चुड़क्कड़ मा चुदी शराबी टीचर से

नमस्कार मेरा नाम राहुल है, और मैं एक सिंपल सा दिखने वाला 19 साल का लड़का हू. आपको मेरी पिछली कहानियों में मेरी मों के जलवे के बारे में, या यू काहु की रंडी-पन्न के बारे में जानते ही होंगे.

फिर भी थोड़ी डीटेल दे देता हू. मेरी मों का नाम अनिता है, और वो 46 साल की गोरी औरत है, जिसके बूब्स नॉर्मल साइज़ के मगर मोटी गांद है. मेरी मों और मैं देल्ही में एक पुराने मोहल्ले में रहते थे एक छ्होटे से किराए के घर पर. उस मोहल्ले की रेप्युटेशन इतनी अची नही थी, और सब उसे रंडियों का इलाक़ा कहा करते थे.

मों के डाइवोर्स के कुछ सालों बाद हम वाहा शिफ्ट हुए थे. और सब मोहल्ले वालो की नज़र मेरी मों की मटकती गांद की तरफ थी जिसे सब लोग ठोकना चाहते थे. तो हुआ कुछ ऐसा की.

उन दीनो मैं कॉलेज जया करता था. वाहा पर एक सिर थे मेरे जो मुझे फुटबॉल की कोचैंग दिया करते थे. उनका नाम था हरीश और वो मों से उमर में बड़े थे. उनकी आगे लगभग 50 साल होगी, और उनका रंग एक-दूं काला था. वो एक-दूं गंदी शकल के थे, और पतले भी थे.

शुरू-शुरू के कुछ दीनो में हरीश सिर मुझे इतना जानते नही थे, और इतनी बात भी नही करते थे. मगर एक दिन कुछ ऐसा हुआ की कॉलेज में पेरेंट्स की मीटिंग हुई. उस मीटिंग में मैं चाहता था की मों हरीश सिर से मिले, और मेरी ग़मे के बारे में उनसे बात करे. इस बारे में जब मैने हरीश सिर से पूछा.

मैं: हरीश सिर, मेरी मों ने ग़मे के बारे में आप से कुछ बात करनी है.

हरीश सिर: क्या बात करनी है?

मैने कहा: सिर यही की मेरी ग़मे कैसी है?

हरीश सिर: तूने किसी और टीचर को तो नही मिलने आना?

मैने कहा: नही सिर.

हरीश सिर: फिर कल सुबा 11 बजे मों को मेरे ऑफीस ले आना.

बस इतनी बात हुई और मैं मों को लेकर अगले दिन आ गया कॉलेज में. उस टाइम हरीश सिर के रूम में कोई भी नही था, और मैं और मों ही बैठे थे बस. मों ने वाइट सारी और रेड कलर का ब्लाउस पहना था, जिसमे मों की कमर और नेवेल दिख रहे थे.

ऑफीस में एंटर करते ही हरीश सिर की नज़र सबसे पहले मों की तरफ गयी. हरीश सिर के मूह से जैसे पानी तपाक रहा हो. मों एक-दूं फिट लग रही थी, और उनका फिगर तो लाजवाब था. हरीश सिर के तो जैसे सुर ही बदल गये थे.

हरीश सिर: आइए भाभी जी.

मों: जी सिर नमस्ते.

हरीश सिर: नमस्ते भाभी जी, कैसी है आप?

मों: सिर एक-दूं बढ़िया, मैं आज इसलिए आई की यही पूछना था की बेटा कैसा कर रहा है ग़मे में?

हरीश सिर: लड़का बहुत अछा कर रहा है. आयेज जाएगा, और मैं इसके साथ हू.

मों को सिर ने पूरी तरह से बातों में ला कर संतुष्ट कर दिया, और मों भी सिर से खुश हो कर उस दिन मेरे साथ वापस घर की तरफ चल पड़ी. बात शुरू हुई अगले दिन से. हरीश सिर ने मुझे ग्राउंड में बड़ी इज़्ज़त से बुलाया, और पूछा मुम्मा कैसे है?

मगर मैने उनका तेवर एक-दूं ही चेंज होते देखा, जब मुझसे कोई छ्होटी सी ग़लती हो गयी, और उन्होने मुझे अकेले में गंदी-गंदी गालियाँ दी जैसे की, मा की छूट में लंड, तेरा मा का भोंसड़ा, सेयेल रांड़ की औलाद.

उस दिन जब ग़मे ओवर हुई तब मैने हरीश सिर को प्यार से पूछा-

मैं: सिर आज आपने इतनी गालिया दी?

तो सिर बोले: बेटा ये मेरा काम है. तू अब मेरा बच्चा है, तेरा ध्यान मैं रखूँगा.

ग्राउंड से सब बच्चे जेया चुके थे, और बस मैं और हरीश सिर ही थे. फिर हरीश सिर ने मुझसे घर की इंक्वाइरी करनी शुरू की.

हरीश सिर: बेटा घर में अर्निंग कों करता है?

मैं बोला: मों के डाइवोर्स के बाद अर्निंग वो खुद ही देख रही है.

हरीश सिर ने हैरान हो कर कहा-

हरीश सिर: भाभी डिवोर्स्ड है?

मैने कहा: हा जी.

हरीश सिर: कोई बात नही तू मेरा बेटा है. जो भी चाहिए हो तुझे या तेरी मों को, तो बताना.

इस बात का मतलब मैं समझा नही ऐसा सिर को लगा, मगर मैं सब समझ गया. थोड़े दीनो बाद हरीश सिर ने मेरे साथ उल्टी-सीधी बातें करनी शुरू कर दी. जैसी की एक दिन की बात है, सिर मुझे घर ड्रॉप करने के बहाने कही घूमने ले गये.

वो जगह मेरे घर के पास थी और वाहा एक दुकान थी जहा मैं और मों भी समान लेने आया करते थे. वही पर कोई लड़की हमारे पास से गुज़र रही हो, तो सिर उसको गंदी नज़र से घूर्ने लग गये और कहते.

हरीश सिर: इसकी छूट इतनी खुली होगी.

मैं भी एंजाय करता इन बातों पर.

तो मैने पूछा: आपको कैसे पता सिर?

हरीश सिर ने फिर अपना फोन खोला, और औरतों के म्‍मस दिखाए, जिसमे वो खुद अंजान औरतों को नंगा करके उनके लिप्स पर चूम रहे थे. और तो और काइयों की पॉर्न वीडियो भी दिखाई. फिर सिर बोले-

हरीश सिर: बेटा मेरी ज़िंदगी इन कामो में गयी है. मैं औरत के चलने के ढंग से बता दूँगा कितनी बाजी होगी.

मैने मॅन में सोचा की ये मों का भी अंदाज़ा लगा चुके होंगे. अचानक सामने की तरफ फिर एक औरत दिखी, और हरीश सिर उसे देख कर कहने लगे-

हरिशा सिर: वो देख एक और मटकती गांद.

मैं हासणे लगा.

मैने पूछा: सिर ये कैसी होगी?

हरीश सिर फिर बोले: इसकी तो फाटती हुई होगी, मगर गांद का च्छेद टाइट होगा.

फिर सिर धीरे से बोले: इसके तो चूतड़ चाटने का मॅन है मेरा.

अचानक वो औरत पीछे मूडी और मैं शर्मिंदा हो गया. वो मेरी मों निकली जो रॅशन लेने आई थी.

हरीश सिर हस्स कर बोले: ये बात तेरे-मेरे बीच ही रहेगी. तू मेरा बेटा है, और मैं ये बात तेरे साथ कर सकता हू. खुल कर बात किया कर. तेरा और तेरी मा का अगर कोई है तो मैं हू.

कुछ दीनो बाद मों के मॅन में फितूर चढ़ा, और मों ने बोला-

मों: बेटा हरीश सिर को कभी खाने पर बुलाना.

मैने बोला: मों वो ड्रिंक बहुत करते है. उनकी रेप्युटेशन अची नही है.

मों कहने लगी: कोई बात नही. हमे कॉन्सा ड्रिंक करवानी है

मैने उस दिन हरीश सिर को ग्राउंड में जेया कर बोला: मों आपको डिन्नर पर आने का बोल रही है.

हरीश सिर फिर बोले: मेरा तो आज किसी और स्टूडेंट की मों को पेलने का प्रोग्राम था.

मैने कहा: सिर क्या?

हरीश सिर: बेटा कुछ नही, आ जौंगा मैं लाते अवँगा 8-9 बजे के करीब. मों को कहना रेडी रहे वो.

मैने कहा: सिर रेडी क्यूँ रहे?

हरीश सिर: बेटा मेरा मतलब है की खाना रेडी रखे.

मैने मों को तुरंत कॉल लगाया और कह दिया की सिर आ जाएँगे डिन्नर रेडी रखे. उस दिन रात को बादल वाला मौसम हो गया था और हरीश सिर अभी तक रात को आए नही थे. मुझे और मों को लगा की अब वो नही आएँगे, और हमने कपड़े चेंज कर लिए.

मों की आदत है वो रात में एक-दूं छ्होटी निक्कर और टाइट त-शर्ट पहनती है बिना ब्रा के. जिसकी वजह से उनके निपल्स दिखते है. तो हुआ कुछ ऐसा की अचानक 9:30 बजे बेल बाजी घर की, और देखा की शराब के नशे में धुत हरीश सिर गाते पर खड़े थे.

उन्होने मुझे देखते ही बोला: हरमज़ाड़े, तुझे लगा मैं नही अवँगा. मेरी प्यारी भाभी ने बुलाया मुझे. मुझे आना ही था.

मों ये सुन कर शर्मा गयी. मगर जब हरीश सिर ने मों को देखा, तो वो देखते ही रह गये, और मदहोश हो गये.

मैने कहा: सिर आप लाते हो गये?

मों तुरंत ही खाना लेने चली गयी.

हरीश सिर: बेटा वो किसी और स्टूडेंट की मों को मिलने गया था. फिर सोचा के 4-5 पेग लगा लेता हू.

मैने कहा: सिर आप मतलब आज और फोटो खींच कर लाए होंगे?

हरीश सिर: कुत्ते, हरमज़ाड़े, तेरी मा की छूट, खींची है, सुबा दिखौँगा.

तो उस वक़्त खाना खाने के बाद जब हरीश सिर बिके की और जाने लगे, तो एक-दूं से बाहर बारिश शुरू हो गयी. फिर उन्हे भाग कर अंदर आना पड़ा. हरीश सिर के मूह से शराब की बहुत बदबू आ रही थी. उस टाइम ये डिसाइड करना मुश्किल था की हरीश सिर जाएँगे कैसे.

मों बोली: सिर आपने रुकना है तो रुक जाइए यहा पर.

मैने बोला मों को: सिर सोएंगे कहा?

मों: बेटा तेरे रूम में.

बस मुझसे यही ग़लती हुई.

मैने बोला: मों शराब की बदबू मैं नही से सकता.

मों कहने लगी: वो तेरे सिर है. उनकी रेस्पेक्ट कर. मैं अपने रूम में सुला लेती हू. रूम खुला रखूँगी.

मों: हरीश सिर, आज आप यही सो जाइए मेरे रूम में.

हरीश सिर की तो जैसे लॉटरी ही निकल आई हो.

हरीश सिर: ठीक है भाभी जी, जैसा आप कहे.

उस दिन बाहर इतनी बारिश थी, और यहा हरीश सिर को खाने के बाद रस्स-मलाई ही मिल गयी थी मों के रूप में. तो तब हम सब अपने-अपने रूम में चले गये. मों ने दरवाज़ा खुला रखा, और मैं भी अपने रूम में चला गया. करीब 1 घंटे बाद जब उन्हे लगा की मैं सो गया था, मों के रूम से एक हल्की सी आवाज़ आई अहह की.

मैं मों के रूम की तरफ गया, और देख कर हैरान रह गया, की मों नंगी थी, और उनकी टांगे खुली हुई हवा में थी, और उनका हाथ हरीश सिर के सिर पर था, और हरीश सिर उनकी छूट चाट रहे थे. ऐसा सीन मैं देख कर हैरान रह गया. फिर क्या होना था, मों की आहह आह की आवाज़ आनी बंद हुई, क्यूंकी हरीश सिर ने छूट चाटना बंद किया, और मों के मूह में अपना लंड तूस दिया.

मों सिर के लंड का टोपा चूम रही थी, और लंड को पकड़ कर अपने मूह में ले कर ज़ोर-ज़ोर से चूपए मार रही थी. हरीश सिर ने फिर मों को घुमाया, और घोड़ी बना दिया और अपना लंड उनकी छूट पर रख कर शरारतें करने लगे.

सिर मों को मज़े दे रहे थे, और मुझे भी अछा लग रहा था. सिर अपने लंड को अभी भी मों की छूट में नही दे रहे थे. वो बस मों को अपने लंड के लिए तरसा रहे थे. उनके चेहरे पर एक अजीब सी स्माइल थी.

फिर उन्होने मों की नंगी कमर को अपने दोनो हाथो से पकड़ा, और मों ने भी पूरा योगदान दिया. मों ने अपनी टाँगो के नीचे से हाथ डाल कर सिर का लंड खुद अपनी छूट में लिया. हरीश सिर की तो जैसे लॉटरी ही निकल आई थी. हरीश सिर इस वक़्त घोड़ी की सवारी का पूरा आनंद ले रहे थे, घोड़ी मेरी मों जो थी.

सिर फिर बोले: क्या कमाल की रांड़ है तू. तेरी छूट का पानी आज भी मीठा है.

मों बोली: आज भी सब लोग यही कहते है.

हरीश सिर मों को पेलते रहे. बाहर बारिश का पानी था, यहा मेरे घर में हरीश सिर मेरी मों की छूट का पानी निकाल रहे थे. मों की आवाज़ो से पूरा घर गूँज रहा था. हरीश सिर कभी मों को उल्टा लिटा कर पेल रहे थे, कभी रंडी बना कर लंड पर चढ़ा रहे थे. उन्होने उस रात मों की नंगी तस्वीर भी ली.

हरीश सिर यहा पर झड़ने का नाम नही ले रहे थे. मगर वो पूरा बिस्तर मों की छूट के पानी से गीला कर चुके थे. हरीश सिर ने फिर मों को पकड़ा, और 69 पोज़िशन में ले गये, और ज़ोर-ज़ोर से लंड मों के गले तक धकेलने लगे. सिर खुद मों की छूट चाट रहे थे.

वो कभी मों की छूट में उंगली दे रहे थे, कभी मों की गांद में. हरीश सिर उस रात पलंग पर मों के साथ खेल रहे थे. मों भी किसी पोर्नस्तर से कम नही लग रही थी.

अलग-अलग पोज़िशन्स में हरीश सिर मों को छोड़ रहे थे. कभी मों की टांगे जोड़ कर टाँगो को सीधा उपर कर दिए, कभी मों की टांगे खोल गये, कभी छूट मार रहे थे, और कभी गांद मार रहे थे. आज की रात हरीश सिर ने वो सारी गालियाँ सच कर दी, जो वो मुझे निकाला करते थे.

जैसी की तेरी मा की छूट छोड़ू भद्वे, तेरी मा की गांद में लंड, तेरी मा के मूह में लंड, सस्ती रांड़ की औलाद, मटकती गांद की पैदाइश.

मुझे आज भी याद है मों ने फिर हरीश सिर को बोला: आ जाओ अब आपको जादू दिखौ.

हरीश सिर बोले: कैसा जादू?

मों ने कहा: अब आप लाते जाओ, और बस मज़े लो.

हरीश सिर जैसे ही लेते, उनका बड़ा सा लंड काले रंग का एक-दूं सीधा खड़ा था. मों सिर के लंड के पास गयी, और उसे चूमने लगे.

हरीश सिर बोले: ये जादू तो तुम कर चुकी हो.

मों कहने लगी: जादू आयेज है.

मों ने हरीश सिर के लंड पर थूक फैंका, और लंड को गीला किया. फिर मों ने लंड को अपने बूब्स के बीच रखा, और धीरे से बूब्स को दबाया. हरीश सिर को मों के शरीर की गर्मी फील हुई, और उन्होने आखें बंद करके कहा-

हरीश: आह!

पहले तो रूम से मों की आवाज़े आ रही थी. मगर अब हरीश सिर की आवाज़े गूँज रही थी. मों किसी प्रोफेशनल रांड़ की तरह सिर के लंड को अपने बूब्स के बीच रख कर उछाल रही थी. और फिर जो हुआ, सिर एक-दूं बेकाबू हो गये. क्यूंकी मों ने स्पीड पकड़ रखी थी.

सिर ने बेड को ज़ोर से पकड़ा, और बोले: ह.

फिर उनके लंड से फावरा निकला स्पर्म का, जो सीधा मों के मूह में गया. मैं हैरान हो गया देखते-देखते की सिर ने पहले 1 धार मारी, जो मों के लिप्स पर बाजी. फिर दूसरी धार जो सीधा मों की आइज़ पर बाजी. फिर मों ने मूह खोल कर जीभ बाहर की तरफ निकाल दी तीसरी धार के लिए, जो की मों के मूह के अंदर गयी. उसके बाद 4-5-6 धार मों ने मूह में ही ली और पी गयी.

हरीश सिर बोले: ऐसी चुदाई मैने कभी नही की

मगर मों बोली: मैने बहुत बार की है.

हरीश सिर कहने लगे: मुझे पता ही था तू रांड़ है.

मों कहने लगी: कोई शक?

बस ये वो सिलसिला था जिसे आज तक मैं भुला नही पाया. क्यूंकी उस रात के बाद और काई दीनो तक हरीश सिर घर आते रहे, और रात-रात भर रहते रहे घर पर.

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