चुदासी सती सावित्री

किस्सा तब का है जब मै अपने मामा के यहाँ भोपाल मे रहकर इंजीनियरिंग की पढाई कर रहा था..वैसे तो मै होस्टल मे रहना चाहता था लेकिन वहाँ रूम नही मिला तो मै शहर मे किराये के मकान मे रहना चाहता था..लेकिन मेरे मामा ने मुझसे कहा की जब तक होस्टल मे रूम ना मिले तुम हमारे घर मे ही रहो…उनका एक बेडरूम और हॉल का घर था..उनके दो बच्चे थे..मुझे हॉल मे सोने के लिए जगह दी उन्होंने..ये जो कुछ मै लिख रहा हु इसके लिए मै तो जवाबदार नही था..

लेकिन क्या मेरी मामी जवाबदार..थी? ये कहानी उन्ही के शब्दो मे अपके सामने रख रहा हु..मै इसके लिए कभी भी तैयार नही था..मामी बहुत ही खुबसुरत थी..और सेक्सी भी..लेकिन मै उन्हें कभी गन्दी नज़र से नही देखता था…लेकिन मामी ने ऐसा क्यों किया..ये जब मुझे पता लगा तो उनके शब्द मै यहाँ लिख रहा हु..मै मीना मैं 44 साल की हूँ . शादीशुदा हूँ . किस्मत अच्छी है की मै आज भी बहूत सुंदर और सेक्सी दिखाती हु.,ये 17 साल पुरानी घटना मुझे याद आ गई मैं अपनी एक घटना आपसे शेयर करती हूँ बात 17 साल पहले की है मेरी ननद का लड़का संजय (संज्जू ) जिसकी उमर 17-18 साल थी इंजीनियरिंग के होस्टल मे रूम नही मिलने से हमारे घर आया मेरे पति उन दिनों टूर पर ज्यादा रहते थे इसलिए मै सेक्स के लिए बेचैन रहती थी घर मे सिर्फ़ दो रूम थे जिस कारन संजू से मुझे चिढ हो रही थी की इसकी वजह से मेरे जीवन का आनंद जा रहा है

, अब मै अपको उस खास दिन की बात बताऊ जिस दिन सब कुछ हो गया..उस दिन पति रात की ट्रेन से 7 दिन के लिए बाहर जाने वाले थे पति ने कहा वो दोपहर को जल्दी आ जायेंगे जब संजय कॉलेज मे रहेगा..और बच्चे स्कूल मे..उस वक्त वो मुझे अच्छे से चोदेंगे, क्युकी फ़िर 7 दिन तक हम को चुदाई का कोई मौका नही मिलने वाला था,,वैसे भी रात मे संजू देर रात तक पढाई करता था इसलिए हमे बहुत सम्हाल कर चुदाई करना पडता था क्युकी मै चुदाई के वक्त बहुत आवाज़ निकालती थी.. और पति डरते थे की कहीँ संजू ये सुन न ले..और अगर मौका मिला या संजू जल्दी सो गया तो देर रात मे चुदाई करते थे या फ़िर सुबह उठाने से .पहले उसमे वो मज़ा नही आता था…इसलिए मेरी चिढ बढती जा रही थी.लेकिन आज मै बहुत खुश थी क्युकी पति १ बजे आने वाले थे .

मैंने नहाने से पहले मेरी चूत को शेव की मेरी चूत एकदम गुलाबी है…अभी भी टाईट … मेरे पति का लंड 5 इंच लंबा है और..करीब डेढ़ इंच मोटा.. हमारा सेक्स नॉर्मल तरह से चल रहा था.वो साधारण चुदाई करते थे…उनका ३-४ मिनिट मे झड़ जाता था..उसके पहले थोड़ी चूमा चाटी..चुन्ची दबाना..बस …मै रोज तो झड़ती नही थी लेकिन जब बहुत दिन के बाद चुदवाती थी तो झड़ जाती थी. आज भी हम क़रीब 5-6 दिन के बाद चुदाई करने वाले थे..और अगले 7 दिन फ़िर कुछ नही करना था…सो मैंने तय्यारी की पूरा मज़ा लेने के लिए.., बहूत सुंदर सेक्सी जालीदार पारदर्शक पैंटी और ब्रा पहनी. और साड़ी पहनी लेकिन मेरी किस्मत ख़राब थी, पहले तो पति ही लेट हो गए..मै इंतज़ार कर रही थी चुदवाने का और वो घर आये 4.30 बजे. शाम को और उनके पीछे ही संजय भी आ गया..

मै फालतू मे संज्जू को डांटने लगी पति भी मुझ पर नाराज़ हो गए कहने लगे जीवन पड़ा है क्यो परेशान हो .. फिर मै मन मारकर उनके जाने की तयारी करने लगी बारिश के दिन थे पानी गिरने लगा पति की ट्रेन 10 बजे रात की थी मैंने ने जल्दी खाना सब को खिला दिया 9 बजे क़रीब पति अन्दर किचेन मे आए और मुझसे पीछे से पकड़कर चूमा चाटी करने लगे मैंने अपने नितम्बो पर उनके लंड का कडापन महसूस किया…मैंने उन्हें बताया की दोपहर मे चुदवाने के लिए मैंने क्या क्या तय्यारी की थी.. पति ने मेरे साड़ी के अन्दर हाथ डाला और फ़िर मेरी पैंटी के अन्दर हाथ डाल कर मेरी चूत को सहलाया और कहा..

चूत तो एकदम चिकनी लग रही है…और ऊँगली दाल के हिलाने लगे..चूत ने पानी निकाल दिया और लंड के लिए बेताब हो गई..मैंने भी उनके हथियार को सहलाया..वो भी खड़ा हो गया था..चूत मे ऐसा लग रहा था की वही मै पति का लंड अन्दर ले लू..तभी बाहर से संजू की आवाज़ आयी..मामा चलो ट्रेन का टाइम हो रहा है..और उन्होंने अपना हाथ निकाला और मुझे चूम कर निकल गए..संजू उन्हें स्कूटर पर स्टेशन छोड़ने गया..मै हॉल मे लेट कर टीवी देखने लगी..लेकिन मेरा मन कुछ और चाह रहा था..मैंने .अपनी साड़ी ऊपर उठायी और पैंटी मे हाथ डाला और चूत को सहलाने लगी…टीवी पर भी अचानक एक चैनल लग गया जिसमे हीरो और हिरोइन चुदाई की तय्यारी मे थे..हीरो हिरोइन को चूम रहा था उसे मसल रहा था. दोनों के कपड़े निकल गए थे.

.बस अन्दर डालने वाला था मै भी पूरी गरम हो गई थी,,की मुझे स्कूटर की आवाज़ आयी..मै समझ गई की संजू आ गया है..जल्दी अपनी पैंटी ठीक की साड़ी ठीक की और दरवाजे का बेल बजते ही दरवाजा खोला संजय भींग कर आया था मैंने उसे गुस्से से “बोला जल्दी पोंछ कर कपड़े बदल लो वरना तबियत ख़राब हो गई तो हमारी ही मुसीबत होगी वो सहम गया मै अन्दर रूम मे चली गई फ़िर रूम का दरवाजा बंद करने वापस आई तो. देखा संजू अपनी गीली बनियान उतर रहा था उसकी नंगी पीठ देखकर मुझे कुछ अजीब सा महसूस हुआ और मै फ़िर से हॉल मे वापस आ गई और कुछ धुन्धने का नाटक करने लगी और तिरछी नज़र से उसे देख रही थी…

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और फिर उसने अपनी पैंट उतारी उसकी अंडरवियर सफ़ेद रंग की थी जो गीली होने से संजू के शरीर से चिपक गई थी मैंने देखा संजू का काला लंड मुड़ा हुआ साफ दिख रहा था वह भरपूर मोटा और लंबा था जबकि खड़ा नही था इतना मोटा और लंबा तो मेरे पति का खड़ा होने के बाद भी नही होता था ,और काले -काले बाल भी नज़र आ रहे थे वह मुझे पुरे मर्द का लंड लगा जिसे कोई भी औरत बिना हिचकिचाये अपनी छूट मे लेना चाहेगी..और मै तो पूरी चुदासी थी.. ऐसा लंड जब खड़ा होगा तो कोई भी ओउरत अपनी छूट मे दल्वाना चाहेगी चाहे वो सटी सावित्री ही क्यो न हो , मेरी हालत जवान लड़के को अपने इतने क़रीब नंगा देख कर बहूत ख़राब हो गई और मै सपने मे भी नही सोच सकी की संजू इतना जवान है और उसका लंड इतना मजेदार होगा..

उसके लंड को देख करमै रिश्ते को भूल गई मैंने सोचा आज रात को इसका मज़ा लेना ही है जो होगा देखा जाएगा फिर संजू ने ने कपड़े पहन लिए ,,फिर वो बिस्तर पर लेट गया मै अपने रूम मे आ गई और मैंने अपनी साड़ी ,ब्लाउज ब्रा और पेतिकोत उतर कर नाईटी पहन ली वो भी पारदर्शक गुलाबी रंग की सिर्फ़ मेरी काली पैंटी ही अन्दर थी.हमारा बाथरूम पीछे आंगन मे था रात के क़रीब 11 बज रहे थे ,मैंने संजू को आवाज़ दी वह बोला जी मामी मैंने कहा मुझे पीछे पेशाब के लिए जाना है डर लग रहा है तुम साथ चलो मैंने पीछे की लाईट जलाई और बाथरूम बाहर नाली के पास जाकर अपनी नाईटी उठाई कमर के उपर और धीरे से अपनी पैंटी सरकी ताकी संजू मेरी चिकनी टांग और गांड आराम से देख सके और मै बैठ गई.संजय मेरे पीछे खड़ा था…

मैंने पीछे देखते हुए कहा जाना मत, वह बोला जी मामी जी फ़िर मै संजय की तरफ़ देखते हुए खड़ी हुयी ..मेरी पैंटी अभी भी घुटनों के नीचे थी.मैंने नाईटी कमर से ऊपर उठा के अपनी पैंटी पहन ली संजय को मेरी चिकनी और साफा चाट कोट एकदम साफ दिखी उस प्रकाश मे मै उसे बहकाने के लिए ये सब कर रही थी..ताकी वो गरम हो जाए.. मैंने देखा उसने नज़र तो झुका रखी हैलेकिन अपने लंड को पैरों के बीच दबा रहा है..मेरा काम हो गया था.. मेरी छूट और नंगी जांघों को देख रहा था लेकिन वह वापस जा कर सो गया मै अपने रूम मे आई और सोचा संजय को आवाज देकर अपने पास बुलाऊ लेकिन हिम्मत नही कर पायी फ़िर मे धीरे से संजय के रूम मे गई मैंने जो देखा वो एक अजीब नज़ारा था संजय अपना लंड पकड़कर हिला रहा था उफ़ कितना मोटा और लंबा लंड था उसका..

मेरे पति से दुगुना..मुझे देख कर वो सकपका गया ..मै उसके सामने खड़ी हो गई..मैंने कहा संजू…क्या कर रहे हो..जी मामिजी कुछ नही..फ़िर क्या छुपा रहे हो..?कहाँ कुछ तो नही..मै उसके बिस्तर पर बैठ गई और सीधे उसके लंड पर हाथ रखा..”ये ऐसा क्यों है?’अपनी मामी को देख कर ऐसा हुआ है न..?जी जी जी…हाँ..उसने शर्माते हुए कहा..अब लेकिन लंड सिकुड़ गया था..”क्या तुमने पहले किया है?’:नही”फ़िर?मै उसे पुचकार रही थी..संजू डरो नही.. तुम्हारे पास तो बहुत ही अच्छा हथियार है..कहाँ छुपा रखा था..और मै उसके लंड को बाहर निकाल कर सहलाने लगी..अपनी मामी को नंगी देखोगे..वो कुछ बोला नही..मैंने नाईटी निकाल दी सिर्फ़ पैंटी मे थी..

अब उसका लंड फ़िर से खड़ा होने लगा था..मैंने धीरे से उसे झुक कर चूम किया..उसके मुह से आह्ह.निकला..मै उसके ऊपर लेट गई..उसे चूमना शुरू किया..अब वो भी खुलने लगा.और मेरी चूंची पर हाथ रखा..उसमे मुझे जकड लिया..चूमने लगा.मेरी चूत पिघलने लगी..उसने मेरी एक चूंची मुँह मे भर ली और दुसरी को जोर से मसलने लगा ओके हाथ मेरे पति के हाथों से ज्यादा कड़क थे..मै आह्ह्ह..संजू धीरे…उसने मेरे निपल पर हलके से कटा भी और मै चीख पड़ी ..आह्ह ..काटो मत…लेकिन उसे तो अब सब्र नही हो रहा था..मै उसके लंड को आगे पीछे कर रही थी..और दो मिनिट मे उसने पानी निकाल दिया..मेरे हाथों मे..

वो बोलो सॉरी मामी..मैंने कहा कोई बात नही..अब हम लोग बहुत फ्री हो गए थे..मै उसे मेरे बेडरूम मे चलने के लिए कहा उसने मुझे उठा लिया गोद मे और मेरे बेड पर ला के लिटाया..फ़िर उसमे मुझे चूमना शुरू किया.. मैंने भी अब उसके लंड को फ़िर से सहलाना शुरू किया..उसने मेरी पैंटी खोल के निकाल दी..और फ़िर मेरी चिकनी..चूत को देखने लगा..मैंने पूछा कैसी है..उसने कहा गुलाबी..चिकनी..और उस पर हाथ फेरा..मैंने उसका हाथ मेरी चूत के दाने पर रखा..उसका लंड फ़िर तन गया..और अब मैंने उसे देखा तो मै डर गई..सच मे इतना मोटा..कैसे मेरी चूत मे जाएगा…उसने अपना पाजामा निकाल दिया ..उसका शरीर भी काफी मज़बूत था..मर्दाना…मुझे वो कस के जकड रहा था…. मेरी गांड को भी दबा रहा था..फ़िर मैंने उसका लंड मुह मे ले लिया..और चूसने लगी..वो मेरी चूत मे ऊँगली डालने लगा..मै तो बहुत ही गरम थी और जल्द से जल्द लंड चूत मे लेना चाहती थी…

मैंने उसे कहा संजू एक बार प्र्हाले जल्दी से इसे अन्दर डाल दो…वो मेरी टांगो के बीच मे आ गया..और मेरे चूत पर लंड को लगाया..धक्का दिया..लंड का सुपाडा..फिसल रहा था..मैंने उससे कहा की तुम नीचे लेट जाओ..वो लेट गया..मै ऊपर चढ़ी…मैंने पास मे रखी कोल्ड क्रीम उसके लंड के सुपाडे पर अच्छे से लगाया और मेरी चूत के अन्दर भी..क्युकी इतना मोटा लंड मेरी चूत मे अभी तक नही घुसा था.. मै डर भी रही थी लेकिन चूत मे जो आग आज दिन भर से लगी थी उसे भी बुझाना था.. मैंने उसके कमर के दोनों तरफ़ पैर रखे और चूत के मुँह पर सुपाडे को लगाया और अपनी गांड को नीचे लाते हुए उसके ऊपर बैठने की कोशिश की..

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चूत तो सुपाडे के घुसते ही चरपरा गई..ऐसे लगा कोई सख्त गरम लोहा मेरी चूत के अन्दर जा रहा है..उसका लंड कम से कम 7.5 इंच था और मोटाई तो किसी कलाई के जैसी थी.. सिर्फ़ दो इंच ही घुसा होगा मेरी हिम्मत टूट गई..मै उतने लंड को ही अन्दर ले कर ऊपर नीचे होने लगी..और 6-7 मिनिट मे ही मेरा पुरा बदन ऐंठ गया…मै उसकी सीने पर लेट कर झटके मारने लगी और मेरी चूत ने ढेर सारा पानी निकाल दिया..अब संजू मुझे चूमने लगा..मेरी चुन्चियो को दबाने लगा..दबाने क्या मसल रहा था निचोड़ रहा था..उसका आधा घुसा लंड मेरी चूत मे फड़क रहा था..फ़िर उसने मुझे वैसे ही नीचे लिया और वो मेरे ऊपर आ गया..मैंने अपने पैर पूरे फैला दिए.

.मै समझ गई आज मेरी चूत फटने वाली है..अब ये पूरा लंड मेरी चूत मे उतार देगा…उसने मेरी चूत पर हाथ फेरा..ऊँगली से चोदा..मै फ़िर गरम होने लगी..चूत तो जैसे पानी बहाने के किसी प्रतिस्पर्धा मे थी…इतना पानी मेरे चूत मे है मुझे भी नही मालूम था…संजय..अब चोद दो मुझे..फाड़ दो मामी की चूत..ये सुन के वो जोश मे आ गया..अह्ह्ह संजू..सच मे क्या मज़बूत है तुम्हारा…. मेरा क्या मामी..मै शर्मा के बोली..वो ..और क्या..और लंड को हाथ से पकड़ा.. इसे क्या कहते है मामी.?….मैंने कहा लंड..डालो अपना लंड मामी की चूत मे..उसने मेरे पैर फैलाये और लंड को चूत के छेद पर लगाया..और एक धक्का मारा..मेरी तो जैसे जान ही निकाल गई..

आह्ह्ह..मर गई.ई.ई.ई.ई..संजू..निकाल लो…क्या हुआ मामी अभी तो कह रही थी डाल दो….अरे बाप रे..बहुत दर्द हो रहा है…. लेकिन वो हरामी अब क्यों निकालेगा..उसने थोड़ा रुक कर लंड को पिछे खीचा और एक धक्का दिया..उसके गोते मेरी गांड से टकराए और पूरा लंड मेरी चूत के अन्दर मेरी बच्चेदानी से टकराया…मै..तो..इस झटके को बर्दाश्त नही कर पायी मै वैसे ही चिल्लाती ज्यादा हु…..ओ..आई.ई.ई.ई.ई. कर उठी..मेरी आंखो से आंसू निकाल आए…मैंने कहा संजू अभी हिलना मत..वो लंड को अन्दर डाल कर मेरी चुन्ची और निपल से खेलने लगा…क़रीब ५ मिनिट के बाद मेरा दर्द कुछ कम हुआ..मैंने कहा अब धीरे धीरे छोड़ो..

उसने मुझे चुम्मा..होंठों को चूसा..निपल को चूसते हुए हलके हलके धक्के मारने लगा..फ़िर मेरी भी गांड हरकत मे आ गई..और ऐसा करते हुए क़रीब १० मिनिट बीते थे की मेरी चूत ने हार मान के फ़िर से पानी निकाला और मै आह्ह..ऊह्ह…संजू…मै..गई.ई.ई.ई.ई.ई स्स..स्.स् स्स्स्स करते हुए झड़ गई..अब लंड को चिकनाई मिल गई और वो थोड़ा आराम से चूत के अन्दर आ -जा रहा था..मैंने कहा..अब जोर से करो..मैंने जोर से चिल्ला रही थी मेरी आदत के मुताबिक़..मुझे लगा वो भी झड़ जाएगा..लेकिन ऐसा हुआ नही…उसने मुझे और २०-२५ मिनिट चोदा..और इस बार वो पूरा लंड बाहर निकाल के चोद रहा था..और फच फच ..फचा,,,फचक…की आवाज़ आने लगी..मेरी आवज़ बढ़ गई..आह्ह..जोर से..और करो..फाड़ दो चूत को..आज सुबह से ..प्यासी है..

आह्ह..तुम्हारे मामा का काम तुम करो…आह मेरे संजू…मामी को जम के चोदो…ऐसा कहते हुए..मै फ़िर से झड़ गई..उसने अब कहा..मामी.ई.ई.ई..मेरा होने वाला है.उसका लंड और सख्त हो गया..मेरी चूत को अनादर तक हिला रहा था..इतने अन्दर तो मेरे चूत मे आज तक कुछ भी नही गया था…मैंने कहा अन्दर मत डालना..मै अभी माँ बन जाउंगी…लेकिन इसके पहले ही उसने मुझे कस के पकड़ा और पूरा लंड जड़ तक चूत के अन्दर पेल के दबा दिया…और उफ्फ्फ..क्या फौवारा था..और क्या तेज पिचकारी..पूरी चूत भर गई और लावा बाहर निकलने लगा..मेरी गांड तक बह कर आया….संजू मेरे ऊपर सो गया..ऐसे ही लिपट मे हम दोनों २० मिनिट सोये थे..

.फ़िर मैंने उसे मेरे ऊपर से उठाया..और देखा तो चादर पर खून के छींटे मै समझ गई मेरी चूत इसने आज सच मे फाड़ दी है..उसके लंड पर भी खून लगा था..मैंने उसे हाथ से पकड़ा और कहा इसे धो लो……फ़िर दोनों बाथरूम मे गए..अबकी बार मै अन्दर गई..और जब चूत को पानी से धोया तो देखा चूत सूज गई है..मै मुस्कुरायी ..की अब मेरी चूत को असली लंड मिला है.. हम दोनों वापस अन्दर आए वो अपने कमरे मे जाने के बजाये मेरे रूम मे आ गया..और फ़िर उस रात उसने और चार बार मेरी चुदाई की…

उसने मुझे कुतिया की तरह चोदा,,और आखरी बार मै ख़ुद उसके ऊपर चढ़ गई और इस बार पूरा लंड अन्दर डाल के कमर हिला के चुदवाया..मेरे मोटे नितम्ब उसके जांघों पर जोर जोर से पटका..लेकिन मै उसके ऊपर चढ़ कर भी तीं बार झड़ी…इसके बाद तो मै अपने पति के टूर पर जाने का इंतज़ार करने लगी..संजय फ़िर होस्टल नही गया..मैंने ही जाने नही दिया..और जब वो इंजीनियर बन के निकला तो मुझे दो बच्चो की माँ बना चुका था..उसके साथ मैंने बाहर जा के भी चुदवाया..संजय के साथ चुदवाने के कई रोचाक किस्से है..वो तो चुदाई मे मास्टर बन गया था…सच मे संजय ने मुझे चुदाई का असली मज़ा दिया जो मै कभी नही पा सकती थी मेरे पति से.



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