान्स मिला, वो लोवे लेटर उनको दे दिया. मैने उनको घर जाके लेटर पढ़ने को कहा.
मैने लेटर तो दे दिया, लेकिन अब मेरी गांद फटत रही थी. अगले दिन जब अरुण सिर वन में चढ़े, तो सीधा मेरे पास आके बैठ गये. मैने उस दिन पाजामी सूट पहना हुआ था. मेरा दिल घबरा रहा था. हम एक 2 पर्सन सीट पर ही बैठे थे. मैं विंडो के पास, और अरुण सिर पॅसेज वाली साइड पर.
फिर उन्होने मेरी तरफ देख कर स्माइल की. इससे मुझे कुछ हॉंसला मिला, की चलो अब वो मेरी कंप्लेंट नही करेंगे. फिर उन्होने अपना हाथ मेरी जाँघ पर रख लिया, और उसको दबा दिया. उनके ऐसा करते ही मेरी बॉडी में एक करेंट सा दौड़ गया. पहली बार किसी मर्द का स्पर्श मैने महसूस किया था.
फिर वो अपना हाथ जाँघ पर फेरने लगे, और फेरते हुए मेरी पनटी के उपर आ गये. उनके ऐसा करने से मेरी छूट गीली होने लगी. मेरी टाँग में कपकपि हो रही थी, और मेरी साँस तेज़ हो रही थी.
फिर जब मैने उनके चेहरे की तरफ देखा, तो उन्होने मुझे ई लोवे योउ टू कहा. ये सुन कर मैं खुश हो गयी, और उन्होने फिरसे मेरी जाँघ को दबाया. ये नया एहसास मुझे बहुत अछा लग रहा था. फिर कॉलेज आ गया, और हम वन से उतार गये.
पूरा दिन मुझे सिर के ही ख़याल आते रहे, और मेरी छूट गीली होती रही. फिर हमारी चाटिंग शुरू हो गयी, जो कुछ ही दीनो में सेक्स चाटिंग में बदल गयी. सिर ने मेरे अंदर सेक्स की तलब जगा दी थी. मैने अपनी छूट को मसलना भी शुरू कर दिया था, जिसमे मुझे बहुत मज़ा आता था.
फिर एक दिन उन्होने मुझे मिलने के लिए कहा. मेरे घर वाले मुझे कॉलेज के अलावा कही नही जाने देते थे. फिर सिर ने मुझे एक प्लान बताया. प्लान के मुताबिक जब मैं वन में चढ़ि तो मैने तबीयत खराब होने का नाटक किया. फिर जब सिर चढ़े, तो उन्होने मुझे डॉक्टर के पास लेके जाने के बहाने से नीचे उतार लिया.
वन से उतार के वो मुझे एक रूम में ले गये. मैने जीन्स और त-शर्ट पहनी थी, और उन्होने पंत और शर्ट. रूम के अंदर जाते ही उन्होने मुझे गले लगा लिया, और अपने होंठ मेरे होंठो से चिपका दिए. मैं भी सेक्स करने के लिए तड़प रही थी, तो मैने उनका साथ दिया.
अब हम दोनो पुर मज़े से किस कर रहे थे. इतना स्वाद मुझे ज़िंदगी में कभी नही आया था, जितना उनको किस करके आ रहा था. फिर किस करते हुए वो मेरी गांद दबाने लगी, जिससे मैं और उत्तेजित हो गयी.
होंठ चूसने के बाद वो मेरी गर्दन पर किस करने लगे, और उसको चाटने लगे. फिर उन्होने मेरी त-शर्ट निकाल दी, और मेरी क्लीवेज को चाटने लगे. मा कसम बहुत मज़ा आ रहा था. आज मेरा प्यार मुझे जिस्मानी प्यार कर रहा था.
फिर उन्होने मेरी ब्रा का हुक खोला, जिससे मेरी ब्रा नीचे गिर गयी. मैने शरम के मारे अपने चूचे दोनो हाथो से च्छूपा लिए. लेकिन उन्होने मेरे हाथ हटाए, और एक-एक करके मेरे चूचे चूसने लग गये.
ओह मी गोद! क्या मज़ा आ रहा था उनके ऐसा करने से. मेरी छूट तो मानो झरना ही बन गयी थी, जो पानी छ्चोढे जेया रही थी. फिर उन्होने मुझे बेड पर लिटाया, और अपनी शर्ट और पंत उतार दी. मैं उनके अंडरवेर में उनका मोटा लंड देख पा रही थी.
फिर वो मेरे उपर आए, और मेरी जीन्स का बटन खोल कर उसको उतारने लगे. अब मैं अपने प्यार के सामने सिर्फ़ पनटी में थी. मेरी गीली पनटी देख कर उन्होने एक नॉटी मुस्कान दी. मैने शर्मा कर अपना मूह च्छूपा लिया.
फिर उन्होने मेरी पनटी उतरी, और मेरी छूट पर अपनी जीभ फिरने लगे. मेरे बदन में करेंट दौड़ने लगा. मैं पागल होने लगी, और मछली की तरह तड़पने लग गयी. अभी कुछ ही मिनिट हुए थे उनको ऐसा करते हुए, की मेरी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया.
फिर वो मेरे उपर आए, और फिरसे मेरे होंठ और बूब्स चूसने लगे. उन्होने अपना अंडरवेर उतरा, और अपना लंड मेरी छूट पर रगड़ने लग गये. किस की वजह से मैं अभी तक उनका लंड नही देख पाई थी.
फिर जब किस तोड़ कर उन्होने मेरी टांगे मोदी, तो मैने उनका लंड देखा. काफ़ी बड़ा और मोटा लंड था उनका. लंड देख कर मैं घबरा गयी की ये मेरी छूट में कैसे जाएगा. तभी उन्होने लंड छूट पर सेट करके एक ज़ोर का धक्का मारा.
पहले धक्के में लंड छूट की सील तोड़ कर आधा अंदर घुस गया. मेरी चीख निकली दर्द से, लेकिन इतने में उन्होने ज़ोर लगा कर पूरा लंड अंदर डाल दिया, और मेरे उपर लेट कर मुझे किस करने लगे. मुझे दर्द हो रहा था, और मेरे आँसू निकले लगे. लेकिन वो लंड अंदर-बाहर करने लगे.
कुछ देर ऐसे ही करते रहे. फिर मेरा दर्द कम हुआ, और मुझे मज़ा आने लगा. जब उन्होने देखा की मेरा चीकना बंद हो गया, तो उन्होने मेरे लिप्स छ्चोढ़ दिए. फिर वो मेरी टांगे मोड़ कर मुझे छोड़ने लगे. अब मुझे बहुत मज़ा आ रहा था, और मैं अपनी गांद उठा-उठा कर उनका साथ दे रही थी.
मुझे इतना मज़ा पा कर उन पर और प्यार आ रहा था. मैने मॅन ही मॅन में उनको अपना पति मान लिया था. आधे घंटे की चुदाई के बाद उन्होने अपना वीर्या मेरे अंदर ही निकाल दिया. मुझे कोई परवाह नही थी, क्यूंकी मैं उनसे प्यार करती थी.
उस दिन के बाद हमारी बहुत बार चुदाई हुई. फिर 3 महीने बाद अचानक से पता चला की अरुण सिर ने जॉब छ्चोढ़ दी थी, और फॅमिली के साथ कही और शिफ्ट हो गये थे. मैने बहुत कोशिश की उनको कॉंटॅक्ट करने की, लेकिन नही हो पाया. शूकर ये था की मैं प्रेग्नेंट नही हुई.
थे एंड.