चुदाई के लिए जेठ का ड्रामा

हेलो दोस्तों, मैं सोनू. जैसा की मैने पिछले पार्ट में बताया था की मेरे बड़े पापा अपनी बेटी की शादी का निमंत्रण देने आए रहते है. और फिर मम्मी को छोड़ने की कोशिश करते है. अब आयेज.

मम्मी: तू कहा चला गया था? तेरे को पता है जेठ जी मेरे को अपना लंड पकड़ा दिए थे, और मेरे को अपने उपर खींच के मेरे को दबोच लिए थे.

सोनू: मम्मी मैं रूम के बाहर च्छूप कर सब देख रहा था, और जब आप अपने आप को नही बचा पाई, तभी तो मैं आवाज़ दिया आपको बचाने के लिए. नही तो बड़े पापा तो आपको आज छोड़ ही देते.

मम्मी: हा लेकिन तू रूम के बाहर गया ही क्यूँ?

सोनू: वो तो मैं देखना चाहता था की बड़े पापा सच में बातरूम में फिसल के गिरे थे, या फिर नाटक कर रहे थे.

मम्मी: तो क्या पता चला तेरे को?

सोनू: मेरे को लगता है बड़े पापा बातरूम में गिरने का बहाना करके यहा और रुकना चाहते है. ताकि वो मौका पाके आपको छोड़ सके.

मम्मी: तू ठीक बोलता है. मेरे को भी सब नाटक ही लग रहा है.

सोनू: मम्मी मेरे पास एक आइडिया है, जिससे ये एक-दूं कन्फर्म हो जाएगा की बड़े पापा नाटक कर रहे है, या वो सच में बातरूम में गिरे थे.

मम्मी: क्या आइडिया है?

सोनू: वो मैं आपको रात में खाना खाने के बाद बतौँगा.

मम्मी: ठीक है, अभी मैं खाना बनाने जेया रही हू.

सोनू: हा ठीक है.

फिर मम्मी किचन में खाना बनाने लगी, और मैं हॉल में बैठ कर टीवी देखने लग जाता हू. कुछ घंटे बाद मम्मी बड़े पापा को उनके रूम में खाना देके आती है. फिर हम लोग भी खाना खाते है. खाना खाने का बाद मैं मम्मी को बोला-

सोनू: मम्मी आप एक काम करो, आप बड़े पापा को हल्दी वाला दूध देकर आओ. मैं वही रूम के बाहर च्छूप कर खड़ा रहूँगा. फिर दूध देके आप भी वही रहना.

मम्मी: इससे क्या होगा?

सोनू: सब अभी जानना है क्या आपको? जितना बोला हू उतना तो करो.

मम्मी: ठीक है.

फिर मम्मी किचन से हल्दी वाला दूध लेकर आती है, और बड़े पापा के रूम में जाने लगती है. मैं भी चुप-छाप रूम के बाहर च्छूप कर खिड़की से देखता रहता हू.

मम्मी अंदर जाती है. जैसे ही बड़े पापा मम्मी को देखते है, वो खुश हो जाते है. वो अपने लंड को मसालने लगते है. मम्मी उनके पास जाती है, और टेबल पर दूध का ग्लास रख कर बोलती है-

मम्मी: जेठ जी मैं आपके लिए हल्दी वाला दूध लाई हू. इससे आपका दर्द कम हो जाएगा.

सुरेश: बहू थोड़ी मेरी मालिश कर देती तो मेरे को और आराम मिल जाता.

मम्मी: मेरे पास मालिश करने का वक़्त नही है. सोनू और मैं साथ में सोते है. अभी सोनू मेरा वेट कर रहा है.

सुरेश: क्या, सोनू तेरे साथ सोता है?

मम्मी: हा जब से सोनू के पापा की मौत हुई है. तब से मैं और सोनू साथ में सोते है. सोनू मेरे साथ में सोता है, तो मेरे को बिल्कुल भी अकेला महसूस नही होता है.

सुरेश: लेकिन वो बड़ा हो गया है. अब तेरे को उसके साथ नही सोना चाहिए.

मम्मी: सोनू मेरा बेटा है, और मैं उसकी मा हू. वो कितना भी बड़ा हो जाए, मेरे साथ सो सकता है.

सुरेश: लेकिन सोनू तेरा सौतेला बेटा है, और उसके साथ तेरा सोना सही नही है.

मम्मी: मैं मानती हू सोनू मेरा सौतेला बेटा है. लेकिन मैं उसको अपना सागा बेटा समझती हू. और सोनू को सौतेला बोलने की आपकी हिम्मत कैसे हुई.

मम्मी का गुस्सा देख कर बड़े पापा तोड़ा दर्र गये. वो समझ गये की वो और मेरे बारे में बोलेंगे तो मम्मी और गुस्सा हो जाएगी. फिर वो मम्मी को कभी छोड़ ही नही पाएँगे. इसलिए वो बोले-

सुरेश: अछा बहू माफ़ कर दे मेरे को. मैं आयेज से सोनू को कभी भी तेरा सौतेला बेटा नही बोलूँगा.

मम्मी: ठीक है, आयेज से आप ध्यान रखिएगा. मैं सोने जेया रही हू. आप ये हल्दी वाला दूध पी लीजिएगा.

सुरेश: बहू थोड़ी देर यही रुक जाती. हम लोग कुछ बातें कर लेते.

मम्मी: मैं बताई ना सोनू मेरा वेट कर रहा है. मैं नही रुक सकती. मैं जेया रही हू.

फिर मम्मी मम्मी दूध का ग्लास टेबल पर रख के रूम से बाहर आ जाती है. और मेरे पास आके खड़ी हो जाती है.

मम्मी: अब क्या करना है?

सोनू: मम्मी बस कुछ देर रूको.

फिर मैं और मम्मी दोनो बड़े पापा के रूम की खिड़की के बाहर खड़े हो कर रूम के अंदर देखने लगते है. थोड़ी देर में बड़े पापा दूध पीते है. फिर वो बिस्तेर से उठ कर ऐसे चलते है जैसे उनके शरीर में चोट और दर्द ही ना हो, और आराम से चलते हुए बातरूम जाते है.

फिर आके वापस बिस्तेर में लेट जाते है, और फिर अपना लंड बाहर निकाल के मूठ मारने लग जाते है. वो मूठ मारते हुए मम्मी का नाम ले रहे होते है. फिर कुछ ही मिनिट्स में झाड़ जाते है. फिर बीड़ी पीते हुए लेते रहते है.

मैं और मम्मी भी रूम में आ जाते है, और हम लोग अपने रूम की खिड़की और दरवाज़ा आचे से लॉक कर देते है, ताकि बड़े पापा हम दोनो को देख ना पाए. मैं बोला-

सोनू: देखा मम्मी कैसे बड़े पापा आराम से चल फिर रहे थे? जैसे उनको कोई चोट लगा ही ना हो.

मम्मी: हा बेटा, ये तो बहुत बड़ा हरामी निकला. मैं इसको अछा समझती थी.

सोनू: देखना मम्मी ये कल भी कुछ ना कुछ नाटक ज़रूर करेगा.

मम्मी: हा, और लगता है की कल यहा से नही जाएगा. ये और कुछ दिन हमारे घर पर रुकेगा.

सोनू: हा ऐसा हो सकता है.

मम्मी: वैसे तू मेरी और जेठ जी की बात सुना?

सोनू: हा मम्मी, मैं सब सुना.

मम्मी: जब जेठ जी तेरे बारे में ऐसे बोले, तो मेरे को बहुत बुरा लगा बेटा.

सोनू: बुरा तो मेरे को भी लगा.

मम्मी: आजा मैं तेरे को प्यार करना चाहती हू.

फिर मम्मी मेरे को बिस्तेर में लिटा देती है, और मेरे को नंगा करके मेरे को चूमने लगती है. वो अपनी सारी उतार देती है, और मेरे लंड को चूसने लग जाती है. कुछ देर लंड चूसने के बाद मैं मम्मी को लिटा देता हू, और मम्मी की छूट को चाटने ही वाला होता हू, तभी हमारे रूम के दरवाज़े के बाहर से किसी के चलने की हल्की-हल्की आवाज़ आती है. मैं धीमी आवाज़ में बोलता हू-

सोनू: मम्मी हमारे रूम के बाहर कोई है.

मम्मी: कों होगा, वही मेरा जेठ होगा भोंसड़ी वाला.

सोनू: मम्मी लेकिन ये यहा क्या करने आया होगा?

मम्मी: अर्रे जेठ जी को मैं बोली थी ना की तू और मैं साथ में सोते है. तो उसको ज़रूर हम दोनो के उपर शक हुआ होगा. इसीलिए देखने आया की तू और मैं क्या कर रहे है.

सोनू: मम्मी अगर इसको हम दोनो के बारे में पता चल गया, तो ये हम दोनो को बदनाम करने की धमकी देके आपको छोड़ेगा.

मम्मी: हा जेठ जी बिल्कुल ऐसा करेंगे. क्यूंकी वो मेरे को किसी भी कीमत पर छोड़ना चाहते है.

सोनू: मम्मी आज हम लोग चुदाई नही करते है. कही इसको हमारे बारे में पता चल गया तो दिक्कत हो जाएगी.

मम्मी: हा सही बोल रहा है तू.

फिर मैं और मम्मी कपड़े पहन लेते है. उसके बाद हम लोग हल्के से खिड़की खोल के बाहर देखते है तो बड़े पापा हमारे रूम के दरवाज़े के बाहर खड़े होके मम्मी और मेरी आवाज़ सुनने की कोशिश कर रहे थे.

हम लोग उनको बहुत देर तक देखते है. वो जाते ही नही है, और बस हमारे रूम के बाहर ही खड़े रहते है. अब तो मम्मी और मेरे को नींद आने लग जाती है. फिर मैं और मम्मी लिपट के सो जाते है.

अगले दिन सुबा मैं उठा तो मम्मी मेरे से पहले उठ गयी थी. मैं भी नहा धो कर आया. फिर देखा तो मम्मी किचन में नाश्ता बना रही थी. मैं बड़े पापा के रूम में गया, तो बड़े पापा बिस्तेर में लेते हुए थे. मैं बोला-

सोनू: अभी कैसा लग रहा है बड़े पापा?

सुरेश: बदन में बहुत दर्द हो रहा है बेटा.

सोनू: बड़े पापा, मैं डॉक्टर बुला देता हू. डॉक्टर आपको दवाई दे देगा. तो आप ठीक हो जाओगे.

सुरेश: नही-नही बेटा, मेरे को दवाई की ज़रूरत नही है. मैं कुछ दिन आराम करूँगा तो ठीक हो जौंगा.

सोनू: ठीक है बड़े पापा.

फिर मैं बड़े पापा के रूम से निकल के मम्मी के पास किचन में गया और बोला-

सोनू: मम्मी ये बड़े पापा तो जाने का नाम नही ले रहे है. मैने उनको जाके बोला की मैं डॉक्टर बुला देता हू, तो वो माना करने लगे. वो बोले की कुछ दिन आराम कर लूँगा तो ठीक हो जौंगा.

मम्मी: मेरे को भी जेठ जी यही बात बोले. बेटा ये जेठ जी आसानी ये यहा से नही जाने वाले.

सोनू: मम्मी ये बड़े पापा को जल्दी से यहा से भागाओ. उनकी वजह से हम लोग चुदाई नही कर पा रहे है.

मम्मी: अर्रे मेरी छूट में तो आग लगी हुई है. बहुत मॅन है मेरा तेरे से चूड़ने का. लेकिन जेठ जी को मैं कैसे भगौ? मेरे तो कुछ समझ में नही आ रहा है.

सोनू: मेरे को भी कुछ नही सूझ रहा है.

तभी मेरे को फोन आता है की आज एक मीटिंग थी.

सोनू: मम्मी मेरे को जाना पड़ेगा. मेरी आज एक मीटिंग है.

मम्मी: क्या, और तू मेरे को घर पर छ्चोढ़ कर जाएगा.

सोनू: मम्मी मेरा मीटिंग में जाना भी ज़रूरी है.

मम्मी: बेटा तू घर पर नही होगा, इसका जेठ जी पूरा फ़ायदा उठाएँगे.

सोनू: मम्मी आप उनसे डोर-डोर रहने की कोशिश करना.

मम्मी: बेटा वो तो मौका देख के मेरे को पकड़ लेगा.

सोनू: मम्मी पर…

मम्मी: ठीक है बेटा, मैं कोशिश करूँगी.

फिर मैं नाश्ता करके मीटिंग के लिए निकल जाता हू. मेरे को मीटिंग से आते हुए शाम हो जाती है. मैं घर आता हू तो घर का दरवाज़ा अंदर से बंद रहता है. मैं डोरबेल बजाने ही वाला था, तभी मेरे मॅन में अजीब सा बेचैनी होने लगी. फिर मैं सोचा एक बार खिड़की से अंदर देखा जाए.

फिर मैं हॉल वाली खिड़की से देखा तो कोई दिखाई नही दिया. उसके बाद मैं बाहर की तरफ से मम्मी और मेरे रूम की खिड़की के पास गया तो देखा अंदर मम्मी नही थी. अब मेरे को तोड़ा दर्र लगने लगा कही मम्मी बड़े पापा से चुड तो नही गयी.

फिर मैं बाहर से ही बड़े पापा के रूम के खिड़की के पास पहुँचा, और जैसे ही अंदर देखा, मेरी गांद फटत गयी. बड़े पापा के रूम में मैने क्या देखा, ये मैं अगले पार्ट में बतौँगा. कहानी पढ़ कर फीडबॅक ज़रूर दे.

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