गतान्क से आगे………………….चुदाई के दिन चुदाई की रातें -1
मैं सुधा, एक बार फिर से अपनी चुदाई की कहानी जारी रखती हूँ. मेरा रात को पापा के साथ मौसी की चुदाई देख कर उतेज्ना से बुरा हाल हो गया था और फिर मेरी बेहन नामिता ने मुझे जो मज़ा दिया, मैने कभी सपने में भी नहीं सोचा था. मेरी बेहन बेशक मुझ से छ्होटी है, पर चुदाई में मेरी गुरु है. उसस्के भीगे हुए चुंबन ऐसे थे कि मेरी चूत से रस की नदिया बहने लगी थी और जो मज़ा मुझे अपनी बेहन के मुख से और हाथों से मिला, कभी नहीं महसूस हुआ था. उसस्के बाद मैने अपनी बेहन को भी प्यार किया जो एक यादगार लम्हा बन गया मेरी ज़िंदगी का. जब सुबह मेरी आँख खुली तो मेरा जिस्म एक दम हल्का महसूस हो रहा था. नामिता के होंठों के स्पर्श की भावना मुझे आनंदित कर रही थी.
मैं नामिता से लिपट कर नंगी ही लेटी हुई थी. जब मेरी आँख खुली तो नामिता को अपनी बाहों में पाया. हम दोनो बहने एक दूसरे से लिपटी हुई थी. तभी मौसी चाइ ले कर आई.” क्या बात है बेटी, आज उठना नहीं है क्या? अर्रे तुम ने तो कपड़े भी नहीं पहने आज! क्या बात है? बच्चो अब तुम जवान हो चुकी हो, कपड़े पहन कर रखा करो. वाह सुधा, तेरा जिस्म तो भर चुका है. मैं बात करती हूँ जिज़्जु से की तेरी शादी करवा दें जल्दी से. सुधा, ये जवानी चली गयी तो ज़िंदगी में कुच्छ नहीं रहे गा. मज़े ले लो जवानी के जवानी में.” मैं अब मुस्कुरा पड़ी,” मौसी, हम लोगों को भी सीखा देना कि कैसे मज़ा लिया जाता है जवानी का. लगता है तुम को काफ़ी तज़ुर्बा है मज़े लेने का. कहीं तू भी तो हमारे घर में मज़ा लेने ही तो नहीं आती? पापा का ख्याल रखना ज़रा, मम्मी के बाद अकेले हो गये हैं कुच्छ. और वैसे भी जीजा साली का रिश्ता तो होता ही प्यार वाला. है”
मौसी मुस्कुरा पड़ी,” तेरे पापा तो मेरे प्यारे जिज़्जु हैं, मैं उनका ख्याल नहीं रखूँगी तो कौन रखे गा? मैं तो ऐसे ही कह रही थी कि अगर क़िस्सी चीज़ की ज़रूरत हो तो पुच्छ लेना, मेरी बच्चियो. अब मैं निकलती हूँ, तेरे मौसा जी भी लौट आए होंगे. शाम को मिलेंगे” पापा भी तैयार हो कर चले गये. नामिता ने फोन घुमाया और अपने दोस्तों से बातें करने लगी. मैं नहाने चली गयी और जब लौटी तो मेरी बेहन बोली,” सुधा, पहले दौर में मैं तुझे अपने यार करण से चुदवाती हूँ. मैने उसको कहा है कि मैं घर में अकेली हूँ, और वो जल्दी से आ कर मुझे चोद डाले. जब मैं उसके साथ हूँगी तो तुम हम को रंगे हाथ पकड़ लेना और हम को ब्लॅकमेल करके उस से चुदवा लेना, मैं भला ना किओं कहूँगी. एक बार कारण से चुदाई करवा लेना फिर दोपहर को मेरे यारों की मंडली आ जाए गी जो हम दोनो को लंड से हर तरफ से चोद चोद कर कुतिया बना देंगे,”
मैं आने वाले वक्त के बारे सोच कर मुस्कुराने लगी. मेरी चूत चुदाई सुहाने ख्वाब देख कर पानी छ्चोड़ने लगी. नामिता ने एक पाजामा पहन लिया जिसके नीचे उसने कोई पॅंटी नहीं पहनी थी और उप्पेर एक पारदर्शी कुर्ता पहन लिया. मैं एक सेक्सी मागज़िने ले कर अपने कमरे में चली गयी. मैने एक नाइटी पहन रखी थी और कुच्छ भी नहीं. थोड़ी देर में बेल बजी और नामिता डोर खोलने गयी. कुच्छ देर में वो अपने दोस्त कारण को ले कर ड्रॉयिंग रूम में गयी. वो बोल रही थी” करण यार, अब देर मत करो, मैं तेरे लंड को भूखी हूँ, तुम मेरी चूत को ठंडा कर दो इस से पहले कि कोई कबाब में हड्डी आ जाए. ज़रा मेरी चूत पर हाथ रख कर देखो, कैसे जल रही है चुदाई की आग में,” कहते ही नामिता ने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए. करण ने भी अपनी पॅंट उतारनी शुरू कर दी,” नामिता, साली तेरी चूत है ही इतनी गरम की लंड बिना तो रह नहीं सकती. पहले मैं तेरी चूत को चाट कर ठंडा करूँगा और फिर लोड्े से चोद कर, ”
नामिता नंगी हो कर सोफे पर लेट गयी और करण उसस्की जांघों को खोल कर अपना मूह उसस्की चूत पर झुका कर चूमने चाटने लगा. करण काफ़ी बलिश्त जिस्म का मालिक था. उसका लंड कम से कम 7 इंच का होगा और बहुत मोटा भी था,” करण साले मेरी चूत को चॅटो, कब से तरस रही हूँ इस्सको चटवाने के लिए. जल्दी से घुसा दो अपनी ज़ुबान को इससके अंदर, नामिता टाँगें खोले पड़ी है तेरे सामने.” करण बिन बोले चूत में जीभ घुसा कर चाटने लगा,” अहह……आअरररगगगगग…..हह…..म्म्म्मममम” नामिता के होंठों से सिसकारियाँ निकलने लगी. मैने भी नाइटी के उप्पेर से अपनी चूत को रगड़ना शुरू कर दिया, मुझे उतेज्ना हो रही थी. मेरी चूत को आज तक किस मर्द ने टच भी नहीं किया था, चूमना तो दूर की बात थी. मेरी नाइटी का वो हिस्सा जो मेरी चूत के सामने था, मेरी चूत के रस से भीग गया था. प्लान के मुताबिक, मुझे नामिता और करण को चुदाई के खेल में रंगे हाथों पकड़ कर ब्लॅकमेल करना था.